Thursday, May 10, 2018

New Media in Hindi 3

पारंपरिक वनाम ऑनलाइन पत्रकारिता : समाचार लेखन, प्रस्तुति और उपयोग में अंतर (difference in news consumption, Presentation and Uses)

परिवर्तन ही प्रकृति का नियम है, और जब देश बदल रहा है डिजिटल हो रहा है तो मीडिया में परिवर्तन भी होना ही है . मीडिया में अब पत्रकारनहीं पत्रकारों की पौध आ रही है लेकिन उनमें पत्रकारिता के प्रति शिद्दत नहीं रही,अब एक चकाचौंध उन्हें इस और खींच रही है , इलेक्ट्रानिक मीडिया का ग्लैमर उन्हें इस ओर ला रहा है .पत्रकारिता के एक कालेज में जब वहां प्रवेश लेने  वाले स्टूडेंट से पत्रकारिता में आने का उद्देश्य पूछा तो जवाब था कि इस पेशे में चमक धमक है रौब है .पहले पत्रकार कलम और अपनी शैली से बनते थे, अब कालेज में पढ़ कर,डिग्री ले कर पत्रकार आ रहे हैं.वेब पत्रकरिता को तो परम्परागत मीडिया नेअपना लिया ,मगरसोशलमीडिया ने नया रास्ता खोल दिया.आम आदमी भी पत्रकार की श्रेणी में आ गया है . वह परम्परागत मीडिया के सम्पादक के नाम पत्र को अबनहीं लिखता वह ब्लागर बन गया .पहले सम्पादक और पत्रकार जो लिख दे उसे सत्य माना जाना था परन्तु आज  पत्रकार,पाठक नही आमजन, जोसोशल मिडिया का पत्रकार बना है किसी भी असत्य याअनुचित समाचर पर पल भर में उसकी प्रतिष्ठा या औचित्य पर सोशल मिडिया पर धज्जिया बिखेर सकता है . मतलबकि पाठक या ये नया सोशल  मिडिया जिस गति के साथ संचारित हो रहा है उस केसाथ परम्परागत मिडिया नही चल पा रहा .संवाद के सम्प्रेष्ण के लिए अब सरकार या अन्य संस्थाए परम्परागत मिडिया की मोहताज नही रही . संचार क्रांति के बाद अब डिजिटल इंडिया की देश में जो परिकल्पना  की जा रही है उसमेपरम्परागतमीडियाकाहश्रकैसा होगा समझा जा सकता है . सुबहउठ कर  समाचार पत्र का इन्तजार अब युवा नही करते , वो जब चाहे जहां चाहे समाचारों से अपडेट रहने लगे है . आन लाइन समाचारकी  जगह वो व्हाट्सअप पर यकीन करने लगा है .
ये परिवर्तन सुखद है,देश के युवा से ले लेकर महिलाओतक  मुखर हो रही है .अपनी बात कही जा रहीहै, सरकार से संवाद स्थापित किया जा रहा है,उत्तर प्रतिउत्तर आ  जा रहे है . मगर अब माध्यम पहले की भाँती परम्परागत मीडिया नही रहा .उसके आलेख ,और सम्पादकीय पृष्ठ अब पीछे और पीछे होते जा रहे है . प्रश्न  वही किअब पहले जैसे पत्रकार नही रहे जो अपनी कलम और सोच से इन्हें लिख सकेयाजो पत्रकारों की नई पौध आ रही है उनमे वैचारिक शून्यता है .ऐसा  भी नहीं है लेकिन नही लिखा जा रहा है .उसका कारण मीडिया घराने  व्यवसायिकहोगये है .पत्रकार और सम्पादक पॅकेज पर नियुक्त किये जा रहे है .
आज आम आदमी भी प्रधान मंत्री को अपनी बात सोशल मीडिया पर  टैग  कर रहा है और स्वयम प्रधानमंत्री उस पर प्रतिक्रिया दे रहें है और उन समस्याओं का निराकरण भी हो रहा है. ये सकारात्मक परिणाम या द्रुतगति से सरकार के कामकाज का तरीका हो सकता है पर यह प्रजातंत्र का चौथा प्रहरी नही हो सकता जो सरकार के कामकाज पर नजर रखे और  उस केद्वाराकी जा रही अनियमितता को उजागर कर सके . देश ही नही अनेक देशों में कई सरकारेतो मीडिया के कारण ही अपदस्त हुई हैं.

इतिहास

दशकों में संचार टेक्नोलॉजी में आए चमत्कारिक परिवर्तन का सर्वाधिक फायदा सूचना जगत को हुआ है और मीडिया की इस पर निर्भरता बढ़ गई है। स्कॉटलैण्ड के अलेक्जेंडर ग्राहम बेल ने 1876 मे टेलीफोन का आविष्कार किया तो इसे मानव के प्रगतिशील विकास की राह में एक क्रांतिकारी कदम माना गया। तकनीकी विकास के कारण आज दुनिया मुट्ठी में समा गई है। चीन और अमेरिका के बाद भारत दुनिया का सबसे बड़ा इंटरनेट यूजर्स देश है। प्रत्येक पांचवी ऊंगली इंटरनेट के बटन पर है। जाहिर तौर पर आज पत्रकारिता पूरी तरह सूचना तकनीकी पर आश्रित है। ई-कम्यूनिकेशन का दौर शुरू हो चुका है। अब वेबसाइट, ई-मेल, यूट्यूब, सोशल साइट, ट्विटर, ब्लॉग जैसे ई-कम्युनिकेशन माध्यम पारंपरिक मीडिया को चुनौती देते दिखाई दे रहे हैं। आज के दौर में पत्रकारिता सूचना और मनोरंजन के मुख्य स्त्रोत बन गए हैं। लोग अखबार इंटरनेट और मोबाइल पर पढ़ रहे हैं। सोशल साइट का प्रयोग दिनों दिन बढ़ रहा है। वर्तमान में 2.7 बिलियन से ज्यादा वेबपेज रोजाना सर्च हो रहे हैं। अमेरिका का युवा कागज पर छपा अखबार नहीं पढ़ रहा बल्कि वह अखबार की जगह नेट पर गूगल समाचार में एक ही जगह तमाम अखबारों की सुर्खियां देख ले रहा है। आज गूगल समाचार के कारण यूरोप और अमेरिका में अखबारो की संख्या और राजस्व दोनों गिर रहे हैं।
तेजी से बदलती तकनीकी ने पत्रकारिता का पारंपरिक चेहरा बदल दिया है। आधुनिकता और प्रतिस्पर्धा के इस दौर में जहां पहले से खबरों की स्रोतों के इतने सारे माध्यम मौजूद थे, वहाँ सोशल मीडिया ने सबको पछाड़ते हुए अपनी अद्वितीय-पहचान बना ली है। सोशल मीडिया लोगों की पहली पसंद बन गया है। इसका सीधा मतलब है जनता की अपनी आवाज। वो आवाज जो उसके अपने लोगों से ही निकाल कर उसे सुनाई जाती है। न कोई चैनल ,न कोई अखबार .. सिर्फ आप की खुद की आवाज, आपकी खबरों के ज्ञान का भंडार। जो सूचनायें परंपरागत मीडिया का हिस्सा नहीं बन पाती, वह आज सोशल मीडिया की सुर्खियां बन वायरसफैला रही हैं। इंटरनेट की दुनिया में लोगों के पास असंख्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म उपलब्ध हैं, जहां लोग एक-दूसरे से आसानी से संपर्क बना सकते है। अपनी सूचनाओं एवं खबरों को सरलता से आपस में साझा कर सकते हैं। उनमें से सबसे प्रचलित फेसबुक और ट्विटर हैं। फेसबुक से पहले गूगल परिवार का आॅर्कुट सोशल प्लेटफार्म का सबसे बड़ा नाम था, पर एफबी के करिश्माई प्रभाव ने इस साल उसके अस्तित्व को ही खत्म कर दिया। गूगल ने आॅर्कुट की सेवाएं एकदम से समाप्त कर दी। आज फेसबुक लोगों की (विशेष तौर पर ज्यादातर भारतीयों की) पहली पसंद है। दूसरा नंबर आता है ट्विटर का जिसे सेलेब्रिटियों का अड्डा भी कहा जाता है। नेता से लेकर अभिनेता एवं जानी-मानी हस्तियाँ सब आपको ट्विटर पर मिलेंगे वो भी ओरिजिनल! हाल में दावोस में संपन्न हुए वर्ल्ड इकोनामिक फोरम में गूगल के प्रमुख एरिक स्मिथ ने यह कह कर दुनिया को और उत्साहित कर दिया कि बहुत जल्द इंटरनेट जिन्दगी के हर पहलू में इतना रच बस चुका होगा कि यह ब्रॉडबैंड में गुम हो जायेगा। आपके इर्द-गिर्द इतने सारे सेंसर और डिवाइस होंगी कि आपके लिए उन्हें पता लगाना तक मुश्किल हो जायेगा।

