Friday, August 17, 2018

Concept of Public Relations in hindi

Concept of Public Relations
जनसंपर्क की अवधारणा
जनसंपर्क संचार की एक प्रक्रिया है, जिसमें जनता से संचार स्थापित किया जाता है। यह एक जटिल और विभिन्न क्षेत्रों की सम्मिश्रित प्रक्रिया है। इसमें प्रबंधन, मीडिया, संचार और मनोविज्ञान जैसे विषयों के सिद्धांत और व्यवहार शामिल है। जनसंपर्क की प्रक्रिया एक सुनिश्चित लक्ष्य की प्राप्ति के लिए की जाती है, जो एक सही माध्यम के द्वारा जनता से संपर्क स्थापित कर अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए सही दिशा में अग्रसर होने में सहायक होती है।
जनसंपर्क ऐसी प्रक्रिया है, जो सम्पूर्ण सत्य एवं ज्ञान पर आधारित सूचनाओं के आदान-प्रदान के लिए की जाती हैं। जनसंपर्क दो शब्दों जनएवं संपर्क से मिलकर बना हुआ है अर्थात जनता से संपर्क। जनता भी कई प्रकार की होती है एवं जनता की प्रकृति एवं अभिरुचियों को ध्यान में रखते हुए संपर्क स्थापित करना ही एक अच्छा जनसंपर्कहोता है। जनसंपर्क की आवश्यकता किसी संस्था/संगठन को जनता के बीच में विश्वास पैदा करने के लिए होती है। कोई भी संस्था अपनी छवि को निखारने के लिए एवं अपनी संस्था के हित साधने के लिए, जनता को संस्था / संगठन से जोड़ने एवं जुड़े रहने के लिए प्रचार अर्थात एक अच्छी जनसंपर्क प्रक्रिया अपनाती है।
आज किसी भी संस्था की साख बनाने के लिए जनसंपर्क एक आवश्यक अंग माना जाता है। सरकारों के अलावा निजी संस्थाएं भी जनसंपर्क के माध्यम से अपनी साख बनाने का कार्य करती है। जनसंपर्क को संक्षेप में ऐसा कार्य कहा जाता है, जिसे जनता द्वारा सराहा जाए, जनसंपर्क का पहला तत्व है अच्छा प्रदर्शन। किसी संगठन या किसी संस्था का जनता के साथ जो संबंध बनता है, उसे जनसंपर्क कहते हैं, अच्छे जनसंपर्क में सच्चाई और ईमानदारी होनी चाहिए। भारत के सामाजिक एवं आर्थिक विकास में जनसंपर्क एक अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
जनसंपर्क का दायरा बहुत ही बड़ा है, क्योंकि जनता से संपर्क स्थापित करने के बाद ही जनसंपर्क की प्रक्रिया पूरी होती है एवं जनता शब्द ही अपने आप में एक विशालकाय अर्थ लिए हुए है।यह किसी देश की जनता भी हो सकती है या कई देशों की जनता भी। जनसंपर्क एक द्विपक्षीय प्रक्रिया है जिसमें पहल मुख्य घटक जनता होती है एवं दूसरा मुख्य घटक संप्रेषक है जो किसी संस्था/ संगठन का एक प्रभावी व्यक्तित्व होता है,वो हर समय अपने संगठन की साख को मजबूत बनाने के लिए अग्रसर रहता है।  
जनसंपर्क जनता का विश्वास जीतने का प्रयास है जनसंपर्क हमेशा एक ऐसे वातावरण का निर्माण करने की ओर हमेशा तत्पर रहता है, जहाँ संस्था एवं उसके द्वारा उत्पादित वस्तुओं/सेवाओं के प्रति लोगों का रुझान एवं विश्वास उत्पन्न हो सके।  जनसंपर्क एक दूरगामी प्रक्रिया है जो अपने लक्ष्यों की प्राप्ति हेतु सतत चलने वाली प्रक्रिया के रूप में काम करती है। आज के सूचना क्रांति के युग में जनसंपर्क एक वैज्ञानिक एवं प्रबंधकीय प्रक्रिया के रूप में उभर कर सामने आया है। नये-नये उपकरणों एवं माध्यमों के जरिए एक अच्छी जनसंपर्क प्रक्रिया संभव हो रही है। इन सब के बाबजूद जनसंपर्क मानव से जुड़ने की प्रक्रिया है एवं इसमें मृदु व्यवहार एवं उपकार करके ही लोगों से संपर्क स्थापित कर उनके दिलों को जीता जाता है एवं संस्था/संगठन की साख को मजबूत बनाया जाता है।
