Sunday, October 20, 2024

युवाओं को समाज और देश की उन्नति के लिए कार्य करना चाहिए : प्रो. सुधीर अवस्थी


कानपुर। छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो. सुधीर कुमार अवस्थी ने कहा कि पत्रकारिता में जिम्मेदारी का भाव और विषयवस्तु पर पैनी नजर उसे प्रभावशाली और विश्वसनीय बनाती है। उन्होंने यह बातें पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग द्वारा इनहाउस प्रोडक्शन ‘प्रताप द जर्नलिज्म क्लब’ के उद्घाटन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि कही। 

भविष्य की चुनौतियों के लिए सदैव तत्पर रहें पत्रकारिता के विद्यार्थी : डॉ. अनिल यादव

कार्यक्रम की शुरुआत प्रति कुलपति प्रोफेसर सुधीर कुमार अवस्थी, कुलसचिव डॉ. अनिल कुमार यादव, विभागाध्यक्ष डॉ. योगेंद्र पाण्डेय और डॉ जीतेंद्र डबराल ने दीप प्रज्वलित कर किया। प्रति कुलपति प्रोफेसर अवस्थी ने कहा कि पत्रकारिता ने प्रताप के बाद एक लंबा सफर तय किया है। तकनीक में भी बहुत बदलाव आए हैं, लेकिन भाषा के स्तर पर अभी भी बहुत काम करने की जरूरत है। उन्हांेने छात्रों से भाषा पर काम करने का आह्वान किया। कुलसचिव डॉ अनिल कुमार यादव ने कहा कि सीएसजेएमयू के पत्रकारिता विभाग ने बीते वर्षों में उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। उन्हांेने छात्रों से भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार रहने का आह्वान किया। 

पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में किया गया ‘प्रताप द जर्नलिज्म क्लब का उद्घाटन

विभागाध्यक्ष डॉ योगेंद्र कुमार पाण्डेय ने छात्रों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि विभाग छात्रों के बेहतर कॅरियर के लिए हर वह प्लेटफार्म उपलब्ध कराने में लगा हुआ है, जिससे उन्हें मीडिया हाउसेज में अपनी उपयोगिता साबित करने में आसानी हो। प्रताप द जर्नलिज्म क्लब भी पत्रकारिता के छात्रों के लिए ऑडियो, वीडियो और टेक्सट आदि के विषयों को लेकर बेहतर प्लेटफार्म साबित होगा। कार्यक्रम में जर्नलिज्म क्लब की भूमिका एमएजेएमसी की छात्र अंशिका अग्निहोत्री ने प्रस्तुत किया। संचालन नेहा पोरवाल ने किया। धन्यवाद ज्ञापन डॉ0 रश्मि गौतम ने दिया। इस अवसर पर कार्यक्रम समन्वयक डॉ. ओम शंकर गुप्ता, डॉ. दिवाकर अवस्थी, प्रेम किशोर शुक्ला, सागर कनौजिया समेत प्रांजल सचान, सक्षम त्रिवेदी, तनिष्क, ऋषभ गौर, अली हसन आदि छात्रों की उल्लेखनीय भागीदारी रही।

Sunday, January 7, 2024

सिर्फ 7,154 रुपये में घर लाएं ये शानदार कार

 36Kmpl का बेहतरीन माइलेज, मिलेगे ग़जब के फीचर्स! | Best Budget Car in India 2024 In Hindi

best Budget Car in India: कई बार हम सभी बजट के कारण कार खरीदने का प्लान छोड़ देते हैं। लेकिन अब एक ऐसी कार है जो आपको बिना किसी डाउन पेमेंट के कम किस्त में आसानी से मिल जाएगी और इसका मासिक खर्च भी बेहद कम होगा।

Wednesday, December 6, 2023

Public Relations and Management

 Public relations can and should make an important contribution in helping to form an organization’s ideas about what it is, what it should do and what its publics want and expect from it.

