Sunday, February 24, 2019

लखीमपुर के ग्राम पंचायत सेमरी में विकास पर भारी भ्रष्टाचार

  • पैसा न देेने पर गरीब को नहीं मिला शौचालय और आवास

बिपिन मिश्रा 
लखीमपुर-खीरी। हर चुनाव में गांव की जनता सरकारी योजनाओं का लाभ मिल पाने की उम्मीद से ग्राम प्रधान का चयन करती है, लेकिन चुनाव जीतने के बाद वादे करने वाला प्रधान योजनाओं का लाभ देना तो दूर खुद मिलना ही पसंद नहीं करता। ऐसी ही है एक ग्राम पंचायत सेमरी। विकास खंड रमियाबेहड़ से छह किमी दूर स्थित ग्राम पंचायत सेमरी में विकास पर भ्रष्टाचार पूरी तरह हावी है। यहां योजनाओं का लाभ केवल कीमत अदा करने वालों को मिलता है। जो पैसा देने में असमर्थ है उसकी गरीबी का माखौल उड़ाने से ग्राम प्रधान और ग्राम पंचायत अधिकारी चूकते नहीं। संवाददाता जब ग्राम पंचायत सेमरी में विकास कार्य देखने पहुंचा तो वहां विकास कोसों दूर नजर आया। पहले ही ग्रामीण ने मिलते-मिलते खामियां गिनानी शुरू कर दी। ग्रामीण ने बताया कि ग्राम प्रधान अपने खासमखास और योजना के बदले पैसे की मांग पूरी करने वाले को ही योजना का लाभ देता है। ग्रामीण के मुताबिक उसने प्रधानमंत्री आवास और शौचालय के लिए सारे प्रपत्र जमा किए थे। ग्राम प्रधान छविरानी को शक था कि प्रधानी के चुनाव में उसने अन्य उम्मीदवार को वोट दिया था। इसलिए उसका आवास और शौचालय पास नहीं किया गया। ग्रामीण का आरोप है कि प्रधान के घपले में ग्राम पंचायत अधिकारी नवीन राठौर भी पूरी तरह शामिल हैं। जब उसने लाभ देने की खुशामद की तो पंचायत अधिकारी ने उसकी टटिया से बनी झोपड़ी की ओर इशारा करते हुए कहा कि इतना अच्छा घर होने के बावजूद तुम्हें आवास और शौचालय चाहिए। तुम किसी भी तरह से योजना का लाभ पाने के हकदार नहीं हो। यदि तुम्हे ंलाभांवित किया गया तो अन्य ग्रामीण भी मांग करने लगेंगे। ग्रामीण ने बताया कि ग्राम पंचायत स्तर पर तो उसकी मांग को नकार दिया गया। इसलिए उसने अब तहसील दिवस में प्रार्थना पत्र देकर हक मांगने का मन बनाया है।

  • शौचालय के अभाव में लोटा लेकर खेत में जाते हैं तमाम परिवार

प्रधानमंत्री एक तरफ स्वच्छ भारत मिशन को सफल बनाने के लिए अरबों रुपए खर्च कर रहे हैं। अकेले शौचालय के नाम पर प्रदेश और केंद्र सरकार ने ग्राम पंचायतों को भारी बजट दे रखा है। इसके बावजूद सेमरी के तमाम परिवार इससे अछूते हैं। कई ग्रामीणों ने बताया कि प्रधान और ग्राम पंचायत अधिकारी के भ्रष्टाचार में कई अपात्र इस योजना से लाभांवित हुए हैं। टटिया वाले तो इक्का-दुक्का परिवारों को ही लाभ मिला है। अधिकतर परिवार आज भी लोटा लेकर खेत में जाने को मजबूर होते हैं।

  • महीने में चार-पांच दिन ही होते हैं ग्राम पंचायत अधिकारी के दर्शन

ग्रामीणों ने बताया कि योजनाओं के संचालन एवं देख-रेख का जिम्मा संभालने वाले ग्राम पंचायत अधिकारी को होने वाले विकास कार्यों से कोई मतलब नहीं। उनकी कार्रवाई केवल कागज तक ही सीमित रहती है। यही वजह है कि वह महीने में चार-पांच दिन आकर केवल औपचारिकता निभा जाते हैं। गाहे-बगाहे कोई ग्रामीण समस्या लेकर पहुंच गया तो उससे ग्राम प्रधान को अवगत कराने को कहते हैं।

3 comments:

  1. झूठी खबर है पत्रकारों को पैसा नहीं दिया तो उल्टा सीधा लिखा

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    1. झूठ की उम्र बहुत छोटी होती है.

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  2. This comment has been removed by the author.

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