बुधवार को संतकबीर नगर के कलेक्ट्रेट में जो हुआ, उससे केवल संतकबीर नगर ही बल्कि हर भारतीय को शर्मशार कर गया। अभी तक केवल संसद और विधानसभा में ही इस तरह के दृश्य देखने को मिलते थे, लेकिन जिला योजना की बैठक में जिस तरह से अपने ही पार्टी के विधायक और सांसद ने जूतम पैजार किया, वह भारतीय लोकतंत्र के लिए सही नहीं कहा जा सकता है।
संत कबीर नगर में जो घटा है वो कबीर की हर वाणी के खिलाफ घटा है। संत कबीर नगर की इस घटना में न तो कबीर जैसा कुछ था, न ही संत जैसा। कुछ था तो सिर्फ जूता था। वीडियो के पहले कुछ शॉट में बातचीत हो रही है। सांसद शरद त्रिपाठी पूछ रहे हैं कि एक योजना के शिलापट में उनका नाम क्यों नहीं था। इसी बात को लेकर बीजेपी सांसद शरद त्रिपाठी और बीजेपी विधायक राकेश सिंह बघेल के बीच कहा-सुनी होती है और सासंद त्रिपाठी विधायक को अपशब्दों की बौछार कर देते हैं तो विधायक बघेल ने प्रतिक्रिया में कह दिया कि जूते मारेंगे। बस सासंद त्रिपाठी जूता निकालकर विधायक राकेश सिंह बघेल पर बरसाने लगते हैं। बचाव में विधायक बघेल ने भी हाथों से मारने का प्रयास किया मगर सासंद त्रिपाठी की तरह वे बदला नहीं ले पाए।
जिला कार्य योजना समिति की बैठक में तमाम अफसरों के बीच नाम नहीं होने को लेकर जूते का निकल आना, उस अहंकार का निकल आना है जो पैदा होता है जातिवाद के अहंकार से।
भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रवाद की पाठशाला में जहां जातिवाद के खिलाफ लैक्चर दिए जाते हैं, उस पाठशाला में सासंद त्रिपाठी को एक साल के लिए भेज दिया जाना चाहिए। अगर राष्ट्रवाद का असर इन्हीं पर नहीं होगा तो किस पर होगा। सीमा पर तनाव है और सांसद विधायक को जूता मार रहे हैं। इस दृश्य से सेना का मनोबल गिर सकता है। फिलहाल जि़ला प्रशासन इस घटना से सबक ले सकता है।
भारतीय राजनीति के इस विकास की भी समीक्षा कीजिए, जो समाज के संकीर्ण संस्कारों से बना होता है। अब आते हैं उस खबर पर जिस पर यकीन नहीं हो रहा है. रक्षा मंत्रालय से राफेल मामले की सीक्रेट फाइल चोरी हो गई है। रक्षा मंत्रालय की सीक्रेट फाइल चोरी हो गई है. वो भी रक्षा मंत्रालय से चोरी हुई है। ये किसी ने नहीं सोचा होगा कि तरह तरह के मोड़ से गुजऱता हुआ राफेल इस मोड़ पर पहुंच जाएगा। सरकार जिस फाइल को सीक्रेट बता कर दुनिया को नहीं बता रही थी, उसी सीक्रेट फाइल की रक्षा नहीं कर सकी और वो चोरी हो गई। सरकार ने यह बात सुप्रीम कोर्ट में कही है। विपक्ष चाहे तो सीक्रेट फाइल से ही इस्तीफा मांग सकता है, क्योंकि सरकार से इस्तीफा मांगने पर सेना का मनोबल गिर सकता है।
यह दोनों बातें लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए पुनर्चिंतन के लिए हम सबको सोचने के लिए मजबूर करती हैं। कहां जा रहा है हमारा लोकतंत्र। देश और प्रदेश की सरकार चलाने वाले विधायक और सांसद का यह कृत्य कहीं से देश और प्रदेश को विकास की राह पर ले जाने वाले नहीं हैं। रक्षा मंत्रालय जैसी सुरक्षित जगह से फाइलों का गायब हो जाना भी कहीं से सही नहीं लगता है। इतनी सुरक्षित जगह से फाइलों की जगह ऐेसे दस्तावेज भी गायब हो सकते हैं जो देश के लिए खतरनाक हो सकते हैं।