Communication Management – Developing communications objectives that are aligned with an organization’s overall objectives. As two-way communicators, public relations practitioners interact directly with key publics, relaying the resulting information (with recommendations) to other members of the management team.

Crisis Management – Establishing methods and policies to be used when an organization’s operations become involved in an emergency affecting the public. This includes policies and procedures for the distribution of information to employees, media, government and other key publics.

Issues Management – This involves identifying problems, issues and trends relevant to an organization and then developing and executing a program to deal with them. Included is the study of public policy matters of concern to an organization.

Relationship Management – This involves the role of public relations in identifying key publics and establishing strategies for building and maintaining mutually beneficial relationships with those publics.

Reputation Management – The planning and implementing of policies, procedures and strategies that demonstrate an organization’s commitment to public and social responsibility, ethical behaviour, corporate identity and reputation with key publics.

Resource Management – PR’s management of human and financial resources revolves around setting objectives, planning, budgeting, recruiting and hiring PR staff and administering those resources.

Risk Management – As preventive PR, this role involves helping an organization recognize areas of potential danger and recommending needed changes before potential dangers develop into crises.

Strategic Management – Acting as a counselor, the PR practitioner serves on the management team helping the organization develop sound policies that are in the best interests of the public as well as the organization. The PR practitioner integrates an understanding of the concerns and attitudes of key publics into the organization’s managerial decision-making process.

 जनसंपर्क और प्रबंधन

जनसंपर्क किसी संगठन के विचारों को बनाने में मदद करने में महत्वपूर्ण योगदान दे सकता है और देना भी चाहिए कि यह क्या है, इसे क्या करना चाहिए और इसकी जनता क्या चाहती है और इससे क्या अपेक्षा करती है।

 संचार प्रबंधन - ऐसे संचार उद्देश्यों का विकास करना जो किसी संगठन के समग्र उद्देश्यों के साथ संरेखित हों। दो-तरफ़ा संचारकों के रूप में, जनसंपर्क व्यवसायी प्रमुख जनता के साथ सीधे बातचीत करते हैं, परिणामी जानकारी (सिफारिशों के साथ) प्रबंधन टीम के अन्य सदस्यों को देते हैं।

 संकट प्रबंधन - जब किसी संगठन के संचालन जनता को प्रभावित करने वाली आपात स्थिति में शामिल हो जाते हैं तो उपयोग की जाने वाली विधियों और नीतियों की स्थापना करना। इसमें कर्मचारियों, मीडिया, सरकार और अन्य प्रमुख जनता को सूचना के वितरण के लिए नीतियां और प्रक्रियाएं शामिल हैं।

 मुद्दे प्रबंधन - इसमें किसी संगठन से संबंधित समस्याओं, मुद्दों और रुझानों की पहचान करना और फिर उनसे निपटने के लिए एक कार्यक्रम विकसित करना और निष्पादित करना शामिल है। इसमें किसी संगठन के लिए चिंता के सार्वजनिक नीति मामलों का अध्ययन शामिल है।

 संबंध प्रबंधन - इसमें प्रमुख जनता की पहचान करने और उन जनता के साथ पारस्परिक रूप से लाभप्रद संबंध बनाने और बनाए रखने के लिए रणनीति स्थापित करने में जनसंपर्क की भूमिका शामिल है।

 प्रतिष्ठा प्रबंधन - नीतियों, प्रक्रियाओं और रणनीतियों की योजना और कार्यान्वयन जो सार्वजनिक और सामाजिक जिम्मेदारी, नैतिक व्यवहार, कॉर्पोरेट पहचान और प्रमुख जनता के साथ प्रतिष्ठा के प्रति संगठन की प्रतिबद्धता को प्रदर्शित करता है।

 संसाधन प्रबंधन - पीआर का मानव और वित्तीय संसाधनों का प्रबंधन उद्देश्य निर्धारित करने, योजना बनाने, बजट बनाने, पीआर कर्मचारियों की भर्ती करने और उन्हें काम पर रखने और उन संसाधनों का प्रबंधन करने के इर्द-गिर्द घूमता है।

