Monday, February 4, 2019

दूर के ढोल सुहावने होते हैं...

 बचपन से एक बात हमेशा सुनने में आती रहती थी कि 'दूर के ढोल सुहावने होते हैं'। यह बात अमेरिका में फंसे भारतीय छात्रों से ज्यादा और कौन समझ सकता है। अब 129 भारतीय छात्रों और उनके परिवार वालों की आपबीती को समझा जा सकता है, जिन्होंने अपनी जिन्दगी की गाढ़ी कमाई से भविष्य के सुन्दर सपने बुने थे। असल में पिछले दिनों अमेरिका में 'पे एण्ड स्टे' गिरोह का भंडाफोड़ होने से वहां अनेक भारतीय छात्र मुसीबत में फंस गए हैं। दरअसल एक फर्जी विश्वविद्यालय के सहारे चल रहे एक इमिग्रेशन रैकेट का पता चला। इसे चलाने के आरोप में आठ भारतीय व भारतीय मूल के अमेरिकी लोगों को गिरफ्तार किया गया। उसके बाद अमेरिका के आव्रजन एवं सीमा शुल्क प्रवर्तन विभाग ने विश्वविद्यालय से 130 छात्रों को भी गिरफ्तार कर लिया, जिनमें 129 भारतीय हैं। आरोप है कि ये छात्र इसमें पढऩे के लिए रजिस्टर्ड थे, लेकिन पढ़ाई करने के बजाय देश भर में काम कर रहे थे। छात्रों की गिरफ्तारी से भारत में उनके परिजनों में हड़कंप मच गया। उनका कहना है कि छात्रों को यह पता नहीं था कि यूनिवर्सिटी फर्जी है।
छात्रों से कहा गया था कि अगर वे इसमें दाखिला लेते हैं तो उन्हें काम करने की अनुमति मिलेगी। उन्हें लगा कि यह एक अधिकृत यूनिवर्सिटी है और उन्हें वर्क प्रोग्राम के लिए एफ-1 वीजा मिल जाएगा। लेकिन वे उस जाल में फंस गए। बावजूद इसके अमेरिकी प्रशासन ने इन छात्रों के साथ ऐसा सख्त रवैया अपनाया जैसे वे अपराधी हों। हिरासत के दौरान कई छात्रों को ट्रैकिंग डिवाइस लगाई गई। उन्हें एक सीमा से बाहर नहीं जाने को कहा गया। हालांकि प्रशासन के इस रवैये की आलोचना भी हो रही है। भारतीय मूल के प्रतिष्ठित अमेरिकी नागरिकों और कुछ मीडिया संगठनों ने कहा है कि निर्दोष छात्रों को फंसाना गैरकानूनी और अनैतिक है।
भारत ने छात्रों को हिरासत में लिए जाने पर फिक्र जताते हुए अमेरिकी दूतावास को शनिवार को 'डिमार्शÓ जारी किया। भारत ने उन छात्रों तक राजनयिक पहुंच की मांग भी की है। विदेश मंत्रालय ने अमेरिकी दूतावास से कहा कि ऐसा हो सकता है कि छात्रों को झांसे में ले लिया गया हो। इसलिए उनके साथ उस तरह का बर्ताव नहीं किया जाना चाहिए जैसा उनसे ठगी करने वालों के साथ किया जा रहा है। इस बीच भारतीय छात्रों से जुड़े सभी मुद्दों से निपटने के लिए एक नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। जाहिर है, इस प्रकरण में भारत के कुछ लोग भी शामिल होंगे। जो लोग अमेरिका में इस गोरखधंधे में लगे थे, उनके तार निश्चय ही भारत से जुड़े होंगे। भारत के अपने सूत्रों के जरिए वे छात्रों से संपर्क साधते होंगे।
सच्चाई यह है कि देश में छात्रों-युवाओं को अमेरिका या अन्य देशों में पढऩे या नौकरी करने के लिए अवैध तरीके से भेजने का धंधा कई जगहों पर चल रहा है। समय-समय पर इनका रहस्योद्घाटन होता रहता है। ऐसे लोगों पर सख्त कार्रवाई करने की जरूरत है। इनकी वजह से कई लोगों की जान खतरे में पड़ जाती है और देश का नाम भी खराब होता है। उम्मीद की जानी चाहिए कि अमेरिका में फर्जी यूनिवर्सिटी मामले में फंसे स्टूडेंट्स की समस्या का जल्दी ही कोई सार्थक समाधान निकल आएगा।

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