Wednesday, May 9, 2018

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आनलाइन संचार (अर्थ) Online Communication: Meaning

ऑनलाइन संचार दो शब्दों से मिलकर बना है- ऑनलाइन और संचार ऑनलाइन का अर्थ है- इंटरनेट पर उपलब्धता और संचार का अर्थ है- संदेशों का आदान-प्रदान अर्थात ऑनलाइन संचार का अर्थ है, इंटरनेट पर उपलब्ध होकर संदेशों का आदान-प्रदान का कार्य ऑनलाइन संचार है।

आनलाइन संचार (परिभाषा) Online Communication: definition

ऑनलाइन संचार वह संचार है, जिसे इंटरनेट के माध्यम से संप्रेषक एक डिवाइस से संदेश भेजता है और प्राप्तकर्ता दूसरे डिवाइस से उसे ग्रहण करता है। जैसा की संचार में होता है कि संप्रेषक और प्राप्तकर्ता के बीच संदेशों का आदान-प्रदान किया जाता है। ऑनलाइन संचार में इन संदेशों का आदान-प्रदान इंटरनेट के माध्यम से होता है, जिसमें माध्यम इंटरनेट डिवाइसेज जैसे कम्प्यूटर, लैपटाप, मोबाइल फोन आदि मुख्य रूप से होते हैं।
ऑनलाइन चर्चा
ऑनलाइन चर्चा कंप्यूटर द्वारा संचार या अन्य उपकरणों के माध्यम से होने बाली चर्चा का एक रूप है। वर्तमान में इंटरनेट से जुड़ा शब्द है, ऑनलाइन संचार वह संचार है, जिसे इंटरनेट के माध्यम से संप्रेषक एक डिवाइस से संदेश भेजता है और प्राप्तकर्ता दूसरे डिवाइस से उसे ग्रहण करता है। जैसा की संचार में होता है कि संप्रेषक और प्राप्तकर्ता के बीच संदेशों का आदान-प्रदान किया जाता है। ऑनलाइन संचार में इन संदेशों का आदान-प्रदान इंटरनेट के माध्यम से होता है, जिसमें माध्यम इंटरनेट डिवाइसेज जैसे कम्प्यूटर, लैपटाप, मोबाइल फोन आदि मुख्य रूप से होते हैं।

आनलाइन संचार की विशेषतायें (Features of Online Communication)

आनलाइन संचार की निम्नलिखित विशेषतायें हैं:-
  1. मनोरंजन ऑनलाइन गाने, फिल्म, वीडियो, गेम और अन्य मनोरंजक सामग्री के लिए|’
  2. शिक्षा ऑनलाइन पढ़ाई, पुस्तकें और अन्य अध्ययन सामग्री के लिए|
  3. व्यापार: अपने ग्राहकों और अन्य व्यापारों से जुड़ने और सेवाओं के आदान-प्रदान के लिए|
  4. ईमेल
  5. ई-बैंकिंग / ऑनलाइन बैंकिंग
  6. ऑनलाइन चैटिंग यानि संवाद के लिए
  7. सोशल नेटवर्किंग के लिए
  8. ऑनलाइन खोज या जानकारी हासिल करने के लिए
  9. फ़ोन और वीडियो कॉल के लिए
  10. किसी मैच या कार्यक्रम के सीधे प्रसारण के लिए
  11. अपनी ब्लॉग/ वेबसाइट बनाने के लिए
  12. अपने फोटो, वीडियो, ऑडियो, पुस्तकें या अन्य सृजनात्मक सामग्री ऑनलाइन प्रकाशित व् साझा करने के लिए
  13. ऑनलाइन चर्चा मंच
  14. फाइलों के आदान प्रदान के लिए
  15. सॉफ्टवेयर डाउनलोड करने के लिए
  16. ऑनलाइन ख़रीददारी / ऑनलाइन शॉपिंग
  17. अपनी जानकारियां, फोटो, वीडियो, फाइलें और अन्य डाटा ऑनलाइन सुरक्षित रखने के लिए
  18. विभिन्न ई-सेवाओं और ऑनलाइन सॉफ्टवेयर के प्रयोग के लिए
  19. बस, रेल, हवाई यात्रा, होटल, फिल्म, क्रिकेट मैच इत्यादि के टिकट की ऑनलाइन बुकिंग
  20. ऑनलाइन नौकरी खोज
  21. विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी सेवाओं के लाइन ऑनलाइन-आवेदन
  22. विभिन्न परीक्षाओं और चयन के लिए ऑनलाइन आवेदन
  23. ई-गवर्नेंस
  24. कुछ नया सीखने / जानने के लिए
  25. समाचार पढने के लिए
  26. ऑनलाइन टीवी देखने के लिए
  27. ऑनलाइन कमाई के लिए