 जोखिम प्रबंधन - निवारक पीआर के रूप में, इस भूमिका में किसी संगठन को संभावित खतरे के क्षेत्रों को पहचानने में मदद करना और संभावित खतरों को संकट में बदलने से पहले आवश्यक परिवर्तनों की सिफारिश करना शामिल है। 

रणनीतिक प्रबंधन - एक परामर्शदाता के रूप में कार्य करते हुए, पीआर व्यवसायी प्रबंधन टीम में कार्य करता है और संगठन को अच्छी नीतियां विकसित करने में मदद करता है जो जनता के साथ-साथ संगठन के सर्वोत्तम हित में हैं। पीआर व्यवसायी संगठन की प्रबंधकीय निर्णय लेने की प्रक्रिया में प्रमुख जनता की चिंताओं और दृष्टिकोण की समझ को एकीकृत करता है।

Functions of Public Relations

 Functions of Public Relations

Public Relations Department supervises and assesses public attitudes, and maintaining mutual relations and understanding between an organization and its public. It improves channels of communication and to institute new ways of setting up a two-way flow of information and understanding.

1. Media Relations

Preparing position papers on issues of importance to the organization Handling publicity Issuing news of activities to external audiences Establishing and maintaining contacts with the mass media Handling responses to inquiries from the mass media Coordinating media conferences and tours Tracking and evaluating media coverage

 

2. Guest Relations

Guest reception activities Preparing visit agenda and other visit related matters Conducting university tours Preparing brochures, tour guides, tapes, videos, maps and other guest-related communications materials Preparing gift items for the visitors

 

3. Publications

Preparing and publishing materials for public including dealers, agents, advisory bodies and employees

Helping out other departments to promote and publish event announcements and other event related advertisement materials

 

4. Marketing Publicity

Announcing new products or services and enhancements in products and services, though editorial channels of mass media Developing and executing promotional materials Participating in exhibits and marketing events

 

5. Others works

Developing a good working climate for university Providing PR Services to other departments (photographic services, providing gift items, and etc.) Organizing PMU events Providing public information and issue visitors cards to access pmu library, buildings and grounds on request.

Managing sponsorship Building and managing relationships with other companies

 

जनसंपर्क के कार्य

जनसंपर्क विभाग सार्वजनिक दृष्टिकोण का पर्यवेक्षण और मूल्यांकन करता है, और किसी संगठन और उसकी जनता के बीच आपसी संबंधों और समझ को बनाए रखता है। यह संचार के चैनलों में सुधार करता है और सूचना और समझ के दो-तरफा प्रवाह को स्थापित करने के नए तरीकों को स्थापित करता है।

1. मीडिया संबंध

संगठन के लिए महत्वपूर्ण मुद्दों पर स्थिति पत्र तैयार करना प्रचार संभालना बाहरी दर्शकों को गतिविधियों की खबरें जारी करना जन मीडिया के साथ संपर्क स्थापित करना और बनाए रखना जन मीडिया से पूछताछ के जवाब संभालना मीडिया सम्मेलनों और दौरों का समन्वय करना मीडिया कवरेज पर नज़र रखना और उसका मूल्यांकन करना.

 

2. अतिथि संबंध

अतिथि स्वागत गतिविधियाँ, यात्रा का एजेंडा और यात्रा से संबंधित अन्य मामले तैयार करना, विश्वविद्यालय दौरों का संचालन करना, ब्रोशर, टूर गाइड, टेप, वीडियो, मानचित्र और अन्य अतिथि-संबंधित संचार सामग्री तैयार करना, आगंतुकों के लिए उपहार आइटम तैयार करना।

 

3. प्रकाशन

डीलरों, एजेंटों, सलाहकार निकायों और कर्मचारियों सहित जनता के लिए सामग्री तैयार करना और प्रकाशित करना इवेंट की घोषणाओं और इवेंट से संबंधित अन्य विज्ञापन सामग्रियों को बढ़ावा देने और प्रकाशित करने के लिए अन्य विभागों की मदद करना.

