Sunday, February 10, 2019

कुटीर उद्योग बना कच्ची शराब का कारोबार


बिपिन मिश्रा
लखीमपुर-खीरी। मैलानी थाना क्षेत्र के दर्जनों गांव में कच्ची शराब का धंधा कुटीर उद्योग बन चुका है, क्षेत्र का जंगल हो या गांव हर तरफ यह धंधा फलफूल रहा है।
  यह धंधा आबादी क्षेत्रों के साथ-साथ दुधवा टाइगर रिजर्व बफरजोन की मैलानी रेंज के आसपास जंगल के किनारे बसे गांव के ग्रामीणों द्वारा जंगलो मे भी अवैध शराब निकालने का अड्डा बना रखा है। थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले गांव ककराही, कोरयानी, सलावतनगर, कंधईपुर, राजामंडी, खरेहटा, लक्ष्मीपुर, छेदीपुर और संसारपुर, कुकरा, बांकेगंज के दर्जनों गांवों में अवैध कच्ची शराब का धंधा कुटीर उद्योग बन चुका है, जिम्मेदार विभाग की उदासीनता के चलते माफियों के हौसले दिनों दिन बुलंद होते जा रहे हैं। शाम होते ही इन गांवो के शराब माफियाओं के गुर्गो द्वारा कच्ची शराब की दुकानें मुख्य सड़कों पर सज-धज कर लग जाती है। इन माफियाओं को न तो आबकारी विभाग का खौफ है और न ही स्थानीय पुलिस प्रशासन का भय है। अगर समय रहते आबकारी विभाग एवं पुलिस प्रसाशन कुंभकर्णी निद्रा से नहीं जागा तो वह दिन दूर नहीं जब अवैध शराब माफिया पूरी तरह लोगों को मौत के मुंह में झोंक देंगे। आपको बता दें कि शाम होते ही इन सभी ग्राम पंचायत में पियक्कडो की भीड़ लगना शुरू हो जाती है। पुलिस द्वारा बार-बार की जा रही कार्रवाई के पश्चात भी मैलानी थाना क्षेत्र में बिकती हुई अवैध कच्ची शराब शासन और प्रशासन को खुलेआम चुनौती दे रही है, जबकि इस कच्ची जहरीली शराब की वजह से जिले में कई हादसे हो चुके है व कुछ दिन पूर्व जिले में जहरीली शराब पीने से चार लोगों की मौत हो चुकी है लेकिन फिर भी आबकारी विभाग और स्थानीय पुलिस की मिलीभगत के चलते इन माफियाओं पर कोई असर दिखाई नहीं दे रहा है। शराब को अधिक नशीली बनाने के चक्कर में जहरीली हो जाती है। सामान्यतः इसे बनाने में गुड़, शीरा से लहन तैयार किया जाता है। लहन को मिट्टी में गाड़ दिया जाता है, इसमें यूरिया और बेसरमबेल की पत्ती डाला जाता है, अधिक नशीली बनाने के लिए इसमें प्रतिबंधित ऑक्सिटोसिन मिला दिया जाता है, जो मौत का कारण बनती है।

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