 इंटरनेट

इंटरनेट क्या है / What is internet
इन्टरनेट एक दुसरे से जुड़े कई कंप्यूटरों का जाल है जो राउटर एवं सर्वर के माध्यम से दुनिया के किसी भी कंप्यूटर को आपस में जोड़ता है. दुसरे शब्दों में कहे तो सूचनाओ के आदान प्रदान  करने के लिए TCP/IP Protocol के माध्यम से दो कंप्यूटरों के बीच स्थापित सम्बन्ध को internet कहते हैं. इन्टरनेट विश्व का सबसे बड़ा नेटवर्क है.
इंटरनेट की खोज के पीछे कई लोगो का हाथ था. सबसे पहले  लियोनार्ड क्लेरॉक (Leonard Kleinrock )ने इंटरनेट बनाने की योजना बनाई बाद में 1962 में J.C.R. Licklider ने उस योजना के साथ, रोबर्ट टेलर (Robert Taylor) की मदद से एक Network बनाया जिसका नाम “ARPANET “ था. ARPANET को  TELNET नाम से 1974  में व्यावसायिक रूप से उपयोग में लाया गया. भारत में इन्टरनेट 80 के दशक में आया.
इन्टरनेट का इतिहास
सबसे पहले सन 1969 में अमेरिका के रक्षा विभाग में  Advance Research Project Agency (ARPA) नाम का नेटवर्क लांच किया गया जिसका प्रयोग गुप्त सूचनाओ को भेजने के प्रयोग में लाया गया. सन 1971 में सबसे पहला Email Ray Tomlinson ने भेजा था | जैसे जैसे इसके फायदे का पता चलता गया वैसे वैसे ही इसका इस्तेमाल बढता गया. भारत में इन्टरनेट 80 के दशक मे आया.
इन्टरनेट की विशेषताएं (Characteristics of Internet)
आज का युग विज्ञान का युग है । वैज्ञानिक उपलब्धियों ने मनुष्य के जीवन को एक नई दिशा प्रदान की है । विज्ञान के प्रयोग से अनेक असंभव लगने वाली बातों को उसने संभव कर दिखाया है ।
जिस चंद्रमा को हम देवता का स्वरूप मानते थे उसी चंद्रमा पर अपनी विजय पताका फहराकर उसने अनेक भ्रांतियों को समाप्त कर दिखाया है । विज्ञान की खोजों ने मनुष्य को अनेक अद्‌भुत उपकरण प्रदान किए हैं । प्रतिपल नई खोज व अनुसंधान जारी हैं । इंटरनेट की खोज भी मनुष्य की एक ऐसी असाधारण सफलता है जिसने उसकी कल्पनाओं की उड़ान को मानो पंख प्रदान कर दिए हैं ।
इंटरनेट के प्रयोग के लिए कंप्यूटर, टेलीफोन लाइन तथा मॉडेम जैसे उपकरणों की आवश्यकता पड़ती है । इंटरनेट के माध्यम से हम अपना कोई भी संदेश विश्व के किसी भी कोने में बैठे व्यक्ति को प्रसारित कर सकते हैं तथा साथ ही साथ उससे संदेश भी प्राप्त कर सकते हैं । इंटरनेट की स्वयं की अपनी एक दुनिया है । इसके द्‌वारा भेजा गया संदेश उपग्रहों द्‌वारा ग्रहण किया जाता है तत्पश्चात् पुन: तरंगों के माध्यम से गंतव्य स्थान पर भेजा जाता है.
इंटरनेट में ई-मेल’, ‘वेबसाइटतथा वीडियो कांफ्रेंसिंगजैसे शब्द महत्वपूर्ण हैं । ई-मेलका तात्पर्य है – ‘इलेक्ट्रानिक मेलअर्थात् इलेक्ट्रानिक उपकरणों के माध्यम से पत्राचार । इंटरनेट के माध्यम से व्यक्ति बहुत ही कम खर्चे में विश्व के किसी भी कोने में बैठे व्यक्ति से सीधा संपर्क स्थापित कर सकता है ।
कंप्यूटर के कीं-बोर्डकी सहायता से वह उक्त व्यक्ति को अपनी बात कह सकता है तथा उसके द्‌वारा भेजे गए संदेश को कंप्यूटर के मॉनीटर की स्क्रीन अथवा पर्दे पर देख सकता है या उसे कागज पर मुद्रित कर सकता है । यह मनुष्य का दूर बैठे मनुष्य से सीधा संपर्क स्थापित करने के लिए सबसे त्वरित व कम खर्चे का विश्वसनीय साधन है । इसमें पत्रों की गोपनीयता भी पूरी तरह बनी रहती है ।