 

4. विपणन प्रचार

मास मीडिया के संपादकीय चैनलों के माध्यम से नए उत्पादों या सेवाओं और उत्पादों और सेवाओं में संवर्द्धन की घोषणा करना, प्रचार सामग्री विकसित करना और निष्पादित करना, प्रदर्शन और विपणन कार्यक्रमों में भाग लेना.

 

5. अन्य कार्य

विश्वविद्यालय के लिए एक अच्छा कामकाजी माहौल विकसित करना, अन्य विभागों को पीआर सेवाएँ प्रदान करना (फोटोग्राफ़िक सेवाएँ, उपहार वस्तुएँ प्रदान करना, और आदि) पीएमयू कार्यक्रम आयोजित करना, सार्वजनिक जानकारी प्रदान करना और अनुरोध पर पीएमयू पुस्तकालय, भवनों और मैदानों तक पहुँचने के लिए विज़िटर कार्ड जारी करना। प्रायोजन का प्रबंधन करना अन्य कंपनियों के साथ संबंध बनाना और प्रबंधित करना.

 

Image Branding and target audience

 What Is Brand Image?

Brand image is a term that describes your company's brand perception among both potential customers and loyal customers. Successful companies work hard to build consistent brand images, but internal efforts can only go so far. Ultimately, a brand’s image comes down to how the customers view the business, not how the business views itself.

Why Brand Image Significant?

A strong brand image makes a product stand out from near-identical competitors in the same market space. For example, customers associate brand-name products with higher quality than store-brand products even when the product differentiation is minimal. In this way, well-communicated brand values can shape the customer experience almost as much as the product itself.

4 Examples of Brand Image in Action

You can see examples of brand image in action in a variety of industries.

1. Fast food: It’s common for fast food chains to spend years curating their brand positioning tactics so customers associate their restaurants with affordable, delicious food.

2. Tech: In the tech space, successful brands create products that offer symbols of innovation and status in addition to their practical applications.

3. Fitness: Fitness brands work to link their company name with perceptions of triumph and greatness.

4. Soft drinks: Established soft drink companies encourage brand loyalty by maintaining consistent, nostalgic brand personalities.

How to Create a Positive Brand Image

Creating an enduring brand image starts with a smart, plugged-in brand strategy.

1. Know your brand's target audience. Have a realistic sense of who your ideal customers are so you can tailor your brand messaging appropriately. Gather demographic information like age, gender, education, and geographic location.

2. Identify your target audience's needs. Conduct market research to understand your target audience's pain points and why the current market offerings are not adequately serving them. The ultimate brand image you pursue should demonstrate how your product or service can address those needs.

3. Determine your brand's value proposition. To perfect your brand’s value proposition, focus on the key difference that sets your company apart from all other options whether it’s affordability, quality, novelty, or another key attribute.

4. Use your value proposition to shape your brand's identifying features. Explore how visual elements like the brand logo, company fonts, and packaging can draw attention to your value proposition. For instance, if you're offering cutting-edge technology, you may want a logo that implies motion and a futuristic sans serif font to imply progress.

5. Plan a marketing campaign that communicates your brand values. Most new customers will come to know your brand via a marketing campaign. Whether you opt for TV ads, digital advertising, social media influencers, or referral programs, you must lead with your desired brand image in mind. For example, if your intended image is clean-cut and wholesome, dress your sales reps in collared shirts or formal outfits. If your image is centered on bargain-basement prices, consider using bright colors and bold fonts to indicate that everyone can afford your product.

6. Stay consistent. The key to enduring brand recognition is committing to the image you've established. While you can always undertake a major company rebrand down the road, aim to build up familiarity with your brand first before making changes.

