Thursday, February 14, 2019

हर योजना में "अवसर" तलाशते ग्राम पंचायत अधिकारी

  • रमियाबेहड़ ब्लाक की ग्राम पंचायत सेमरी का हाल

बिपिन मिश्रा 
लखीमपुर-खीरी। केंद्र की सत्ता संभालने वाले नरेंद्र मोदी हों या प्रदेश की मुखियागिरी करने वाले आदित्य नाथ योगी। दोनों ही देश और प्रदेश को पूरी तरह स्वच्छ बनाने का सपना पाले हों। फिर चाहे मामला गंदगी का हो या फिर भ्रष्टाचार का। लेकिन शायद उन्हें भी नहीं मालूम कि भ्रष्टाचार जिनकी आदत में ही शुमार हो गया हो उनकी फितरत कभी नहीं बदल सकती। बानगी के लिए रमियाबेहड़ ब्लाक की ग्राम पंचायत सेमरी के ग्राम पंचायत अधिकारी नवीन राठौर ही काफी हैं।
  ग्राम पंचायत अधिकारी नवीन राठौर शासन की योजनाओं में घाल-मेल कर दोनों हाथों से पैसा बटोरने में लगे हुए हैं। सबसे बड़ी बात है कि यह कारनामा वह केवल एक ग्राम पंचायत में नहीं बल्कि ब्लाक स्तर पर मिली चार-पांच ग्राम पंचायतों में अंजाम दे रहे हैं। अगर बात केवल सेमरी ग्राम पंचायत की करें तो वह विकास विहीन तश्वीर ग्राम पंचायत अधिकारी के गड़बड़ घोटाले को पूरी तरह उजागर करने को काफी है। इस गांव की ग्राम प्रधान छवि रानी
है। छवि रानी के हर घपले-घोटाले की नींव ग्राम पंचायत अधिकारी नवीन राठौर ही रखते हैं। ग्रामीणों ने टीम को बताया कि अकेले प्रधानमंत्री आवास में ही प्रधान द्वारा लाभ लेने के बदले मांगी जाने वाली 20 हजार रुपयों की रकम देने को नवीन राठौर भी सहमति प्रदान करते हैं। नवीन राठौर कहते हैं कि किसी को भी लाभ दिलाने में प्रधान व उनका कौन सा फायदा है। यदि लाखों रुपया वह लाभार्थियों को दिलवाएंगे तो बदले में उन्हें भी तो कुछ मिलना चाहिए।
  वह तब तक किसी का प्रधानमंत्री आवास पास होने नहीं देते जब तक लाभार्थी उन्हें या प्रधान को 20 हजार की रकम को चुकता नहीं कर देता। यही नहीं प्रधान व पंचायत सचिव निर्मित होने वाले आवास के दौरान भी सामग्रीदाता फर्मों से कमीशनबाजी सेट करते हैं। किसी भी आवास के निर्माण में बढि़या क्वालिटी का प्रयोग नहीं किया जाता है। सिक्रेट्री कमीशन पाने के बाद भी घटिया माल को बेहतर बताते हैं। वहीं जिन आवासों के निर्माण अभी अटके हुए हैं उनके लिए भी पंचायत सिक्रेट्री ब्लाक अधिकारियों को दोषी ठहराकर पल्ला झाड़ लेते हैं।   कमोवेश यही स्थिति शौचालय निर्माण व जॉब कार्ड धारकों के लिए भी है। जॉब कार्ड केवल उन्हीं के बनते हैं जो आने वाले मजदूरी भुगतान में थोड़ा-बहुत कमीशन लेकर बाकी सब उन्हें और ग्राम प्रधान के हवाले कर दें। पंचायत सिक्रेट्री गांव में फर्जी विकास कार्यों की कागजी खानापूर्ति करके ब्लाक में जमा कर देते हैं। वहीं जांच न आए इसके लिए भी वह उच्चाधिकारियों को नजराना पहुंचा देते हैं।
  ग्रामीणों का आरोप है कि जब उसने विकास कार्यों व शासन की योजनाओं से लोगों को लाभांवित करने में रुचि न लेने की बात कहते हुए शिकायत की चेतावनी दी जाती है तो पंचायत सिक्रेट्री साफ तौर से कहते हैं कि वह उच्चाधिकारियों को भी होने वाली कमाई में हिस्सा पहुंचाते हैं। इसलिए कोई भी उन्हें जांच में फंसाने नहीं आएगा। गांव में वही होगा जो वह चाहेंगे। 

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