वेबसाइटमें किसी उत्पाद अथवा व्यापारिक अनुष्ठान का सचित्र वर्णन सुरक्षित रहता है । कोई भी व्यापारिक अनुष्ठान अथवा कार्यालय अपने उत्पाद अथवा व्यापार संबंधी अन्य लेखे-जोखे की वेबसाइट तैयार करवा सकता है । वह उसको इच्छित पहचान दे सकता है जिसके माध्यम से उपभोक्ता आसानी से उस कार्यालय, व्यापारिक अनुष्ठान व उससे संबंधित उत्पाद की पूरी जानकारी विश्व के किसी भी कोने में घर बैठे प्राप्त कर सकते हैं ।
इस प्रकार इंटरनेट के प्रयोग ने व्यापारिक क्षेत्र में एक क्रांति ला दी है । इंटरनेट के माध्यम से उपभोक्ता घर बैठे विश्व के किसी भी कोने से खरीदारी कर सकते हैं । वे इंटरनेट के द्वारा वांछित वस्तु को मँगवा सकते हैं । सभी छोटे-बड़े प्रमुख कार्यालयों व व्यापारिक अनुष्ठानों में इंटरनेट धीरे-धीरे अपनी जगह बनाता जा रहा है ।
बढ़ती प्रतिस्पर्धा को देखते हुए बाजार में रहने के लिए इंटरनेट जैसी आधुनिक सुविधाओं का होना अनिवार्य हो गया है । समाचार-पत्र, रेडियो, दूरदर्शन की खबरें आदि संचार के अन्य साधन भी इंटरनेट से जुड़ गए हैं ताकि उपभोक्ताओं को अधिकतम संतुष्टि प्रदान की जा सके ।
इंटरनेट व्यापार के क्षेत्र के साथ ही साथ शिक्षा के क्षेत्र में भी बहुत उपयोगी सिद्‌ध हो रहा है । विश्व के महानतम लेखकों की पुस्तकों के अंश व शिक्षा जगत् की नवीनतम जानकारियाँ इंटरनेट के माध्यम से घर बैठे प्राप्त की जा सकती हैं । शिक्षा में कानून, चिकित्सा, इंजीनियरिंग आदि से संबंधित समस्त जानकारियाँ इंटरनेट के माध्यम से प्राप्त की जाती हैं ।
इंटरनेट के नवीनतम संस्करण में अब आवाज को भी जोड़ दिया गया है । अब ई-मेल के माध्यम से एक ओर से दूसरी ओर तक बात की जा सकती है वह भी केवल स्थानीय खर्च पर । इससे विश्व में संचार के क्षेत्र में क्रांति आने की संभावना अधिक प्रबल हो गई है ।
आजकल व्यक्ति अपनी सुविधानुसार इंटरनेट पर उपलब्ध सभी प्रकार की सूचनाओं में से इच्छित वस्तु का उपयोग कर सकता है । चिकित्सकों की राय ली जा सकती है, वायुयानों व रेलगाड़ियों से यात्रा के लिए टिकटों की बुकिंग कराई जा सकती है ।
इस प्रकार इंटरनेट ने आधुनिक जगत् में विश्व के समस्त देशों को और भी पास ला दिया है । संचार क्षेत्र आदि भी अधिक त्वरित, प्रभावी व विश्वसनीय हो गया है जिसने जीवन के समस्त क्षेत्रों को प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप में प्रभावित किया है । इंटरनेट वास्तविक रूप में मनुष्य की एक महान उपलब्धि है ।
इंटरनेट ने मनुष्य की कल्पनाओं की उड़ान को नए पंख प्रदान किए हैं । भारत में भी इसका प्रचार-प्रसार तीव्र गति से बढ़ रहा है । वह दिन दूर नहीं जब भारत के गाँवों को इंटरनेट के द्‌वारा जोड़ दिया जाएगा और भारत की प्रगति में दिन-दूनी रात चौगुनी वृद्‌धि हो सकेगी ।
इंटरनेट का उपयोग
  1. आपस में बात चीत कर सकते है
  2. नए दोस्त बना सकते है
  3. किसी भी फाइल को तुरंत ट्रान्सफर कर सकते है
  4. online पढाई कर सकते है
  5. घर बैठे शोपिंग कर कर सकते है
  6. न्यूज़ पढ़ सकते है
  7. मोबाइल, बिजली, phone का बिल जमा कर सकते है.
इंटरनेट के लाभ और हानि
इन्टरनेट के बहुत से फायदे है. जहा आप बैठे बैठे  online banking, बिल, online tv, movie, game, शोपिंग, और पढाई भी कर सकते है वही इसकी कुछ हानियाँ भी है. कुछ लोग इसके आदी हो जाते है और दिन दिन भर इससे चिपके रहते है जिससे उनकी आँखों की रौशनी कम हो सकती है, साथ यह लोगों ही स्मृति यानि याद्दाश्त को भी बहुत प्रभावित करता है साथ ही इन्टरनेट का इस्तेमाल करने से वायरस का भी खतरा रहता और कुछ हैकर आपकी निजी जानकारी को भी चुरा सकते है जो आपके लिए हानिकारक हो सकती है.

