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Saturday, October 3, 2020

समाजसेवी फैजुद्दीन सिद्दीकी ने बिहार चुनाव पर दी अपनी प्रतिक्रिया

  •  मुद्दा विहीन है बिहार इलेक्शन
  • पार्टियां गठजोड़ में लगी 
  • जनहित को ताक पर रख दिया गया



Tuesday, October 30, 2018

Radha krishna ki fake story gadhta TV serial

मैं बहुत ही हैरान हूँ कि,राधा कृष्ण के बारे मे TV सीरियल में बहुत ही गलत स्टोरी दिखाई जा रही है,लेकिन उसका विरोध कोई भी हिन्दू नही कर रहा है।
इस TV सीरियल में कृष्ण का चरित्र एक मनचला,फ्लटिंग करने वाला युवक का दिखया जा रहा है,जो कि पूरी तरह से आपत्तिजनक है।
बड़े बड़े भाषण देने वाले,वेद पुराणो के परम ज्ञाता साधु संत क्यों चुप्पी साधे हुए हैं????
टेलिविजन पर अभी एक सीरियल चल रहा है,"राधाकृष्ण"।
उसमे श्रीकृष्ण की आयु 16 वर्ष बताई गई है,जो कि सही नही है।
जबकि सत्य तो यह है कि,भगवान श्रीकृष्ण मात्र 11 वर्ष 55 दिन की आयु में,अक्रूर द्वारा मथुरा पहुंचा दिए गए थे।
वास्तविकता तो यह है कि,11 वर्ष 55 दिन की आयु के बाद भगवान श्रीकृष्ण का जीवन हमेशा हमेशा के लिए बदल गया था। पलायन, संघर्ष, युद्ध और विनाश में ही बीत गया उनका सारा जीवन।
TV सीरियल वाले सिर्फ श्रृंगार रस को बढ़ा चढ़ा कर पेश करते हैं,ताकि उनके द्वारा बनाया गया एपिसोड खूब कमाई करे।
श्रीकृष्ण ने ब्रजभूमि में श्रीराधा और गोपियों संग जितनी भी लीलायें की थीं,वह सब बाल्य अवस्था में ही किये थे।
उन्होंने 6 दिन की आयु में पूतना उद्धार,,5 वर्ष की आयु में अघासुर उद्धर और ब्रह्मा जी का मोह भंग लीला,6 वर्ष 6 माह की आयु में चीर हरण लीला की,7 वर्ष की आयु में महारास लीला और अपनी कनिष्का अंगुली पर गोवर्धन पर्वत उठाने की लीला,इसतरह माखन चोरी लीला,कालिया नाग दमन लीला,दवानल लीला आदि-आदि विभिन्न लीलायें बाल्यावस्था में ही किये थे।
भगवान श्रीकृष्ण की गोकुल,बर्षाना, नंदगाव और वृन्दावन की अन्तिम लीला का पूर्ण विराम,11 वर्ष 54 दिन तक की आयु में ही सिमट कर रह गया था,क्योंकि 11 वर्ष 55 दिन की आयु में,वे मथुरा चले गए थे,जहाँ से दोबारा उनकी वापसी श्रीराधा,गोप और गोपियों तथा नन्द यसोदा के पास नही हुई।
ये टेलीविजन वाले राधाकृष्ण के वास्तविक चरित्र की जगह,उनकी ऐसी चरित्र लोगो के सामने पेश करते हैं,जिसका वास्तविकता से कोई संबंध नही है।
यदी TV चैनल वाले राधाकृष्ण की वास्तविक लीला को दिखाएंगे जो कि सिर्फ बाल्यावस्था की लीला है,तो युवावर्ग आकर्षित कैसे होंगे और इनकी अधिकतम कमाई कैसे होगी।
आप सभी सनातन धर्मी जागृत हो जाइये,आप लोग अपने धार्मिक ग्रंथो,पुराणों का अध्ययन कीजिये,और राधाकृष्ण की वास्तविक चरित्र को जानिये।

Saturday, September 15, 2018

Happy birthday Doordarshan


Hindi Divas

*ऊँच नीच को नहीं मानती हमारी हिन्दी...*
*इसमें कोई भी कैपिटल या स्माल लैटर नहीं होता...सब बराबर होते हैं !!*
*साथ ही आधे अक्षर को सहारा देने के लिए पूरा अक्षर हमेशा तैयार रहता है ।*