Target Audience

A target audience is the group of people who are most likely to be interested in your product, service, charity or campaign. They are the people who will connect with your cause, buy-in to your brand and care about what you are selling, or how the service you provide can impact their lives. Your audience has a set of characteristics or demographics that they share, they have similar behaviors and can be grouped by their personal preferences. Understanding your target audience is essential for business success. The better you understand your target market, the more impact you will generate with any marketing or PR campaign that you launch. Whether you are thinking about how to write a press release for an event, or you’re checking out the best marketing ideas for small business you need to know your target audience in detail.

 

ब्रांड छवि क्या है?

ब्रांड छवि एक ऐसा शब्द है जो संभावित ग्राहकों और वफादार ग्राहकों दोनों के बीच आपकी कंपनी की ब्रांड धारणा का वर्णन करता है। सफल कंपनियाँ लगातार ब्रांड छवि बनाने के लिए कड़ी मेहनत करती हैं, लेकिन आंतरिक प्रयास केवल इतनी ही आगे तक जा सकते हैं। अंततः, किसी ब्रांड की छवि इस बात से बनती है कि ग्राहक व्यवसाय को कैसे देखते हैं, न कि व्यवसाय स्वयं को कैसे देखता है।

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ब्रांड छवि महत्वपूर्ण क्यों?

एक मजबूत ब्रांड छवि किसी उत्पाद को समान बाजार स्थान में लगभग समान प्रतिस्पर्धियों से अलग बनाती है। उदाहरण के लिए, ग्राहक ब्रांड-नाम वाले उत्पादों को स्टोर-ब्रांड उत्पादों की तुलना में उच्च गुणवत्ता के साथ जोड़ते हैं, भले ही उत्पाद में अंतर न्यूनतम हो। इस तरह, अच्छी तरह से संप्रेषित ब्रांड मूल्य ग्राहक अनुभव को लगभग उत्पाद के समान ही आकार दे सकते हैं।

ब्रांड छवि के 4 उदाहरण

आप विभिन्न उद्योगों में ब्रांड छवि के उदाहरण देख सकते हैं।

1. फ़ास्ट फ़ूड: फ़ास्ट फ़ूड शृंखलाओं के लिए अपनी ब्रांड पोजिशनिंग रणनीति को सुधारने में वर्षों लगाना आम बात है ताकि ग्राहक अपने रेस्तरां को किफायती, स्वादिष्ट भोजन के साथ जोड़ सकें।

2. टेक: तकनीकी क्षेत्र में, सफल ब्रांड ऐसे उत्पाद बनाते हैं जो उनके व्यावहारिक अनुप्रयोगों के अलावा नवीनता और स्थिति के प्रतीक पेश करते हैं।

3. फिटनेस: फिटनेस ब्रांड अपनी कंपनी के नाम को विजय और महानता की धारणाओं से जोड़ने का काम करते हैं।

4. शीतल पेय: स्थापित शीतल पेय कंपनियां सुसंगत, उदासीन ब्रांड व्यक्तित्व को बनाए रखते हुए ब्रांड वफादारी को प्रोत्साहित करती हैं।

एक सकारात्मक ब्रांड छवि कैसे बनाएं

एक स्थायी ब्रांड छवि बनाना एक स्मार्ट, प्लग-इन ब्रांड रणनीति से शुरू होता है।

1. अपने ब्रांड के लक्षित दर्शकों को जानें। इस बात की यथार्थवादी समझ रखें कि आपके आदर्श ग्राहक कौन हैं ताकि आप अपने ब्रांड मैसेजिंग को उचित रूप से तैयार कर सकें। आयु, लिंग, शिक्षा और भौगोलिक स्थिति जैसी जनसांख्यिकीय जानकारी इकट्ठा करें।

2. अपने लक्षित दर्शकों की ज़रूरतों को पहचानें। अपने लक्षित दर्शकों की समस्याओं को समझने के लिए बाज़ार अनुसंधान करें और जानें कि वर्तमान बाज़ार पेशकशें उन्हें पर्याप्त रूप से सेवा क्यों नहीं दे रही हैं। आपके द्वारा अपनाई जाने वाली अंतिम ब्रांड छवि को यह प्रदर्शित करना चाहिए कि आपका उत्पाद या सेवा उन जरूरतों को कैसे पूरा कर सकती है।

