Sunday, October 10, 2021

एंटीबायोटिक दवाओं का अधूरा और अनियमित प्रयोग गंभीर बीमारियों को न्योता दे सकता है

फार्मेसिस्ट फेडरेशन के वैज्ञानिक वेबिनार में टीबी की दवाओं के बारे में विस्तृत चर्चा हुई
 1 हफ्ते लगातार खांसी, रात को सोते समय पसीना, लगातार बुखार बने रहना और वजन का कम होना टीबी के लक्षण हो सकते हैं

 आरिफ़

लखनऊ। विभिन्न रोगों के इलाज में उपयोग की जा रही एंटीबायोटिक औषधियों का अगर पूरा डोज नहीं लिया गया अथवा औषधियों का सही से उपयोग नहीं किया गया तो यह गंभीर बीमारियों को निमंत्रण देता है क्योंकि इससे शरीर में दवा के प्रति प्रतिरोधक क्षमता विकसित हो जाती है और टीवी के मरीजों के लिए यह अत्यंत घातक हो सकता है । इससे और भी गंभीर रोगों के होने का खतरा रहता है । उक्त बातें आज फार्मासिस्ट फेडरेशन उत्तर प्रदेश द्वारा आयोजित एक वैज्ञानिक वेबिनार को संबोधित करते हुए स्टेट टीवी सेल उत्तर प्रदेश के स्टेट चीफ फार्मेसिस्ट राजेश सिंह ने कहीं । वेबिनार की अध्यक्षता फेडरेशन के साइंटिफिक कमेटी के चेयरमैन डॉक्टर हरलोकेश यादव एडिशनल प्रोफेसर एम्स ने की । वेबिनार में इंटीग्रल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर डॉक्टर इरफान अजीज के साथ ही रामीश इंस्टिट्यूट के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ प्रदीप कांत पचौरी, सुभारती यूनिवर्सिटी मेरठ के एसोसिएट प्रोफेसर, डॉ गणेश मिश्रा , डॉ रमेश एवं प्रदेश के विभिन्न जनपदों के फार्मेसिस्टो ने भागीदारी की । वेबीनार में टीवी के दवाओं के सप्लाई चेन पर विस्तृत चर्चा हुई, दवाओं के रखरखाव के संबंध में भी जानकारी दी गई। 

फेडरेशन के अध्यक्ष सुनील यादव ने बताया कि जनता को जागरूक करने में फार्मेसिस्टों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है, फार्मासिस्ट जहां भी है वह रोगी खोजी अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, यदि किसी मरीज को 1 हफ्ते से अधिक खांसी आ रही है, रात को सोते समय पसीना आ रहा है, लगातार बुखार बना हुआ है और उसका वजन लगातार गिर रहा है तो ऐसे मरीज को टीबी की तत्काल जांच कराया जाना आवश्यक है।

श्री राजेश सिंह ने बताया कि नाखून और बाल को छोड़कर शरीर के किसी भी अंग में टीबी हो सकती है, लेकिन फेफड़े की टीबी संक्रामक होती है, डॉ हरलोकेश ने कहा कि डायबिटीज और एचआईवी के मरीजों को ज्यादा सावधान रहने की आवश्यकता है क्योंकि यह ट्यूबरकुलोसिस के लिए एक बड़ा रिस्क फैक्टर होता है, इसलिए ऐसे मरीजों को नियमित रूप से अपनी जांच कराते रहना चाहिए । उन्होंने कहा कि विश्व के कुल मरीजों का पांचवा भाग भारत में पाया जा रहा है लेकिन भारतवर्ष में वर्तमान में औषधियों की अच्छी व्यवस्था है साथ ही प्रत्येक रोगी तक औषधियों के पहुंचाने के लिए पूरी सप्लाई चेन मैनेजमेंट सिस्टम बना हुआ है, जिसके द्वारा प्रदेश के सभी 75 जिलों को चार ड्रग वेयरहाउस के रूप में बांटकर औषधियों का भंडारण किया जाता है ।  डॉटस सिस्टम के द्वारा मरीजों तक औषधियां लगातार पहुंचाई जा रही है वहीं क्षेत्र में आशा एवं अन्य जन सेवकों के माध्यम से मरीजों को ढूंढ कर उनका इलाज किया जा रहा है सरकार द्वारा रोगों की पहचान होने के बाद उनके उपचार तक उन्हें ₹500 प्रति माह पोषण भत्ता के रूप में भी दिया जाता है जिससे वे जल्द से जल्द स्वस्थ हो सके। इसकी जानकारी जनता के हर व्यक्ति तक फार्मेसिस्टो द्वारा पहुंचाया जा सकता है जिससे जनता इसका लाभ ले सके।

 वेबिनार में सभी दवाओं के रखरखाव, भंडारण की सही तकनीकी जानकारी, दवाओं के डोज तथा समय-समय पर परिवर्तित हो रहे प्रोटोकॉल पर चर्चा हुई । वैज्ञानिक कमेटी के चेयरमैन डॉ हरलोकेश यादव ने सभी प्रतिभागियों का धन्यवाद ज्ञापित किया.

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