प्रस्तुति एवं उपयोग में अंतर

यह सवाल परेशान कर सकता है कि मीडिया के इतने साधनों के बाद भी सोशल मीडिया अस्तित्व मे क्यों आया ? क्या पहले से मौजूद मीडिया के स्रोत निरर्थक और असक्षम हो गए थे जो सोशल मीडिया का जन्म हुआ ? असल मे आत्म-चिंतन और अवलोकन तो प्रिंट और टीवी मीडिया वालों को करना चाहिए जिनकी निष्पक्षता और स्वतंत्रता पर बार-बार दाग लगे हैं। शायद उसी दाग को साफ करने के लिए सोशल मीडिया ने जन्म लिया। लोकतंत्र के महत्वपूर्ण अंग की नीलामी को रोकने के लिए ही सोशल मीडिया अस्तित्व मे आयी दिखती है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, केवल भारत में फेसबुक और ट्विटर पर सक्रिय सदस्यों की संख्या 33 मिलियन से अधिक हैं। ये आंकड़ें अचंभित करने वाले हैं। सोचिए, इतने सारे लोगो के बीच सूचनाओं के आदान-प्रदान की सीमा क्या होगी ? भारतीय दृष्टिकोण के अनुसार पिछले कुछ वर्षो मे सोशल मीडिया ने भारत मे गेम-चेंजर की तरह काम किया है। राजनीति, व्यापार, शिक्षा और मनोरंजन की क्षेत्र मे सोशल मीडिया ने अपनी अद्भुत्त शक्ति दिखाई है।
लोकसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस के एक अधिवेशन में राहुल गांधी ने सोशल मीडिया की अहमियत का उल्लेख किया। बाद में तत्कालीन सरकार ने इसके लिए बजटीय प्रावधान भी किया। नरेंद्र मोदी और भारतीय जनता पार्टी की लोकसभा चुनावों मे अप्रत्याशित जीत में वेब (सोशल) मीडिया की भूमिका महत्वपूर्ण थी। प्रधानमंत्री मोदी ने भी सोशल मीडिया के महत्व की कई मंचों पर स्वीकृति दी है। जिस मोदी लहर की मीडिया वाले आए-दिन अपनी न्यूज-डिबेट मे चर्चा करते है, उस लहर को आक्रामक बनाने मे सोशल मीडिया की अहम भूमिका रही है।
अबकी बार, मोदी सरकार , हर हर मोदी घर घर मोदी जैसे विवादास्पद नारे भी सोसल मीडिया के ही हिस्से थे। लोकसभा चुनावों में सोशल मीडिया के प्रभाव को अध्ययन करने पर कई चौंकानें वाले तथ्य एवं आंकड़े सामने आए है। लोकसभा चुनाव की घोषणा के बाद केवल फेसबुक पर 29 मिलियन लोगों ने 227 मिलियन बार चुनाव से संबन्धित पारस्परिक क्रियाएं (जैसे पोस्ट लाइक, कमेंट, शेयर इत्यादि) की। इसके अतिरिक्त 13 मिलियन लोगों ने 75 मिलियन बार केवल नरेंद्र मोदी के बारे में बातचीत की। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि 814 मिलियन योग्य मतदाताओं वाले देश (भारत) में सोशल मीडिया का प्रचार का पैमाना लोकसभा चुनावों के दौरान व्यापक था।
अन्ना हजारे और आम आदमी पार्टी के संस्थापक अरविंद केजरीवाल को ब्रांण्ड बनाने में सोशल मीडिया का अहम योगदान रहा है। देश दुनिया में जुनून पैदा करने वाले अन्ना हजारे के भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन की सफलता में सोशल मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका थी। यह सोशल मीडिया का ही करिश्मा था कि छोटी सी चिंगारी को उसने जनाक्रोश में तब्दील कर दिया था। तत्कालीन यूपीए सरकार दबाव में आ गयी थी। सरकार ने भी सोशल मीडिया की शक्ति को स्वीकारा था। सोशल मीडिया सामाजिक बुराइयों के खिलाफ लड़ाई मे एक मेसेंजर के तौर पर उतरा है। लोगों की आवाज को सरकार तक पहुंचाने मे सोशल मीडिया सक्रिय रहा है। सोशल मीडिया ने सामाजिक कुरुतियों को उजागर करने और जागरूकता फैलाने में भी अहम भूमिका निभाई है। सोशल मीडिया सरकार पर दबाव बनाने का प्रभावकारी जरिया बन गया है। आरुषि-हेमराज हत्याकांड, दामिनी बलात्कार कांड, गीतिका-गोपाल कांड जैसे अनेक मामलों में सोशल मीडिया ने इंसाफ की जंग लड़ी है।
दिल्ली का दिल दहला देने वाले दामिनी बलात्कार कांड को लेकर सबसे ज्यादा आक्रोश सोशल मीडिया पर ही दिखा। यह सोशल मीडिया का ही प्रभाव था कि तत्कालीन सरकार ने आनन-फानन मे उक्त घटना के बाद कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए। पूरा देश और सोशल मीडिया दामिनी के साथ खड़ा था। देश-विदेश से ऐसी घटनाओं के खिलाफ माहौल बनाने का पूरा श्रेय भी इसी माध्यम को जाता है। सोशल मीडिया को जिस तरह से स्वीकृति मिल रही है उससे कहा जा सकता है कि भूतकाल कीर्तिमय था, वर्तमान समृद्ध है, भविष्य उज्ज्वल और यशस्वी होगा। जिस तरह से आज समाज के हर वर्ग ने सोशल मीडिया को अपनी स्वीकृति दी है,उससे इसकी स्वीकार्यता और उपयोगिता जाहिर तौर पर अन्य मीडिया माध्यमों के लिए एक गंभीर चुनौती के तौर पर उभरी है। इसके बढ़ते प्रभाव के मद्देनजर मीडिया हाउसों के रणनीतिकार अपनी व्यापारिक और पेशेवर रणनीतियों में बदलाव को मजबूर हुए हैं।
उधर, परंपरागत मीडिया के प्रभावी माध्यम माने जाने वाले टेलीविजन को आम जनता देखती है। उसे कोसती भी है। क्या इसे हम टीवी चैनलों की विश्वसनीयता पर संकट कहें ? टीवी चैनलों के आने के बाद जो कुछ गलत हो रहा था, उसे लोगों के बीच में लाने का काम शुरू हुआ। आने वाले समय में सोशल मीडिया एक प्रभावकारी और भरोसेमंद तथा त्वरित पत्रकारिता का स्थान लेगी। पश्चिमी देशों में ऐसा होने लगा है। सोशल और यहां तक कि टीवी पत्रकारिता ने बहुत बड़ी क्रांति ला दी है। इसने अभिजात्य संस्कृति को ध्वस्त किया है। सामंतवादी सोच को बदला है और जमीनी स्तर तक लोकतंत्र को फैलाया है।
वेबसाईट, ईमेल, ब्लॉग, सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटस, जैसे माइ स्पेस, आरकुट,फेसबुक आदि, माइक्रो ब्लागिंग साइट ट्विटर, ब्लाग्स, फॉरम, चैट वैकल्पिक मीडिया का हिस्सा है । यही एक ऐसा मीडिया है जिसने अमीर, गरीब और मध्यम वर्ग के अंतर को समाप्त किया हैे। अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का दायरा अब बढ़ गया है। निश्चित तौर पर वैकल्पिक मीडिया में अपार संभावनायें है। दूसरी ओर, यह सच उजागर करने का क्षमता भी रखता है। विकीलीक्स द्वारा किये गये खुलासे इसके उदाहरण हैं। आज धीरे धीरे जहां ब्लॉगिंग प्रिंट मीडिया के समानान्तर खड़ा होने लगा है, वहीं इसके भविष्य की वृहद संभावनायेँ इसे न्यू मीडिया के रूप मे चर्चित कर रही हैं। न्यू मीडिया अथवा ब्लागिंग की कुछ विशेषताएँ ऐसी हैं जो इसे अन्य माध्यमों से बेहतर और विस्तृत बनाती है। आज गूगल समाचार के कारण यूरोप और अमेरिका में अखबारों की संख्या और रेवेन्यू दोनों गिर रहे हैं। अमेरिकी मीडिया अकादमिक प्रो फिलिप ने अखबारों के पतन का उल्लेख करते हुए लिखा है कि अगर ऐसा ही रहा तो अप्रैल 2040 में अमेरिका में आखिरी अखबार छपेगा।
अमेरिका का सर्वाधिक प्रतिष्ठित अखबार वाशिंगटन पोस्ट बिक गया, जिसे आमेजन डॉट काम ने खरीद लिया। न्यूयार्क टाइम्स भी कर्ज में डूब चुका है। साप्ताहिक पत्रिका न्यूजवीक का प्रिंट संस्करण बंद हो चुका है और वह अब केवल आॅनलाइन ही पढ़ी जा सकती है। सवाल यह है कि अखबारों के बिना पत्रकारिता का क्या होगा। अखबार ही नहीं बल्कि टेलिविजन न्यूज की दर्शकों की संख्या में भी कमी आ रही है। बस इंटरनेट बढ़ रहा है। सोशल मीडिया हमें सूचनायें उपलब्ध करा रहा है।
अमेरिका में आज बहस का दूसरा मुद्दा यह है कि पत्रकार कौन है! एडवर्ड स्नोडन, राबर्ट मैनी , जूलियन असांजे आदि के खुलासों के बाद पत्रकार की परिभाषा बदल गयी है। इस संदर्भ में देखें तो अब सिटीजन जर्नलिज्मका जमाना है। ब्लॉगिंग, फेसबुक आदि के प्रसार के बाद आज हर नागरिक एक पत्रकार की भूमिका में है। यह क्राउड सोर्स का समय है। तकनीकी विस्तार के कारण न्यू मीडिया और सोशल मीडिया का समाज में दखल और वर्चस्व इतना बढ़ता जा रहा है कि सरकार इसके लिए नियामक प्राधिकरण गठित करने की सोच रही है। सोशल मीडिया पर स्टेटस लिखना अभिव्यक्ति की आजादी के बड़े सवाल से जुड़ गया है। इस विवाद ने अधिक तूल तब पकड़ा, जब महाराष्ट्र में बाल ठाकरे की अंतिम यात्रा के दौरान राज्य में घोषित किये गये बंद को एक लड़की द्वारा फेसबुक पर गैर-जरूरी बताये जाने पर उसे गिरफ्तार कर लिया गया।
ऐसे ही मामले पश्चिम बंगाल और पुद्दुचेरि में भी सामने आये हैं। सोशल मीडिया पर की गयी टिप्पणियों को आधार बना कर पुलिस ऐसी गिरफ्तारी आइटी कानून की धारा 66-ए के तहत कर रही है। इस धारा को लेकर दिल्ली की छात्र श्रेया सिंघल ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की। याचिका में श्रेया ने 66-ए को कठघरे में लाते हुए इसे अभिव्यक्ति की आजादी, न्याय के समक्ष समता और जीवन के अधिकार से जोड़ा है।
इसमे दो राय नहीं कि मीडिया बाजार का हिस्सा है। इसका संचालन निजी हाथों में है। यह लोकतंत्र के तीन अन्य स्तंभ की तरह नियमों, कायदों और प्रावधानों के तहत भी नहीं है। संविधान इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता देता है। लिहाजा, तब क्या इसे सामाजिक जवाबदेही की दायरे में लाया जाना चाहिए। इस जवाबदेही का स्वरूप क्या हो, इस पर भी विमर्श जरूरी है। प्रेस काउंसिल आफ इंडिया हमेशा से कहता रहा है कि नागरिक समाज के प्रति मीडिया को जवाबदेह होना होगा..। जब रिजनेबल रिस्ट्रिक्शन का मतलब उसे नियंत्रण करना नहीं है, ऐसे में काउंसिल की चिंता समाज में उसे भरोसेमंद बनाने को लेकर है। ताकि लोगों का मीडिया से जुड़ा भरोसा खतम न हो।

