Friday, November 23, 2018

भारत में इंटरनेट की उत्पत्ति, विकास unit-4

इंटरनेट क्या है

इंटरनेट एक कंप्यूटर नेटवर्क है, जो कंप्यूटर उपयोगकर्ताओं को दुनिया भर में कंप्यूटर से कनेक्ट करने की सुविधा प्रदान करता है।

इंटरनेट एक विश्वव्यापी कंप्यूटर नेटवर्क है, जो अन्य कंप्यूटर नेटवर्कों को एक-दूसरे से जोड़ता है, जिस पर वर्ल्ड वाइड वेब साइट्स या डेटा आर्काइव जैसी सेवाएं मिलती हैं, यह प्लेटफार्म डेटा और अन्य जानकारी को आदान-प्रदान करने में सक्षम बनाता है।

इंटरनेट एक महाजाल है. इंटरनेट दुनिया का सबसे बड़ा और व्यस्तम नेटवर्क है. इंटरनेट को हिंदी में अंतरजाल  कहते है. अगर सीधे शब्दों में कहे तो दुनिया के कम्प्युटरों का आपस में जुड़ना ही इंटरनेट है. जब यह नेटवर्क (INTERNET) स्थापित हो जाता है तो हम एक विशाल जाल का हिस्सा हो जाते है जिसे GLOBAL NETWORK कहते हैं और इस नेटवर्क से जुडें किसी भी कम्प्युटर में उपलब्ध कोई भी सूचना अपने कंप्यूटर में प्राप्त कर सकते है.

इंटरनेट दुनिया भर में कई अरब इस्तेमाल करने वालो की मदद करने के लिए Standard Internet Protocol (TCP/IP) का उपयोग करने वाले आपस में कंप्यूटर नेटवर्क की एक दुनियावी निज़ाम है|
यह नेटवर्क का भी एक नेटवर्क है जो लाखों लोगों के निजी, आम जनता, तालीमी, व्यापारिक, और सरकारी नेटवर्को को स्थानीय दायरे से दुनिया भर के दायरों को शामिल करता है जो एक विशाल बिना तार वाले इलेक्ट्रॉनिक Array और optical networking technologies से जुड़ा होता है| इंटरनेट सूचना संसाधनों और सेवाओं की एक विस्तृत श्रृंखला को सभालती है जैसे कि आपस में जुड़ी Hypertext documents की World Wide Web (WWW), ईमेल और Peer-to-peer networks के बुनियादी ढांचे को सभालती है|

इंटरनेट का संक्षिप्त इतिहास

  • 1969 इंटरनेट अमेरिकी रक्षा विभाग के द्वारा कैलीफोर्निया विश्वविद्यालय के तथा स्टैनफोर्ड अनुसंधान संस्थान कंप्यूटर्स का नेटवर्किंग करके इंटरनेट की संरचना की गई। शुरू में इसे अर्पानेट (ARPANET) कहा गया। अमेरिका रक्षा विभाग ने सैन्य एवं नागरिक अनुसंधानकर्ताओं को रक्षा योजनाओं के बारे में सूचनाएँ भिजवाने के लिए इसकी स्थापना की।
  • 1979 में ब्रिटिश डाकघर ने पहला अंतरराष्ट्रीय कंप्यूटर नेटवर्क बना कर नई प्रौद्योगिकी का उपयोग करना आरम्भ किया।
  • 1980 में बिल गेट्स ने आइबीएम के कंप्यूटर्स पर एक माइक्रोसॉफ्ट ऑपरेटिंग सिस्टम लगाने के लिए समझौता किया।
  • 1983 में अर्पानेट को दो नेटवर्कों में बँट गया, जो आपस में जुड़ हुए थे - अर्पानेट और मिलनेट (MILNET)। यहीं से इंटरनेट की औपचारिक शुरूआत मानी जाती है।
  • 1984 एप्पल ने पहली बार फाइलों और फोल्डरों, ड्रॉप डाउन मेनू, माउस, ग्राफिक्स का प्रयोग आदि से युक्त आधुनिक सफल कम्प्यूटर लांच किया।
  • आरम्भिक काल में इंटरनेट का उपयोग केवल सेना से सम्बन्धित अनुसंघानों तथा क्रियाकलापों के लिए ही स्वीकृत था लेकिन 1986 में NSFNET (National Science Foundation Network) नामक एक नेटवर्क इंटरनेट से सम्बद्ध हो गया और धीरे-धीरे इसने दुनिया भर के लिए अपने द्वार खोल दिए।
  • 1989 टिम बर्नर ली ने इंटरनेट पर संचार को सरल बनाने के लिए ब्राउजरों, पन्नों और लिंक का उपयोग कर के वर्ल्ड वाइड वेब बनाया।
  • 1996 गूगल ने स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय में एक अनुसंधान परियोजना शुरू किया जो कि दो साल बाद औपचारिक रूप से काम करने लगा। 2009 डॉ. स्टीफन वोल्फरैम ने वाल्फैरम अल्फा लांच किया।
  • भारत में अंतरजाल 80 के दशक मे आया, जब एर्नेट (educational & research network) को सरकार, इलेक्ट्रानिकस विभाग और संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम (UNDP)की ओर से प्रोत्साहन मिला तथा सामान्य उपयोग के लिये जाल 15 अगस्त 1995 से उपलब्ध हुआ, जब विदेश सचांर निगम सीमित (VSNL) ने गेटवे सर्विस शुरू की।

