Sunday, November 25, 2018

Types of Cinema in hindi


समानांतर सिनेमा

समानांतर सिनेमा, जिसे कला सिनेमा ओर नयी भारतीय लहर के नाम से भी जाना जाता है , भारतीय सिनेमा का एक विशिष्ट आन्दोलन है। समानांतर सिनेमा यथार्थवाद और प्रकृतिवाद की अपनी गंभीर सामग्री के साथ समकालीन सामाजिक-राजनीतिक माहौल पर गहरी नज़र के साथ लिए जाना जाता है,। यह आंदोलन मुख्यधारा बॉलीवुड सिनेमा से अलग है और नयी फ्रेंच लहर और जापानी नयी लहर के आस पास ही शुरू हुआ. इस आंदोलन का नेतृत्व शुरू में बंगाली सिनेमा (जिसने सत्यजीत रे, मृणाल सेन, ऋत्विक घटक और दूसरे कई अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसित फिल्मकारों को जन्म दिया ) ने किया और बाद में अन्य भारतीय फिल्म उद्योगों में प्रसिद्धि प्राप्त की। इस आन्दोलन की कुछ फिल्मों ने व्यवसायिक सफलता भी प्राप्त कर कला और व्यावसयिक सिनेमा के बीच सामंजस्य बनाया. इस का शुरुआती उदहारण है बिमल रॉय की फिल्म दो बीघा ज़मीन (1953), जिसने दोनों व्यावसायिक और समालोचनात्मक सफलता प्राप्त की तथा 1954 के काँस फिल्म फेस्टिवल में अन्तराष्ट्रीय फिल्म का पुरुस्कार भी जीता। इस फिल्म की सफलता ने नयी भारतीय लहर के लिए मार्ग प्रशस्त किया। नवयथार्थवादी फिल्मकारों में प्रमुख थे बंगाली फ़िल्मकार जैसे सत्यजीत रे, ऋत्विक घटक, मृणाल सेन, श्याम बेनेगल, मलयाली फ़िल्मकार जैसे शाजी एन. करुण , अडूर गोपालकृष्णन और कन्नड़ गिरीश कासरवल्ली. रे की अपु त्रयी की फिल्म पाथेर पांचाली (1955) , अपराजितो (1956) और अपूर संसार (1959) ने विश्व भर के प्रधान फिल्म समारोहों में प्रमुख पुरुस्कार जीते और भारतीय सिनेमा में 'समानांतर सिनेमा' आंदोलन को सुदृढ़ता से स्थापना की. इन्हें विश्व की सर्वश्रेष्ठ फिल्मो में गिना जाता है।

मसाला फिल्म (व्यावसायिक सिनेमा)


मसाला भारतीय फिल्मों की एक शैली है जो की मुख्यतः बॉलीवुडबंगाली और दक्षिण भारतीय सिनेमा में बनती है। मसाला फिल्मों एक ही फिल्म में विभिन्न शैली की फिल्मो के तत्वों का मिश्रण होता है। उदाहरण के लिएएक मसाला फिल्म में एक्शनकॉमेडीड्रामारोमांस और मेलोड्रामा सब का चित्रण हो सकता है। मसाला फिल्में संगीतमय भी होती है और इनमे चित्रात्मक या प्राकृतिक जगहों में फिल्माए गए गाने भी होते हैं जो बॉलीवुड या दक्षिण भारतीय मसाला फिल्मों में बहुत सामान्य है। इन फिल्मो की कहानी नए या अनजान दर्शकों को तर्कहीन या असम्बह्व भी लग सकती है। इस शैली का नाम भारतीय भोजन में प्रयोग होने वाले मसालों के नाम पर रखा गया है।

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