ऑनलाइन लेखन : क्या करें क्या न करें (Online Writing & Editing: Do’s and Don’ts)

समाचारों और तकनीकी जानकारियों से अलग, ऑनलाइन लेखन की एक अलग ही दुनिया है ब्लॉग. एक ऐसा ऑनलाइन प्लेटफार्म, जहां मूल तौर पर मौलिक लेखन होना चाहिए और स्वाभाविक तौर पर मौलिकता कुछ अनगढ़ ही रहती है, अगर कोई उस क्षेत्र की बारीकियों से परिचित नहीं, तो.
 इस ऑनलाइन लेखन को इंटरनेट के अथाह समुद्र से तलाश कर आपके सामने लाने का काम करते हैं गूगल, बिंग जैसे सैकड़ों सर्च इंजिन. एक शब्द या वाक्यांश की तलाश में यह सर्च इंजिन लाखों करोड़ों ऑनलाइन लेखन पन्ने ला पटकते हैं जिज्ञासु पाठक के सामने. 
अब अगर सर्च इंजिनों को हम, अपना खुद का ऑनलाइन लेखन तलाश करने और पाठकों के सामने रखने में, स्वयं ही सहायता करें, उन्हें ऊँगली पकड़ कर राह दिखाएँ तो क्या मस्त रहेगा मामला. कितना बढ़िया रहेगा ना!? इधर तलाश करने वाले ने हमारा लिखा जो चाहा वह झट से उस इंटरनेटीय समुद्र के ऊपर ऊपर दिखने लगा!:-)
इसी मदद को नाम दिया गया है सर्च इंजिन अनुकूलता (Search Engine Optimization -SEO)

ऑनलाइन लेखन गूगल के लिए

 यह एक कटु सत्य है कि सर्च इंजिन पर किसी शब्द या वाक्यांश के लिए इंटरनेट पर उपलब्ध लेखन की खोज हो तो मिलने वाले परिणाम के हजारों, लाखों पृष्टों में पहले, दूसरे, तीसरे पृष्ठ से आगे सामान्य उपयोगकर्ता नहीं जाता. यह एक चौंकाने वाला तथ्य है कि 75% खोजकर्ता पहले पृष्ठ के बाद आगे जाते ही नहीं. अगर उस शब्द या वाक्यांश को समेटने वाला आपका ब्लॉग/ वेबसाईट पहले ही पन्ने पर दिखाई देता है तो उसे सर्वोत्तम SEO माना जाता है उसके बाद के पृष्ठों में इसकी गुणवता कम होती मानी जाती है.
 इसी कारण कविता, स्थानीय बोली, खिचड़ी भाषा वाले लेख किसी सर्च इंजिन पर दसियों सैकड़ों पृष्ठ पार लेने के बाद भी नहीं दिखते.

व्यावसायिक बाज़ार

बाज़ार में इस Search Engine Optimization के लिए व्यवसायिक संस्थाएं दसियों हजारों रूपये से ले कर लाखों रूपये लेती हैं फीस के रूप में, यह रकम भी मासिक है 😮 गूगल ऎसी किसी भी सेवा देने वाले को चुनने में सतर्कता बरतने की सलाह देता हैI  

ऑनलाइन लेखन शैली

अब आते हैं इस मुद्दे से हट कर ऑनलाईन लेखन शैली पर. मैं ना तो कोई सलाह दे रहा ना ही किसी की भर्त्सना कर रहा. लेकिन अधिकतर मित्र, लिखते समय मूल बातों की परवाह किये बिना लिखे जाते हैं लिखे जाते हैं. ना तो कहीं अर्धविराम, ना ही कहीं पूर्णविराम और ना ही कहीं कोई पैराग्राफ.

बेतरतीब ऑनलाइन लेखन

बेतरतीब ऑनलाइन लेखन का नमूना, इसे जानबूझ कर धुंधला किया गया है
मेरे जैसा पाठक तो भाग खड़ा होता है ऐसा कुछ दिखते ही. और आपने भी देखा होगा ऐसे लेखन पर या तो बेहद औपचारिक टिप्पणी होती है या तो टिप्पणी ही नहीं होती.
ऑनलाइन लेखन फार्मूला
इस तरह लिखा हुआ चाहे जितना भी श्रेष्ठ हो, यह ना तो मानव को भाता है और ना ही मशीन को! मानव भले ही इसे किसी पूर्वाग्रह में पढ़ ले लेकिन सर्च इंजिन का रोबोट इसे अपनी सहज पठनगणना में बहुत कम अंक देता है. उसकी गणना का आधार देखिये
बाक़ी सब तो आप समझ गए होंगे लेकिन यहाँ Syllables का सही सही अनुवाद मैं नहीं कर पाया. Syllable माने, मानव द्वारा सहज शैली में एक बार बोले जा सकने वाले शब्द. शायद मैं सही समझा रहा तो, दो (अर्ध/ पूर्ण) विरामों के बीच वाले शब्दों से बना वाक्यांश.
इस नुस्खे के हिसाब से जितने ज़्यादा अंक, उतनी श्रेष्ठ सहज पठन शैली’. इसके अनुसार 90 से 100 अंक वाले लेख, 11 वर्ष वाले औसत विद्यार्थी को भी समझ आ जायेंगे, 60 से 70 अंक प्राप्त लेख को 13-15 वर्षीय बच्चा भी सहजता से ग्रहण कर सकता है और  0 से 30  अंक वाले लेख तो कॉलेज वाले ग्रेज्युट की ही समझ आयेंगे.
अमेरिका का रक्षा मंत्रालय, इस नुस्खे को अपने दस्तावेजों और फॉर्म्स के लिए एक मानक मानता है.

मुद्दे और भी हैं

आपके ब्लॉग पर, सर्च इंजिन के लगातार टहलते, टटोलते रोबोट्स, लेखन शैली के अतिरिक्त कई तकनीकी बातें को भी देखतेहैं. इनमें प्रमुख हैं वह विशिष्ट शब्द, जिस पर आपका लेख केंद्रित है. यही शब्द आपके लेख के शीर्षक, लेख की इंटरनेट लिंक, लेख के संक्षिप्त विवरण में भी होना चाहिए, लेख के पहले पैराग्राफ में ही इस विशिष्ट शब्द को समेटे, लेख की भूमिका हो और इसी शब्द का प्रयोग आपके लेख में अधिक से अधिक हो.

ऑनलाइन लेखन के प्रयास

लेख का शीर्षक 70 वर्णों (Characters) से अधिक ना हो, संक्षिप्त विवरण (Meta Description) 156 वर्णों से अधिक ना हो, लेख की कुल शब्द संख्या 300 शब्दों से अधिक हो.
ऑनलाइन लेखन में यह भी आवश्यक है कि लेख की जान कहे जाने वाले विशिष्ट शब्द का प्रयोग पहले कभी आपने ना किया हो, उप-शीर्षक हों, विषयानुसार चित्र हों तथा प्रस्तुत सभी चित्रों में विशिष्ट शब्द का प्रयोग हुआ हो, बाहरी वेबसाईट्स के लिंक हों. ये सब तो सोने पे सुहागा हैं.

ऑनलाइन लेखन

गूगल के ब्लॉग्स पर तो संभव नहीं लेकिन मैंने अपनी सभी वेबसाईट्स पर प्लगइन कहे जाने वाले ऐसे रोबोट तैनात कर रखे हैं जो मुझे किसी पोस्ट के लिखते समय, उपरोक्त सभी तकनीकों को समेटे हुए कॉमेंट्री करते चलते हैं कि मेरा, मेरे लेख का स्कोर 0 से 100 के बीच क्या चल रहा. साथ ही साथ डैशबोर्ड पर ही लाल, नारंगी, हरा सिगनल दर्शाता है कि सर्च इंजिन्स के लिए यह लेख बुरा है, ठीक ही है, बहुत बढ़िया है.

तकनीक सिर्फ ऑनलाइन लेखन के लिए?

जी नहीं, यह मूल तकनीक भौतिक रूप से सभी आलेखों, प्रपत्रों, पुस्तकों, शोध पत्रों, अध्ययनों आदि पर लागू होती है. इसके अनुसार विश्व प्रसिद्द टाईम पत्रिका का स्कोर 52 और रीडर्स डाइजेस्ट का स्कोर 65 है. कुछ देशों ने तो बीमा पालिसी के लिए भी न्यूनतम 45 का स्कोर तय कर रखा है. हाँ, यह ज़रूर है कि सहायक युक्तियों से इसका उपयोग, ऑनलाइन लेखन के लिए त्वरित परिणाम दर्शाता रहता है.