3. अपने ब्रांड का मूल्य प्रस्ताव निर्धारित करें। अपने ब्रांड के मूल्य प्रस्ताव को पूर्ण करने के लिए, उस मुख्य अंतर पर ध्यान केंद्रित करें जो आपकी कंपनी को अन्य सभी विकल्पों से अलग करता है, चाहे वह सामर्थ्य हो, गुणवत्ता हो, नवीनता हो, या कोई अन्य प्रमुख विशेषता हो।

4. अपने ब्रांड की पहचान करने वाली विशेषताओं को आकार देने के लिए अपने मूल्य प्रस्ताव का उपयोग करें। पता लगाएं कि ब्रांड लोगो, कंपनी फ़ॉन्ट और पैकेजिंग जैसे दृश्य तत्व आपके मूल्य प्रस्ताव पर कैसे ध्यान आकर्षित कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आप अत्याधुनिक तकनीक की पेशकश कर रहे हैं, तो आप एक ऐसा लोगो चाहते हैं जो गति का संकेत देता हो और प्रगति का संकेत देने के लिए एक भविष्यवादी सेन्स सेरिफ़ फ़ॉन्ट चाहता हो।

5. एक मार्केटिंग अभियान की योजना बनाएं जो आपके ब्रांड मूल्यों को संप्रेषित करे। अधिकांश नए ग्राहक मार्केटिंग अभियान के माध्यम से आपके ब्रांड को जानेंगे। चाहे आप टीवी विज्ञापन, डिजिटल विज्ञापन, सोशल मीडिया प्रभावित करने वाले, या रेफरल कार्यक्रम चुनें, आपको अपनी वांछित ब्रांड छवि को ध्यान में रखकर नेतृत्व करना चाहिए। उदाहरण के लिए, यदि आपकी इच्छित छवि साफ़-सुथरी और संपूर्ण है, तो अपने बिक्री प्रतिनिधियों को कॉलर वाली शर्ट या औपचारिक पोशाकें पहनाएँ। यदि आपकी छवि सस्ते दामों पर केंद्रित है, तो यह दर्शाने के लिए चमकीले रंगों और बोल्ड फ़ॉन्ट का उपयोग करने पर विचार करें कि हर कोई आपका उत्पाद खरीद सकता है।

6. लगातार बने रहें. ब्रांड पहचान को बनाए रखने की कुंजी आपके द्वारा स्थापित छवि के प्रति प्रतिबद्ध होना है। हालाँकि आप भविष्य में कभी भी किसी बड़ी कंपनी की रीब्रांडिंग कर सकते हैं, लेकिन बदलाव करने से पहले अपने ब्रांड के साथ परिचित होने का लक्ष्य रखें।

लक्षित दर्शक

लक्षित दर्शक उन लोगों का समूह है जिनकी आपके उत्पाद, सेवा, दान या अभियान में रुचि होने की सबसे अधिक संभावना है। वे वे लोग हैं जो आपके उद्देश्य से जुड़ेंगे, आपके ब्रांड को खरीदेंगे और इस बात की परवाह करेंगे कि आप क्या बेच रहे हैं, या आपके द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवा उनके जीवन को कैसे प्रभावित कर सकती है। आपके दर्शकों के पास विशेषताओं या जनसांख्यिकी का एक सेट है जो वे साझा करते हैं, उनका व्यवहार समान है और उन्हें उनकी व्यक्तिगत प्राथमिकताओं के आधार पर समूहीकृत किया जा सकता है। व्यावसायिक सफलता के लिए अपने लक्षित दर्शकों को समझना आवश्यक है। आप अपने लक्षित बाजार को जितना बेहतर समझेंगे, आपके द्वारा शुरू किए गए किसी भी मार्केटिंग या पीआर अभियान पर उतना ही अधिक प्रभाव पड़ेगा। चाहे आप इस बारे में सोच रहे हों कि किसी कार्यक्रम के लिए प्रेस विज्ञप्ति कैसे लिखी जाए, या आप छोटे व्यवसाय के लिए सर्वोत्तम विपणन विचारों की जाँच कर रहे हैं, आपको अपने लक्षित दर्शकों के बारे में विस्तार से जानना होगा।

