कानपुरः छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय में चल रही सात दिवसीय संगीत कार्यशाला के दूसरे दिन आज बनारस शैली में खमाज राग और जत ताल पर आधारित ठुमरी के बारे में विस्तार से बताया और रियाज कराया गया। हाइब्रिड ( ऑन लाईन और ऑफ लाईन ) माध्यम से ठुमरी एवं दादरा की इस संगीत कार्यशाला की संयोजिका डॉ. ऋचा मिश्रा ने बताया कि रिसोर्स पर्सन डॉ. शालिनी वेद त्रिपाठी जी ने बनारस शैली में खमाज राग तथा जत ताल पर आधारित ठुमरी ‘इतनी अरज मोरी मान’ और राग देस वा ताल दीपचंदी पर आधारित होरी ठुमरी ‘होरी खेल ना जाने’ को बहुत ही सुंदर तरीके से सिखाया, जिसे सभी छात्र, छात्राओं ने भी आनंदित हो कर सीखा और गाया भी। तबले पर विभाग में कार्यरत संगतकार निशांत कुमार सिंह ने कुशल संगत दी। इस अवसर पर ऑन लाईन ऑफ लाईन दोनों माध्यमों से पंजीकृत शिक्षक, शोधार्थी, छात्र छात्रायें तथा कार्यशाला आयोजन समिति के सदस्य डॉ. रागिनी स्वर्णकार एवं शुभम वर्मा आदि शिक्षक उपस्थित रहे। डॉ. ऋचा मिश्रा ने सहभागिता करने वाले सभी प्रतिभागियों का स्वागत एवं धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने बताया कि यह कार्यशाला कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक जी के कुशल निर्देशन में संचालित की जा रही है। कुलपति जी संगीत जैसी कलाओं की शिक्षा एवं प्रचार-प्रसार के लिए संकल्पित हैं।
Tuesday, February 15, 2022
ठुमरी गीतों की बारीकी से रूबरू हुए संगीत के छात्र: डाॅ. ऋचा मिश्रा
कानपुरः छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय में चल रही सात दिवसीय संगीत कार्यशाला के दूसरे दिन आज बनारस शैली में खमाज राग और जत ताल पर आधारित ठुमरी के बारे में विस्तार से बताया और रियाज कराया गया। हाइब्रिड ( ऑन लाईन और ऑफ लाईन ) माध्यम से ठुमरी एवं दादरा की इस संगीत कार्यशाला की संयोजिका डॉ. ऋचा मिश्रा ने बताया कि रिसोर्स पर्सन डॉ. शालिनी वेद त्रिपाठी जी ने बनारस शैली में खमाज राग तथा जत ताल पर आधारित ठुमरी ‘इतनी अरज मोरी मान’ और राग देस वा ताल दीपचंदी पर आधारित होरी ठुमरी ‘होरी खेल ना जाने’ को बहुत ही सुंदर तरीके से सिखाया, जिसे सभी छात्र, छात्राओं ने भी आनंदित हो कर सीखा और गाया भी। तबले पर विभाग में कार्यरत संगतकार निशांत कुमार सिंह ने कुशल संगत दी। इस अवसर पर ऑन लाईन ऑफ लाईन दोनों माध्यमों से पंजीकृत शिक्षक, शोधार्थी, छात्र छात्रायें तथा कार्यशाला आयोजन समिति के सदस्य डॉ. रागिनी स्वर्णकार एवं शुभम वर्मा आदि शिक्षक उपस्थित रहे। डॉ. ऋचा मिश्रा ने सहभागिता करने वाले सभी प्रतिभागियों का स्वागत एवं धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने बताया कि यह कार्यशाला कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक जी के कुशल निर्देशन में संचालित की जा रही है। कुलपति जी संगीत जैसी कलाओं की शिक्षा एवं प्रचार-प्रसार के लिए संकल्पित हैं।
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