ब्लॉग (Blog)

ब्लॉग Blog एक ऐसी जगह है जहाँ पर हर रोज, हर घंटे कुछ-न-कुछ नया सिखने को मिलता है, वहाँ हर रोज़, हर घंटे नये-नये Post Updates होते रहते है। ब्लॉग एक प्रकार के व्यक्तिगत जालपृष्ठ (वेबसाइट) होते हैं जिन्हें दैनन्दिनी (डायरी) की तरह लिखा जाता है। इनके विषय सामान्य भी हो सकते हैं और विशेष भी। हर ब्लॉग में कुछ Article, कुछ फोटो और  कुछ Video भी हो सकती हैं। हिन्दी भाषा के अनुसार ब्लॉग को "चिठ्ठा"कहा जाता है। 'चिट्ठा' शब्द पहले हिन्दी चिट्ठाकार (Indian blogger) आलोक कुमार द्वारा प्रतिपादित/Found किया गया था, जो कि अब Internet पर हिन्दी दुनिया में प्रचलित हो गया है। "चिठ्ठा" शब्द अब Google द्वारा भी अपने शब्दकोश/Dictionary में शामिल किया जा चुका है।
Blog एक अंग्रेजी शब्द है जो की Weblog  शब्द का एक सूक्ष्म (Short Name) रूप है। weblog नाम 1997 में Jorn Berger ने दिया, जिसे आगे चलकर 1999 में Merholz ने इसका short नाम रखा Blog जो आज इस नाम से प्रसिद्ध है, लोग इसी नाम से जानते है, तथा यह शब्द इन्टरनेट पर प्रचलित हो गया है।
आपको पता ही होगा की लोग पुराने ज़माने या कुछ सालों पहले यानि लगभग 20 साल पहले, लोग Dairy, पत्रिका, अपने सुझाव या कुछ महत्वपूर्ण बातें इत्यादि, लिखा करते थे, या share किया करते थे। आज के आधुनिक युग (modern age ) में लोग इन्टरनेट पर  लिखना यानि ब्लॉग लिखना पसंद करते हैंउसे share करते है। इसी को ब्लॉग कहा जाता है। ब्लॉग किसी भी विषय पर लिखा जा सकता है। ब्लॉग लिखने वाले को ब्लॉगर (Blogger) भी कहा जाता है ओर जो काम ब्लॉग पर होता है उसे ब्लॉग्गिंग (Blogging) कहा जाता है।

ब्लॉगिंग (Blogging) -

Blog बना कर Articles लिखने ओर Blog को Maintain करने के काम को ही Blogging कहते है, Blogging एक ऐसा जरिया है जिसके द्वारा हम किसी विषय/Topic पर लिख सकते है,अपने विचार को अपने नजरियों से  दुसरो के सामने रख सकते है आप जो कुछ भी जानते है वो दुसरो को भी सिखा सकते है, Blogging ज्ञान और मनोरंजन का साधन बन चूका है। ब्लोगिंग करके आप अच्छे पैसे भी कमा सकते है। Blogging से अपना नाम Internet की दुनिया में अपना पहचान भी बना सकते है।

ब्लॉगर (Blogger) -

ब्लॉगर वह व्यक्ति होता है, जो ब्लॉग बनाकर , अपना ज्ञान, अपने विचार और जो भी कुछ वो जानता हो, जिससे दूसरों की मदद कर सकता है लोगो तक पहुचता है , वे अपने ब्लॉग के माध्यम से, इसके लिए वे हर रोज़ लिखता है, हर वक्त लोगो को updates रखने के लिए नई-नई चीजों के खोज में लगा रहता हो, यानि की वो हर चीज़ जिसे लोग नही जानते उससे अपने ब्लॉग के जरिये से बताता है उसे ब्लॉगर कहते है। सीधे शब्दो में बोल सकते है जो व्यक्ति Blogging करता है, वह Blogger कहलाता है।  

एक ब्लॉग दिखने में कैसा होता है ?

एक Simple Blogकी बात करी जाए तो, एक तरफ Posts List दिखाई जाती है ओर एक तरफ Sidebar में feature, ब्लॉग में post के निचे comment system होता है जिससे ब्लॉग में आने वाले readers अपने सुजाव, राय दे सके। और एक subscribe box होता है, subscribe box में readers अपने email के जरिए से आपकी ब्लॉग से नई-नई article/post के updates अपने email में पा सकता है। एक ब्लॉग को ज्यादातर एक Admin(Owner) या एक Team द्वारा चलाया जा सकता है। एक ब्लॉग में हर रोज़ नई-नई post/articles प्रकाशित (Publish) होते है। जैसे:- hindiarticles.com को ही देख लीजिये ये भी एक ब्लॉग है।

ब्लॉग बनाने के फायदे - Benefits of Blogs

आमतोर पर Blog बनाकर या Blogging करके हमें कोई नुकशान नहीं होता,
बल्कि ब्लॉग से Benefits ही Benefits है। कुछ points यहाँ इस प्रकार दिया गया है। 
  1. अपनी ज्ञान को एक दुसरे से share करके यानि ब्लॉग में articles को लिखके, ब्लॉग से हम पैसे भी कमा सकते है।
  2. इन्टरनेट की दुनिया में अपनी पहचान बना सकते है।
  3. ब्लॉग एक ऐसा जरिया जहाँ पर आपको कुछ-न-कुछ न्यू जानकारिय मिलती रहती है। आप इसे सीखते भी है, ओर सिखाते भी है।
  4. ब्लॉग बनाना बहुत ही आसन है, simple ब्लॉग बनाने में हमें Technical Knowledge या coding की जानकारी जरुरत नही पड़ती।
  5. ब्लॉग एक एसा जगह है, जहाँ आप अपनी बातों को कम समय में हजारों लोगो तक पंहुचा सकते हों।
  6. ब्लॉग किसी भी भाषा में लिखा सकते है।  इसमें कोई रोक-टोक नही है।
  7. ब्लॉग बनाने के लिए कोई Technical पढाई जरुरी नही पड़ती, ब्लॉग कोई-भी आम-व्यक्ति बना सकता है। 
  8. सबसे बड़ी बात तो यह है की Blogging करके आपका ज्ञान कम नही होता, बल्कि ज्ञान बढ़ता है।

मुफ्त में ब्लॉग कैसे बनाये- Make free blog site

अगर आप भी अपना एक ब्लॉग बनाना चाहते है तो आप इन platform की मदद से Free Blog बना सकते है वो भी बिना किसी technical जानकारी के ब्लॉग बनाने के कई तरीके होते है
Blogger :- blogger बहुत ही मसहूर (famous) platform  है, blogger google का product है, इसको blogspot के नाम से भी जाना जाता है, ये पुरे विश्व में famous है, इसे use करना बहुत ही सरल है, आज कल इसी platform को लोग ज्यादा अपनाते है एक मुफ्त ब्लॉग साइट बनाने के लिए। hindiarticles.com ये भी blogger में बानी हुयी है।    
Wordpress :- WordPress भी पुरे विश्व  मसहूर है, WordPress की सेवा free भी है और paid भी। आप अगर free सेवा में ब्लॉग बनाते है तो ये भी blogger जैसा ही है लेकिन आप अगर paid सेवा use करते है तो ये blogger से बहुत ही अधिक सक्तिशाली बन जाता है। ये एक (CMS) content management system है । इसे इस्तेमाल करने में बहुत  सरल है। यह पहली बार 27 मई 2003 को इनके संस्थापक Matt Mullenweg और Mike Little द्वारा जारी किया गया था। 
Joomla :- Joomla एक free और  open-source content management system (CMS) है। इसकी सहायता से internet पर ब्लॉग बना सकते है।  इसके साथ ही यह एक "मॉडेल-विउ-कन्ट्रोलर वेब अप्लिकेशन डेवेलपमेन्ट फ्रेमवर्क" भी है। यह PHP Programming भाषा में लिखा गया है। Joomla 17  अगस्त 2005  को अस्तित्व में आया।
weebly :- weebly भी एक अच्छी सेवा है, लेकिन ये एक वेब होस्टिंग सेवा है इसकी मदद से तृतीय वर्ग की वेबसाइटें बनाई जाती है, इसमें ड्रैग एण्ड ड्रॉप के वेबसाइट फीचर है।

आर.एस.एस./ एटम फीड (RSS/ ATOM)

