Thursday, April 5, 2018

Opinion on American and China trade war

व्यापारिक और रणनीतिक चूक से अमेरिका घिरा...


पिछले 15 महीनों के अपने कार्यकाल में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दो लड़ाईयों को जन्म दिया है, चीन से व्यापार युद्घ और शीत युद्घ।
अमेरिका के लिए सबसे अधिक नुकसानदेह चीन के साथ आर्थिक युद्घ है। अब तक ऐसा था कि दुनिया के सभी देश अमेरिकी अर्थव्यवस्था के सामने नतमस्तक थे, परन्तु पिछले चार-पांच वर्षों में चीन एक आर्थिक शक्ति के रूप में सामने आया है। वह अमेरिका की आंखों में आंखे डालकर बात कर सकता है। अमेरिका ने चीनी उत्पादों पर भारी आयात शुल्क लगाया है। यह सही है कि चीन में इस्पात और एलम्यूनियम के उत्पाद में खर्च कम होता है, क्योंकि चीनी मजदूर सस्ते हैं। यह भी सही है कि इससे अमेरिका की कुछ कंपनियां नुकसान में थी, परन्तु यह उत्पाद चीन से अधिक दूसरे देशों से अमेरिका आ रहा था और इस पर 25 प्रतिशत का आयात शुल्क लगाने से चीन से अधिक परेशानी यूरोप के देशों को है। चीन ने भी 50 बिलियन से अधिक मूल्य के आयात होने वाली वस्तुओं पर अमेरिका ऊंचा आयात शुल्क लगाने का निर्णय लिया है। इससे अधिक नुकसान अमेरिका का ही है।
  चीन में अमेरिकी सोयाबीन की बड़ी खपत है और हर साल करीब पांच बिलियन डालर की कीमत की सोयाबीन चीन खरीदता है। इस पर चीन द्वारा उच्च आयात शुल्क लगाने से नुकसान मध्य अमेरिका के उन किसानों का होगा, जो डोनाल्ड ट्रम्प के समर्थक हैं। चीन को कोई अधिक परेशानी नहीं है, क्योकि दक्षिण अमेरिका के देश ब्राजील और अर्जेन्टिना बड़े पैमाने पर सोयाबीन निर्यात करने में सक्षम हैं और ब्राजील, चीन के साथ ब्रिक्स देशों के संगठन का सदस्य भी है। टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में अधिकतर अमेरिकी कंपनियों ने चीन में अपनी फैक्ट्रियां डाल रखी हैं और अमेरिकी उच्च आयात शुल्क से इन अमेरिकी कंपनियों को ही नुकसान होगा। साउथ कोरिया जो बड़ी मात्रा में कंप्यूटर और मोबाईल के पार्ट्स बेचता है। वह अमेरिका का निकटतम मित्र है। अच्छी अमेरिकी मोटर गाडिय़ां, बिजली से चलने वाली मोटर कारें और बोईंग द्वारा बनाये गये छोटे जहाज चीन खरीदता रहता है। यदि चीन इन पर उच्च आयात शुल्क लगाया, (जैसा उसने धमकी दी है) तो यह दूसरी गाडिय़ों के मुकाबले में महंगी हो जाएंगी और इससे भी अमेरिकी कंपनियों को नुकसान होगा।  केवल चीन ही नहीं अन्य देश भी डोनाल्ड ट्रम्प के इन कदमों से परेशान हैं। कल ही हमारे देश में सेंसेक्स करीब साढ़े तीन सौ प्वाइंट नीचे गिर गया है और अभी यह गिरावट जारी रह सकती है।
  डोनाल्ड ट्रम्प की कार्रवाईयों से संसार में शीत युद्घ का माहौल पैदा हो गया है। डोनाल्ड ट्रम्प की जीत के बाद लोगों को यह उम्मीद थी कि अमेरिका और रूस के संबंध अच्छे हो जाएंगे, परन्तु विभिन्न कारणों से यह संबंध खराब होते गये और आज रूस और अमेरिका वहां खड़े हैं, जहां 1980 के दशक में थे। रूस के साथ चीन, उत्तर कोरिया, ईरान और तुर्की भी खड़े हैं। यूरोप के देश भी जो हमेशा खुले मन से अमेरिका के साथ रहा करते थे, अब ट्रम्प के फैसलों को चुनौती देने लगे हैं। मध्य-पूर्व में भी ट्रम्प की नीति ने रूस को घुसने का मौका दिया है। दक्षिण अमेरिकी देश विशेषकर मैक्सिको अमेरिका की नीतियों के कारण उससे अलग हो गया है और कल राष्ट्रपति ट्रम्प ने मैक्सिको की सीमा पर फौज तैनात करने का आदेश दे दिया है।

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