आधार डेटा लीक से निजता को खतरा...
सरकार बार-बार दावा करती है कि यूनिक आइडेंटीफिकेशन नंबर यानी 'आधार से जुड़ी सूचनाओं के सार्वजनिक होने का कोई खतरा नहीं है। ट्राई अध्यक्ष आरएस शर्मा ने इसे लेकर एक चुनौती दी थी कि कोई उनके आधार से जुड़ी जानकारियां उजागर नहीं कर सकता। इस चुनौती के तुरन्त बाद एक व्यक्ति ने उनके इस दावे की हवा निकाल दी। उसने श्री शर्मा की कई सूचनाएं सार्वजनिक कर दी। ट्राई अध्यक्ष के ही आधार डेटा सार्वजनिक होने एक बार फिर निजता के अधिकार और सुरक्षा पर सवाल खड़े हो गये हैं। लोगों ने 'आधार रूपी इस सरकारी योजना का इस कारण स्वागत किया था, इससे विभिन्न योजनाओं में पारदर्शिता आयेगी। देश में भ्रष्टïाचार खत्म होगा, परंतु 'आधार योजना लागू होने के बाद से ही इस योजना पर निजता की सुरक्षा पर सवाल उठने लगे थे। मामला उच्चतम न्यायालय में भी गया और अंतत: इसे सरकारी योजनाओं में जबरन इस्तेमाल को उसने रोक लगा दी है। न्यायालय ने डेटा सुरक्षा के मामले में कोई उपयुक्त कानून न होने पर भी सवाल उठाया था। अभी हाल ही एक निर्णय आने के बाद अब इन्कम टैक्स रिटर्न में भी आधार की अनिवार्यता को खत्म कर दी गई है। फिर भी 'आधार के नाम पर ज्यादातर लोगों की निजी जानकारियां अब सरकार के पास हैं। खतरा इस बात का भी है कि सरकार ने यह डेटा कार्बी एसोसिएट जैसी निजी कंपनियों के जरिये एकत्रित कराया था, इस कारण भी लोगों की निजी जानकारियों पर खतरा मंडरा रहा है।
कभी खनिज-तेल को सबसे कीमती धन की संज्ञा मिली थी, लेकिन इक्कीसवीं सदी सूचना-प्रौद्योगिकी के विस्तार की है और इस प्रद्योगिकी का कच्चा माल यानी 'डेटा सबसे कीमती संसाधन बनकर उभरा है। लिहाजा, डेटा पर अधिकार तथा हिफाजत का मसला किसी देश की संप्रभुता तथा अंतर्राष्ट्रीय संबंधों के लिहाज से अब बहुत अहम है। मसलन, फेसबुक के मंच से हुई डेटा चोरी और इसके जरिये अमेरिकी चुनावों को प्रभावित करने का हाल का मसला देखा जा सकता है। सेवा-क्षेत्र के तेज विस्तार पर टिकी भारतीय अर्थव्यवस्था की एक मुश्किल है कि वह तेजी से डिजिटल इंडिया बनने की राह पर है, लेकिन डेटा की हिफाजत का कोई आधारभूत कानून मौजूद नहीं है। इस साल जनवरी में सर्वोच्च न्यायालय के पांच जजों की पीठ ने सरकारी सामाजिक कल्याण की योजनाओं से आधार-संख्या को जोडऩे के निर्देश की संवैधानिक वैधता पर नये सिरे से सुनवाई शुरू की। इससे पहले आधार-संख्या से जुड़े डेटा के ऑनलाइन लीक होने की खबरें आ चुकी थीं, लेकिन, सरकार का पक्ष था कि आधार के डेटा भंडार में सेंधमारी नहीं हुई है, लोगों का इस पर पूरा भरोसा है और आधार-संख्या का डेटा पूरी तरह सुरक्षित है।
एक बड़ी समस्या यह भी सामने आ रही है कि सरकारी योजनाओं के इतर तमाम प्राइवेट कंपनियां जिसमें टेलीकाम भी है, आधार से ही ग्राहक का सत्यापन कार्य कर रही है। अत: यह भी आशंका है कि आधार-संख्या को सत्यापन का एक मंच की तरह इस्तेमाल करनेवाली कंपनियां ग्राहक की पहचान-सूचक जानकारियां कॉपी करके उसका दुरुपयोग कर सकती हैं। 'आधार जारी करने वाले विभाग के पास इस बात की भी सूचना नहीं रहती कि एकआधार का किन उद्देश्यों से सत्यापन किया जा रहा है। ट्राई अध्यक्ष का आधार डेटा किसी थर्ड पार्टी द्वारा सामने लाना एक बड़ी चुनौती के रूप में है और इस पर गंभीरता से सोचने की जरूरत है।
'आधार डेटा की हिफाजत के बुनियादी इंतजामों के अभाव को छुपाया नहीं जा सकता या इस पर बहानेबाजी भी गलत है। निजता के अधिकार को शीर्ष अदालत ने अपने एक फैसले में मौलिक अधिकारों में माना है। इस मौलिक अधिकार की रक्षा के निमित्त देश के सबसे बड़े डेटा-भंडार के रूप में उभरे आधार प्राधिकरण तथा सरकार को जवाबदेही भरे कदम उठाने की जरूरत है।
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