किसानों को मानसून के साथ कदमताल की जरूरत...
ऐसा लगता है कि इस बार मानसून थोड़ा जल्दी में है। वह तय समय से तीन दिन पहले ही केरल में दस्तक दे चुका है। अन्य राज्यों की तरफ भी तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में मानसून की जल्दबाजी को देखते हुए किसानों को भी उसके साथ कदमताल मिलाते हुए अपने धान की नर्सरी को डाल देना चाहिये। क्योंकि भारत कृषि प्रधान देश होने के बावजूद अभी तक कोई ऐसा स्थायी जरिया नहीं ईजाद कर सका है, जो बरसात के पानी की जगह ले सके। वैसे भी धान की फसल में ऊपर से पडऩे वाले पानी का मूल्य कभी भी भूगर्भ जल से नहीं प्राप्त किया जा सकता।
इस सीजन में झमाझम बरसात होगी, इसकी भविष्यवाणी मौसम विभाग ने अभी से ही कर दी है। धान की खेती के लिए पानी की मारामारी के बीच पंजाब, हरियाणा, हिमाचल और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए सबसे बड़ी खुशखबरी है कि उत्तर पश्चिम भारत में जमकर बारिश होगी। पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर और दिल्ली में मानसूनी वर्षा के मानक अनुसार शत-प्रतिशत बारिश होने की उम्मीद है। यही राज्य देश का अन्न भंडार भी भरते हैं और निर्यात से लेकर स्टाक मार्केट्स और आर्थिक समृद्धि ग्राफ बढ़ाते भी हैं। ऐसे में किसानों को सचेत तो हो ही जाना चाहिये, केन्द्र और राज्य की सरकारों और संबंधित विभागों को एक्शन में आने की जरूरत है, ताकि किसानों को समय से उन्नतशील बीज, खाद, कीटनाशक आदि की आपूर्ति में कोई बाधा न पड़े। यह भी जरूरी है कि सिचाई के लिए डीजल के दामों पर भी अंकुश लगाने की जरूरत है, क्योंकि मानसूनी बरसात के अलावा भी किसानों को रोपाई के वक्त सिचाई के लिए डीजल पंपसेट पर ही निर्भर रहना पड़ता है। नहरों में भी इस बार अभी से ही सिल्ट सफाई आदि का कार्य पूर्ण कर जल्द ही पानी छोडऩे की प्रक्रिया शुरू कर देनी चाहिये।
नि:संदेह अच्छी बरसात का मतलब है कि अच्छी फसल, यानी हमारे खुशहाल किसान और किसानों की संपन्नता पर ही देश का भविष्य है। यदि इस मौसम में उम्मीद के अनुसार ठीक-ठाक बारिश हो गई तो केंद्र सरकार को इसका लाभ मिल सकता है। आगामी चुनाव के पहले यह निकटतम मानसून है। यह मानसून केन्द्र में सत्तासीन मोदी सरकार के लिए राहत देने वाली साबित होगी। बस इसके लिए सरकार को कृषि के मोर्चें पर किसानों की हरसंभव मदद के लिए आगे आना पड़ेगा। बैंकों से केसीसी आदि की सुविधाएं किसानों को मिलनी चाहिये, ताकि उन्नतशील खेती में कैश की किल्लत से न जूझना पड़े। इसके अलावा गांवों में जल संरक्षण जो अब सरकार की प्राथमिकता में नहीं रह गया है, उस पर भी सरकार को ध्यान देना चाहिये, क्योंकि यदि बरसात के पानी को बचाया नहीं गया तो आने वाले समय में पीने के पानी का संकट बढ़ता ही जायेगा। क्योंकि पानी को बनाया नहीं जा सकता, जो है उसे बचाया ही जा सकता है। इसके लिए मनरेगा योजना को फिर से संजीवनी देनी होगी। इससे न सिर्फ ग्रामीणों को रोजगार मिलेगा, बल्कि जल संरक्षण को भी गति मिलेगी।
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