कर्नाटक चुनाव में जुबानी जंग अमर्यादित
इस समय कर्नाटक में चुनाव हो रहे हैं।12 को मतदान होगा और 15 को परिणाम आना है। नतीजा चाहे जो हो, लेकिन यह चुनाव अपने जहरीले जुबानी तीर के कारण भारतीय राजनीति में एक काले अध्याय के रूप में जाना जायेगा। वैसे तो हर चुनाव में जुबानी तीर चलते ही रहते हैं, आरोप-प्रत्यारोप की झड़ी सी लग जाती है, लेकिन इस चुनाव ने राजनीतिक मर्यादाओं की सारी हदें तोड़ दी है। चुनावी रण में किस्मत आजमा रहे कांग्रेस और भाजपा के साथ जेडीएस, सभी का किसी भी तरह जीतना ही एकमात्र लक्ष्य है। फिर चाहे उसके लिए सारी मर्यादाओं को ताक पर क्यों न रख दिया जाए। चुनाव की शुरूआत में ही कौरव और पाण्डव की चर्चा शुरू हुई थी, लेकिन अंत तो ऐसा लगता है कि कौरव सभा का ही दृश्य प्रतीत करा रहा है। कौरव सभा में भीष्म पितामह से लेकर तमाम बड़े-बुजुर्ग, गुरुजन बैठे रहे और उनके सामने सभी तरह के अनाचार हो गए, लेकिन किसी ने कोई दखल नहीं दिया। सब चुपचाप बैठे तमाशा देखते रहे। कर्नाटक के चुनाव में भी राजनीति का जुआ पूरी बेशर्मी के साथ खेला जा रहा है, लेकिन चुनाव आयोग भीष्म पितामह या धृतराष्ट्र की तरह बेबस सा बैठा हुआ है।
चुनावी सभाओं में खुलेआम लोकतांत्रिक मर्यादाओं का चीरहरण किया जा रहा है और उसे रोकने की कोई कोशिश नहींं हो रही। धर्म, जाति, समुदाय के नाम पर वोट मांगे जा रहे हैं और खुलेआम धमकी भी दी जा रही है। हाल ही में भाजपा के मुख्यमंत्री उम्मीदवार बी.एस. येदियुरप्पा ने एक रैली में भाजपा समर्थकों को उकसाया कि कोई वोट डालने नहीं आ रहा है तो उसके घर जाकर हाथ-पैर बांधकर ले आओ और भाजपा प्रत्याशी के पक्ष में वोट डलवाओ। क्या चुनाव आयोग भाजपा उम्मीदवार के इस कथन को गंभीरता से लेकर कोई कार्रवाई करेगा या जुमला समझ कर हवा में उड़ा देगा? देखने वाली बात यह भी है कि भाजपा नेतृत्व अपने मुख्यमंत्री उम्मीदवार के इस कथन पर क्या रुख अपनाती है।
भाजपा के एक और स्टार प्रचारक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी एक चुनावी रैली में ऐसा ही विवादित बयान दिया। योगी ने कहा था कि यहां पर आज एक राष्ट्रवादी सरकार की जरूरत है, जो कि राज्य से जेहादी तत्वों को बाहर निकाल सके। योगी ने ये भी कहा था कि कर्नाटक में 23 बीजेपी कार्यकर्ताओं की निर्मम हत्या कर दी गई थी। जिहाद जैसे शब्द का इस्तेमाल कर धार्मिक उन्माद भड़काने वाले योगी जिन 23 लोगों की हत्या की बात कर रहे हैं, उस सूची में अशोकइ पुजारी का नाम सबसे पहले है और उसने टीवी कैमरे के सामने बयान देकर खुद ही पुष्टि कर दी कि वह कभी मरा ही नहीं था।
दरअसल कर्नाटक चुनाव को भाजपा से ज्यादा अमित शाह और नरेन्द्र मोदी की प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया गया है। इसलिए पहले प्रधानमंत्री की 15 रैलियां होने वाली थीं और अब उसे बढ़ाकर 21 कर दिया गया है। इन रैलियों में प्रधानमंत्री अपने पद की गरिमा को ताक पर रखते हुए खालिस भाजपाई बनकर कांग्रेस पर हमला बोलते हैं। कभी भ्रष्टाचार, कभी परिवारवाद तो कभी कांग्रेस मुक्त भारत का उनका सपना, मोदीजी के भाषणों में एक राज्य के लिए प्रधानमंत्री का विजन नहीं झलकता, केवल सब कुछ हड़पने की लालसा झलकती है। 15 मई को नतीजे आने हैं और मोदीजी यह मानकर चल रहे हैं कि जीत भाजपा की ही होगी। इसलिए वे कांग्रेस का मखौल उड़ाते हुए कहते हैं कि कांग्रेस पंजाब, पुडुचेरी और परिवार तक सिमट कर रह जाएगी।
मोदीजी के भाषण वे खुद लिखते हैं या कोई और, यह नहीं मालूम, लेकिन जो भी लिखता है उसके मन में लोकतंत्र के लिए कोई सम्मान नहीं है, यह झलकता है। कांग्रेस को केवल एक परिवार तक सिमटा हुआ बताना, उन तमाम लोगों का अपमान है, जो अपनी मर्जी से किसी राजनीतिक दल के समर्थक, कार्यकर्ता या मतदाता बनते हैं। लोकतंत्र ही नहीं, देश के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को लेकर मोदीजी कितने गंभीर हैं, इस पर भी प्रश्न उठ रहे हैं। इस चुनाव में विकास की कोई बात नहीं कर रहा है। पूरा चुनाव धर्म, जाति, संप्रदाय, झूठ और फरेब के आधार पर लड़ा जा रहा है, जो लोकतंत्र के लिए शुभ नहीं कहा जा सकता है।
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