डिजिटल डिवाइड (डिजिटल विभाजन)
देश भर में
डिजिटल व्यवस्था यानी कम्प्यूटराइज सिस्टम के विभाजन को डिजिटल डिवाइड या डिजिटल
अन्तर कहते हैं। भारत में यह अन्तर काफी अनियमित है। एक तरफ शहरों में डिजिटल
सिस्टम बहुत मजबूती से अपने पांव पसार चुका है, वहीं ग्रामीण
क्षेत्र इसकी पहुंच से अभी अधिकतर दूर ही हैं। अब यह मुद्दा राजनीतिक दलों के
एजेण्डे में भी आ चुका है और डिजिटल इंडिया जैसी बातें राजनीतिक दलों के घोषणा
पत्रों में अंकित किया जाने लगा है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक Digital Divide के अंतर्गत देश के
शहरी इलाकों की तुलना में गांवों में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों की संख्या
अभी भी बहुत कम है। विशेषज्ञों ने इस बड़े अंतर (डिजिटल डिवाइड) पर चिंता जताते
हुए सरकार से इस ओर ध्यान देने की अपील की है। एक ताजा अध्ययन के अनुसार देश के
शहरी व ग्रामीण इलाकों में इंटनेट का इस्तेमाल करने वाली जनसंख्या में तीन गुना तक
का अंतर है। शहरों में सौ में से जहां 60 लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं वहीं ग्रामीण
इलाकों में यह संख्या सिर्फ 20 है।
केंटर-आईएमआरबी के ताजा अध्ययन के अनुसार
शहरी इलाकों में इंटरनेट घनत्व दिंसबर 2017 में बढ़कर 64.84 प्रतिशत हो गया जो कि एक साल पहले 60.6
प्रतिशत था। इसकी
तुलना में ग्रामीण इलाकों में दिसंबर 2017 में यह घनत्व केवल 20.26 प्रतिशत रहा।
रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि देश के शहरी व ग्रामीण इलाकों की कुल आबादी में अंतर को देखते हुए इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों का अंतर बहुत महत्वपूर्ण है। इसके अनुसार यह डिजिटल डिवाइड काफी बड़ा है जिस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए। इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन आफ इंडिया (आईएएमएआई) के अध्यक्ष सुभो राय ने हालांकि कहा कि इसको (डिजिटल डिवाइड) लेकर चिंतित नहीं होना चाहिए लेकिन इसकी अनदेखी भी नहीं की जा सकती। राय के अनुसार ग्रामीण इलाकों में भी इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों में अंतर है। महिलाओं व आर्थिक तौर पर गरीब तबकों की इंटरनेट तक पहुंच बहुत कम है।
केंटर-आईएमआरबी के कार्यकारी उपाध्यक्ष विश्वप्रिय भट्टाचार्य के अनुसार हाल ही के वर्षों में ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ी है। 2017 में ही इसमें 14.11 प्रतिशत बढोतरी हुई और कुल उपयोक्ताओं की संख्या लगभग 18.6 करोड़ हो गई। लेकिन इस तेज वृद्धि की वजह पिछला तुलनात्मक स्तर काफी कम रहना है और ग्रामीण भारत में इस लिहाज से हालात अभी ज्यादा अच्छे नहीं हैं।
रिपोर्ट में आगाह किया गया है कि देश के शहरी व ग्रामीण इलाकों की कुल आबादी में अंतर को देखते हुए इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों का अंतर बहुत महत्वपूर्ण है। इसके अनुसार यह डिजिटल डिवाइड काफी बड़ा है जिस पर सरकार को ध्यान देना चाहिए। इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन आफ इंडिया (आईएएमएआई) के अध्यक्ष सुभो राय ने हालांकि कहा कि इसको (डिजिटल डिवाइड) लेकर चिंतित नहीं होना चाहिए लेकिन इसकी अनदेखी भी नहीं की जा सकती। राय के अनुसार ग्रामीण इलाकों में भी इंटरनेट इस्तेमाल करने वालों में अंतर है। महिलाओं व आर्थिक तौर पर गरीब तबकों की इंटरनेट तक पहुंच बहुत कम है।
केंटर-आईएमआरबी के कार्यकारी उपाध्यक्ष विश्वप्रिय भट्टाचार्य के अनुसार हाल ही के वर्षों में ग्रामीण इलाकों में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वालों की संख्या बहुत तेजी से बढ़ी है। 2017 में ही इसमें 14.11 प्रतिशत बढोतरी हुई और कुल उपयोक्ताओं की संख्या लगभग 18.6 करोड़ हो गई। लेकिन इस तेज वृद्धि की वजह पिछला तुलनात्मक स्तर काफी कम रहना है और ग्रामीण भारत में इस लिहाज से हालात अभी ज्यादा अच्छे नहीं हैं।
देश में इंटरनेट
उपयोक्ताओं की कुल संख्या जून 2018 तक बढ़कर 50 करोड़ तक पहुंच जाने का अनुमान है। दिसंबर
2017 में यह 11.34
प्रतिशत बढ़कर 48.1
करोड़ तक पहुंच गई।
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