संत कबीर नगर में जो घटा है वो कबीर की हर वाणी के खिलाफ घटा है। संत कबीर नगर की इस घटना में न तो कबीर जैसा कुछ था, न ही संत जैसा। कुछ था तो सिर्फ जूता था। वीडियो के पहले कुछ शॉट में बातचीत हो रही है। सांसद शरद त्रिपाठी पूछ रहे हैं कि एक योजना के शिलापट में उनका नाम क्यों नहीं था। इसी बात को लेकर बीजेपी सांसद शरद त्रिपाठी और बीजेपी विधायक राकेश सिंह बघेल के बीच कहा-सुनी होती है और सासंद त्रिपाठी विधायक को अपशब्दों की बौछार कर देते हैं तो विधायक बघेल ने प्रतिक्रिया में कह दिया कि जूते मारेंगे। बस सासंद त्रिपाठी जूता निकालकर विधायक राकेश सिंह बघेल पर बरसाने लगते हैं। बचाव में विधायक बघेल ने भी हाथों से मारने का प्रयास किया मगर सासंद त्रिपाठी की तरह वे बदला नहीं ले पाए।
जिला कार्य योजना समिति की बैठक में तमाम अफसरों के बीच नाम नहीं होने को लेकर जूते का निकल आना, उस अहंकार का निकल आना है जो पैदा होता है जातिवाद के अहंकार से।
भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रवाद की पाठशाला में जहां जातिवाद के खिलाफ लैक्चर दिए जाते हैं, उस पाठशाला में सासंद त्रिपाठी को एक साल के लिए भेज दिया जाना चाहिए। अगर राष्ट्रवाद का असर इन्हीं पर नहीं होगा तो किस पर होगा। सीमा पर तनाव है और सांसद विधायक को जूता मार रहे हैं। इस दृश्य से सेना का मनोबल गिर सकता है। फिलहाल जि़ला प्रशासन इस घटना से सबक ले सकता है।
भारतीय राजनीति के इस विकास की भी समीक्षा कीजिए, जो समाज के संकीर्ण संस्कारों से बना होता है। अब आते हैं उस खबर पर जिस पर यकीन नहीं हो रहा है. रक्षा मंत्रालय से राफेल मामले की सीक्रेट फाइल चोरी हो गई है। रक्षा मंत्रालय की सीक्रेट फाइल चोरी हो गई है. वो भी रक्षा मंत्रालय से चोरी हुई है। ये किसी ने नहीं सोचा होगा कि तरह तरह के मोड़ से गुजऱता हुआ राफेल इस मोड़ पर पहुंच जाएगा। सरकार जिस फाइल को सीक्रेट बता कर दुनिया को नहीं बता रही थी, उसी सीक्रेट फाइल की रक्षा नहीं कर सकी और वो चोरी हो गई। सरकार ने यह बात सुप्रीम कोर्ट में कही है। विपक्ष चाहे तो सीक्रेट फाइल से ही इस्तीफा मांग सकता है, क्योंकि सरकार से इस्तीफा मांगने पर सेना का मनोबल गिर सकता है।
यह दोनों बातें लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए पुनर्चिंतन के लिए हम सबको सोचने के लिए मजबूर करती हैं। कहां जा रहा है हमारा लोकतंत्र। देश और प्रदेश की सरकार चलाने वाले विधायक और सांसद का यह कृत्य कहीं से देश और प्रदेश को विकास की राह पर ले जाने वाले नहीं हैं। रक्षा मंत्रालय जैसी सुरक्षित जगह से फाइलों का गायब हो जाना भी कहीं से सही नहीं लगता है। इतनी सुरक्षित जगह से फाइलों की जगह ऐेसे दस्तावेज भी गायब हो सकते हैं जो देश के लिए खतरनाक हो सकते हैं।
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