मौसम के बिगड़ते तेवर से बढ़ती बेचैनी...
अभी सप्ताह भर पहले आये भीषण आंधी-तूफान ने उत्तर प्रदेश के आगरा और कानपुर में भयानक तबाही मचाई। आंधी-पानी से जान-माल का काफी नुकसान हुआ। मौसम विभाग ने अभी भी आंधी-पानी के भारी प्रकोप की भविष्यवाणी कर रखी है। इसका असर हरियाणा के गुरुग्राम, दिल्ली, एनसीआर में मेरठ और गाजियाबाद में भी देखने को मिला। गरज-तड़क के साथ धूल भरी आंधी से आम जनजीवन खतरे में पड़ गया है। मौसम विभाग की माने तो इसका असर देश के कई प्रदेशों में रहने वाला है।
मई-जून के महीने में आंधी-तूफान और बारिस की बातें थोड़ी अटपटी सी लगती हैं, लेकिन यह वर्तमान सच्चाई हैं।
मौसम करवट बदल रहा है। पिछले दो दशक में दुनिया के ऋतु-चक्र में आया बदलाव एक बहुत बड़े खतरे की आहट है। ठंड के मौसम में भी गर्मी का अहसास, बारिश के मौसम में कहीं भयंकर सूखा तो कहीं बाढ़, गर्मी में तेज आंधी और तूफानी बारिश यानी कुल मिलाकर मौसम चक्र गड़बड़ाया है। गर्मी के मौसम में कश्मीर और हिमाचल में बर्फ पड़ रही है। जो समय उत्तर भारत में लू चलने का होता है, उस वक्त अंधड़, बारिश और ओलावृष्टि हो रही है। देश के ज्यादातर हिस्सों में मौसम का यही आलम है। बारिश का मौसम आएगा तो मालूम चलेगा कि उमस भरी गर्मी पड़ती रही, पर पानी नहीं पड़ा और आखिर में सूखे की मार झेलनी पड़ी। दो दशक पहले अक्तूबर में ठंड पडऩी शुरू हो जाती थी और मार्च तक रहती थी, लेकिन अब पंद्रह दिन भी कड़ाके की सर्दी नहीं पड़ती। मौसम में आ रहे इस तरह के बदलावों से पूरी दुनिया प्रभावित है। समुद्र गरम होते जा रहे हैं और तटीय शहरों को आंख दिखा रहे हैं। ऐसे में इनसान करे तो क्या करे, कुदरत की मार के आगे बेबस है। बिगड़ते मौसम को लेकर मौसम विभाग आए दिन आगाह कर रहा है। इस बार उत्तरी राज्यों में जिस तरह से अचानक मौसम बदला और तेज आंधी-बारिश से जो तबाही हुई, वह मौसम विज्ञानियों के लिए भी एक चुनौती है। मौसम विभाग इस तूफान को छोटे-से दायरे तक सीमित मान कर चल रहा था, लेकिन इसका दायरा बढ़ता ही गया और सही अनुमान नहीं लग पाया। हालांकि मई की शुरुआत में अंधड़ और बारिश को लेकर चेतावनी जारी हुई थी, लेकिन राजस्थान और उत्तर प्रदेश के बारे में यह नहीं थी, जबकि इन्हीं दो राज्यों में सबसे ज्यादा तबाही हुई। वैसे मई में ऐसा तूफान और ऐसी बारिश देखने को नहीं मिलती। जलवायु में तेजी से हो रहे छोटे-बड़े बदलाव ऋतु-चक्र को बिगाड़ रहे हैं। मौसम में इस तरह के बदलावों के पीछे बड़ा कारण जलवायु संकट है और यह काफी हद तक मानवजनित भी है। हम भौतिक सुख सुविधाओं के पीछे भागते हुए प्रकृति को भूलते जा रहे हैं और जाने-अनजाने उसके साथ अन्याय भी करते जा रहे हैं।
भारत में यह पहला मौका है जब मौसम को लेकर इतने व्यापक स्तर पर चेतावनी जारी की गई है। मौसम विभाग इस तरह के अनुमान उपग्रहों से मिले आंकड़ों और अन्य स्रोतों से हासिल जानकारियों के विश्लेषण के आधार पर व्यक्त करता है। ऐसे में संभव है कई बार अनुमान सटीक नहीं बैठ पाते। मौसम विभाग को देखना होगा कि वह अपने पूर्वानुमानों को और विश्वसनीय कैसे बना सकता है। आपदा से बचाव के लिए सही पूर्वानुमान पहला तकाजा है। भारत जैसे देश में इसके लिए आपदा प्रबंधन को और मजबूत करने की जरूरत है, क्योंकि ऐसी आपदाओं से निपटने के लिए किसी भी राज्य में पुख्ता व्यवस्था नहीं है। इसका उदाहरण कुछ वर्ष पहले केदारनाथ त्रासदी से समझी जा सकती है। अत: सरकारी स्तर पर भी चौकस रहने की जरूरत है।
Please Add your comment
No comments:
Post a Comment
Please share your views