Friday, August 10, 2018

Whatsapp Action

वाट्सएप की कार्रवाई अधूरी

सोशल मीडिया प्लेटफार्म वाट्सएप की ओर से भारत में संदेश फारवर्ड करने की सीमा पांच तक सीमित करने से फर्जी खबरों, अफवाहों और भड़काऊ सामग्रियों पर रोक लग पायेगी, यह कहना कठिन है। स्पष्ट है कि जब कोई अफवाह फैलायी जाती है तो वह योजनाबद्घ तरीके से होती है और वह बड़ी तेजी से फैलती है। यदि एक व्यक्ति ने पांच लोगों को ही संदेश फारवर्ड कर दिया तो उसे पांच से पांच सौ, पांच हजार और पांच लाख लोगों तक पहुंचने में समय नहीं लगेगा। अफवाहों का मनोविज्ञान ही डर, भय, नफरत होता है, जिसे आम आदमी नजरंदाज नहीं कर सकता है। अत: अब भी संदेश फैलने की गति वही रहेगी जो पहले होती थी।
  पिछले कुछ महीनों में देश भर में भीड़ द्वारा हत्याओं के जितने मामले सामने आए, उन सबके पीछे पहला और बड़ा कारण अफवाहों का फैलना था। ज्यादातर अफवाहें बच्चा चोर को लेकर उड़ीं। ऐसी अफवाहें वाट्सएप के जरिये फैलायी जातीं है, लोग जमा होते और कोई निर्दोष इनकी हिंसा का शिकार हो जाता है। इसके अलावा और भी कई ऐसी दहला देने वाली घटनाएं हुर्इं, जिनका कारण वाट्सएप के जरिए फैली अफवाहें बनीं। संदेशों और बातचीत के इस ऐप का ऐसा भयानक दुरुपयोग चिंता का विषय बना हुआ है।
 वाट्सएप ने संदेशों को आगे बढ़ाने की सीमा पांच तक सीमित करने के साथ ही यह भी अपेक्षा की है कि लोग कोई संदेश, सूचना, ऑडियो-वीडियो आदि फारवर्ड करने के पहले तथ्यों की जांच कर लें। इसमें संदेह है कि सभी लोग उसकी इस अपेक्षा पर खरे उतरेंगे। अगर लोग फर्जी सामग्री के प्रति सचेत होते तो फिर वाट्सएप इस तरह की सामग्री के सबसे बड़े प्लेटफार्म के रूप में नहीं जाना जाता। फेसबुक के स्वामित्व वाले वाट्सएप ने संदेश अग्रसारित करने की सीमा पांच तक सीमित करके जिस तरह कर्तव्य की इतिश्री कर ली, उससे लगता नहीं कि वह अपने स्तर पर झूठी और भड़काऊ बातों पर लगाम लगाने के लिए तैयार है। दुर्भाग्य से ज्यादातर सोशल मीडिया कंपनियां इसी तरह का रवैया अपनाए हुए हैं। वे अवांछित और अराजक तत्वों को हतोत्साहित करने के लिए कोई ठोस कदम उठाने को तैयार नहीं। वाट्सएप की ओर से उठाए गए कदमों पर सरकार का रवैया जो भी हो, इसका इस्तेमाल करने वालों को अपने रवैये पर विचार करना चाहिए। उन्हें इस सवाल पर गौर करना चाहिए कि वाट्सएप को भारत में ही संदेशों को अग्रसारित करने की सीमा में कटौती क्यों करनी पड़ी? क्या वाट्सएप के इस कदम से दुनिया को यह संदेश नहीं जाएगा कि औसत भारतीय बिना कुछ सोचे-विचारे अपुष्ट, अधकचरी और आपत्तिजनक सूचना सामग्री का प्रसार करते हैं।
   वाट्सएप की माने तो भारतीय लोग अन्य देशों के मुकाबले कई गुना अधिक संदेश, फोटो, ऑडियो और वीडियो फारवर्ड करते हैं। यह भी एक तथ्य है कि आज स्मार्टफोन का दौर है और हर हर 6 में से एक व्यक्ति उसका यूजर्स है। स्मार्टफोन के कारण उसके पास वाट्सएप और फेसबुक जैसे सोशल मीडिया के माध्यम भी हैं। अत: वह उसका उपयोग तो करेगा, लेकिन उसके पास ऐसा कोई गेटकीपर (संपादक) नहीं है, जो खबरों की पड़ताल करके उसे फारवर्ड करे। सोशल मीडिया और परंपरागत मीडिया में यही बड़ा अन्तर है, जिसके दुष्परिणाम भी हमारे सामने हैं।
बेहतर होगा कि जहां सरकार की ओर से यह सुनिश्चित किया जाए कि सोशल मीडिया कंपनियां अफवाह और आपत्तिजनक सामग्री के प्रसार को रोकने के कुछ ठोस उपाय करें, वहीं इस नए मीडिया का इस्तेमाल करने वाले भी सजगता का परिचय दें। समाज के लिए अच्छे-बुरे का ख्याल रखकर ही किसी संदेश को फारवर्ड किया जाये तो ही इस समस्या से निजात मिल सकती है।
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