पुलिस महानिदेशकों की नियुक्ति के संबंध में अपने पिछले साल के आदेश में बदलाव की मांग को लेकर बिहार, पश्चिम बंगाल, पंजाब, हरियाणा और केरल सरकार की याचिकाओं को सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को खारिज कर दिया. डीजीपी के चयन एवं नियुक्ति के संबंध में स्थानीय कानूनों के क्रियान्वयन की मांग करते हुए ये पांचों राज्य पिछले साल के आदेश में बदलाव चाहते हैं. शीर्ष अदालत ने कहा कि फैसले में दिशा-निर्देश बहुत अच्छे हैं. जनता के हित में काम करेंगे. नियम के अनुसार यह सूची यूपीएससी देता है. राज्यों ने दलील देते हुए कहा कि पुलिस एक विशेष क्षेत्राधिकार है. इसलिए डीजीपी की नियुक्ति का अधिकार भी राज्य सरकार के पास होना चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2006 में दिये फैसले में कहा था कि डीजीपी की नियुक्ति राज्य सरकार द्वारा विभाग के तीन वरिष्ठतम अधिकारियों में से किया जायेगा. इन तीनों अधिकारियों में से किसी एक अधिकारी का डीजीपी के पद के लिए चयन संघ लोक सेवा आयोग करेगा. डीजीपी के चयन में सेवा की अवधि, पुलिस बल के शीर्ष के लिए अच्छा रिकॉर्ड और अनुभव को महत्व दिया जायेगा. साथ ही अदालत ने कहा था कि एक बार डीजीपी चुने जाने के बाद चयनित डीजीपी का कार्यकाल न्यूनतम दो वर्ष का होना चाहिए. शीर्ष अदालत ने यह भी कहा था कि डीजीपी की नियुक्ति के लिए तीन प्रस्तावित नाम कम-से-कम तीन माह पहले संघ लोक सेवा आयोग को भेजना होगा. अदालत ने डीजीपी को हटाने के संबंध में भी दिशा-निर्देश दिये थे. शीर्ष अदालत ने कहा था कि राज्य सरकार अखिल भारतीय सेवाओं (अनुशासन और अपील नियम) के तहत डीजीपी के खिलाफ की गयी किसी भी कार्रवाई के परिणामस्वरूप राज्य सुरक्षा आयोग से परामर्श के बाद डीजीपी को हटा सकती है या फिर अगर अदालत द्वारा आपराधिक अपराध या भ्रष्टाचार के लिए दोषी ठहराया जाने के बाद डीजीपी को हटाया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट ने सितंबर 2018 के आदेश में अपने निर्देशों के अनुसार संघ लोक सेवा आयोग को पैनल तैयार करने और राज्यों को सूचित करने का निर्देश दिया था. साथ ही राज्यों को भी एक व्यक्ति को पैनल में तुरंत नियुक्त करने का भी निर्देश दिया था.
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