Wednesday, February 13, 2019

शारदा चिटफण्ड की तरह लखीमपुर में कई कंपनियों का धंधा जोरों पर

  • प्रशासनिक उदासीनता के चलते नहीं होती कार्रवाई
  • लोगों के ठगे जाने का इंतजार कर रहे हैं जिम्मेदार

बिपिन मिश्रा
लखीमपुर खीरी। देश में शारदा चिटफण्ड मामले में हंगाम मचा हुआ है। कंपनी लोगों की गाढ़ी कमाई का पैसा लूट कर भाग चुकी है। शारदा जैसी न जाने कितनी कंपनियां इस धंधें में लगी हुई हैं। कई तो हजारों लोगों को चपत लगाकर भाग चुकी हैं तो कई भागने के फिराक में है। तमाम शिकायतों के बावजूद इस तरह के चिटफण्ड कंपनियों का धंधा तेजी से लखीमपुर में भी चल रहा है। प्रशासनिक सह और उदासीनता के कारण इन कंपनियों पर किसी तरह की कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। प्रशासन फिर से लोगों के ठगे जाने का इंतजार कर रहा है।  प्रधानमंत्री माननीय नरेंद्र मोदी द्वारा नवंबर 2016 में की गई नोटबंदी की मार ऐसी कंपनियों पर पड़ी जो अपना काला कारोबार भोले भाले गरीब लोगों को लूट कर जमा कर रही थी काला धन ऐसे लोगों को नोटबंदी होते ही लगा बड़ा झटका करना पड़ा अपना गोरखधंधा बंद जहां एक और नोट बंदी होने से ऐसी कंपनियों को नगद के रूप में काला धन जमा कर रखना मुश्किल हो गया जिसके परिणाम स्वरूप ऐसी कंपनियों को अपना बोरिया बिस्तर समेट ऑफिस कार्यालयों में ताला मार भागने पर मजबूर होना पड़ा जहां देश में हो रहे ऐसे काले कामों पर नोट बंदी का असर हुआ तो दूसरी तरफ मार पड़ी उन भोले भाले लाचार गरीब लोगों पर जो उन्हीं की तरह गरीब मासूम किसी तरह दो वक्त की रोटी कमाने की जुगत में लगे लोगों पर जिन्होंने ऐसी कंपनियों में अभिकर्ता का काम किया था।
उन अभिकर्ताओं ने कंपनियों के कहे मुताबिक लोगों से उन कंपनियों में अच्छा रिटर्न मिलने का वादा कर पैसे निवेश करवाये थे कंपनियों के भागते ही कुछ निवेशक उन अभिकर्ताओं के जान के दुश्मन बन गए।
अभिकर्ता जिन का कसूर सिर्फ इतना था कि उन्होंने कंपनी मालिकों पर विश्वास कर जाने अनजाने उनकी स्कीमों को लोगों तक पहुंचाकर अपने मेहनताना स्वरूप दो पैसे कमाने की कोशिश की परंतु ऐसी कंपनियों के भाग जाने से आज वहीं अभिकर्ता दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं
एक तरफ निवेशकों का दबाव दूसरी तरफ रोजी रोटी की तकलीफ अभिकर्ता व निवेशक जाए तो जाए कहां कहा सरकार और न्यायालय के मकड़जाल में उलझ कर इंतजार करते करते हजारों लोग तो दुनिया छोड़कर ही चले गए इसी आस में कि शायद उनका पैसा उनके जाने के बाद उनके बच्चों को मिलेगा।
इसी क्रम में आए दिन तहसील से लेकर जिला मुख्यालयों में ऐसे निवेशकों व अभीकर्ताओं द्वारा शासन-प्रशासन वह जिम्मेदार लोगों को दिया जा रहा है ज्ञापन।
आपको बता दें नगर क्षेत्र पलिया कला में ही कई वर्षों से चल रही कंपनियां जैसे पी0ए0सी0एल,कर्मभूमि, बी0के0एल0डी, इन्फोकेयर,के0एन0सी0सी,पी0आर0आई,इंफ्राटेक,क्रेडेंस आदि दर्जनों कंपनियां नोट बंदी की मार के बाद या कहें अपने घपलेबाजियो की वजह से धीरे-धीरे अपने ऑफिस कार्यालय बंद करने लगे आज लाखों निवेशक हजारों अभिकर्ता दर-दर की ठोकरें खाने पर मजबूर हैं कंपनियों के ऊपर मुकदमे भी दर्ज हो गए परंतु दुर्भाग्य सैकड़ों हजारों मुकदमें लाइन में है कब नंबर आता है कब सुनवाई होती है गरीब रिक्शा वाले की मजदूरी करने वाले की भगवान जाने।
यह तो हुई बीती बात जो हो चुकी है परंतु इतना सब कुछ हो जाने के बाद भी लोगों की आंखें नहीं खुली और लोगों की गलती भी देना ठीक नहीं है जिन लोगों को सही गलत का फैसला करने की जिम्मेदारी दी गई है वही लोग जब अपनी जिम्मेदारियों पर ध्यान नहीं दे रहे हैं ऐसी कंपनियां  जो  30 से 35 कार्यालय चला रही हो  बिना किसी जवाबदेही के हजारों लाखों करोड़ों  जमा कर रही हो  पर  उसकी शासन-प्रशासन की तरफ कोई जवाबदेही नहीं  उसका जब मन आया  ताला मारा ऑफिस बंद  कंपनी गायब भला ऐसे लोगों को कौन रोकेगा।
आपको बता दें नगर क्षेत्र पलिया में दर्जनों ऐसी कंपनियां जो निवेशकों का करोड़ों अरबों रुपए ले भाग गई हैं उसके बाद भी कई कंपनियां अभी अपना उसी तरीके का कारोबार बेखौफ हो चला रहे हैं।
जिसमें भागी हुई कंपनियों की तरह ही काम होता है उसी तरह आर0डी0 एफ0डी0 की स्कीम चलाई जाती हैं। निवेशकों द्वारा लिया गया पैसा कहां लगा रही है वह किसी को पता नहीं शासन प्रशासन को चल रही कंपनियों की जांच करनी चाहिए जिससे आने वाले समय में भोले भाले गरीब निवेशक जिसमें रिक्शे वाले से लेकर पान वाला अपने परिवार के लिए अपने आप के लिए बचत के रास्ते के रूप में कुछ पैसा जमा करता है परंतु ऐसी कंपनियां लोगों का पैसा इकट्ठा कर अंत समय में जब पैसे देने की नौबत आती है तब वह कंपनियां अपने ऑफिस कार्यालय का शटर बंद कर नौ दो ग्यारह हो जाती है ।
वही लुटा पिटा निवेशक लूटा पुटा अभिकर्ता सरकारी कार्यालयों में उनका जमा पैसा वापस दिलाए जाने के लिए प्रार्थना पत्र लिए एक ऑफिस से दूसरे ऑफिस घूमते ही रहते हैं।
प्रशासन को चल रहे ऐसे कार्यालय कंपनियों पर उनके द्वारा किए जा रहे काम उनके द्वारा जमा कराए जा रहे पैसे उनके द्वारा उन पैसों का कैसे किया जाता है उपयोग इस तरीके के सैकड़ों सवाल हैं जो किसी सक्षम अधिकारी को इन कंपनियों से पूछने चाहिए इनकी जांच करनी चाहिए अन्यथा वह दिन दूर नहीं जब फिर से कोई ऐसी कंपनी भोले भाले निवेशकों का लाखों करोड़ों रुपए लूटकर फरार हो जाए।

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