नेटवर्किंग

इंटरनेट नेटवर्किंग, नेटवर्कों के बीच सूचना पैकेटों की रूटिंग का एक आम तरीका प्रदान करने वाले गेटवेज का प्रयोग कर किसी कंप्यूटर नेटवर्क को अन्य नेटवर्कों से जोड़ने की प्रक्रिया है। इसके परिणाम स्वरूप परस्पर जुड़े हुए नेटवर्कों की प्रणाली को एक इन्टर-नेटवर्क या सिर्फ एक इंटरनेट कहा जाता है।
इंटर-नेटवर्किंग का सबसे उल्लेखनीय उदाहरण है इंटरनेट जो कई अंतर्निहित हार्डवेयर तकनीकों पर आधारित लेकिन इंटरनेट प्रोटोकॉल सुइट नामक एक इंटर-नेटवर्किंग प्रोटोकॉल मानक द्वारा एकीकृत नेटवर्कों का एक नेटवर्क है जिसे अक्सर टीसीपी/आईपी भी कहा जाता है।
नेटवर्कों का पारस्परिक संबंध
इंटर-नेटवर्किंग की शुरुआत विभिन्न प्रकार की नेटवर्किंग तकनीकों को जोड़ने की एक विधि के रूप में हुई थी लेकिन किसी प्रकार के वाइड एरिया नेटवर्क के माध्यम से दो या अधिक लोकल एरिया नेटवर्कों को जोड़ने की बढ़ती जरूरत की वजह से इसका इस्तेमाल व्यापक रूप से होने लगा. इंटर-नेटवर्क के लिए मूल शब्द कैटेनेट था। इंटर-नेटवर्क की परिभाषा में आज पर्सनल एरिया नेटवर्क जैसे अन्य प्रकार के कंप्यूटर नेटवर्कों का संपर्क (कनेक्शन) शामिल होता है। इंटरनेट के पूर्ववर्ती, आरपानेट (एआरपीएएनईटी) में अलग-अलग नेटवर्कों को जोड़ने के लिए इस्तेमाल किये जाने वाले नेटवर्क संबंधी तत्वों को मूलतः गेटवे कहा जाता था, लेकिन विभिन्न उपकरणों के साथ कार्यात्मकता के संभावित भ्रम की वजह से इस संदर्भ में इस शब्द को अनुचित समझा गया। आज परस्पर जोड़ने वाले (इंटरकनेक्टिंग) गेटवे को इंटरनेट राउटर कहा जाता है। नेटवर्कों का एक अन्य प्रकार का इंटरकनेक्शन अक्सर उद्यमों के अंदर नेटवर्किंग मॉडल के लिंक लेयर यानी टीसीपी/आईपी लॉजिकल इंटरफेसों के स्तर के नीचे हार्डवेयर केंद्रित स्तर में पाया जाता है। इस तरह का इंटरकनेक्शन नेटवर्क ब्रिजों और नेटवर्क स्विचों के साथ पूरा किया जाता है। इसे कभी-कभी गलत तरीके से इंटर-नेटवर्किंग कह दिया जाता है, लेकिन इसके परिणाम स्वरूप बनने वाला सिस्टम सीधे तौर पर एक बड़ा, एकल सबनेटवर्क होता है और इन उपकरणों के प्रयोग के लिए इंटरनेट प्रोटोकॉल जैसे किसी इंटर-नेटवर्किंग प्रोटोकॉल की जरूरत नहीं पड़ती है। हालांकि, नेटवर्क को खंडों में विभाजित कर और राउटरों के साथ सेगमेंट ट्रैफिक को तार्किक रूप से विभाजित कर एक एकल कंप्यूटर को इंटर-नेटवर्क में परिवर्तित किया जा सकता है। इंटरनेट प्रोटोकॉल को पूरे नेटवर्क में एक गैर-भरोसेमंद (बिना गारंटी वाली) पैकेट सर्विस प्रदान करने के लिए डिजाइन किया गया है। इसका ढांचा (आर्किटेक्चर) किसी भी अवस्था के नेटवर्क को बनाए रखने वाले मध्यवर्ती नेटवर्क संबंधी तत्वों की अनदेखी करता है। इसकी बजाय यह कार्य प्रत्येक संचार सत्र के अंतिम बिंदुओं (एंडप्वाइंट्स) को सौंपा जाता है। विश्वसनीय तरीके से डेटा के स्थानांतरण के लिए, एप्लिकेशनों को अनिवार्य रूप से एक उपयुक्त ट्रांसपोर्ट लेयर प्रोटोकॉल जैसे कि ट्रांसमिशन कंट्रोल प्रोटोकॉल (टीसीपी) का इस्तेमाल करना चाहिए जो एक विश्वसनीय प्रवाह प्रदान करता है। कुछ एप्लिकेशन उन कार्यों में एक सरल, संपर्क-रहित ट्रांसपोर्ट प्रोटोकॉल, यूजर डेटाग्राम प्रोटोकॉल (यूडीपी) का इस्तेमाल करते हैं जिसके लिए डेटा की विश्वसनीय सुपुर्दगी के आवश्यकता नहीं होती है या रीयल-टाइम सर्विस जैसे कि वीडियों स्ट्रीमिंग की आवश्यकता होती है।[1]
नेटवर्किंग के मॉडल
प्रोटोकॉलों और इंटर-नेटवर्किंग में इस्तेमाल होने वाली विधियों का वर्णन करने के लिए सामान्यतः दो ढांचागत मॉडलों का इस्तेमाल किया जाता है।
ओपन सिस्टम इंटरकनेक्शन (ओएसआई) संदर्भ मॉडल को अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (आईएसओ) के तत्वावधान के अंतर्गत विकसित किया गया था और यह यूजर एप्लिकेशनों में अंतर्निहित हार्डवेयर से सॉफ्टवेयर इंटरफ़ेस अवधारणाओं तक लेयरिंग प्रोटोकॉल संबंधी कार्यों के लिए एक परिशुद्ध विवरण प्रदान करता है। इंटर-नेटवर्किंग का प्रयोग मॉडल के नेटवर्क लेयर (लेयर 3) में किया गया है।
इंटरनेट प्रोटोकॉल सुइट, जिसे इंटरनेट का टीसीपी/आईपी मॉडल भी कहा जाता है, इसे ओएसआई मॉडल के अनुरूप डिजाइन नहीं किया गया था और ना ही इसका संबंध टिप्पणियों के अनुरोध और इंटरनेट मानकों के किसी भी मानदंड संबंधी विनिर्देश से है। एक स्तरित मॉडल के रूप में इसी तरह की उपस्थिति के बावजूद, यह एक बहुत ही कम परिशुद्ध, हल्के ढंग से परिभाषित ढांचे का इस्तेमाल करता है जो अपने आपको सिर्फ तार्किक नेटवर्किंग के पहलुओं से ही संबंधित रखता है। यह हार्डवेयर विशेष के निम्न-स्तरीय इंटरफेसों की चर्चा नहीं करता है और लोकल नेटवर्क लिंक में एक लिंक लेयर इंटरफेस की उपलब्धता को मानकर चलता है जिससे होस्ट जुड़ा होता है। इंटर-नेटवर्किंग की सुविधा इसके इंटरनेट लेयर के प्रोटोकॉलों द्वारा दी जाती है।


आईएसपी (ISP) इन्टरनेट सर्विस प्रोवाइडर (Internet service provider)

आई एस पी (ISP) क्या होता है?
आई एस पी (ISP) – इन्टरनेट सर्विस प्रोवाइडर (Internet service provider) या इंटरनेट सेवा प्रदाता का लघु रूप, यह एक कंपनी होती है जो व्यक्तिगत और व्यावसायिक उपयोग के लिए सहित इंटरनेट सेवाओं को प्रदान करती है. एक मासिक शुल्क के बदले आई एस पी (ISP) या इन्टरनेट सेवा प्रदाता आम तौर पर एक सॉफ्टवेयर पैकेज, उपयोगकर्ता नाम, पासवर्ड और फोन नंबर प्रदान करता है।
एक मॉडेम (Modem) के प्रयोग के साथ आप इंटरनेट पर लॉग ऑन कर सकते हैं और वर्ल्ड वाइड वेब और यूज़नेट को ब्राउज़ कर सकते हैं साथ ही ई-मेल प्राप्त तथा भेज सकते हैं। ब्रॉडबैंड का उपयोग के लिए आप आम तौर पर ब्रॉडबैंड मॉडम हार्डवेयर आई एस पी से प्राप्त करते हैं जिसका मासिक शुल्क आई एस पी खाता बिलिंग में जोड़ा जाता है. ब्रॉडबैंड मॉडम (Broadband Router) हार्डवेयर को आप बाज़ार से भी खरीद सकते हैं.
सभी इंटरनेट से जुड़े उपकरण वेब पृष्ठों और फ़ाइलों को डाउनलोड करने के लिए अपने आईएसपी के सर्वर के माध्यम का उपयोग करते हैं.
व्यक्तिगत सेवा के अलावा आई एस पी (ISP) बड़ी कंपनियों को भी इंटरनेट की सेवा देता है जिसमें वे कंपनी के नेटवर्क को सीधा कनेक्शन प्रदान करते हैं। आई एस पी एस आपस में नेटवर्क एक्सेस पॉइंट के द्वारा जुड़े होते हैं. आई एस पी एस भी IAPs इन्टरनेट एक्सेस प्रोवाइडर भी कहा जा सकता है.
भारत में बी एस एन एल, एम टी एन एल जैसी कई कंपनी इन्टरनेट सेवा प्रदाता का कार्य कर रही हैं.

