व्यथा है जो ह्रदय की आंसुओ से भी न बह सकी।
प्रीत है जो ह्रदय कि अग्नि में भी न जल सकी।
बस रीति है ये जगत की जो गंगा में बह गयी।
बस ये खीज ही बची है जो ह्रदय से न निकल सकेगी।
जानें के जो दीये है जख़्म तुमने वो न भर सकेंगे।
कहते थे हम सबसे जीता था तुमने जग को पर ये क्या हुआ की तुम तो काल ही को जितने चल दिये।
जो कर्ज है तुम्हारे, उनको चुकाने आना तुम्हे पड़ेगा।
जिन आंखों में लाये हो तुम आँसू उनको हँसाने आना तुम्हे पड़ेगा।
जिस पथ पर तुम गए जाना हमें भी पड़ेगा,
ये बात और हे कि तुम थोड़ा जल्दी चले गए।।
Assistant Professor
प्रीत है जो ह्रदय कि अग्नि में भी न जल सकी।
बस रीति है ये जगत की जो गंगा में बह गयी।
बस ये खीज ही बची है जो ह्रदय से न निकल सकेगी।
जानें के जो दीये है जख़्म तुमने वो न भर सकेंगे।
कहते थे हम सबसे जीता था तुमने जग को पर ये क्या हुआ की तुम तो काल ही को जितने चल दिये।
जो कर्ज है तुम्हारे, उनको चुकाने आना तुम्हे पड़ेगा।
जिन आंखों में लाये हो तुम आँसू उनको हँसाने आना तुम्हे पड़ेगा।
जिस पथ पर तुम गए जाना हमें भी पड़ेगा,
ये बात और हे कि तुम थोड़ा जल्दी चले गए।।
Hearts touching creations
ReplyDeleteVery nice paliwal jee
ReplyDeleteVery emotional but nice
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