हर वेबसाइट पर हमेशा कुछ न कुछ नयी सूचना आती रहती है और इसे देखने के लिये निम्न तरीके हैं,
  1. वेबसाइट पर जाकर नयी सूचना देखना।
  2. वेबसाइट से नयी सूचना के बारे में ई-मेल प्राप्त करना।
  3. RSS/ ATOM फीड के द्वारा जानकारी करना।
वेबसाइट पर जाकर सूचना प्राप्त करना सबसे पुराना तरीका है। उसके बाद जैसे, जैसे तकनीक में सुधार होता गया, सूचना प्राप्त करने के तरीके भी सुलभ होते गये। पहले ई-मेल से सूचना प्राप्त करने की सुविधा आयी फिर RSS/ ATOM फीड की तकनीक आयी।
यदि कोई वेबसाइट उस पर आने वाली नयी सूचना के बारे में ई-मेल नहीं भेजती है या फिर RSS/ ATOM फीड नहीं देती है तो आप इन दोनों के द्वारा इस वेबसाइट से इस तरह से सूचना नहीं प्राप्त कर सकते हैं। उस सूरत में आपको इस वेबसाइट पर जाकर ही सूचना पता करनी होगी।
RSS/ ATOM फीड यह एकदम नयी तकनीक है। इन दोनों में फॉरमैट का अन्तर है लेकिन व्यवहार में कोई अन्तर नहीं है। वे एक तरह से प्राप्त की जा सकती हैं। RSS पुरानी तकनीक है, ज्यादा आसान है, और ज्यादा लोकप्रिय है। The Internet Engineering Task Force (IETF), इन्टरनेट के मानकीकरण वा उन्नतिकरण में कार्यरत है। Atom इसी के द्वारा दिया गया एक मानक फॉरमैट है। यह लिखने और पड़ने दोनो फॉरमैट एक फॉरमैट में लाने का प्रयत्न है।
RSS/ Atom फीड उस नयी सूचना हेडलाइन के रूप में आप तक पहुंचाती है और यदि आप उनकी हेडलाइन को क्लिक करें तो वह आपको पूरे लेख तक पहुंचा देती है। नयी सूचना जानने के लिये यह सबसे अच्छी सुविधा है। जिस वेबसाईट में निम्न तरह का कोई भी चिन्ह हो तो आप समझ लीजिये कि वह अपना RSS/ Atom फीड देती है।
RSS के फुलफार्म के बारे में कुछ विवाद है पर अधिकतर लोग यह मानते हैं कि इसका फुल फार्म Really Simple Syndication है। Atom अपने आप में पूरा शब्द है। RSS/Atom फीड पढ़ने के लिये एग्रेगेटर (Aggregator) या न्यूस़ रीडर (News reader) या फीड रीडर (Feed reader) प्रोग्राम का प्रयोग करना पड़ता है जो कि मुफ्त में इन्टरनेट में उपलब्ध हैं यह निम्न प्रकार से फीड पढ़ते हैं,
इन्टरनेट पर जा कर: इस तरह के प्रोग्रामों में Blogline, Newsgator और यदि आपके पास याहू अथवा गूगल की ई मेल ID है तो आप My yahoo अथवा Personalised google में भी फीड जोड़ सकते हैं । कई वेब ब्राउसर जैसे कि फायर फॉक्स या ओपेरा वगैरह में न्यूस़ रीडर प्रोग्राम रहता है और इनमें भी फीड डाउनलोड की जा सकती है।
अपने कंप्यूटर पर न्यूस़ रीडर प्रोग्राम को इन्सटॉल (install) करके: इस तरह के प्रोग्रामों में Newsgator, feedreader (केवल विंडोस़ में) (http://www.feedreader.com/) Akregator (केवल लिनेक्स में) प्रमुख हैं।
ई-मेल भेजने एवं प्राप्त करने के सॉफ्टवेयर के साथ: थन्डर-बर्ड ई-मेल भेजने एवं प्राप्त करने का बहुत अच्छा सॉफ्टवेयर है यह ओपेन सोर्स है और मुफ्त है। इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि यह सब प्रकार के Operating system पर चलता है । इसमें भी New & Blog में जाकर आप किसी भी वेबसाइट की फीड डाउनलोड कर सकते हैं। यह उसी प्रकार से किया जाता है जैसे ई-मेल सेटअप की जाती हैं।

पॉडकास्ट (Podcasts)

पॉडकास्ट से तात्पर्य एक मीडिया संचिका से है जो कि इंटरनेट पर फीड के द्वारा प्रसारित की जाती है जिसे कि कंप्यूटर तथा पोर्टेबल मीडिया प्लेयरों जैसे आईपॉड तथा स्मार्टफोन आदि द्वारा चलाया जा सकता है। इस प्रक्रिया को पॉडकास्टिंग कहा जाता है। पॉडकास्ट बनाने तथा प्रसारित करने वाले को पॉडकास्टर कहा जाता है।
ब्लॉग के संदर्भ में इसका सामान्य सा अर्थ है कि अपने ब्लॉग पर किसी पोस्ट में कोई मीडिया संचिका (ऑडियो/वीडियो) आदि डालना जिसे पाठक ब्लॉग पर आकर अथवा आरएसएस फीड द्वारा देख/सुन सकें। सामान्य तौर पर ब्लॉग के मामले में चिट्ठाकार ही पॉडकास्टर होगा।

पॉडकास्ट शब्द की उत्पति

"पॉडकास्ट" दो शब्दों से मिलकर बना है: प्लेयेबल आन डिमांड (POD) तथा ब्रॉडकास्ट से। बाद में इसे इंटरनेट पर अन्य साधनों जैसे वेबसाइटों, ब्लॉगों आदि पर भी प्रयोग किया जाने लगा। पॉडकास्टिंग का इतिहास विकिपीडिया पर यहाँ पढ़ा जा सकता है।
यद्यपि कई पॉडकास्टरों की वेबसाइटें मीडिया संचिका की डायरेक्ट डाउनलोडिंग या स्ट्रीमिंग भी प्रदान करती हैं लेकिन पॉडकास्ट की विशेषता है कि यह ऐसे डिजिटल ऑडियो फॉर्मेटों का उपयोग करता है जो कि आरएसएस या एटम फीड का उपयोग कर विभिन्न सॉफ्टवेयरों द्वारा स्वतः डाउनलोड कर लिया जाता है।
पॉडकास्टिंग कई तरीके से की जाती है। कुछ वेबसाइटें पूरी तरह से पॉडकास्टिंग हेतु समर्पित होती हैं उदाहरण के लिए इंडीकास्ट तथा पॉडभारती आदि। कुछ साइटों पर पॉडकास्टिंग के लिए सेक्शन निर्धारित होते हैं जैसे तरकश पर पॉडकास्ट सेक्शन। जहाँ तक चिट्ठों का सवाल है हिन्दी में पॉडकास्ट का अधिक चलन न होने से ऐसा कोई चिट्ठा नहीं है जो पूरी तरह पॉडकास्ट हो। विभिन्न चिट्ठों पर यदाकदा चिट्ठाकार पॉडकास्ट डाल देते हैं।
पॉडकास्टिंग कैसे करें
पॉडकास्टिंग हेतु तीन चरण हैं।
मीडिया (ऑडियो/वीडियो) को रिकॉर्ड करना।
यद्यपि इस काम के लिए कई टूल उपलब्ध हैं लेकिन Audacity मुफ्त और सर्वश्रेष्ठ टूल है। Audacity के प्रयोग द्वारा पॉडकास्ट रिकॉर्ड करने की पूरी प्रक्रिया सचित्र यहाँ पर दी गई है।
मीडिया को वैब पर अपलोड करना।
यदि आपके पास अपना वैबस्पेस है तो आप वहाँ भी मीडिया संचिका को अपलोड कर सकते हैं अन्यथा इंटरनैट पर मुफ्त उपलब्ध सेवाओं का प्रयोग कर सकते हैं, ध्यान दें कि वह सेवा आपको मीडिया संचिका का डायरैक्ट लिंक देती हो। यद्यपि वैब पर इस तरह की कई मुफ्त सेवाएं हैं लेकिन Internet Archive उनमें सर्वश्रेष्ठ है। यदि आपके पास अपना वैबस्पेस है तब भी आपको अपना पॉडकास्ट किसी बाहरी सर्वर पर होस्ट करने की सलाह दी जाती है क्योंकि यह सर्वर पर काफी लोड डालता है। Internet Archive द्वारा पॉडकास्ट अपलोड करने की सचित्र विधि यहाँ पढ़ें।
ब्लॉग पोस्ट में मीडिया संचिका को संलग्न (Embedded) प्लेयर द्वारा चलाने की सुविधा देना।
यदि आप ब्लॉगर का प्रयोग करते हैं तो पिकल प्लेयर का प्रयोग सरलतम रहेगा। वर्डप्रैस में भी पिकल प्लेयर का प्रयोग कर सकते हैं लेकिन इसके लिए बेहतर Audio Player प्लगइन उपलब्ध है।
वैकल्पिक रूप से मीडिया संचिका का डाउनलोड लिंक भी दिया जा सकता है ताकि धीमे इंटरनैट कनैक्शन वाले प्रयोगकर्ता उसे डाउनलोड कर चला सकें।

 विकी (Wiki)