वेब ब्राउज़र

Web Browser क्या है – What is Web Browser?
Browser एक प्रकार का Software प्रोग्राम होता है, जो वेब पर मौजूद संसाधनों को Users यानि की हमें उपलब्ध करवाते है. ये वेब संसाधन (Web Resources) अनेक प्रकार के हो सकते है. इंटरनेट या WWW (WWW की Full Form World Wide Web होती है) पर Text, Images, Videos, Audios, PDF और भी अन्य Formats में सूचना उपलब्ध हो सकती है. एक वेब ब्राउजर हम Users को इन सभी Formats में संसाधनों को उपलब्ध करवाने का काम करता है.
ब्राउजर का इतिहास – History of Web Browsers
बात 90 के दशक की है. जब श्रीमान Tim Berners Lee कम्प्युटर पर सूचनाओं को साझा करने की प्रणाली पर कार्य कर रहे थे. उन्होंने इस कार्य को Hyperlinks के द्वारा आसान कर दिया. Hyperlink HTML Language की एक कमांड होती है.
उन्होंने एक कम्प्युटर पर मौजूद सूचना को दूसरे कम्प्युटर पर पाने के लिए HTML Language का निर्माण किया. HTML को Special Commands में लिखा जाता है. इन Special Commands को “HTML Tags” के नाम से जाना जाता है.
अब समस्या ये थी कि इन Tags को हर कोई नही समझ सकता था. तब जाकर उन्होंने एक ऐसा प्रोग्राम बनाया जो HTML Tags को समझता था. यह प्रोग्राम HTML Tags को पढ‌कर User के सामने सिर्फ सूचना को प्रदर्शित करता था. इससे सूचना को Share करना और पढना बहुत आसान हो गया.
Tim Berners Lee ने अपने इस प्रोग्राम को “Browser” नाम दिया. जिसे आज हम Web Browser के नाम से भी जानते है. इस प्रकार दुनिया का पहला ब्राउजर सन 1991 में बनकर तैयार हुआ. पहले वेब ब्राउजर का नाम “WWW” था. WWW का मतलब World Wide Web होता है.
Browser कैसे काम करता है ब्राउजर की कार्य-प्रणाली क्या है?
Internet पर मौजूद सामग्री से जुडने के लिए Location (एक साधारण कम्प्युटर) या Address (इस कम्प्युटर का नाम) की जरूरत पडती है. इस Location या Address को URL के नाम से जानते है. URL की Full Form Uniform Resource Location होती है. किसी भी URL के दो भाग होते है. पहला भाग Protocols (कम्प्युटरों के बीच सूचना आदान-प्रदान करने की प्रणाली) और दूसरा भाग Domain Name होता है.
Browser के माध्यम से हम इन URLs पर पहुँच पाते है इन URLs पर मौजूद सामग्री HTML Document या Webpage के रूप में होती है. ये Documents विशेष HTML Commands द्वारा लिखे जाते है. Browsers इन Special Commands (HTML Tags) को पढते है और उनकी व्याख्य करते है फिर Users यानि की हमारे सामने सूचना को प्रदर्शित करते है.
इस प्रकार हम कह सकते है कि पहले Browser वेब पते पर जाता है. फिर उस वेब पते पर मौजुद सामग्री को पढता है और समझता है. इसके बाद Users तक पहुँचाता है.
कुछ मुख्य वेब ब्राउजर – Best Internet Browsers
1. Google Chrome
Google Chrome Browser को सिर्फ Chrome के नाम से भी जाना जाता है. क्रोम इंटरनेट Users की पहली पसंद है. Chrome Browser को Google ने बनाया है. Google ने सन 2008 में Chrome Browser को Launch किया था. Chrome Browser एक Fast और Simple Browser है. यह Windows, Linux, Mac OS के लिए उपलब्ध है. Chrome Browser लगभग 50 से ज्यादा भाषाओं में उपलब्ध है. और Mobile Users के लिए भी Chrome Browser को बनाया गया है.
2. Mozilla Firefox
Mozilla Firefox Browser Desktop Users के बीच काफि लोकप्रिय ब्राउजर है. Mozilla Firefox Browser को हम Firefox के नाम से ज्यादा जानते है. इस ब्राउजर को Mozilla Foundation और इसकी सहायक कम्पनी Mozilla Corporation ने मिलकर बनाया है. Firefox एक Open Source Web Browser है. और User Friendly भी है. Firefox को Windows, Linux, Android OS के लिए Develop किया गया है. Firefox का भी Mobile Version उपलब्ध है. लेकिन, मोबाईल पर फायरफॉक्स की लोकप्रियता कम है.
3. Internet Explorer
Internet Explorer Browser Windows OS का उपयोग करने वाले User का Default Browser होता है. इसे सिर्फ IE के नाम से भी जाना जाता है. IE Browser को एक Secure & Fast Browser माना जाता है. Internet Explorer को Microsoft Corporation द्वारा बनाया गया है. इसे Windows Users के लिए सन 1995 में Launch किया गया था.
4. Safari Browser
Safari Browser को iPhone बनाने वाली कम्पनी Apple द्वारा बनाया गया है. Safari Browser Mac OS और Windows OS के लिए उपलब्ध है. इसकी लोकप्रियता ज्यादा नही है. लेकिन, Mac Users के बीच यह काफी लोकप्रिय ब्राउजर है.
5. Opera Browser
Opera Browser भी काफी पूराना ब्राउजर है. Opera Browser को Opera Software द्वारा बनाया गया है. ओपेरा को सन 1995 में Launch किया गया था. ओपेरा ब्राउजर लगभग 40 से ज्यादा भाषाओं में उपलब्ध है. ओपेरा ब्राउजर को Windows, Linux, Mac OS के लिए Develop किया गया है. Opera Mobile User के लिए भी उपलब्ध है. लेकिन, Mobile Users के बीच इसका Mini Version यानि Opera Mini Browser ज्यादा लोकप्रिय है.

