Sunday, October 4, 2020

70 एकड़ में टिसू कल्चर के माध्यम् से रोपित कराये गये हाईब्रिड बाॅंस

कम पानी वाली बलुई भूमि में लेमनग्रास का भी हुआ अवलोकन


डॉक्टर अखलाक अहमद खान/ सियाराम गौड़

लखीमपुर खीरी। जनपद  में कृषक सशक्तिकरण परियोजना का कृषक उत्पादक आर्गेनाइजेशन के माध्यम से बेहतर क्रियान्वयन हेतु मुख्य विकास अधिकारी, के नेत्रत्व में प्राथमिकता पर कार्य किया जा रहा है। कृषक सशक्तिकरण परियोजना को तीव्र गति प्रदान करने के लिये मुख्य विकास अधिकारी, द्वारा जिले से जिला प्रशिक्षण अधिकारी डा0 राज किशोर के नेतृत्व में बीडीओ लखीमपुर सन्तोष कुमार सिंह,बीडीओ पलिया डा0 विनय कुमार सिंह, सहायक खण्ड विकास अधिकारी-लखीमपुर व नकहा, ग्राम विकास अधिकारियों, ग्राम रोजगार सेवक, एफ0पी0ओ0 के सदस्यों, प्रगतिशील किसानों, मीडिया कर्मियों का दल फील्ड इक्सपोजर विजिट हेतु निदेशक, एफ0पी0ओ0 कमलेश सिंह के ग्राम दसरथपुर, विकासखण्ड- मिश्रिख, सीतापुर को भेजा । जहाॅ पर उक्त दल को कमलेश सिंह ने अपने क्षेत्र (विकासखण्ड- मिश्रिख व पिसावाॅं) के लगभग 70 एकड़ में टिसू कल्चर के माध्यम् से रोपित कराये गये हाईब्रिड बाॅंस का अवलोकन कराया। उक्त बाॅंस ऊसर भूमि से लेकर अच्छी भूमि पर रोपित है। भ्रमण दल उक्त का अवलोकन कर बहुत उत्साहित हुआ। इसी प्रकार उसी क्षेत्र में कम पानी वाली बलुई भूमि में लेमनग्रास का कई किसानों के खेतों का अवलोकन कराया। पिसावाॅं ब्लाक के ग्राम-भिठौरा में लेमनग्रास के किसानों से परिचर्चा हुई। जिसमें लेमनग्रास उत्पादक किसानों के द्वारा अवगत कराया गया कि 02 बार की सामान्य टंकी में लेमनग्रास की पेराई से एक एकड़ में लगभग 80 लीटर तेल प्राप्त हुआ है। जिसका बाजार  में मूल्य रू 1200,1400/ प्रति लीटर है। भ्रमण दल वहाॅं सीमैप से लाई गयी लेमनग्रास की पौध का अवलोकन किया तथा इसकी खेती, पेराई तथा विपणन की बारीकियों पर विस्तार से चर्चा की। उल्लेखनीय है कि लेमनग्राम, पामारोजा, खस बहुवर्षीय घासें है, जो एक बार रोपित करने पर 5 वर्षों तक फसल देती रहती है। इसकी फसल में तेल होने के कारण जानवरों द्वारा किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुॅंचाया जाता है । साथ ही पानी व पोषक तत्वों की बहुत ही कम आवश्यकता होती है। इनसे 3-3 महीने के अन्तराल पर लगभग रू. 1.5-2.0 लाख प्रति एकड़ वार्षिक आय हो जाती है, जिससे किसानों की अन्य कार्यों हेतु नकदी की आवश्यकता पूरी हो सकती है। इनकी खेती के लिये लगभग रू. 40 हजार प्रति एकड़ की लागत में से रू. 30 हजार की आर्थिक सहायता 5 एकड़ तक के किसानों को ’कृषक सशक्तीकरण परियोजना के अन्तर्गत मनरेगा से उपलब्ध करायी जाती है। इसी प्रकार हाइब्रिड बाॅंस की बृद्धि तेजी से होती है तथा एक बार लगाने पर लगभग 40 वर्षों तक चलता है। 

