- पति व पुत्र चलाते है गांव की प्रधानी
बिपिन मिश्रा लखीमपुर-खीरी। सरकार महिलाओं को आरक्षण देकर उन्हें सामाज में उनके मान सम्मान के लिए अपनी अलग पहचान बनाने पर बल दे रही हैं, लेकिन स्थानीय विकास क्षेत्र महिला ग्राम प्रधान केवल घरों में कैद रहकर चूल्हा-चैकें तक ही सीमित रह गई हैं। प्रधानपति उनकी प्रधानी बखूबी चलाते हुए नजर आ रहे हैं।
बताते चले कि केंद्र सरकार महिलाओं को आरक्षण का लाभ देकर उनको हर क्षेत्र में सम्मान दे रही हैं, लेकिन विकास क्षेत्र निघासन में वर्तमान समय में 66 ग्राम प्रधान हैं। उनमें से 29 महिला ग्राम प्रधान हैं, जिनमें तीन अनुसूचित जनजाति वर्ग में दो महिला व एक पुरुष प्रधान की सीट आरक्षित की गई थी। जिसमें ग्राम पंचायत बेलापरसुआ से ग्वालिन, कडिया से मीना देवी व पुरूष में सिंगाही देहात से रामविलास को जनता चुनकर प्रधानी करने का दायित्व सौंपा हैं, लेकिन अभी तक ब्लॉक मुख्यालय पर बैठक हो या ग्राम पंचायत की बैठक हो वहां असली महिला ग्राम प्रधान बैठकों से नदारद दिखाई दी हैं। बैठकों में प्रधानपति पहुंच कर बैठक की शोभा बढ़ाते हुए नजर आते हैं। यही नहीं ग्राम पंचायतों में होने वाले विकास कार्यों से लेकर सरकारी प्रपत्रों आदि पर प्रधानपति ही हस्ताक्षर करते हुए व ब्लॉक मुख्यालय पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाते हैं। महिला ग्राम प्रधान केवल बैंक चेकों पर ही अपना हस्ताक्षर कर पाती हैं। महिला ग्राम प्रधानों से अगर उनके क्षेत्रों में हुए विकास कार्य, मनरेगा में कौन-कौन मजदूर काम किए हैं, तथा हुए कार्यो पर कितनी धनराशि खर्च हुई हैं। शायद ही इस विषय पर कोई जवाब दे पाए। बताते चले कि ग्राम पंचायत भेडौरा, त्रिकोलिया, कटैहिया, कोल्हौरी, मोहब्बतियाबेहड़, खमरिया, दुबहा, जसनगर, खैरीगढ़, शीतलापुर, पचपेड़ा रिछिया, धर्मापुर, सहेनखेडा, बथुवा, मुर्गहा, भिडौरी, खमरिया कोईलार, बरसोला कलां, निघासन, सुथनाबरसौला, खैरहना, बिनौरा, बनवीरपुर, मिर्जागंज, छेदुईपतिया, मूडाबुर्जुग व बरोठा की ग्राम पंचायतों में महिला प्रधान चुनी गयी थी।
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