Friday, September 28, 2018

Radio as a tool of development in hindi


रेडियो माध्यम की विकास में भूमिका
रेडियो संचार का सर्वाधिक लोकप्रिय श्रव्य माध्यम है। इसकी सहायता से इच्छित सूचना, समाचार व जानकारी को सम्प्रेषित करने में मदद मिलती है। भारत जैसे विकासशील देश में विषम जनसमूह को अपने कार्यक्रमों के माध्यम से एक सूत्र में बांधने में रेडियो की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। वर्तमान समय में रेडियो कार्यक्रमों की पहुंच भारत के 90 प्रतिशत आबादी तक है। रेडियो पर प्रसारित सूचना, समाचार व जानकारी को सुनकर, केवल सुनकर प्राप्त किया जाता है। इसके लिए श्रोताओं का बहुत अधिक पढ़ा-लिखा होना भी जरूरी नहीं है। रेडियो कार्यक्रमों का समाज के सभी वर्गो (जैसे- शिक्षित, अशिक्षित, अमीर, गरीब) पर समान प्रभाव पड़ता है। यह देश के विकास में भी महत्वपूर्ण प्रेरक की भूमिका का निर्वहन करती है। एक लोकप्रिय संचार माध्यम के रूप में रेडियो निम्नलिखित कार्यो के माध्यम से अपनी भूमिका का निर्वहन करता है:- 
1. सूचनात्मक कार्य : वर्तमान समय में रेडियो सूचना का सबसे महत्वपूर्ण स्रोत है। अपने जिज्ञासु स्वभाव के कारण मानव रेडियो से अपेक्षा रखता है  िक वह देश-दुनिया से जुड़ी नवीन, सत्यपरख सूचनाओं का समय-समय पर प्रसारण करें। इस कार्य को रेडियो अपने स्थापना काल से ही करता आ रहा है। 
2. जागरूकात्मक कार्य : अपने कार्यक्रमों के माध्यम से रेडियो समाज में जागरूकता पैदा करने का कार्य करता है। रेडियो की इस प्रवृत्ति के कारण सति-प्रथा, छुआ-छूत, बलि-प्रथा जैसी सामाजिक बुराईयों का समूल नश करने में कामयाबी मिली है। वर्तमान समय में रेडियो जातिवाद, सम्प्रदायवाद, दहेज प्रथा, क्षेत्रवाद जैसी सामाजिक बुराईयों के प्रति जागरूकता फैलाने का कार्य कर रहा है। 
3. शिक्षात्मक कार्य : रेडियो अपने कार्यक्रमों के माध्यम से शिक्षात्मक कार्य प्रमुखता से करता है। शिक्षात्मक कार्य का उद्देश्य मात्र पढ़ना-लिखना नहीं है, बल्कि समाज में उपलब्ध संसाधनों की जानकारी देकर उपयोग करने योग्य बनाना है। शिक्षा से मानव का बौद्धिक विकास होता है तथा जीवन में कलात्मकता आती है। इसके लिए रेडियो पर एनसीईआरटी और इग्नू के अनेक शैक्षिक कार्यक्रमों का प्रसारण िकया जाता है। 
4. मनोरंजनात्मक कार्य : रेडियो का चौथ प्रमुख कार्य अपने श्रोताओं का मनोरंजन करना है। मनोरंजन में मानव जीवन की नीरसता को तोड़ने, चिन्ता व तनाव से ध्यान हटाने तथा ताजगी भरने की क्षमता होती है। यहीं कारण है कि रेडियो पर गीत, संगीत, कविता, नाटक इत्यादि का प्रसारण किया जाता है। अपने श्रोताओं का मनोरंजन करने के लिए रेडियो उनकी बोली व भाषा सूचनात्मक, जागरूकात्मक व शिक्षात्मक प्रसारण के बीच में स्थानीय लोकगीत आदि का प्रसारण भी करता है।
इस प्रकार, स्पष्ट है कि रेडियो की समाज के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका है। रेडियो की नजर में अमीर-गरीब, शिक्षित-अशिक्षित व्यक्तियों में कोई अंतर नहीं है। यह बात अलग है कि अपने अवतरण काल में रेडियो कुछ सभ्रान्त लोगों तक ही सीमित था, किन्तु वर्तमान समय में व्यापक जनसमूह के बीच एक भरोसेमंद मित्र के रूप में अपना स्थान बनाने में कामयाब है। 


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