*हिन्दी दिवस की शुभकामनाये*

Thursday, July 26, 2018

एक सच

एक सच

अभी गोवा  के मुख्यमंत्री मनोहर पारीकर साहब और हिन्दी फिल्मों के अभिनेता  इरफान खान बीमार हुए और भारत मे पर्याप्त ईलाज न होने के कारण विदेश रवाना हो गये , इनमे से एक हिन्दू है ओर एक मुस्लिम भारत में न मन्दिरों की कमी है न मस्जिदों की।
दुनिया के सबसे शक्तिशाली ईश्वर शायद भारत में ही होंगे,फिर यह लोग ईलाज कराने विदेश क्यों गये क्या पारिकर साहब को हिन्दू देवी-देवताओं ओर इरफान खान को अल्लाह पर भरोसा नहीं था, कि उनकी कृपा से वो ठीक हो जाएंगे,    .........
जी हां यह एक सच है कि शरीर में रोगों का इलाज विज्ञान द्वारा होता है, ओर भारत विज्ञान के क्षेत्र में पिछड़ा है वरना इनको विदेश नहीं जाना पड़ता।
दूसरा मनोहर पारिकर और इरफान खान भारत के पैसे वाले लोग है, या यों कहे इनका धर्म कुछ भी हो लेकिन इनका वर्ग एक है, पूंजीपति वर्ग पैसे वाले लोग कुछ भी कह लीजिए इनको दुख तकलीफ होती है तो यह पैसे वाले लोग विदेश चले जाते हैं। लेकिन आम भारतीय क्या करे।
अगर हम लोगो को ऐसी बीमारी हो गयी तो हमारा मरना तय है, ओर बहाना होगा समय पूरा हो गया। दरअसल अच्छे अस्पताल अच्छे स्कूल इनकी ओर वैज्ञानिक दृष्टिकोण इनकी जरूरत आम आदमी को ज्यादा है। लेकिन यह पैसे वाले हमें मन्दिर मस्जिद में बाटकर खुद विदेश चले जाते हैं।
अगले चुनाव में अपने लिए अच्छे ओर सस्ते अस्पताल ओर स्कूल रोजगार माँगियेगा------ मन्दिर मस्जिद नही
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Thursday, May 10, 2018

Khat-pat

“खट पट”

यह उन दिनों की बात थी, जब हमारी नई नई शादी हुई थी. शादी के कुछ दिनों बाद, हम वाइफ को हनीमून मनाने वही ले गये. जहाँ हमारी दो टकिया की नौकरी थी. इसलिए नही की जेब में कडकी थी बल्कि इसलिए की कम्पनी ज्यादा लीव नही दे रही थी.

वाइफ रूम पर पहुची तो कबाड़ खाने को देखकर, “कबाड़ खाना”... हाँ यही शब्द बोला था उसने उस one BHK के फ़्लैट को देखकर जिसकी कीमत आज से पन्द्रह साल पहले भी पन्द्रह लाख थी. सारा सामान तितर बितर पड़ा था. बस एक अलमारी में कुछ खाली बोतले सजी थी.

“यह क्या है?” जिसे देखते ही उसने पूछा.

“दोस्तों की है” जबाब शायद उसके सवाल पूछने से पहले ही मेरी जुबान पर आ गया.

“दोस्तों की है, तो तुम्हारे रूम पर क्या कर रही है?”

“सारे दोस्त, शादी शुदा है, उनकी वाइफ उन्हें घर पर पीने नही देती तो बेचार यहाँ चले आते थे.

यह सुनकर वाइफ कुछ नही बोली. वो साफ़ सफाई में जुट गई. कुछ ही देर में फ्लेट ऐसे चमकने लगा जैसे ताजमहल. अगर यह साफ़ सफाई मेरी आँखों के सामने ना हुई होती तो मेरे लिए यकीन करना मुशिकल हो जाता कि यह मेरा ही फ्लेट है या गलती से में किसी दुसरे के फ़्लैट पर आ गया.
सफाई करते करते दोनों को भूख लग आई थी. हाँ भाई दोनों को, मै भी सफाई में बराबर की हेल्प कर रहा था.

मै बाथरूम में नहाने चला गया तो वाइफ किचन में रोटी बनाने लगी. नहाते नहाते ख्याल आया कि रोटी बनाने वाला चकला बिल्कुल भी आवाज नही कर रहा. मगर यह कैसे सम्भव था. मैंने जिस दिन से वो खरीदा, वो उसी दिन से अनबैलेस था. उसकी तीनो टाँगे कभी स्लेब पर टिकती ही नही थी. उसका अलाइनमेंट करने में मैंने अपनी सारी इन्जिनीरिंग लगा दी थी. लेकिन कभी एक टांग छोटी हो जाती तो कभी दूसरी. मै जब भी रोटी बनाने चलता, वो इतनी आवाज करता की पड़ोसी भी आकर पूछते “आज घर पर खाना बना रहे हो, होटल पर खा कर नही आये”

जैसे ही मै बाथरूम से निकला तो देखा, वाइफ आराम से रोटी बना रह थी और चकले की तीनो टांग अलग पड़ी थी. मैंने उससे पूछा “यह क्या किया तुमने?”

“कुछ नही यह ज्यादा खट पट कर रहा था तो मैंने in इसकी तीनो टांग तोड़ दी, मेरा यही स्टाइल है”

उसका यह स्टाइल देखकर फिर मेरी भी कभी खटपट करने की हिम्मत नही हुई.
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