विकी एक ऐसी वेबसाइट है जिस पर उपयोगकर्ता सीधे वेब ब्राउज़र से सामग्री और संरचना को सहयोगपूर्वक संशोधित करते हैं। एक विशिष्ट विकी में, पाठ को सरलीकृत मार्कअप भाषा का उपयोग करके लिखा जाता है और अक्सर एक समृद्ध-पाठ संपादक की सहायता से संपादित किया जाता है।
विकी सॉफ़्टवेयर का उपयोग करके विकी चलाया जाता है, अन्यथा विकी इंजन के रूप में जाना जाता है। एक विकी इंजन सामग्री प्रबंधन प्रणाली का एक प्रकार है, लेकिन यह ब्लॉग सॉफ़्टवेयर समेत अधिकांश अन्य प्रणालियों से अलग है, जिसमें सामग्री किसी भी परिभाषित मालिक या नेता के बिना बनाई गई है, और विकी के पास थोड़ा अंतर्निहित संरचना है, जिससे संरचना को उभरने की अनुमति मिलती है उपयोगकर्ताओं की जरूरतें। उपयोग में दर्जनों विभिन्न विकी इंजन हैं, स्टैंडअलोन और अन्य सॉफ़्टवेयर का हिस्सा, जैसे कि बग ट्रैकिंग सिस्टम। कुछ विकी इंजन खुले स्रोत हैं, जबकि अन्य स्वामित्व हैं। कुछ अलग-अलग कार्यों (पहुंच के स्तर) पर नियंत्रण की अनुमति देते हैं; उदाहरण के लिए, संपादन अधिकार सामग्री को बदलने, जोड़ने या हटाने की अनुमति दे सकते हैं। अन्य अभिगम नियंत्रण लागू किए बिना पहुंच की अनुमति दे सकते हैं। सामग्री व्यवस्थित करने के लिए अन्य नियम लगाए जा सकते हैं।
ऑनलाइन विश्वकोष परियोजना विकिपीडिया अब तक की सबसे लोकप्रिय विकी-आधारित वेबसाइट है, और यह दुनिया के किसी भी प्रकार की सबसे व्यापक रूप से देखी जाने वाली साइटों में से एक है, जिसे 2007 के बाद से शीर्ष दस में स्थान दिया गया है। विकिपीडिया एक विकी नहीं बल्कि बल्कि सैकड़ों विकीज़ का संग्रह है, प्रत्येक भाषा के लिए एक। ज्ञान प्रबंधन संसाधनों, नोटेटिंग टूल्स, सामुदायिक वेबसाइटों और इंट्रानेट के रूप में काम करने वाली विकी समेत सार्वजनिक और निजी दोनों में हजारों अन्य विकी उपयोग में हैं। अंग्रेजी भाषा विकिपीडिया में लेखों का सबसे बड़ा संग्रह है; सितंबर 2016 तक, इसमें पांच मिलियन से ज्यादा लेख थे। पहले विकी सॉफ़्टवेयर के डेवलपर वार्ड कनिंघम, विकीविकिवेब ने मूल रूप से इसे "सबसे सरल ऑनलाइन डेटाबेस" के रूप में वर्णित किया जो संभवतः काम कर सकता था। "विकी" एक हवाईयन शब्द है जिसका अर्थ है "त्वरित"I
सूचनाओं के आदान-प्रदान तथा शिक्षण पर आधारित समुदाय (communy) बनाने तथा कार्यों के अनोखे भागों को जोड़ने के लिए विकी एक बेहतरीन तरीका हैं, यदि आपके पास कोई अच्छा सुझाव है, लेकिन विकीज को बनाना बहुत आसान नहीं है। चाहे आप विकी फॉर्म का उपयोग कर रहे है या खुद का फॉर्म इस्तेमाल कर रहे हों, यह मार्गदर्शिका आपको अपने विषय के लिए खास कम्युनिटी को बनाने के तरीको के बारे में बताएगी।
निर्धारित करे आपके विकी का उद्देश्य क्या है:
अपने विकी का उद्देश्य पता होने से आपको फॉर्म चुनने हेतु सॉफ्टवेयर और होस्टिंग विकल्पों को तय करने में मदद मिलेगी। व्यक्तिगत पृष्ठ, विशाल कम्युनिटी या इनके बीच की कोई भी चीज विकी हो सकती है। आप विकी का उपयोग अपने जीवन के लक्ष्यों को खोजने के लिए, अपने व्यापार का उत्पाद मैन्युअल बनाने, किसी प्रोजेक्ट पर अपने सहकर्मियों के साथ समन्वय करने, पड़ोसियों के लिए न्यूज़लेटर बनाने, अपने शौक के लिए चर्चा स्थल बनाने समेत और भी कई चीजों के लिए कर सकते हैं।
विकीज सबसे अच्छा काम तब करता है जब उसका ध्यान विशाल विषय पर हो, जो अधिक से अधिक ज्ञानवान लेखकों और संपादकों को अनुमति देता हैं। यदि आप बहुत सारी कम्युनिटी के साथ प्रसिद्ध विकी बनाने का प्रयास कर रहे हैं, तो बड़े विस्तार के लिए फोकस में पर्याप्त खुलापन होना चाहिए।
उदाहरण के लिए किसी गेम कम्पनी के बारे में और उसके एक गेम के बजाय सभी गेमों के बारे में विकी शुरू करना अच्छा रहेगा।
जांच करें कि क्या इसी विषय पर विकी पहले से मौजूद है:
ऐसा विकी बनाना बिल्कुल अनुपयोगी है, जिसका अन्य विकी पहले से मौजूद हैं। विकी का लक्ष्य साथ मिलकर लिखना है ना कि एक ही विषय पर अलग-अलग लेख लिखना। यदि आपको लगता है कि अन्य विकी आपकी अवधारणा से थोड़ा अलग है, यदि आप किसी अन्य विकी की अवधारणा को आसानी से नहीं अपनाते हैं, तो अन्य लोग आपके विकी को कैसे अपनाएंगे?
अपना विकी बनाने से पहले अपनी टीम बनाएं:
विकी बनाने के लिए सलाह और प्रोत्साहन की जरूरत होती है, इसलिए आपने प्रोजेक्ट के बारे में बात करें और अन्य लोगों को साथ में लें। यदि उन्हें विकी बनाने से पहले आमंत्रित किया जाता है, तो उन्हें सह-सृजनकर्ता होने जैसा महसूस होगा, इसलिए संभव है कि वे प्रोजेक्ट में योगदान देने के इच्छुक हो जाएँ।
इमेज का टाइटल Start a Wiki Step 2
विकी फॉर्म का उपयोग या अपनी होस्टिंग, तय करें:
क्या आपको अपने विकी पर ज्यादा नियंत्रण की जरूरत है या आप खुद का चलाना चाहते हैं या आप अपनी सर्विस पर अपने विकी को होस्ट करना चाहते हैं। यदि आपके पास कोई तकनीकी अनुभव नहीं है, तो विकी फॉर्म पर विकी को चलाना काफी सरल रहेगा, हालांकि, आपका इस पर बहुत अधिक नियंत्रण नहीं रहेगा।
यदि आप यह भांप लें कि आपका विकी बहुत सारे पृष्ठों और ट्रैफिक के साथ प्रसिद्ध होने लगा है, तो आपको विकी होस्ट काफी सीमित लग सकता है। अपने विकी की सामग्री को खुद के विकी फॉर्म के सर्वर पर लाना भी काफी मुश्किल काम हो सकता है।
विकी फॉर्म का उपयोग करने का मतलब है कि आपके विकीज फॉर्म के यूआरएल में होस्ट फॉर्म नाम भी शामिल होगा। उदाहरण के लिए यदि आप विकीआ का उपयोग करते हैं, तो आपके विकी का पता yourwiki.wikia.com होगा। स्वयं का विकी होस्ट करने का अर्थ है कि आप खुद का डोमेन खरीद सकते हैं, अपने विकी का पता बना सकते हैं।yourwiki.com.
अपने विकी को होस्ट करने की लागत आपके द्वारा चुने गये होस्ट के अनुसार अलग-अलग हो सकती है। किसी ऐसे होस्ट सेवा प्रदाता को खोजें जिसमें अच्छे अप-टाइम (up-time) की गारंटी और उच्च गुणवत्ता सहयोग मिले। स्वयं का होस्ट खोजने के लिए इस मार्गदर्शिका का अनुसरण करें:
सॉफ्टवेयर पैकेज चुनें:
भले ही विकी फॉर्म चुने या अपने स्वयं के होस्ट के साथ आगे बढ़ें, इस दौरान आपको कई अलग-अलग विकी सॉफ्टवेयर से गुजरना होगा। ज्यादातर विकी फॉर्म उस सॉफ्टवेयर की पेशकश करते हैं जिन पर वह चल रहा हो, लेकिन यदि आप अपने स्वयं का विकी होस्ट कर रहे हैं, तो आप अपनी जरूरत के अनुसार सर्वोत्तम पैकेज चुन सकते हैं। सेवाएं जैसे WikiMatrix का उपयोग विभिन्न सॉफ्टवेयर पैकेज की सुविधाओं की तुलना हेतु कर सकते हैं।
मीडियाविकी (Mediawiki) – यह इंटरनेट पर सर्वाधिक प्रचलित सॉफ्टवेयर है और विकीहाउ, विकिपीडिया तथा अन्य विकी साइटों को चलाता है। ज्यादातर प्रचलित विकी फार्म्स में से भी बहुत से मीडयाविकी (Mediawiki) सॉफ्टवेयर का उपयोग करते हैं।
टिकीविकी (Tikiwiki) - यह इंटरनेट पर उपलब्ध दूसरा सबसे ज्यादा प्रचलित सॉफ्टवेयर है और बड़ी संख्या में विकी और विकी फार्म्स को चलाता है। टिकीविकी (tikiwiki) का मजबूत प्लग-इन (plug-in) सपोर्ट आपको फ़ोरम्स, इमेज गैलरी, कैलेंडर तथा अन्य विशेषताओं को जोड़ने की अनुमति देता है।
यूजरप्रेस (Userpress) – यह वर्डप्रेस (Wordpress)) के लिए विकी प्लग-इन है. इसमें मीडियाविकी (Mediawiki) और अन्य विकी सॉफ्टवेयर की ज्यादातर सुविधाएँ उपलब्ध हैं, और साथ ही ये उपयोग करने में भी काफी आसान है।
डोकुविकी (Dokuwiki)यह एक छोटा विकी सॉफ्टवेयर प्रोग्राम है जिसका प्रचलन काफी बढ़ रहा है, यह खासतौर पर एंटरप्राइज (enterprise) स्तर पर यह लागू किया जा रहा है। इसे पहली बार और खासतौर पर टीम तथा समूह समन्वय के लिए डिजाइन किया गया है और इसमें यूजर एक्सेस के एक से अधिक स्तर हैं।

विकिपीडिया बनाम ब्रिटानिका (Wikipedia versus Britannica)

