Sunday, September 2, 2018

House Journals: Importance and types in Hindi

जनसंपर्क में गृह पत्रिका का महत्व एवं प्रकार 

जनसम्पर्क के लिए किए जाने वाले सभी तरह के प्रचार-कार्यो में गृहपत्रिका का अपना विशेष महत्व होता है। लोकतंत्र में जनमत की महत्ता पर बल दिया जाता है। यहां जनमत का मतलब सत्ता द्वारा किए जाने वाले कार्यो पर जनता की प्रतिक्रिया। जनता का मत अगर पक्ष में है तो सत्तापक्ष का उद्देश्य पूरा हो जाता है और अगर उसके विपरित है तो उसके बारे में जानकारी इक्कठी कर उसे दूर करने का प्रयास किया जाता है।
जिस तरह राजकीय क्षेत्र में जन अभिमत के निर्माण में सामाजिक धार्मिक तथा राजनीतिक संस्थाओं का योगदान विशेष महत्व रखता है उसी प्रकार किसी राजनीतिक प्रतिष्ठान औद्योगिक सार्वजनिक या निजी संस्थान में गृहपत्रिका का विशेष योगदान होता है। गृहपत्रिका को किसी भी प्रतिष्ठान या संस्थान में जनसंपर्क की तरह दिमागी सम्प्रेषण का साधन माना जाता है।
गृहपत्रिका द्वरा निम्नलिखित उद्देश्य प्राप्त किए जा सकते हैं -
1. महत्वपूर्ण नीतियों का प्रचार-प्रसार।
2. सदस्यों व ग्राहकों की प्रतिक्रियाओं और आलोचनाओं की तथस्ट सूचना दी जाती है।
3. इसमे दिया गया सुझाव व पन्ना अत्यन्त महत्वपूर्ण होता है।
4. बिना एक दूसरे के आमने-सामने हुए परस्पर विचार-विमर्श का साधन यह पत्रिका बनती है।
5. इसमें उपयुक्त समय संदर्भ के अनुसार सूचनाएं प्रकाशित की जाती है।
6. इसमें उपयुक्त समय संदर्भ के अनुसार सूचनाएं प्रकाशित की जाती है।
7. इसकी सहायता से प्रतिष्ठान अपनी छवि के निर्माण का कार्य करता है, विशेषकर राजनीतिक दल व सरकारी विभाग जन अभिमत को प्रभावित कर पाते है।
8. पत्रिका में प्रकाशित सामग्री यदि तथ्य पर होगी तो उसका प्रभाव अधिक समय तक रह पायेगा।
प्रत्येक व्यापारिक संस्थान अपनी नीतियों के बारे में लोगों को जानकारी देने के लिए गृहपत्रिका का प्रकाशन करता है जिसके निम्न प्रकार हो सकते है:-
1. आंतरिक जनसंपर्क पत्रिका।
2. बाह्य जनसंपर्क पत्रिका।
3. संयुक्त जनसंपर्क पत्रिका।
गृह पत्रिका के उद्देश्यों पर प्रकाश डालते हुए ‘प्रेस फाउण्डेशन ऑफ एशिया’ के री. ऐलन चाकले लिखते हैं - ”एक अच्छी गृह पत्रिका वास्तव में निम्नलिखित छह उद्देश्यों को प्राप्त कर ही सफल होती है।
1. माल की बिक्री तथा सेवाओं की प्रदाता बनता है।
2. समस्त नयी घटनाओं की जानकारी देती है।
3. कर्मचारियों के बीच परस्पर संवाद कायम करती है।
4. उद्योग के हितों को ध्यान में रखते हुए जनमत का निर्माण करती है।
5. कर्मचारियों एवं उनके परिवारजनों को शिक्षित करती है।
6. प्रबन्धक मंडल की नीतियों को जनमत के अनुसार सुधार कर उनकी पुनः प्रस्तुति तथा उन नीतियों की सही वकालत करती है।
इन सबके बावजुद गृह पत्रिका कर उद्देश्य संगठन की नीतियों योजनाओं व कार्यक्रमों की सूचना देने के साथ-साथ कर्मचारियों की समस्याओं को भी उठाना होता है। और इन दोनों ही कामों में उसे महारत हासिल होनी चाहिए।
किसी भी गृह पत्रिका का उद्देश्य अपने संगठन और संस्थान के बारे में बेहतर ढंग से जानकारी देना होता है और उसे हर हाल में पूरा किया जाना चाहिए। सही सूचना, सही समय पर नपे-तुले शब्दों में देने वाली गृहपत्रिका किसी भी उद्योग संस्थान सरकार के लिए लाभप्रद और अनिवार्य हो सकती है।

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