वेबसाइट के प्रकार (Types of websites)

वेबसाइट की परिभाषा
‘’संबंधित वेब पेजों का एक संग्रह है जो कम से कम एक डोमेन नाम के साथ पहचाना जाता हो और उसे कम से कम एक वेब सर्वर से प्रकाशित किया गया हो ‘’
वेब पेज - जैसे आप मोबाइल में मैसेज टाइप करते हैं उसी प्रकार इसमें भी कंटेंट राइटर पढ़ने लायक सामग्री डालते हैं जिसे HTML के माध्यम से वेबसाइट पर प्रकाशित किया जाता है !
डोमेन नाम - हर वेबसाइट का एक डोमेन नेम होता है जिससे उसकी पहचान होती है!
वेब सर्वर - पूरी वेबसाइट का डाटा जहां पर स्टार्ट किया जाता है उसे वेब सर्वर कहते हैं जब आप Google पर सर्च करते हैं तो Google वह डाटा उसी वेब सर्वर से उठाता है !
वेबसाइट कैसे चलता है ?
इन दिनों आप वेबसाइट को फेसबुक एवं अन्य सोशल माध्यम के अलावा कैसे कई ऐसे माध्यम है जहां से आप वेबसाइट पर पहुंच जाते हैं एक सिंपल क्लिक करने से ! वेबसाइट को अच्छे तरीके से आप एक ब्राउज़र जैसे क्रोम पर ही पा सकते हैं ! इसके लिए इंटरनेट की आवश्यकता होती है जिसे कंप्यूटर की भाषा में इंटरनेट इंटरनेट प्रोटोकॉल (आईपी) नेटवर्क कहते हैं !
इंटरनेट एवं वेबसाइट का संक्षिप्त इतिहास
वर्ल्ड वाइड वेब (WWW) 1990 में ब्रिटिश सीईआरएन भौतिकविद् टिम बर्नर्स-ली द्वारा बनाया गया था। 30 अप्रैल 1993 को, सीई आरएन ने घोषणा की कि वर्ल्ड वाइड वेब किसी के लिए उपयोग करने के लिए स्वतंत्र होंगे। इससे पहले इंटरनेट पर वेबसाइट का इस्तेमाल आम लोगों के लिए उपलब्ध नहीं था ! 2000 से पहले बहुत कम लोग ही इंटरनेट का इस्तेमाल करते थे जबकि आज के समय में 64 हजार करोड़ वेबसाइट उपलब्ध हैं !
वेबसाइट के प्रकार
वेबसाइट बनावट के आधार पर यह दो प्रकार के होते हैं पहला नाम स्टेटिक वेबसाइट होता है जिसका कंटेंट आप बार-बार बदल नहीं सकते हैं ! दूसरा डायनामिक वेबसाइट होता है जिसमें यूजर अपने फोटो वीडियो डाल सकते हैं उसके साथ साथ उसके एडमिन भी कंटेंट लगातार बदल सकते हैं या डाल सकते हैं  !
उपयोग के आधार पर वेबसाइट के अनगिनत प्रकार हैं इसमें जो मुख्य प्रकार है नीचे निम्नलिखित हैं -
न्यूज़ वेबसाइट - जैसे आपने NDTV, आज तक का नाम सुना होगा जिसका न्यूज़ TV पर आता है लेकिन इन बड़े ब्रांडो का वेबसाइट भी होता है जहां पर लोग किसी भी समय जाकर कोई भी न्यूज़ को देख सकते हैं एवं पढ़ भी सकते हैं !
सोशल साइट - जैसे आपने Facebook एवं Twitter का नाम सुना होगा जहां पर दुनिया के करोड़ों लोग एक साथ लॉगिन होते हैं एक दूसरे से वार्तालाप करते हैं उसे सोशल साइट कहते हैं !
इंफॉर्मेशनल वेबसाइट - जैसे आपने विकिपीडिया, कुल्हैया डॉट कॉम नाम सुना होगा जहां पर अनेक प्रकार की जानकारियां उपलब्ध होता है जो आपकी जिंदगी को बेहतर बना सकता है यानी कि ज्ञान बढ़ाने के लिए इससे बेहतर और कोई तरीका आज के समय मुमकिन नहीं हो सकता है !
पर्सनल या ऑर्गनाइजेशनल  वेबसाइट - आज के समय बड़े सेलिब्रिटी या कोई दुकानदार भी अपना वेबसाइट बनवाता है उसके साथ साथ जितने भी संस्था है उसकी भी वेबसाइट होती है जहां पर उसकी सभी तरह की सूचनाएं मौजूद होती है ! सरकार के भी सभी विभागों के अलग-अलग वेबसाइट होते हैं जहां पर आम आदमियों के लिए जरूरी जानकारी उपलब्ध होता है !
ई-कॉमर्स वेबसाइट - जैसे आप एमेजॉन फ्लिपकार्ट का नाम सुना होगा इसे ई-कॉमर्स वेबसाइट कहते हैं यहां पर आप कोई भी सामान खरीद सकते हैं और इंटरनेट के माध्यम से ई पेमेंट कर सकते हैं ! क्योंकि इसे किसी दुकान का रेंट देना नहीं होता है इसलिए यहां पर सामान काफी सस्ता होता है !
जॉब वेबसाइट - यह वेबसाइट जहां कहीं पर भी वैकेंसी होता है उसे वह प्रकाशित करता है उसके साथ आप अपना बायोडाटा अगर डालते हैं तो वह आपके बायोडाटा को जहां पर रिक्वायरमेंट है वहां तक वह पहुंचा देता है !
क्लासिफाइड वेबसाइट - यह एक ऐसा वेबसाइट है जहां पर आप कुछ भी बेचना चाहते हैं या कोई सर्विस को बेचना चाहते हैं तो आप अपना एडवर्टाइजमेंट पोस्ट कर सकते हैं जिसे आपके कस्टमर देख कर आपको कांटेक्ट करते हैं ! 
मैट्रिमोनियल वेबसाइट - शादी विवाह के प्रोफाइल को यह वेबसाइट प्रकाशित करता है जिसमें आपके द्वारा डाला गया इंफॉर्मेशन को दूसरों तक पहुंचाता है और वह भी आपसे संपर्क कर पाता है वेबसाइट के माध्यम से !
सर्च इंजन वेबसाइट - जैसे आपने सुना होगा Google का नाम Google एक सर्च इंजन वेबसाइट है जो दुनिया के वेबसाइट को सर्च करता है, आपके दिए गए शब्दों के अनुसार यानी कि यह कह सकते हैं इंटरनेट का ज्यादातर ट्रैफिक आज भी Google के पास है ! आज के समय किसी भी वेबसाइट का ट्रैफिक को गूगल ही कंट्रोल करता है क्योंकि आपको इतने सारे वेबसाइट का नाम याद नहीं होता है इसलिए आप Google सर्च करते हैं और Google अपने मर्जी के हिसाब से उसे सर्च रिजल्ट में दिखाता है !
ब्लॉगिंग वेबसाइट - इस तरह की वेबसाइट पर आप भी कुछ लिख सकते हैं अगर यह कंटेंट को पढ़ने के लिए ज्यादा ट्रैफिक आता है तो उससे आप कमाई भी कर सकते हैं जिसके लिए आपको किसी प्रकार का पेमेंट देना नहीं होता है  !
मनोरंजन वेबसाइट - आपने YouTube हॉटस्पॉट का नाम सुना होगा जहां पर दुनिया के अनेक प्रकार का वीडियो मौजूद होता है जिससे आप देख सकते हैं ! मनोरंजक वीडियो के साथ साथ सीखने लायक भी वीडियो होता है !

