Sunday, May 13, 2018

हरियाणा सरकार का अल्पसंख्यक विरोधी रूख...

हरियाणा सरकार का अल्पसंख्यक विरोधी रूख...  


हरियाणा के गुरुग्राम में सार्वजनिक जगहों पर नमाज पढऩे के खिलाफ हिन्दूवादी संगठनों की मुहिम और मोर्चेबंदी पर मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की 'सरकारी मुहर' के बाद उनके विवाद-प्रिय मंत्री अनिल विज का ताजा बयान विवाद के कई दूसरे दरवाजे खोलता है। अनिल विज ने कहा है कि जमीन कब्जा करने की नीयत से नमाज पढऩे की इजाजत नहीं दी जा सकती है।
   मतलब ये कि अनिल विज को खुले में नमाज पढऩे वालों से सरकारी जमीन पर कब्जे का खतरा है। इसी को मुद्दा बनाकर पिछले कुछ समय से वहां कुछ कट्टर हिन्दूवादी संगठनों द्वारा अभियान चलाया जा रहा था। मुख्यमंत्री खट्टर और मंत्री अनिल विज के बयानों से साफ हो गया है कि हंगामा करने वाले तथाकथित हिन्दूवादियों को सरकार का समर्थन प्राप्त है। तभी तो पुलिस की परवाह किए बगैर छोटे -छोटे झुंडों में जमा हुए लोगों ने कई जगहों पर नमाजियों को रोका और जब कार्रवाई की बात आई तो सरकार के ओहदेदारों की तरफ से ऐसे बयान आ गए। मुख्यमंत्री खट्टर पहले ही कह चुके हैं कि जिन्हें नमाज पढऩी हो, वो मस्जिद , ईदगाह या अपने घरों में पढ़ें, सार्वजनिक जगहों पर इसकी इजाजत नहीं दी जा सकती। हरियाणा के मुख्यमंत्री के बयानों से भी कई सवाल पैदा होते हैं। सवाल ये कि क्या दूसरे धर्मों के लिए यही पैमाने बनाए जाएंगे? क्या दूसरे धार्मिक उत्सवों, कार्यक्रमों, यात्राओं, जुलूसों, अखंड पाठों, कांवडिय़ों, जगरातों या जागरणों के लिए भी यही कायदा काम करेगा? क्या एक जैसे नियम सबके लिए लागू होंगे? क्या सावन के महीने में सड़कों पर बोल बम के नारे लगाते हुए, राहगीरों के साथ अभद्रता जैसी घटनाओं पर भी ऐसे ही कठोर कदम उठाए जाएंगे? इस सम्बन्ध में यह जानना आवश्यक है कि मुसलमानों को सार्वजनिक स्थानों पर जुमा की नमाज पढऩे की मजबूरी का कारण बहुत सी मस्जिदों पर अतिक्रमण है। केवल गुरुग्राम में १९ मस्जिदों पर अतिक्रमण और सरकारी कब्जा है। सोहना की जामा मस्जिद में जहां मुस्लिम आबादी काफी है, सरकारी स्कूल चलता है। हरियाणा सरकार ने दिखावे के लिए कहा भी था कि वह अतिक्रमण हटायेगी। खट्ट्टïर सरकार ने वक्फ बोर्ड से न्यायालयों में जाने को कहा है। जब तक न्यायालयों द्वारा अतिक्रमण हटे, तब तक मुसलमान क्या करे?
  सच्चाई यह है कि हरियाणा में जब से खट्टर सरकार आयी है, तभी से वहां संघ द्वारा व्याख्यायित्व हिन्दुत्व को स्थापित करने का प्रयास किया जा रहा है। मुख्यमंत्री खट्टर के साथ साथी मंत्री अनिल विज भी मुस्लिम समुदाय के लिए खूब जहर बोल रहे हैं। वहां बयान ही नहीं कार्रवाई भी धर्म के आधार पर होती देखी जा रही है। इसका उदाहरण तब देखने को मिला जब मेवात में रहने वाले मुस्लिम समुदाय के मुख्य पेशे बिरयानी पर बीफ की आशंका में रोक लगा दिया गया। इसकी जांच भी पशुपालन एवं चिकित्सा विभाग के बजाये एक हिन्दुवादी संगठन को दे दिया गया, जिसे इस तरह की जांच का कोई अनुभव ही नहीं था। इससे पता लगता है कि किस तरह की रिपोर्ट आनी थी और आयी भी। मेवाती मुसलमानों की रोजी-रोटी के लाले पड़ गये। ऐसा ही एक मामला दिल्ली-गुरुग्राम हाइवे पर हुआ, जिसमें दिल्ली से जा रही कुछ मुस्लिम महिलाओं के साथ दुराचार का मामला प्रकाश में आया, लेकिन खट्टर सरकार का इस मामले में उदासीन रवैया समझ से परे था। ऐसा लगता है कि हरियाणा में लोकतंत्र के बजाये संघतंत्र को चलाया और लागू किया जा रहा है। खट्टर वैसे भी पहले संघ प्रचारक थे और उनका राजनीति में कोई खास योगदान नहीं था। केन्द्र सरकार भी उनके बयानों और कार्यों पर आंख मूंदकर एक तरह से हरियाणा को संघी प्रयोगशाला बनाने के लिए हरी झंडी दे रखी है। यह लोकतंत्र के लिए सबसे खतरनाक अध्याय जुड़ रहा है। हमारे संविधान में प्रस्तावना में ही धर्मनिरपेक्षता का जिक्र किया गया है तथा मौलिक अधिकारों में धार्मिक स्वतंत्रता स्पष्टï रूप से मिली हुई है। अत: हरियाणा सरकार का कृत्य न तो भारत गणराज्य के लिए उचित है और न ही भारत के संविधान और लोकतंत्र के लिए। भारत के बुद्घिजीवियों को इस खतरे का अहसास होना चाहिये तथा इसकी मुखालफत भी होनी चाहिये। 
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