डॉक्टर अखलाक अहमद खां
लखीमपुर खीरी। लोकतंत्र का चौथा स्तम्भ खतरे में। पत्रकारिता की ओढ़नी ओढ़े बलात्कार, लूट,३७६,४२०,३९५ व धारा १०९ सहित कई अन्य गम्भीर धाराओं में वांछित अभियुक्त कानून की धज्जियां उड़ाते निरंकुश घूम रहे हैं। यही नहीं यह अपराध कोतवाली सदर लखीमपुर में पंजीकृत हैं। इस सम्बन्ध में अनेकों बार मुख्यमंत्री पोर्टल से जानकारियां मांगी गईं। तो कोतवाली सदर पुलिस ने मुख्यमंत्री के जनसुनवाई पोर्टल पर भी गुमराह कर के बता दिया,कि उक्त सभी मुकदमों का निस्तारण कर दिया गया है। जबकि कई मुकदमों की विवेचना आज भी जारी है। विगत दिनों गोला कोतवाली के ग्राम बतेरा निवासी जयराम अपने जवान बेटे का शव लेकर पोस्टमार्टम हाउस पर आया था।तभी दो तथाकथित पत्रकारों ने अपना टेलीफोन नंबर ९४५०२००९२४,९४१५७३८२५४ देकर पोस्टमार्टम रिपोर्ट अच्छी बनवा देने और शव का कम से कम चीर फाड़ कराने के लिए छे हजार रुपए की मांग की थी। जयराम अपने जवान बेटे आकाश के शव का वास्ता देकर बताता रहा कि शव को घर ले जाने के लिए भी पैसे नहीं हैं। फिर भी दोनो चालबाज तथाकथित पत्रकारों ने तीन हजार रुपए ठग लिए थे।शव का पोस्टमार्टम होने के बाद भी उक्त तथाकथित पत्रकार पोस्टमार्टम हाउस नहीं पहुंचे ,तब जयराम ने कोतवाली सदर लखीमपुर से सम्बद्ध जेल पुलिस चौकी में लिखित सिकायत की थी। समाचार लिखे जाने के समय तक जेल चौकी पुलिस ने जयराम की तहरीर पर कोई कार्यवाही नहीं की है। पत्रकारिता का गिरता स्तर कुछ अपने आप को वरिष्ठ पत्रकार बताने वालों का कारण भी बना हुआ है। प्रातः से साम तक खाली रहने वाले अपने आप को वरिष्ठ बताने वाले ,जिला अधिकारी, पुलिस अधीक्षक सहित कई अन्य अधिकारियों के वहां अपनी उपस्थिति दिखाकर, अधिकारियों को गुमराह करते हैं। जिससे तमाम अपराधी लाभ उठा लेते हैं। मजे की बात तो यह है कि एक चैनल व एक अखबार के संवाददाता पुलिस मुखिया विजय ढुल से मिलने पहुंचे ,तभी पुलिस अधीक्षक ने अपने रिमोट से चैनल खोजने की बात की, जब चैनल नहीं मिला, तब कप्तान साहब ने कहा ,अपना अखबार मेरे आवास पर भिजवा दिया करो।जिस समय कप्तान उक्त पत्रकार से वार्ता कर रहे थे,उस समय भी पुलिस मुखिया के पास दो तथाकथित पत्रकार बैठे थे,जिन पर आरोप है जो अधिकारियों को गुमराह करते हैं।
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