मोबाइल फोन की तरह सौर ऊर्जा को घर-घर पहुंचानें की जरूरत
..........................................................उत्तर प्रदेश किसान सभा के बैनर तले आज लक्ष्मण मेला मैदान में विशाल किसान प्रतिरोध रैली का आयोजन किया गया, जिसमें राज्य भर से कोने-कोने से आये किसानों ने ‘आत्महत्या नहीं संघर्ष करेंगे’ की हुंकार भरी। किसानों ने संकल्प लिया कि वे गांव-गांव, तहसील और जिलाधिकारी कार्यालय तक पद मार्च करेंगे तथा अपने हक की लड़ाई लड़ेंगे।
रैली के मुख्य अतिथि महाराष्ट्र में किसानों के लांग मार्च के नायक व अखिल भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष अशोक ढवले रहे। उन्होंने कहाकि देश और प्रदेश की मौजूदा सरकारों के एजण्डे से किसान गायब हो चुका है। ये सरकारें नीरव, माल्या जैसे लोगों की समर्थक है जो देश के हक का पैसा ले मौज करते हैं और सरकार बाद में यह पैसा एनपीए यानी नान परफार्मिंग एसेट्स (डूबा हुआ पैसा) घोषित कर देती है। दरअसल यह डूबा हुआ पैसा नहीं होता है, बल्कि सरकारों द्वारा इससे किसानों को डुबाने की साजिश की जाती है। पर यह सरकार भूल जाती है कि किसान ही इस देश के भाग्यविधाता है। यदि किसान डूबा तो ये सरकार चलाने वाले मिट्टी में मिल जाएंगे। उन्होंने किसानों से एकजुट होकर अपने हक की लड़ाई को तेज करने का आह्वान किया।
किसान सभा के केन्द्रीय महामंत्री हन्नान मोल्ला ने किसान सभा के संघर्षों को याद करते हुए लखनऊ में उसकी नींव का जिक्र किया। उन्होंने कहाकि यदि किसानों को उनकी फसलों का सही दाम मिल जाने लगे तो इस देश के किसानों को खुशहाली से कोई नहीं रोक सकता। हमारा किसान मेहनतकश है और वह पथरीली जमीन से भी सोना उगा सकता है। बस जरूरी है कि उसे उसकी लागत मूल्य का वाजिब दाम मुहैया कराया जाये।
अखिल भारतीय खेत मजदूर यूनियन की उपाध्यक्ष का. सुभाषिनी अली ने कहाकि प्रदेश सरकार की कर्जमाफी जैसी लुभावनी बातें हवा-हवाई थी। जमीनी स्तर पर किसी किसान का 10 रूपये माफ किया गया तो किसी का 40, जबकि दावे करोड़ों के हुए हैं। यह सरकार केवल जुमलेबाजी से ज्यादा कुछ कर रही है। अ.भा. किसान सभा के संयुक्त सचिव एन.के. शुक्ला ने कहाकि मोदी और योगी की सरकार ने किसानों के साथ वादाखिलाफी का काम किया है। कृषि क्षेत्र गहरे संकट के दौर से गुजर रहा है। खेती घाटे का सौदा बन गई है। इसके लिए सरकारी नीतियां जिम्मेदार है। हमें इसका प्रतिरोध करना चाहिये, अन्यथा कब हम अपना खेत होते हुए भी पूंजीपतियों के गुलाम बन जाएंगे। पता ही नहीं चलेगा।
कभी न ख़त्म होने वाली उर्जा है सौर उर्जा.
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