तदोपरान्त भ्रमण दल ने मिश्रिख  ब्लाक के ग्राम-दसरथपुर में कमलेश सिंह द्वारा स्थापित वर्मी कम्पोस्ट के सरल एवं आसान तरीकों का अवलोकन किया, भ्रमण दल को  कमलेश सिंह द्वारा अवगत कराया गया कि उनके तरीके से वर्मी कम्पोष्ट बिना गड्ढे के लगभग 15 दिनों में बनकर तैयार हो जाती है और लगभग 20 गायों की युनिट से उनके द्वारा न्यूनतम पचास हजार से एक लाख प्रति माह की आमदनी की जा रही है। जितनी खाद की माॅंग है। उतना उनके पास उत्पादन नहीं पा रहा हैै। कमलेश सिंह ने भ्रमण दल को अपने यहाॅं पाली गयी गिर, थारपारकर, साहीवाल नस्ल की देशी गायों का अवलोकन कराया, जो औसतन 10-20 लीटर दूध प्रतिदिन देती है। श्री सिंह द्वारा भ्रमण दल को सुविधाजनक कैटलसेड, उसमें यूरिन कलेक्शन सिस्टम, यूरिन के उपयोग, जीवामृत बनानें आदि के संबंध में भ्रमण दल को विस्तार से जानकारी उपलब्ध कराते हुये अवलोकन कराया। साथ ही कम जगह की उपलब्धता एवं छतों पर अनेक प्रकार के फल व सब्जियों को उगाने की तकनीकी का अवलोकन कराया तथा उसके निर्माण एवं उपयोगिता पर विस्तार से जानकारी दी। भ्रमण दल के सदस्य उक्त नई तकनीकों को देखकर बहुत उत्साहित हुआ और वापस जाकर शीघ्र ही अपने यहाॅं उस पर तत्काल क्रियान्वयन करने का आश्वासन दिया। जनपद के इस भ्रमण दल द्वारा सरकार के निर्देशानुसार कृषक उत्पादन संघों (एफ0पी0ओ0) के गठन तथा औषधीय एवं सुगन्धित पौधों की खेती के लिये तत्परता के साथ कार्य किया जा रहा है। इस भ्रमण से कुछ और नई तकनीकी का उपयोग जनपद में प्रारम्भ करने में सहयोग मिल सकेगा। भ्रमण दल कृषि एवं पशुपालन के क्षेत्र में बेहतर आय एवं रोजगार स्रजन की सम्भावनायें हो सकती हैं, इसके लिये उन्होंने जनपद में साहीवाल, गिर, थारपारकर नस्ल की गायों के पालन एवं जमुनापारी, बरबरी एवं अजमेरी नस्ल की बकरियों के पालन पर तत्काल अपने प्रयास करने को सहमत हुआ। 

श्री कमलेश सिंह द्वारा अवगत कराया गया कि उनके द्वारा उस क्षेत्र में पानी की कमी को दृष्टिगत रखते हुये भूमिगत जल संरक्षण, खेती में नमी संचयन, मृदा की उर्वरता को ठीक करने, खेतों में रसायनिक खादों को बन्द करने, प्रकृति के संरक्षण के उद्देश्य से अपने इस मिशन पर कार्य किया जा रहा है, जिसमें उनको हजारों किसानों का सहयोग प्राप्त हो रहा है। प्राकृतिक संसाधनों यथा- पृथ्वी, जल, वायुमंडल एवं पेड़-पौधों को मानव एवं जीव-जन्तुओं की वर्तमान आवश्यकतों को पूरा करते हुये इसे अगणित पीढियों तक बनाये रखने के लिये हमारा मिशन है कि खेती के परम्परागत तरीकों का प्रचार-प्रसासर किया जा रहा है। इसकी जागरूकता के लिये उनके द्वारा जन समुदाय के सहयोग से मिशन मोड में कार्य किया जा रहा है। श्री कमलेश सिंह द्वारा अवगत कराया गया कि इसके लिये कई प्रतिष्ठित संस्थाओं के द्वारा उनको पुरष्कृत भी किया जा चुका है। 

भ्रमण के अन्त में डा0 राज किशोर, जिला प्रशिक्षण अधिकारी, खीरी द्वारा कमलेश सिंह एवं उनके सहयोगी संगठनों को उक्त तकनीकों का अवलोकन करानें के लिये धन्यवाद ज्ञापित किया। साथ जनपद के मुख्य विकास अधिकारी  को उक्त फील्ड इक्सपोजर विजिट का अवसर उपलब्ध कराने के लिये उनको धन्यवाद एवं आभार व्यक्त किया। डा0 किशोर ने उक्त तकनीकों तक पहुॅचाने के लिये कमलेश सिंह का सम्पर्क कराने के लिये  पी0एस0 ओझा, राज्य समन्वयक, उ0प्र0 जैव ऊर्जा विकास बोर्ड मौजूद थे। इस दौरान जिला प्रशिक्षण अधिकारी, डा0 राज किशोर जिला ग्राम्य विकास संस्थान, का कर्तव्य निष्ठा सराहनीय रहा।

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