तृतीय विश्व युद्ध का खतरा...
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने जॉन बोल्टन को अमेरिका का राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार नियुक्त किया है। राष्ट्रपति के युद्ध प्रेमी सहयोगियों की श्रृंखला में यह महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं।जॉन बोल्टन बुश शासन में भी अहम ओहदों पर थे और एक जमाने में राष्ट्र संघ में अमेरिका के प्रतिनिधि थे। इन्होंने हमेशा युद्ध की बात की और उस समय भी ईरान और कोरिया पर हमला करके सरकार बदलने की वकालत की। अफगानिस्तान और ईराक के विरुद्ध बुश प्रशासन की तमाम गलत नीतियों में यह शामिल थे। राष्ट्रपति बुश ने ईराक पर हमला इस बहाने से किया था कि सद्दाम हुसैन के पास जनसंहार के हथियार हैं। यह बात सबको मालुम थी कि यह झूठ है। यह भी कहा गया कि ईराक ने सेनीगाल से यूरेनियम का आयात किया था ताकि बम बना सके। जब सेनीगाल में अमेरिकी राजदूत ने इस खबर को गलत बताया तो बुश प्रशासन बहुत प्रशासन बहुत नाराज हुआ और उसकी पत्नी का सीआईए से संबंध उजागर किया जो कानून के विरुद्ध था। इसमें उपराष्ट्रपति डिक चेनी और बोल्टन का विशेष हाथ था। जॉन बोल्टन ने ईराक में जनसंहार के हथियारों का जखीरा होने की बात कोलिन पावेल से भी बयान दिलवा दिया, जिन पर लोगों ने विश्वास किया। जनरल कोलिन पावेल को हमेशा इसका अफसोस रहा। जान बोल्टन ने ईराक की इस झूठ की बुनियाद पर ईंट से ईंट बजा दी। ईरान पर हमला करने के लिए जॉन बोल्टन ने बहुत प्रयत्न किये, परन्तु तब तक बराक ओबामा राष्ट्रपति हो गये और बोल्टन की योजना धरी रह गयी।
अब बोल्टन पुन: राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के विश्वास पात्र बनकर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार के पद पर आ गये हैं, परन्तु परिस्थितयां बहुत बदल गई हैं। अब उत्तर कोरिया और ईरान दोनों मजबूत देश हो गये हैं। यदि युद्ध हुआ तो उत्तर कोरिया के परमाणु बमों और मिसाइलों की जद में अमेरिका का कुछ हिस्सा भी आ सकता है। जापान तो पहले ही डरा हुआ है। यदि ईरान पर हमला हुआ तो इस्राइल जिसका अमेरिका से विशेष संबंध है, खतरे में पड़ेगा। यदि जॉन बोल्टन ने ईरान में शासन बदलने की कोशिश की तो ईरान में शासन बदले या न बदले, बहरीन, यूएई और सऊदी अरब के शासक अवश्य खतरे में पड़ जाएंगे।
रूस हथियारों की दौड़ में अमेरिका से आगे निकल गया है। चीन भी अमेरिका मुकाबला कर सकता है। उत्तर कोरिया, चीन, रूस, ईरान और तुर्की सभी इस अमेरिकी नीति के विरुद्ध हो जाएंगे और खाड़ी की राजशाहियां ताश के पत्तों की तरह बिखर जाएंगी। ये लोग अमेरिका की हर तरह की सहायता के बावजूद यमन पर आधिपत्य नहीं कर पाये, उनसे किसी बड़ी सफलता की उम्मीद गलत है।
डोनाल्ड ट्रम्प और उनके साथी जिंगोइस्ट है, परन्तु उन्हें खतरों का पूरा एहसास नहीं है। जिस युद्ध की बात जॉन बोल्टन करते रहे हैं अब वह पहली बार अमेरिका की जमीन तक पहुंचेगा।
भारतीयों से भी जॉन बोल्टन बहुत नाराज रहे हैं। बुश प्रशासन के दौरान भारत ने सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता की कोशिश की तो सबसे अधिक विरोध जॉन बोल्टन ने ही किया और देशों को भी विरोध करने पर तैयार किया।
राष्ट्रपति ट्रम्प ने इतिहास का सबसे बड़ा सुरक्षा बजट बनाया है, परन्तु युद्ध प्रेम समय की वास्तविकता से दूर है। यह सही है कि अमेरिकी सेना संसार की सबसे मजबूत सेना है, परन्तु रूस, चीन, उत्तर कोरिया आदि देश भी मिलकर खतरा बन सकते हैं।
ईराक युद्ध के नायक का अमेरिका का NSA बनना चिंतित करता है।
ReplyDeleteयुद्ध से कभी किसी का भला नहीं हो सकता.
ReplyDeletePlease comment your views
ReplyDelete