किये की सजा...
कल नाबालिग के साथ बलात्कार के जुर्म में आसाराम को उम्र कैद की सजा हो गई। करीब चार साल तक चले ट्रायल के बाद कोर्ट ने आसाराम को बलात्कार का दोषी पाया और उम्र भर के जेल की सजा सुना दी। हालांकि यह सजा निचली अदालत ने सुनाई है, फिर भी रसूखदार आसाराम को उम्र कैद की सजा सुनाया जाना सचमुच में न्याय की जीत है। आसाराम करीब चार साल से जोधपुर की जेल में हैं। अपनी जमानत के लिए उन्होंने राम जेठमलानी, सलमान खुर्शीद, सुब्रमण्यम स्वामी जैसे दिग्गज वकीलों की फौज खड़ी कर दी। इस दौरान तीन गवाहों की संदिग्ध मौत हो गई। कई गवाहों को डराया धमकाया गया। इन सबके बावजूद अगर उन्हें सजा हुई तो यह भारतीय न्याय और न्यायपालिका के लिए एक ऐतिहासिक क्षण से कम नहीं है।
कल का दिन नैसर्गिक न्याय के लिए जाना जायेगा। यह भारतीय धर्म और संस्कृति की रक्षा के लिए भी एक ऐतिहासिक दिन बन गया। दरअसल बापू के नाम से प्रसिद्घ आसाराम ने धर्म के नाम पर खूब आडम्बर फैला रखा था। लोग उन्हें ईश्वर के समकक्ष रखकर उनकी पूजा करते थे। उनके कहे शब्द लाखों लोगों के लिए पत्थर की लकीर थी। उनकी तस्वीर तमाम घरों के पूजा स्थल पर होती थी। उन पर लोगों को इतना विश्वास था कि लोग अपने बच्चों को उनके शरण में देकर बच्चों के जीवन को स्वार्गिक बन जाने की कल्पना करते थे। ऐसे में उन पर बलात्कार का दोषी पाया जाना जनभावनाओं के भरोसे का कत्ल ही है। इस सजा से पहले भी उनके आश्रमों में काला जादू आदि होने की बातें उभर कर यदा-कदा आती रहती थी। कई बच्चों के मरने की खबरें भी आयीं, लेकिन धार्मिक अंधविश्वास के चश्में ने आसाराम के कुकृत्यों पर हर बार पर्दा डालने की कोशिश की। धर्म की आड़ में जनभावनाओं से खूब खेला गया।
यह सच है कि कोई भी धर्म बुरा नहीं होता। हर धर्म लोगों को सच्चाई और नेकदिली की राह पर आगे बढऩे की प्रेरणा देता है और यह बात उसी तरह से सच है जैसे की धरती और आकाश। फिर भी धर्म के आडम्बर में फंसे लोगों के बीच आसाराम ने ऐसा खेल खेला, जिसपर अब हर किसी को कोफ्त हो रहा है। पुलिस की जांच में पता चला कि आसाराम यह तय करता था कि किस युवती के साथ यौन दुराचार करना है। इसके लिए पूरी साजिश रची जाती थी। गुरूमंत्र और जीवन के सुनहरे ख्वाब की आड़ में यौन शोषण के लिए पूरी टीम काम करती थी। यह भी सच था कि आसाराम ने रसूख और धौंस तथा धर्मांधता की इतनी बड़ी दीवार खड़ी कर दी थी, जिसे पार पाना किसी आम आदमी के बस की बात नहीं थी। यही हाल मुरादाबाद की पीडि़त नाबालिग लड़की के भी केस में हुआ। उसे उत्तर प्रदेश से राजस्थान के जोधपुर के आश्रम में बुलाया गया और उसके साथ गलत कार्य किया गया। फिर भी दाद देनी होगी उस लड़की के हौसले की, जिसने आसाराम के इस आडम्बर और धर्मांधता की दुनिया से लडऩे का हौसला खड़ा किया। इस तरह आसाराम का तिलिस्म टूटा और उसे उसके किये की सजा मिली। ये और बात है कि अभी आसाराम के पास ऊपरी अदालत में जाने का मौका है और कुकर्मों की आड़ में खड़ा किये गये बड़े साम्राज्य को बचाने के लिए वह जाएंगे भी। फिर भी पिछले चार सालों से तमाम रसूख के बावजूद जमानत न हो पाना और जेल की सलाखों के बीच जिन्दगी बिताना ही उनके लिए किसी बड़ी सजा से कम नहीं है।
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