मुईज़ सागरी
सण्डीला। औलिया कराम की जिंदगी में करामात कोई बड़ी बात नहीं है। उनकी पूरी जिंदगी ही करामात से कम नहीं है। किस सलीके से लोगों से मिलना होता है। कितनी अल्लाह और उसके रसूल के बताए रास्ते पर चलने की फिक्र रहती है। यह उनके करीब रहने वाला आसानी से महसूस कर सकता है।ये बात तहरीक़ परचमे मोहम्मदी के अध्यक्ष फ़रीदउद्दीन अहमद ने नगर के इम्लियाबाग़ इस्थित "साबरी मंज़िल"मो0 मुईन खां के आवास पर हज़रत मख़्दूम साबिर कलयरी रह0 की याद आयोजित जलसे को संबोधित करते हुए कही। शुक्रवार की रात आयोजित जलसे में तकरीर करते हुए फ़रीदउद्दीन अहमद ने कहा कि औलिया अपनी जिंदगी के जरिए लोगों को सबक लेने का पैगाम देते हैं। उनके संपर्क में आने वाले लोग उनसे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकते हैं। दरगाह हज़रत साग़र मियां के सज्जादा नशीन मुईज़उद्दीन अहमद साग़री चिश्ती ने कहा कि औलिया ए कराम की पूरी जिंदगी अल्लाह की बंदगी और मखलूक की खिदमत करते हुए गुजरी है। उन्होंने लोगों को बेहतर जिंदगी बिताने और इबादत पर जोर दिया। कहा कि बेहतर मुसलमान वह है जो इबादत के साथ ही दूसरे लोगों के साथ बेहतर ढंग से पेश आए। ज़ाकिर नूरी ने कहा कि वलियों की जिंदगी से सबक लेकर लोगों को जिंदगी गुजारनी चाहिए। नेकियों से हमेशा जुड़ा रहना चाहिए। जिस तरह गंदे बरतन में सभी चीजें गंदी हो जाती है। उसी तरह गलत शोहबत का असर भी इंसान की जिंदगी पर पड़ता है। जलसा की अध्यक्षता मुईन खाँ ने किया इस अवसर पर इक़बाल अहमद ज़ाफ़र अहमद,हाफिज़ मुक़ीम,सभसाद बच्चू क़ुरैशी, इसरार क़ुरैशी, सब्बीर खां,यामीन खां, मुशीर खां आदि शामिल हुए।जलसा के आखिर में भारत देश की दुश्मनों से हिफाज़त और देश में अमन चैन की दुआ के साथ जलसा का समापन हुआ।
सण्डीला। औलिया कराम की जिंदगी में करामात कोई बड़ी बात नहीं है। उनकी पूरी जिंदगी ही करामात से कम नहीं है। किस सलीके से लोगों से मिलना होता है। कितनी अल्लाह और उसके रसूल के बताए रास्ते पर चलने की फिक्र रहती है। यह उनके करीब रहने वाला आसानी से महसूस कर सकता है।ये बात तहरीक़ परचमे मोहम्मदी के अध्यक्ष फ़रीदउद्दीन अहमद ने नगर के इम्लियाबाग़ इस्थित "साबरी मंज़िल"मो0 मुईन खां के आवास पर हज़रत मख़्दूम साबिर कलयरी रह0 की याद आयोजित जलसे को संबोधित करते हुए कही। शुक्रवार की रात आयोजित जलसे में तकरीर करते हुए फ़रीदउद्दीन अहमद ने कहा कि औलिया अपनी जिंदगी के जरिए लोगों को सबक लेने का पैगाम देते हैं। उनके संपर्क में आने वाले लोग उनसे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकते हैं। दरगाह हज़रत साग़र मियां के सज्जादा नशीन मुईज़उद्दीन अहमद साग़री चिश्ती ने कहा कि औलिया ए कराम की पूरी जिंदगी अल्लाह की बंदगी और मखलूक की खिदमत करते हुए गुजरी है। उन्होंने लोगों को बेहतर जिंदगी बिताने और इबादत पर जोर दिया। कहा कि बेहतर मुसलमान वह है जो इबादत के साथ ही दूसरे लोगों के साथ बेहतर ढंग से पेश आए। ज़ाकिर नूरी ने कहा कि वलियों की जिंदगी से सबक लेकर लोगों को जिंदगी गुजारनी चाहिए। नेकियों से हमेशा जुड़ा रहना चाहिए। जिस तरह गंदे बरतन में सभी चीजें गंदी हो जाती है। उसी तरह गलत शोहबत का असर भी इंसान की जिंदगी पर पड़ता है। जलसा की अध्यक्षता मुईन खाँ ने किया इस अवसर पर इक़बाल अहमद ज़ाफ़र अहमद,हाफिज़ मुक़ीम,सभसाद बच्चू क़ुरैशी, इसरार क़ुरैशी, सब्बीर खां,यामीन खां, मुशीर खां आदि शामिल हुए।जलसा के आखिर में भारत देश की दुश्मनों से हिफाज़त और देश में अमन चैन की दुआ के साथ जलसा का समापन हुआ।
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