  1. ब्रिटानिका की ज्ञान की रूपरेखा एक निरंतर दस्तावेज के रूप में प्रस्तुत की जाती है। विकिपीडिया की ज्ञान की रूपरेखा स्टैंडअलोन रूपरेखा लेखों में विभाजित है।
  2. प्रोपेडिया को पुस्तक रूप में मुद्रित किया जाता है, जिससे पाठक मैन्युअल रूप से सूचीबद्ध विषयों पर लेख देखने के लिए मजबूर करता है। विकिपीडिया की ज्ञान की रूपरेखा हाइपरटेक्स्ट को जोड़ती है, जिससे पाठक सीधे विषय पर क्लिक करके वांछित विषय पर किसी लेख पर कूदने देता है। (ब्रिटानिका का एक संस्करण है जिसे 1990 के दशक के मध्य में सीडी पर उपलब्ध कराया गया था, जिसमें प्रोपेडिया भी शामिल है, लेकिन यह अब कुछ हद तक पुराना है, और अधिक हो रहा है।)
  3. ब्रिटानिका की ज्ञान की रूपरेखा एनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका के 15 वें संस्करण के लिए बनाई गई थी, जो कि विश्वकोश के बाकी हिस्सों से पहले थी, जिसकी योजना से आधार कवरेज पर आधारित था - इसे बनाने से पहले इसे आकार देने के लिए। यह प्रारंभिक रूप से गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए परोसा जाता था, और एक बार विश्वकोश को एक सामयिक गाइड के रूप में पूरा करने के बाद। विकिपीडिया की अधिकांश रूपरेखा एक रिवर्स रूपरेखा है, जो पहले से ही विकिपीडिया में दिखाई देने वाले विषयों को इकट्ठा करके और वहां से विस्तारित है, कवरेज में अंतराल, असंगतता नामकरण जैसी समस्याओं को पहचानने और हल करने के लिए एक सतत उपकरण के रूप में कार्य करने के लिए - आकार देने के लिए तथ्य के बाद विश्वकोष। यह भी एक सामयिक गाइड के रूप में कार्य करता है, और इसके रेडलिंक के कारण यह आगे लेख निर्माण के लिए गतिशील योजना के रूप में भी कार्य करता है। (रूपरेखा बहुत बहुमुखी हैं)।
  4. प्रस्तावना रूपरेखा प्रविष्टियों और आलेख सुझाव अलग-अलग प्रस्तुत करता है, जो रूपरेखा के प्रत्येक खंड के अंत में ब्रिटानिका के संबंधित लेखों के नाम प्रस्तुत करता है। विकिपीडिया की ज्ञान की रूपरेखा दोनों रूपरेखाओं के रूप में एक रूपरेखा और सीधे सामग्री की एक तालिका के रूप में, आलेख लिंक सीधे विषयों के रूप में रूपरेखा में एम्बेडेड के साथ।
  5. प्रोपेडिया में 15 छवियां (मानव शरीर रचना पर प्लेटें) शामिल हैं, और पाठक कोई भी जोड़ नहीं सकता है। विकिपीडिया की ज्ञान की रूपरेखा में कई छवियां शामिल हैं (मानचित्र, चित्र इत्यादि सहित), और पूरे चित्रों को शामिल करने का समर्थन करती है।
  6. ब्रिटानिका की ज्ञान की रूपरेखा वर्तमान में व्यापक है (विषयों के समग्र स्पेक्ट्रम को समान रूप से कवर करना) और यह अधिक परिष्कृत है। मूल ने पूरा करने के लिए 8 साल की एक बड़ी टीम ली, और 517 पेज हैं (सुझाई गई पठन सूचियों सहित, जो विषय वर्गीकरण रूपरेखा का हिस्सा नहीं हैं)। विकिपीडिया की ज्ञान की रूपरेखा 2005 से विश्वकोश के उचित (लेख स्थान में) के हिस्से के रूप में विकसित हो रही है, जिसमें योगदानकर्ताओं की एक छोटी टीम द्वारा किए जा रहे विकास के बड़े हिस्से के साथ, और अब तक यह लगभग 500 पृष्ठों तक बढ़ गया है (जैसा कि अप्रैल 200 9)। विकिपीडिया की रूपरेखा कुछ विषयों पर अधिक गहराई में जाती है, लेकिन ब्रिटानिका के पास बहुत अधिक अंतर नहीं है।
  7. ब्रिटानिका की रूपरेखा 7 स्तर गहरी हो जाती है। (मई 2009 तक) कुछ जगहों पर विकिपीडिया की ज्ञान की रूपरेखा 9 स्तरों में गहराई से चलती है, पृष्ठ-से-पेज तक विस्तारित पदानुक्रम (जब एक रूपरेखा पृष्ठ दूसरे रूपरेखा पृष्ठ का उप-विषयक है), भविष्य में भी गहरा कवरेज होने की संभावना है।
  8. ब्रिटानिका की रूपरेखा रूपरेखा संख्या का उपयोग करती है, विकिपीडिया नहीं करता है (रूपरेखा पृष्ठों की ऑटो-जेनरेट की गई सारणी को छोड़कर - ये दशमलव रूपरेखा प्रारूप में प्रदर्शित होते हैं, और केवल उन विषयों / शाखाओं को दिखाते हैं जो शीर्षक के रूप में प्रस्तुत किए जाते हैं)। चूंकि मैन्युअल नंबरिंग अक्षम है और ऑटो-जेनरेटेड टीओसी को पढ़ने योग्य नहीं है, विकिपीडिया में स्वत: रूपरेखा संख्या को सक्षम करने के लिए एक नई सॉफ़्टवेयर सुविधा की आवश्यकता होगी।
  9. विकिपीडिया की ज्ञान की रूपरेखा बढ़ रही है और तेजी से सुधार रही है। हम नहीं जानते होंगे कि ब्रिटानिका अपने अगले संशोधन तक कैसे कर रही है।
 फोटो शेयरिंग (Photo Sharing)
फोटो शेयरिंग, छवि साझा करने वाली वेबसाइटें फ़ोटो, सार्वजनिक रूप से या निजी रूप से अपलोड करने, होस्ट करने, प्रबंधित करने और साझा करने जैसी ऑनलाइन सेवाएं प्रदान करती हैं। यह फ़ंक्शन उन वेबसाइटों और अनुप्रयोगों के माध्यम से प्रदान किया जाता है जो छवियों के अपलोड और प्रदर्शन को सुविधाजनक बनाता है। फोटो शेयरिंग का अर्थ है कि अन्य उपयोगकर्ता देख सकते हैं, लेकिन छवियों को जरूरी नहीं डाउनलोड कर सकते हैं, और उपयोगकर्ता अपनी छवियों के लिए अलग-अलग कॉपीराइट विकल्प चुन सकते हैं।
यह हार्ड कॉपी में चित्रों को प्रकाशित करने और एक कप चाय पर दोस्तों को प्रदर्शित करने के बजाय, फोटो साझा करने वाली वेबसाइट उपयोगकर्ताओं को अपने ऑनलाइन मित्रों, या वास्तव में पूरे वेब के साथ साझा करने के लिए अपनी छवियों को अपलोड करने की अनुमति देती है।
फोटो साझा करना 90 के दशक के आसपास रहा है
छवि को कैप्चर करने के लिए जो भी डिवाइस इस्तेमाल किया गया था, उपयोगकर्ता कुछ भी प्रकाशित कर सकते हैं।
फोटो साझा करना 90 के दशक के आसपास रहा है। हालांकि, हाल के वर्षों में, सस्ते डिजिटल कैमरों और उच्च-स्पीच कैमरा फोन के प्रसार के साथ, विशेष रूप से अपलोड करने और साझा करने के लिए विकसित वेबसाइटें अधिक लोकप्रिय हो गई हैं।
विशेष रूप से युवा लोग डिजिटल फोटोग्राफी के इच्छुक उपयोगकर्ता हैं। कई किशोर मित्रों के साथ सामाजिककरण की तस्वीरें लेते हैं और ट्विटर और फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग साइटों के माध्यम से ऑनलाइन छवियों को साझा करते हैं।
अधिकांश फोटो साझा करने वाली साइटें उपयोग करने के लिए स्वतंत्र हैं और बहुत सारे आसान टूल प्रदान करती हैं।
उपयोगकर्ता कई वेबसाइटों पर एक साथ छवियों को संपादित, फसल और समूह कर सकते हैं साथ ही स्लाइड शो और अन्य डिस्प्ले विकल्पों को एक साथ रख सकते हैं।

फोटो शेयरिंग: सबसे लोकप्रिय वेबसाइटें

यहां कुछ सबसे लोकप्रिय और व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली फोटो साझा करने वाली वेबसाइटों की एक सूची दी गई है:
फ़्लिकर: फ़्लिकर शायद सबसे लोकप्रिय फोटो साझा करने वाली वेबसाइट है। यह शायद सबसे पुराना भी है, क्योंकि फोटो साझा करना लोकप्रिय हो गया है। यह उपयोगकर्ताओं को छवियों को साझा करने के लिए अपनी रुचियों के समान समूहों में शामिल होने की अनुमति देता है और एक बड़ा फोकस टैगिंग है
पिकासा: यह Google की फोटो साझा करने की पेशकश है। Google Mail ग्राहकों के लिए उपयोग करना आसान है और अन्य साइटों के समान ही कई चीज़ें प्रदान करता है। यह उपयोगकर्ताओं को शुल्क के बदले में अधिक जगह और संपादन उपकरण रखने के लिए अपने पैकेज को अपग्रेड करने का मौका भी प्रदान करता है
फोटोबकेट: कुछ के अनुसार, अमेरिका में सबसे लोकप्रिय फोटो साझा करने वाली साइट, फोटोबकेट तेजी से यूरोप में लोकप्रिय हो रही है। साइट में कई सुविधाएं हैं लेकिन इसमें त्वरित चैट विकल्प भी शामिल हैं और पारंपरिक सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों के तरीके के करीब संचालित होते हैं
इन्स्टाग्राम: Instagram शायद सबसे तेजी से बढ़ती फोटो साझा करने वाली वेबसाइट है। यह ट्विटर और फेसबुक उपयोगकर्ताओं के साथ विशेष रूप से लोकप्रिय है क्योंकि यह लोगों को अपनी प्रोफाइल पर अपलोड करने की अनुमति देता है। यह मोबाइल प्लेटफार्मों पर अच्छी तरह से काम करता है। Instagram में भी अच्छे और उपयोग में आसान संपादन टूल हैं जो इसे लोकप्रिय बनाता है

