Thursday, October 24, 2019

सीड ने उत्तर प्रदेश में ‘क्लीन एयर इंप्लीमेंटेशन नेटवर्क’ (CAIN) का शुभारंभ किया

नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम के क्रियान्वयन की दिशा में काम करेगा ‘कैन’ नेटवर्क

लखनऊ: सेंटर फॉर एन्वॉयरोंमेंट एंड एनर्जी डेवलपमेंट (सीड) ने आज ‘क्लीन एयर इंप्लीमेंटेशन नेटवर्क’ (Clean Air Implementation Network-CAIN) का शुभारंभ किया, जो एक नेटवर्क के रूप में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (National Clean Air Program-NCAP) के क्रियान्वयन के लिए उत्तर प्रदेश के चुने हुए 15 शहरों (Non-attainment cities) में स्वच्छ वायु की दिशा में काम करेगा। यह नेटवर्क राज्य के सिविल सोसायटी संगठनों, मीडिया, सरकारी विभागों से जुड़े विशेषज्ञों एवं प्रतिनिधियों और अन्य प्रमुख स्टैक्होल्डर्स को सर्वसम्मति बनाने एक साझा मंच देगा, जिससे कि वे राज्य में ‘एनसीएपी’ के निर्देशों को ठोस तरीके से जमीन पर लागू कर सकें। सीड के नेतृत्व में शुरू यह नेटवर्क स्वैच्छिक सहयोग एवं साझेदारी पर आधारित है और राज्य के इन 15 चुनिंदा शहरों के करीब 200 सिविल सोसायटी संगठनों, अकादमिक जगत और बुद्धिजीवी समूहों का प्रतिनिधित्व करता है। इस नेटवर्क का शुभारंभ लखनऊ की माननीया मेयर श्रीमती संयुक्ता भाटिया ने प्रतिष्ठित शिक्षाविदों, डॉक्टरों, सिविल सोसायटी के प्रतिनिधियों तथा गणमान्य बुद्धिजीवियों की सक्रिय भागीदारी और उपस्थिति के बीच किया। ‘कैन’ न केवल क्रियान्वयन पहलू पर मुख्य रूप से ध्यान देगा, बल्कि सामान्यतः पूरे भारत, और खास तौर पर उत्तर प्रदेश में ‘एनसीएपी’ से संबंधित भावी सुधारों की दिशा में काम करेगा।
यह जानना महत्वपूर्ण है कि उत्तर प्रदेश के कई शहरों में वायु की गुणवत्ता खतरनाक ढंग से ‘खराब’ है, जो बड़ी संख्या में ‘समयपूर्व मौतों’ का कारण बन रही है। ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (GBD) की रिपोर्ट के अनुसार 2017 भारत में वायु प्रदूषण जनित मौतों में उत्तर प्रदेश राज्य सबसे आगे रहा। लखनऊ में वायु प्रदूषण ‘गंभीर’ श्रेणी (severe category) का रिकार्ड किया जाता रहा है और वर्ष 2018 में पार्टिकुलेट मैटर (Particulate Matter) PM10 का सालाना मध्यमान 217 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर (μg/m³) था। इलाहाबाद और कानपुर जैसे अन्य शहर इससे पीछे नहीं रहे हैं और इन शहरों में PM10 क्रमशः 231 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर और 210 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर रहा। एनसीएपी में शामिल किए गए शहरों में महाराष्ट्र के बाद उत्तर प्रदेश के सबसे ज्यादा शहर हैं। एनसीएपी में शामिल 13 प्रतिशत शहर केवल उत्तर प्रदेश में पड़ते हैं।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि राजधानी लखनऊ की माननीया मेयर श्रीमती संयुक्ता भाटिया ने अपने मुख्य संबोधन में कहा कि ‘‘नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम में शामिल यूपी के सभी शहरों को राज्य सरकार के मिल कर इसके प्रावधानों को ठोस तरीके से अमल में लाने के लिए काम करना चाहिए, ताकि राज्य में सांस लेने योग्य वातावरण सुनिश्चत हो सके। मैं निजी तौर पर राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और अन्य प्रमुख स्टैक्होल्डर्स के साथ मिल-बैठ कर लखनऊ में इस कार्यक्रम का धरातल पर क्रियान्वयन कराने पर जोर दूंगी।’’ माननीया मेयर ने अन्य शहरों के मेयरों से आगे आकर इस विषय पर अपनी सक्रियता दिखाने और क्रियान्वयन संबंधी रणनीतयों को तैयार करने का आग्रह किया।
कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए सीड के चीफ एक्जीक्यूटिव ऑफिसर श्री रमापति कुमार ने कहा कि ‘‘भारत में वायु प्रदूषण का मुद्दा निर्णायक बिंदु पर पहुंच गया है, और इस विषय पर कदम उठाने के लिए अब किसी को नए सिरे से समझाने-बताने की जरूरत नहीं रह गई है। हालांकि जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन अभी भी एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। इसके साथ ही वायु प्रदूषण जैसी पेंचीदा समस्या के लिए कठिन समाधान की जरूरत होगी। ऐसे में महत्वपूर्ण समाधान के रूप में सबसे पहले इस समस्या से निपटने की जरूरत होगी कि कैसे ‘इरादे’ और ‘क्रियान्वयन’ के बीच की दूरी को पाटा जाए।’’ ‘कैन’ के कामकाज और उद्देश्यों के बारे में विस्तार से बताते हुए श्री रमापति कुमार ने कहा कि ‘‘इन 15 चुनिंदा शहरों में यह नेटवर्क स्थानीय क्रियान्वयन एजेंसियों के साथ मिल कर जवाबेदही सुनिश्चित करने की दिशा में काम करेगा, ताकि जमीनी स्तर पर बदलावों को संभव होते देखा जा सके। इससे राज्य में ‘एनसीएपी’ के क्रियान्वयन संस्कृति को पैठ बनाने में हमें मदद मिलेगी।’’
सीड की सीनियर प्रोग्राम ऑफिसर सुश्री अंकिता ज्योति ने भी नेटवर्क की महत्ता को रेखांकित किया और एक प्रेजेंटेशन के जरिए यूपी में क्रियान्वयन संबंधी पहल को मजबूत करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि ‘‘कैन नेटवर्क राज्य के सिविल सोसायटी संगठनों और गैर सरकारी संगठनों के साथ मिल कर उन्हें सशक्त बनाएगा और स्थानीय स्तर पर जवाबदेही सुनिश्चित करते हुए क्रियान्वयन एजेंसियों के साथ मिल कर काम करेगा। यह नेटवर्क ‘एनसीएपी’ के दिशानिर्देश के अनुरूप जमीनी स्तर पर वायु की गुणवत्ता में सुधार के लिए स्थानीय एजेंसियों द्वारा उठाए गए कदमों से संबंधित कई रिपोर्ट भी समय-समय पर प्रकाशित करेगा। सुश्री अंकिता ज्योति ने तत्काल अमल में लाए जाने वाले कुछ अल्पकालिक कदमों को भी रेखांकित किया, ताकि वायु प्रदूषण पर अंकुश लगाया जा सके, जैसे प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों पर रोक, ईंधन में मिलावट की जांच पड़ताल, भवन निर्माण एवं कंस्ट्रक्शन आदि गतिविधियों के दौरान निकलने वाले धूल-गर्द पर नियंत्रण, जैव ईंधन जैसे कृषि अवशेष- खूंट, पराली, पुआल आदि जलाने के खुले में जलावन के खिलाफ व्यापक अभियान, एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशनों को बढ़ाना और एयर क्वालिटी इंडेक्स के जरिए आम लोगों के बीच प्रचार अभियान करना आदि।
गौरतलब है कि ‘एनसीएपी’ भारत सरकार का एक महत्वाकांक्षी कार्यक्रम है, जिसका लक्ष्य वर्ष 2017 के आधार वर्ष पर आगामी वर्ष 2024 तक देश के चुनिंदा 122 शहरों के वायुमंडल में घुल रहे हानिकारक और जानलेवा पार्टिकुलेट मैटर को कम करना है। ‘एनसीएपी’ एक मध्यावधि स्तर की स्वच्छ वायु कार्य योजना है, जो केंद्र, राज्य और स्थानीय शासी निकायों के बीच सहयोग, सामंजस्य और बहुस्तरीय तथा अंतर-विषयक समन्वय पर जोर देता है।
इस अवसर पर सीड ने राज्य सरकार से ‘एनसीएपी’ के निर्देशों के अनुरूप क्रियान्वयन में तेजी लाने की अपील की और इस विषय से जुड़े सभी प्रमुख स्टैक्होल्डर्स से स्वच्छ और स्वस्थ वायु की दिशा में साथ मिल कर काम करने का आहवान किया।

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