जनसंपर्क सम्प्रेषण की द्वि-पक्षीय प्रक्रिया है जिसमें एक और सरकार अथवा किसी संस्था की नीतियों एवं कार्यक्रमों का लक्षित जन-समूह तक प्रचार प्रसार किया जाता है, और दूसरी और जनता की प्रतिक्रिया एवं समस्याओं  से सरकार अथवा संबन्धित संस्था को अवगत कराया जाता है। जनसम्पर्क अपने प्रतिष्ठान के प्रबंधन और आम लोगों के मध्य सेतु का काम करते हुए एक-दूसरे को उनकी राय की जानकारी करता है।
समाचार माध्यमों एवं बढ़ते प्रभाव और प्रसार के साथ-साथ जनसंपर्क की प्रक्रिया निरंतर चलती रहती है ताकि जनता उस संस्था को अपने स्मृति-पटल से ओझल न कर दे इसलिए समय के बदलाव के साथ जनता की मनःस्थिति का हमेशा मूल्यांकन करते हुए संस्था के हित के अनुरूप कई कार्यक्रमों को तैयार किया जाता है एवं जनता को अवगत कराया जाता है एवं उनसे संपर्क स्थापित कर बेहतर संचार किया जाता है और यह कोशिश की जाती है  कि उन्हें संस्था से जोड़े रखे।
जनसंपर्क एक सुनियोजित एवं सुदृढ़ संचार-कार्यक्रम है जो संगठन तथा उसके लक्षित-समूह के मध्य क्रियान्वित किया जाता है। यह किसी भी संस्था के लिए अनिवार्य तत्व एवं आधार भी माने जाते हैं। जनसंपर्क के क्षेत्र में लक्षित समूहया जनसमूह से तात्पर्य जनताशब्द से ही जुड़ा होता है। जनताया लक्षित समूहके अंतर्गत कुछ ऐसे अनिक्छुक या उदासीन समूह होते हैं जिनके हित, विकास और कल्याण के लिए संगठन को कठिन प्रयास करना पड़ता है। इसमें कुछ चिन्हित उपभोक्ता भी शामिल होते हैं।
यह एक प्रबंधकीय कार्य है जो व्यक्तिगत एवं संगठनात्मक संचार पर विशेष बल देता है। इसका उद्देश्य परस्पर सहमति,सहयोग की स्थापना करना है। यही वजह है कि जनसंपर्क को संगठन एवं जनता के मध्य सार्थक सम्बन्धों के विकास, रख-रखाव या पोषण कर्ता के रूप में जाना जाता है। इसके अंतर्गत कार्मिक ग्राहक, अंशधारक, प्रतिस्पर्धी समूह, आपूर्तिकर्ता या उपभोक्ता आदि शामिल होते हैं। उपरोक्त में से प्रत्येक समूह को जनसंपर्क या जनसमूह कि परिधि में आने वाली जनता के रूप में जाना जाता है। इन विशिष्ट जनसमूह या समुदाय के साथ मधुर सम्बन्धों कि स्थापना हेतु प्रभावी संपर्क स्थापित करना ही जनसंपर्क है।
प्रायःप्रत्येक संगठन को गतिशील समाज से जुड़ने और परस्पर सम्बन्धों में रिक्तता को रोकने हेतु संचार की आवश्यकता पड़ती है। इसके अलावा प्रत्येक संगठन, कंपनी या सरकारी अनुभाग को जन समुदाय से संबंध बनाने ही पड़ते हैं। इन सम्बन्धों का आधार कंपनी के कथन और कार्य दोनों होते हैं। यह सिर्फ संगठन की प्रोन्नति, विक्रय-वृद्धि या कल्याणकारी प्रस्तुति के लिए ही आवश्यक नहीं होता है वरन् संगठन द्वारा किए गए कार्यों एवं निर्णयों को सही, न्यायोचित एवं तार्किक सिद्ध करने के लिए भी इसकी अनिवार्यता को अनुभव किया जाता है। 
जनसंपर्क आधुनिक समय की प्रमुख आवश्यकताओं हेतु अत्यंत अनिवार्य है। इसे लोकसंपर्क से भी संबंध कर देखा जाता है, यह वर्तमान समाज हेतु आर्थिक एवं सामाजिक जनसंपर्क सामाजिक एवं आर्थिक दोनों ही दृष्टि से आवश्यक है। शासन,व्यापार एवं जनता के बीच परस्परिक तालमेल के लिए जनसंपर्क एक सेतु का काम करता  है यह सेतु व्यावहारिक स्तर पर काफी प्रभावी है।
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