वीडियो कांफ्रेंसिंग (video conferencing)-

वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के द्वारा दो या दो से अधिक व्यक्ति विश्व के किसी भी भाग में बैठकर audio-video रूप में आपस में अन्तः क्रिया कर सकते है। वे एक दूसरे से आसानी से बातचीत कर सकते है।
वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग कम्युनिकेशन की एक आधुनिक एवं नई टेक्नोलोजी है। इसमें कई दूर सम्प्रेषण तकनीकियों का उपयोग किया जाता है।
वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग अन्य दूर सम्प्रेषण विधियों से अलग है क्योंकि जहाँ दूर सम्प्रेषण तकनीको में केवल ध्वनि को ही एक स्थान से दूसरे स्थान पर संचारित किया जाता है वहाँ वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग से  आवाज के साथ चित्र भी दिखाई देते है।
वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग में ऐसा लगता है कि जैसे दो व्यक्ति आमने सामने बैठकर ही बाते कर रहे है।
वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के लाभ-(Benefit of Video conferencing)-
वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के मुख्य लाभ निम्न है-
1.टेली सेमिनार (Tele seminars)- टेली सेमिनारों का आयोजन वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग द्वारा आसानी से किया जा सकता है।इनमें छात्र एवं विशेषज्ञ अपने घर या कार्य स्थल पर रहते हुए ही भाग ले सकते है ।
2.टीचर'Conference- इस तकनीक से विश्व के किसी भी स्थान से अध्यापको के मध्य सम्प्रेषण,संगोष्ठी और चर्चाओं का आयोजन किया जा सकता है।
3.दूरस्थ छात्रों से संपर्क- वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग द्वारा दूरस्थ क्षेत्रों में स्थित छात्र आपस में तथा अध्यापकों से भी आसानी से सम्प्रेषण कर सकते है।अन्य देशों में भी संपर्क कर सकते है।
छात्र अपनी बनाई हुई कलाकृतियों ,शिक्षण नमूनों आदि को दूसरे छात्रों को दिखा सकते है।
4.ई लर्निंग (E-Learning)- वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग का प्रयोग ई लर्निंग में भी सफलतापूर्वक किया जा सकता है।वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के द्वारा ई लर्निंग के छात्र आपस में सम्प्रेषण भी कर सकते है।तथा शिक्षकों व विशेषज्ञ से वार्तालाप भी कर सकते है।
5.विशेषज्ञ की सहायता(Help From Experts)- सीखने की प्रक्रिया के दौरान छात्रों को अलग-अलग समस्याओ का सामना करना पड़ता है।ऐसी अवस्था में वे वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग द्वारा विशेषज्ञ से संपर्क बना सकते है।
6.अतिथि व्याख्यान (Guest Lectures)-वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग द्वारा दूसरे संस्थानों से अच्छे guest teachers का व्यख्यान छात्रों के समक्ष प्रस्तुत करवाया जाता है।
7.छुट्टियों में अध्ययन(Study during Vacations)-शैक्षिक सत्र के दौरान छात्र गर्मियों एवं सर्दियों की छुट्टियों में वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग से अपने अध्यापको से सम्पर्क रख सकते है तथा अपनी स्टडी जारी रख सकते है।
8.ई ट्यूटर (E- Tutor)- ई ट्यूटर एक नवीन प्रक्रिया है । ई ट्यूटर से अभिप्राय वे अध्यापक है जो इन्टरनेट का प्रयोग करके छात्रों को कुशलतापूर्वक शिक्षा देते है। ई ट्यूटर इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से घर बैठे ही छात्रों की शिक्षा सम्बन्धी समस्याओ को सुलझा देते है।
9.शोध कार्यो में सहायक(Helpful in Research)-वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग शोधकर्ताओं के लिए बहुत उपयोगी तकनीक है। इस तकनीक से वे एक स्थान पर बैठे हुए ही आसानी से विद्ववानों एवं अध्यापकों से सम्पर्क स्थापित कर सकते है।इससे टाइम की भी बचत होती है।
10. निर्देशन और परामर्श- छात्र अपनी परीक्षाओ से सम्बन्धी मुश्किलो को अध्यापको से सुलझा सकते है तथा उचित निर्देशन एवं परामर्श प्राप्त कर सकते है।
वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के दोष-(Demerits  of Video conferencing)-
वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के उपर्युक्त कई लाभ है लेकिन  फिर भी इस तकनीक के कुछ दोष है जो निम्न है-
1.महंगी तकनीक (costly technique)-वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग एक महंगी विधि है इसमें महंगे इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का होना आवश्यक होता है।अतः धन की समस्या इस तकनीक के मार्ग में बहुत बड़ी बाधा है।
2.जटिल प्रक्रिया(Complex process)-वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग एक जटिल प्रक्रिया है इसके प्रयोग के लिए कुछ तकनीकी ज्ञान का होना जरुरी है।भारत में तकनीकी ज्ञान रखने वाले अध्यापको की संख्या कम है।इस प्रकार ये प्रक्रिया जटिल लगती है।
3.इन्टरनेट की जरूरत(Use of Internet)-वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के लिए इंटरनेट होना आवश्यक है इन्टरनेट कनेक्शन के बिना यह प्रक्रिया असंभव है।
4.उचित प्रशिक्षण की आवश्यकता- वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग को लागू करने के लिए उचित प्रशिक्षण की भी आवश्यकता होती है।