Thursday, February 23, 2023

Public relations definitions and areas

The formal practice of what is now commonly referred to as “public relations” dates to the early 20th century. Since that time, public relations has been defined in myriad ways, the definition often evolving alongside public relations’ changing roles and advances in technology.

The earliest definitions emphasized press agentry and publicity, while more modern definitions incorporate the concepts of “engagement” and “relationship building.” In 1982, PRSA adopted the following definition: “Public relations helps an organization and its publics adapt mutually to each other.”
A more modern definition of public relations was drafted several decades later, a definition that still stands today:

“Public relations is a strategic communication process that builds mutually beneficial relationships between organizations and their publics.” PRSA

At its core, public relations is about influencing, engaging and building a relationship with key stakeholders across numerous platforms in order to shape and frame the public perception of an organization. Public relations also encompasses the following:Anticipating, analyzing and interpreting public opinion, attitudes and issues that might have an impact, for good or ill, on the operations and plans of the organization.
Counseling management at all levels in the organization with regard to policy decisions, courses of action and communications — including crisis communications — taking into account their public ramifications and the organization’s social or citizenship responsibilities.
Protecting the reputation of an organization.
Researching, conducting and evaluating, on a continuing basis, programs of action and communications to achieve the informed public understanding necessary to the success of an organization’s aims. These may include marketing; financial; fundraising; employee, community or government relations; and other programs.
Planning and implementing the organization’s efforts to influence or change public policy.
Setting objectives, planning, budgeting, recruiting and training staff, developing facilities — in short, managing the resources needed to perform all of the above.
Overseeing the creation of content to drive customer engagement and generate leads.

Below are some of the disciplines/functions within PR: 
Corporate Communications
Crisis Communications
Executive Communications
Internal Communications
Investor Relations Communications
Marketing Communications
Integrated Marketing/Integrated Marketing Communications
Media Relations
Content Creation
Events
Social Media
Multimedia
Reputation Management
Speechwriting
Brand Journalism

Sunday, February 19, 2023

संपादन का अर्थ एवं परिभाषा तथा कार्य एवं सिद्धांत

1.संपादन 2. संपादन का अर्थ एवं परिभाषा तथा कार्य 3.संपादन के सिद्धांत

जनसंचार माध्यमों में द्वारपाल की भूमिका निभाना संपादन कहलाता है। संपादक, समाचार संपादक, सहायक संपादक एवं उप संपादक की यही जिम्मेदारी होती है। रिपोर्टर द्वारा लायी गई खबरें तथा अन्य स्रोतों से प्राप्त जानकारी को त्रुटि मुक्त करके प्रकाशन के लायक बनाने का दायित्व इन लोगों की ही होती है।

2.संपादन का अर्थ, परिभाषा एवं  संपादक के कार्य

संपादन ( editing ) का अर्थ है किसी सामग्री को त्रुटि मुक्त करके उसे पढ़ने लायक बनाना। दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि जो भी खबरें रिपोटिंग टीम द्वारा लाई जाती है , उन्हें शुद्ध करके प्रकाशित करने का कार्य संपादन कहलाता है।

जब कोई रिपोर्टर कोई समाचार लाता है तब उपसंपादक अथवा संपादक उसे ध्यान से पढ़ता है और उसमें व्याकरण, भाषा शैली, अथवा वर्तनी संबंधित जो अशुद्धियां होती हैं, उन्हें दूर करता है।  फिर वह निर्धारित करता है कि किस समाचार को कितना महत्व दिया जाय और समाचार पत्रों में कहां स्थान दिया जाय।

