हरिवंश का राज्यसभा के उपसभापति चुने जाने के मायने
राज्यसभा में आज का दिन कई संदेश देने वाला था। यह संदेश पक्ष और विपक्ष दोनों के लिए था। दोस्ताना और हल्के-फुल्के माहौल में हुई सदन की कार्यवाही ने यह स्पष्टï कर दिया कि यदि सत्ता पक्ष की तरफ से जनहित के मुद्दे लाये जाएंगे तो उस पर बहुमत या अल्पमत की समस्या आड़े नहीं आने पायेगी। जबकि विपक्ष के लिए भी संदेश था कि उसे आने वाले समय में एकजुट होने के लिए ठोस रणनीतिक तैयारी करनी अभी बाकी है।कल का दिन ऐतिहासिक इसलिए भी था कि बुधवार को लोकसभा में पास एससी/एसटी संशोधन बिल राज्यसभा में भी ध्वनिमत से पारित हो गया। लगभग सभी दलों ने इस विधेयक का समर्थन किया और अब राष्टï्रपति की मंजूरी के बाद यह कानून बन जायेगा। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने इस अधिनियम में तत्काल गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए कार्यवाही के लिए कई नियम व शर्तें लगा दी थी। सिद्घान्तत: कोर्ट का रवैया इस मामले में सही था, लेकिन व्यवहारिक तौर पर इससे कमजोर दलित वर्ग की कानूनी दावंपेच के आड़ में शोषण की गुंजाईश बढ़ जाती। इस आशंका को पक्ष और विपक्ष दोनों ने गंभीरता से समझा और अब यह दलितों पर अत्याचार होने पर तत्काल कार्यवाही वाला विधेयक ध्वनिमत से पारित कर दिया। स्पष्टï है कि जनहित से जुड़े मुद्दे पर सदन में अल्पमत के बावजूद सरकार को दिक्कत नहीं आनी है।
दूसरी घटना राज्यसभा के उप सभापति का चुनाव था। एनडीए अल्पमत में रहते हुए भी अपने उम्मीदवार उतारे और उसे चयनित भी करा ले गये। इस घटना ने विपक्ष की मोर्चेबंदी में कई झोल होने के संकेत दिये। विपक्ष का नेतृत्व कर रहे कांग्रेस चुनाव में पीडीपी, डीएमके और आप को अपने पक्ष में कर सकती थी, परन्तु इन दलों ने चुनाव से दूरी बनाकर एक तरह से विपक्ष की कमजोरी को उजागर करने का कार्य किया है। यह संकेत है कि विपक्ष को एकजुट होने तथा अगले चुनाव में मोदी सरकार को टक्कर देने के लिए आपसी गिले-शिकवे अभी ही दूर कर लेने होंगे।
इन सबके बीच हरिवंश नारायण सिंह का राज्यसभा का उप सभापति का चुना जाना नई उम्मीद जगाता है। उम्मीद की जानी चाहिये कि उनके नेतृत्व में राज्यसभा की साख बढ़ेगी। राजनीति में आने से पहले वह पत्रकारिता पेशे में थे और कई न्यूज चैनलों में एंकर के रूप में उन्होंने सफलता पूर्वक कार्य किया है, अत: राज्यसभा में भी उनका यह हुनर फायदेमंद साबित होगा। उत्तर प्रदेश के बलिया के रहने वाले हरिवंश समाजवादी विचारधारा से ओत-प्रोत रहे। उन्होंने जय प्रकाश नारायण और पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के साथ रहकर समाजवादी विचारधारा को पुष्पित और पल्लवित किया। वर्तमान में वह जनता दल (यू) से राज्यसभा के सदस्य है और नितीश कुमार के सहयोगी भी।
उन्होंने हमेशा दुनियावी चकाचौंध पर समाज के निचले तबके को तरजीह दी। इसी धुन में उन्होंने बैंक की सरकारी नौकरी छोड़ पत्रकारिता पेशे को अपनाया। मुंबई, हैदराबाद जैसे बड़े शहरों में काम तो किया, लेकिन उन्हें आर्थिक रूप से पिछड़े बिहार, झारखण्ड ने ज्यादा आकर्षित किया। यही कारण था कि मृतप्राय: प्रभात खबर के संपादक के रूप में जुड़कर उन्होंने न सिर्फ समाचार पत्र को शीर्षता प्रदान की, बल्कि खुद भी दबे-कुचले, कमजोर तबकों की आवाज उठाने में आगे रहे। अखबार के अलावा भी उनके द्वारा समाज में गरीबों की मदद करने के कई किस्से चर्चित हैं।
ऐसे हरिवंश से अब उस राज्यसभा में जहां देश भर की चिंताएं मुखरित होती है, जहां जनकल्याणकारी कानून बनाये जाते हैं, वहां की कार्यवाही सुचारू रूप से चलेगी। इसी कामना के साथ उनको कोटि-कोटि शुभकामनाएं।
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