वेबकास्टिंग

वेबकास्ट
एक वेबकास्ट स्ट्रीमिंग मीडिया तकनीक का उपयोग करके इंटरनेट पर वितरित एक मीडिया प्रस्तुति है जो कई एक साथ श्रोताओं / दर्शकों को एक सामग्री स्रोत वितरित करने के लिए प्रदान करता है। एक वेबकास्ट या तो लाइव या मांग पर वितरित किया जा सकता है। अनिवार्य रूप से, वेबकास्टिंग इंटरनेट पर "प्रसारण" है।
सबसे बड़े "वेबकास्टर्स" में मौजूदा रेडियो और टीवी स्टेशन शामिल हैं, जो ऑनलाइन टीवी या ऑनलाइन रेडियो स्ट्रीमिंग के साथ-साथ इंटरनेट के बहुत से "स्टेशन" के माध्यम से अपने आउटपुट को "अनुकरण" करते हैं। वेबकास्टिंग आमतौर पर गैर-इंटरैक्टिव रैखिक धाराओं या घटनाओं को प्रदान करने के होते हैं। अधिकार और लाइसेंसिंग निकाय कॉपीराइट किए गए सामग्री का उपयोग करके इंटरनेट प्रसारण करने की इच्छा रखने वाले लोगों को विशिष्ट "वेबकास्टिंग लाइसेंस" प्रदान करते हैं।
ई-लर्निंग (संगोष्ठियों को प्रेषित करने के लिए), और संबंधित संचार गतिविधियों के लिए, निवेशक संबंध प्रस्तुतियों (जैसे वार्षिक सामान्य बैठकों) के लिए वाणिज्यिक क्षेत्र में वेबकास्टिंग का व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है। हालांकि, वेबकैस्टिंग में बहुत कुछ नहीं होता है, यदि कोई है, तो वेब कॉन्फ्रेंसिंग के साथ संबंध, जिसे कई से कई इंटरैक्शन के लिए डिज़ाइन किया गया है।
सस्ते / सुलभ प्रौद्योगिकी का उपयोग करके वेबकास्ट करने की क्षमता ने स्वतंत्र मीडिया को विकसित करने की अनुमति दी है। कई उल्लेखनीय स्वतंत्र शो हैं जो नियमित रूप से ऑनलाइन प्रसारित करते हैं। अक्सर अपने घरों में औसत नागरिकों द्वारा उत्पादित वे कई हितों और विषयों को कवर करते हैं। कंप्यूटर, प्रौद्योगिकी और समाचार से संबंधित वेबकास्ट विशेष रूप से लोकप्रिय हैं और कई नए शो नियमित रूप से जोड़े जाते हैं।
पॉडकास्टिंग से भिन्न वेबकास्टिंग लाइव स्ट्रीमिंग को संदर्भित करता है जबकि पॉडकास्टिंग बस इंटरनेट पर रखी गई मीडिया फ़ाइलों को संदर्भित करता है।

पॉडकास्ट (Podcast)

इस का अर्थ मीडिया संचिकाहोता है। इस तरह की feed यानी stored डाटा audio file को I pod या मीडिया प्लेयर के जरिये सुना जा सकता है। internet पर कई सारी ऐसी वैबसाइट हैं जो articles और videos के अलावा podcast media files भी upload करती हैं जिनहे user वैबसाइट से download कर के अपने कम्प्युटर पर या अन्य audio player पर लगा कर सुन सकता है। इस प्रक्रिया को podcasting नाम से पुकारा जाता है। और जो व्यक्ति इस प्रकार की audio file तैयार करता है उन्हे podcaster कहा जाता है।

पॉड़कास्टिंग Podcasting

सब से पहले आप को इस काम के लिए computer और internet connection की आवश्यकता होगी। उसके बाद online internet पर जा कर Audacity वैबसाइट पर आप अपना औडियो record कर सकते हैं। (Note- दूसरे भी अन्य वैबसाइट इस तरह की सुविधा देते हैं)। एक बार media file रेकॉर्ड कर लेने के बाद आप उसे download कर के अपने website पर डाल सकते हैं। या फिर किसी ऑनलाइन बाहरी सर्वर पर फ़ाइल को save (host) करा कर भी उसका लिंक अपने website पर डाल सकते हैं ताकि आप की अपनी वैबसाइट पर data का अधिक load ना पड़े। (Note- बाहरी web server पर फ़ाइल होस्ट कराने के लिए Internet archive बेस्ट ऑप्शन है)।
पॉड़कास्टिंग वर्तमान समय में काफी लोकप्रिय हो रहा है, किसी भी information को पढ़ने से अधिक सुनना सहज होता है। किसी भी आर्टिक्ल को पढ़ने के मुक़ाबले podcast फ़ाइल को सूनने में समय काफी कम लगता है और सब्जेक्ट समझने में भी आसानी होती है।
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