इंटरनेट के सकारात्मक एवं नकारात्मक पक्ष

इंटरनेट के आविष्कार ने सूचना प्रौद्योगिकी को जहां बड़े स्तर पर प्रोत्साहित किया है, वहीं इसने मानव-जीवन की शैली पर भी अपना व्यापक प्रभाव छोड़ा है। यह एक क्रान्ति है जिसने हर वर्ग को हर तरह से अपने घेरे में ले रखा है। चिकित्सक, अभियंता, वैज्ञानिक, व्यवसायी, शिक्षक, शोधकर्ता, विद्यार्थी तथा आम नागरिक सभी इंटरनेट को प्रयोग में ला सकते हैं। यह सर्व उपयोगी और सर्वव्यापी है। इंटरनेट ने जहां समाज के विकास में अपना योगदान दिया है वहीं इसके कुछ नकारात्मक पहलू भी सामने आये हैं। इंटरनेट के सकारात्मक व नकारात्मक पहलू निम्नवत है:-

सकारात्मक पक्ष 

1. ज्ञान-विज्ञान व सूचनाओं का प्रसार-प्रचार। 
2. सम्पूर्ण विश्व में आना, जिससे विष्व के समुदायों में नजदीकी बढ़ी है। 
3. कहीं भी, कभी भी, किसी भी वांछित सूचना, प्रकार व क्षेत्र-विशेष की जानकारी।
4. उद्योगों, व्यापार, बैंको समाचार-पत्रों, संस्थानों आदि के दूर-दराज के कार्यालयों व व्यक्तियों का आपस में निकट सम्पर्क।
5. दुनिया के प्रत्येक क्षेत्र पर घर बैठे एक माऊस के क्लिक से नजर व जानकारी। 
6. ग्लोबल वर्ल्ड की अवधारणा का विकास व नौकरी, कैरियर आदि क्षेत्रों का त्वरित सम्पर्क व जुड़ाव। 
7. टेलीफोनी व चैटिंग के माध्यम से सामाजिक सम्पर्क में बढ़ोत्तरी व व्यक्तित्व विकास के नवीन पहलुओं का योगदान।

नकारात्मक पक्ष 

1. किशोर एवं युवा पीढ़ी में अश्लीलता व भ्रम की स्थितियों का प्रचलन। 
2. राजनीतिक, सामाजिक क्षेत्रों में नकारात्मक विचारों का प्रसार।
3. धोखाधड़ी, व अनैतिक प्रयोग पर रोक के सटीक उपाय नहीं। 
4. देश की सुरक्षा के प्रति खतरा। 
5. मशीनी निर्भरता को बढ़ावा। 
6. बड़े संस्थानों व खुफिया तंत्रों में सेंधमारी व सिस्टम हैक कर देना या वायरस के हमले से अकल्पित नुकसान। 
7. सामान्य लोगों में मानवीयता की भावना का क्षरण व खाओ-पीओ, मौज करो की प्रवृत्ति को बढ़ावा। 
8. सरकारी, व्यापारी, घरेलू कम्प्यूटरों में इलेक्ट्रॉनिक घुसपैठ, सूचनाओं की चोरी।

भारत में इंटरनेट का इतिहास ( Internet in Hindi )-


15 अगस्त 1995 में भारत में पहली बार इंटरनेट का उपयोग किया गया था। यह सेवा भारत की सबसे बड़ी टेलिकॉम कंपनी 'विदेश संचार निगम लिमिटेड' VSNL (Videsh Sanchar Nigam Limited) ने उपलब्ध करवाई थी।

भारत में इंटरनेट से बड़े-बड़े शहरों को जोड़ने के लिए अंतरजाल बनाया गया जिससे आज बहुत कुछ संभव हो पाया।

वर्ष 1996 में भारत में रेडिफमैल (Redifmail ) के नाम की ई-मैल साईट की शुरुआत हुई थी।

वर्ष 1996 में ही मुंबई, भारत में प्रथम साइबर कैफ़े खोला गया था।

वर्ष 1997 में भारत में नौकरी.कॉम वेबसाइट बनी थी जो आज काफी चर्चा में है।

वर्ष 1999 में हेंडीपोर्टल वेबदुनिया (Webdunia ) की शुरुआत हुई थी।

वर्ष 2000 के दशक में भारत में टेक्नोलॉजी एक्ट लागू किया गया था।

वर्ष 2000 के दशक में ही याहू इंडिया व MSN India की शुरुआत की गई थी।

वर्ष 2001 में इंटरनेट के कारण ही भारतीय रेलवे के लिए ऑनलाइन ट्रैन वेबसाइट IRCTC.IN को शुरू किया गया था।



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