ये सारे कार्य इतने सरल नहीं है। इन सब कार्यों के समुचित व्यवस्था के लिए कुछ सिद्धांत बनाए गए हैं जिन्हें संपादन के सिद्धांत कहा जाता है।

3. संपादन के सिद्धांत

समाचार संगठन का पहला कर्तव्य अपने पाठकों का विश्वास बनाए रखने का है। समाचार संगठन की सफलता उसकी विश्वसनीयता पर आधारित होती है।  भाई किसी का विश्वास जीतना इतना आसान भी नहीं है, इसके लिए कुछ सिद्धांत निर्धारित किए जाते हैं और उनका पालन करना आवश्यक हो जाता है। इसकी साख बनी रहे,  इसके लिए सिद्धांत और नियम बनाए गए हैं, जिन्हें संपादन के सिद्धांत कहा जाता है। वे सिद्धांत हैं ----

समाचार लेखन

1.तथयों की शुद्धता ( एक्यूरेसी )

2.वस्तुपरकता ( आब्जेक्टिविटी )

3. निष्पक्षता ( फेयरनेस )

4.संतुलन ( बैलेंस )

5. स्त्रोत ( सोर्सेज, एन्टीव्यूशन )

1.तथ्यों की शुद्धता ( एक्यूरेसी )

संपादन करते समय संपादक मंडल का यह पहला कर्तव्य बनता है कि वह तथ्यों की शुद्धता पर ध्यान दें। प्रमाणित समाचार को ही अपने समाचार पत्रों में प्रकाशित करें। समाचार की विश्वसनीयता बनाए रखने के लिए आवश्यक है कि तथ्य सही और सटीक हो।

2. वस्तुपरकता (औब्जेक्टिविटी )

संपादन करते समय संपादक मंडल को यह ध्यान रखना चाहिए कि समाचार, घटनाएं तथा तथ्य उसी रूप में रखे जाएं जिस रूप में वह घटित होती हैं। पत्रकार के मन के अनुसार उसका स्वरूप नहीं बदलना चाहिए। कहीं विरोध , समर्थन अथवा किसी कारण से समाचार का स्वरूप नहीं बदलना चाहिए।

3. निष्पक्षता (फेयरनेस )

समाचार पत्रों में निष्पक्षता का आशय है किसी के पक्ष में नहीं झुकना। पत्रकार रहे तो न्याय के पक्ष में रहे। किसी व्यक्ति, पार्टी अथवा किसी विचारधारा के पक्ष में नहीं रहे।

4. संतुलन ( बैलेंस )

किसी-किसी समाचार में एक से अधिक पक्ष भागीदार होते हैं। ऐसे में संतुलन बनाए रखने की जरूरत होती है। कभी कभी पत्रकारिता पर यह आरोप लगने लगता है कि वह किसी खास व्यक्ति अथवा घटना का एकतरफा रिपोर्ट प्रस्तुत किया है। इतना ही नहीं, किसी खास दल के नेता के विरोध में बहुत अनाप-शनाप लिखा जाता है, बाद में पता चलता है कि यह सब झूठा था  । ऐसी स्थिति में पत्रकारिता बदनाम होती है। पत्रकारिता को लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ माना गया है। इन्हें अपने कर्तव्य के प्रति जिम्मेवार होना चाहिए।

5. स्रोत ( सोर्सेज )

समाचार प्राप्त करने के स्रोत प्रमाणिक होने चाहिए। पी.टी. आई., भाषा , यूं .एन.आई. जैसे संगठन समाचार के प्रमाणिक स्रोत हैं। प्रायः समाचार संगठन इन स्रोतों का उपयोग करते हैं। लेकिन समाचार पत्रों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे समाचार के लिए प्रमाणिक स्रोतों का ही सहारा लें। किसी अप्रमाणिक स्रोत का सहारा न लें।

युवाओं को समाज और देश की उन्नति के लिए कार्य करना चाहिए : प्रो. सुधीर अवस्थी कानपुर। छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्...