- मानवाधिकारों के रक्षा की जिम्मेदारी सभी की: जस्टिस खान
- मानवता, प्रेम और भाईचारा के माध्यम से मानवाधिकारों को सुरक्षित रखा जा सकता हैः जस्टिस नाथ
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मौला अली ने हमेशा समानता की बात की: मौलाना यासूब अब्बास
लखनऊ। संविधान दिवस पर शिया कालेज ऑफ लॉ द्वारा ‘हजरत अली (अ.स.) एवं मानवाधिकार’ विषयक सेमिनार का आयोजन किया गया। सेमिनार के मुख्य अतिथि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस एस.यू. खान एवं विशिष्ट अतिथि पूर्व न्यायाधीश जस्टिस कमलेश्वर नाथ रहे। सेमिनार की अध्यक्षता मौलाना यासूब अब्बास (सचिव, मजलिस-ए-उलेमा, बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज, शिया पी0 जी0 कालेज, लखनऊ) ने की। इस अवसर पर वक्ताओं ने मानवाधिकार के मामले भारतीय संविधान की महत्ता को बताते हुए हजरत अली (अ.स.) द्वारा किये गये कार्यों का उल्लेख करते हुए वर्तमान दौर में उनकी प्रासंगिकता को बताया।
मौला अली ने हमेशा समानता की बात की: मौलाना यासूब अब्बास
मुख्य अतिथि जस्टिस खान ने कहाकि भारतीय संविधान में समस्त मानवाधिकारों को मौलिक अधिकारों के अंतर्गत अनुच्छेद 14 और 15 में ही दे दिया गया है। जरूरत इस बात की है कि जिम्मेदारों द्वारा इसका अनुसरण किया जाये। उन्होंने कहाकि मानवाधिकारों की रक्षा की जिम्मेदारी केवल सरकार की ही नहीं, बल्कि हर एक व्यक्ति की होनी चाहिये, जैसा कि हजरत अली (अ.स.) ने 1400 वर्ष पहले अपने कार्यों एवं संदेशों के माध्यम से देने का कार्य किया था। विशिष्ट अतिथि जस्टिस कमलेश्वर नाथ ने संविधान, मानवाधिकार और हजरत अली के संदेशों व सामाजिक न्याय को आपस में जोड़ते हुए वर्तमान समय में उनकी प्रासंगिकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि सामाजिक न्याय, मानवता, प्रेम और भाईचारा ऐसे साधन है, जिनके माध्यम से लोगों के मानवाधिकार को सुरक्षित रखा जा सकता है।
मौलाना यासूब अब्बास (सचिव, मजलिस-ए-उलेमा, बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज, शिया पी0 जी0 कालेज, लखनऊ) ने कहाकि मौला अली ने लोगों के अधिकारों के साथ जो इंसाफ किया था, उस पर अमल किया जाये तो दुनिया में किसी के साथ अन्याय नहीं होगा। मौला अली ने लोगों के लिए अधिकार और कर्तव्य के लिए जो बातें कही हैं, वह अतुलनीय है, वह हमेशा सभी के समान अधिकारों की वकालत करते रहे।
सेमिनार में विशिष्ट अतिथि प्रो0 अब्बास अली मेंहदी साहब (पूर्व कुलपति, एरा मेडिकल विश्वविद्यालय, लखनऊ), प्रो0 जफर जैदी साहब (निदेशक, मानव व्यवहार एवं सम्बद्ध विज्ञान संस्थान, एमिटी विश्वविद्यालय, लखनऊ), श्रीमती पूर्णिमा सागर (सचिव, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण, लखनऊ), सै0 अब्बास मुर्तजा शम्सी साहब (प्रबन्धक, प्रबन्ध-समिति, शिया पी0जी0 कालेज, लखनऊ), डॉ0 एम0एम0 अबू तैय्यब साहब, (निदेशक, स्ववित्तपोषित, शिया पी0जी0 कालेज, लखनऊ), अधिष्ठाता एवं संकाय अध्यक्ष, विधि विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ, प्रो0 (डॉ0) सी0 पी0 सिंह, डॉ0 एम0एम0 एजाज अतहर, लॉ कालेज के पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. इशरत हुसैन आबिदी, बोर्ड के बरिष्ठ सदस्य एस.एस.एच. तकवी साहब आदि ने भी अपने विचार रखे। इससे पूर्व शिया कालेज ऑफ लॉ के प्राचार्य डॉ. एस.एम. हसनैन ने आगंतुकों का स्वागत करते हुए सेमिनार की रूपरेखा प्रस्तुत की। विभाग की असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ. नूरीन जैदी ने कार्यक्रम का संचालन किया। धन्यवाद ज्ञापन शिया पीजी कालेज के प्राचार्य डॉ. तलअत हुसैन नकवी ने दिया। इस अवसर पर विभाग के प्रध्यापक डॉ. एस. सादिक हुसैन आबिदी, डॉ. एस. मोहसिन रजा, डॉ. अजय वीर, डॉ. एस. नुजहत हुसैन, डॉ. प्रबोध कुमार गर्ग, डॉ. छत्रपाल, डॉ. कमलजीत मणि मिश्र, डॉ. राहुल पाण्डेय, डॉ. वहीद आलम, डॉ. चंदा बानो, डॉ. धर्मेंद्र कुमार समेत अन्य शिक्षकगण, स्टाफ और छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
इस अवसर पर कालेज की तरफ से लखनऊ विश्वविद्यालय में दो-दो गोल्ड मेडल प्राप्त करने वाली छात्राओं जहांआरा और उजाला को भारतीय संविधान की प्रति प्रदान कर सम्मानित किया गया। संगोष्ठी में लोगों को संविधान प्रदत्त मौलिक कर्तव्यों को अपनाने के लिए हस्ताक्षर अभियान की भी शुरूआत की गई। महाविद्यालय के प्रबंधक सै0 अब्बास मुर्तजा शम्सी ने सेमिनार में मौजूद लोगों को भारतीय संविधान की प्रस्तावना में लिये गये संकल्पों का पालन करने की शपथ दिलायी।
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