फोटो शेयरिंग: जोखिम

फोटो साझा करने वाली वेबसाइट सोशल नेटवर्किंग छतरी के नीचे आती है। वे इंटरनेट के फेसबुक और बेबॉस के समान हैं, जिसमें वे लोगों को ऑनलाइन कनेक्ट करने और साझा करने की अनुमति देते हैं।
हालांकि, सोशल नेटवर्किंग के साथ, फोटो शेयरिंग उपयोगकर्ताओं, खासकर युवा लोगों के लिए भी कई जोखिम प्रस्तुत करता है।
गोपनीयता शायद फोटो साझा करने वाली वेबसाइटों के साथ सबसे बड़ा जोखिम है।
फोटो साझा करने के साथ गोपनीयता शायद सबसे बड़ा जोखिम है
हालांकि गोपनीयता सेटिंग्स हैं, पोस्ट की गई कई तस्वीरें किसी भी द्वारा एक्सेस, डाउनलोड, कॉपी और संपादित की जा सकती हैं।
किशोर कभी-कभी भूल सकते हैं कि वे जो पोस्ट करते हैं वह अनिवार्य रूप से प्रकाशन का एक रूप है और जब तक प्रोफाइल निजी पर सेट नहीं होते हैं, कोई भी चित्र देख सकता है।
अक्सर, किशोर ऑनलाइन बहुत अधिक व्यक्तिगत जानकारी पोस्ट करते हैं और कुछ फ़ोटो जानकारी के संदर्भ में बहुत ही प्रकट हो सकती हैं, जिसे हम सार्वजनिक रूप से रिलीज़ नहीं करेंगे।
दुर्भाग्यवश, ऐसे बेईमान लोग हैं जो कमजोर लोगों के लिए इंटरनेट खोजते हैं और कभी-कभी फोटो साझा करने वाली वेबसाइटों को लक्षित करते हैं, जैसे कि अधिकांश सोशल नेटवर्किंग वेबसाइटों के साथ।
साइबर धमकी को फोटो साझा करने वाली वेबसाइटों पर एक कैमरा भी मिला है और कैमरे के फोन के प्रसार के साथ, bullies अब अपने प्राधिकरण के बिना ऑनलाइन लोगों की शर्मनाक तस्वीरों को पोस्ट करने में सक्षम हैं।
और फोटो साझा करने की प्रकृति का मतलब है कि तस्वीरों को इंटरनेट पर बहुत तेज़ी से फैलाया जा सकता है, जिसका अर्थ है पीड़ितों के लिए अधिकतम मनोवैज्ञानिक नुकसान।
साथ ही, कुछ फोटो साझा करने वाली वेबसाइटों पर भी सामग्री हो सकती है जिसे हम युवा लोगों को नहीं देखना पसंद करेंगे।
फोटो साझा करने वाली वेबसाइटों पर फ़िल्टर के अस्तित्व के बावजूद, सभी फ़िल्टर 100 प्रतिशत सटीक नहीं हैं और अक्सर एक स्पष्ट प्रकृति की कुछ छवियां अपना रास्ता ऑनलाइन खोज सकती हैं।

पॉडकास्टिंग (Podcasting)

एप्पल के आई-पॉड ने संगीत प्रेमियों के दिलों में तू़फ़ान-सा ला दिया। उठते-बैठते, सोते जागते, हरदम, हर कदम बेहतरीन संगीत सुनना इतना आसान कभी नहीं था। जब आपके पोर्टेबल म्यू़ज़िक प्लेयर में दस हज़ार से भी ज़्यादा गानों को भंडार कर रखने की सुविधा अंतर्निर्मित हो, और सारा दिन बिना किसी परेशानी के हज़ारों गीतों में से चुन-चुन कर सुन सकने की सुविधा आपके पास हो तो आप शीघ्र ही इससे ऊब कर कुछ नया, अलग कर गुज़रने की सोचेंगे। आई पॉड के कुछ मॉडलों के ज़रिए आप वार्ता/गीत तथा संगीत को उसके अंतर्निर्मित माइक्रोफ़ोन से रेकॉर्ड भी कर सकते हैं। अगर इस रेकॉर्डेड ध्वनि को एमपी३ फ़ाइल में परिवर्तित कर इंटरनेट पर डाल दिया जाए तो इंटरनेट के दूसरे प्रयोक्ता भी इसे डाउनलोड कर सुन सकेंगे।
इंटरनेट पर प्रकाशित एमपी३ फ़ाइलों को आई पॉड जैसे हार्डवेयर म्यूज़िक प्लेयर, स्मार्ट मोबाइल फ़ोनों या विंडोज़ मीडिया या विनएम्प जैसे सॉफ्टवेअर म्यूज़िक प्लेयर के ज़रिए सुनने के लिए आरएसएस फ़ीड के ज़रिए विशेष तरह के सॉफ्टवेअर प्रोग्रामों द्वारा नियमित डाउनलोड किया जाए तो यह एक तरह की नियमित, ध्वनि ब्रॉडकास्टिंग जैसा रूप ले लेगी। इसे ही पॉडकास्टिंग कहा जाने लगा। यह नई, अलग तरह की तकनॉलाज़ी पॉडकास्टिंग आपके ध्वनि संसार को पूर्णत: देने के लिए तत्पर है। और, यदि आपको गीत संगीत में मज़ा नहीं आता है, तो भई और भी बहुत सारी संभावनाएँ हैं यहाँ - आप अपनी राजनीतिक टीका टिप्पणियों, चुटकुलों, क्रिकेट चर्चा या फिर सिर्फ़ टपोरी टाइप वार्ता को ही प्रकाशित कर सकते हैं, या इसी तरह की प्रकाशित ध्वनि फ़ाइल को डाउनलोड कर सुन सकते हैं। सोच-सोच कर, उँगलियाँ तोड़ कर ब्लॉग लिखने के बजाए अपनी गपशप को सीधे ही रेकॉर्ड कर प्रकाशित करना कितना मज़ेदार है - और तो और, आप अपने मित्र के साथ हुए वाकयुद्ध को भी रेकॉर्ड कर प्रकाशित कर सकते हैं। पर ध्यान रहे, कानून का पालन हो, जैसे कि पाइरेटेड गीत संगीत हरगिज़ प्रकाशित न करें, नहीं तो लेने के देने भी पड़ सकते हैं।
इंटरनेट पर पॉडकास्टिंग ध्वनि फ़ाइलें बनाना, इंटरनेट पर प्रकाशित करना, उन्हें सुनने के लिए डाउनलोड करना इत्यादि के लिए, कुछेक प्रीमियम सेवाओं को छोड़ दें, तो व्यक्तिगत इस्तेमाल के लिए मुफ़्त के तमाम औज़ार उपलब्ध हैं, जिनका इस्तेमाल धड़ल्ले से हो रहा है और फलस्वरूप पॉडकास्टिंग भी दिन दूना फैलता जा रहा है। और, अभी पॉडकास्टिंग शुरू हुए साल भी नहीं बीता है कि आपको हर विषय - ज़र-ज़मीन-जोरू से लेकर नर-नृप और नरक तक के पॉडकास्ट मिल जाएँगे। गीत संगीत और शैक्षणिक विषयों के पॉडकास्टिंग की तो बाढ़-सी आ गई है। आरंभ में पॉडकास्टिंग को आई पॉड में अतिरिक्त इस्तेमाल के लिए डिज़ाइन किया गया था, परंतु एमपी३ फ़ाइल फ़ॉर्मेट होने के कारण इसका इस्तेमाल किसी भी एमपी३ प्लेयर, चाहे सॉफ्टवेअर आधारित हो या हार्डवेअर, सभी में समान रूप से किया जा सकता है। पॉडकास्टिंग की लोकप्रियता का शायद यही कारण है।

पॉडकास्टिंग के लिए किन औज़ारों की आवश्यकता होगी?

शुरुआत के लिए आप अपने मल्टीमीडिया कुंजीपट के अंतर्निर्मित माइक्रोफ़ोन से अपनी वार्ता को रेकॉर्ड कर सकते हैं। यदि आपके पास ऐसा कोई साधन नहीं है तो आपको एक माइक्रोफ़ोन ख़रीदना होगा जो आपके पीसी के साउंड कार्ड के लाइन इन या माइक्रोफ़ोन जैक से जुड़ सकता हो। अगर आपके पास लैपटॉप है, तो शायद माइक्रोफ़ोन का जैक पिन लगाने की सुविधा उसमें न हो तो फिर आपको यूएसबी माइक्रोफ़ोन ख़रीदना पड़ सकता है। ध्यान दें कि अच्छी ध्वनि रेकॉर्डिंग के लिए अच्छा माइक्रोफ़ोन तो ज़रूरी है ही, वातावरण भी शोर रहित होना चाहिए। आप अपनी वार्ता विंडोज़ के साउंड रेकॉर्डर से रेकॉर्ड कर सकते हैं या अन्य मल्टीमीडिया अनुप्रयोगों जैसे कि जेट ऑडियो या आउडासिटी (http://audacity.sourceforge.net) से भी रेकॉर्ड कर सकते हैं। यदि आप अपनी वार्ता विंडोज़ साउंड रेकॉर्डर से रेकॉर्ड करते हैं तो यह उसे .wav  फॉर्मेट में रेकॉर्ड करता है। आपको इसे एमपी३ फ़ाइल फॉर्मेट में ध्वनि परिवर्तक प्रोग्रामों जैसे कि डीबी पॉवरएम्प म्यूजिक कनवर्टर (http://www.dbpoweramp.com/) की सहायता से बदलना होगा। जेट ऑडियो जैसे कुछ मल्टीमीडिया प्रोग्राम सीधे ही एमपी३ फ़ाइल फॉर्मेट में रेकॉर्ड कर सकते हैं। जब आप अपनी वार्ता या गीत संगीत, कुछ भी रेकॉर्ड कर लेते हैं और उसे एमपी३ फ़ाइल फॉर्मेट में बदल लेते हैं तो फिर आपकी रचना पॉडकास्ट करने के लिए पूरी तरह तैयार हो जाती है। आप अपनी ध्वनि फ़ाइल को संपादित कर सकते हैं, उसमें विशेष प्रभाव भी डाल सकते हैं - इसके लिए बहुत से प्रोग्राम भी हैं। ऐसा ही एक अच्छा फ्रीवेयर प्रोग्राम है आउडासिटी (http://audacity.sourceforge.net ) जो न सिर्फ़ आपकी ध्वनि फ़ाइलों को संपादित-परिमार्जित करने देता है, यह ध्वनि रेकॉर्डर भी है जिससे सीधे ही एमपी३ फ़ाइल में सहेजा जा सकता है। अपने पीसी पर आप फ्रूटी लूप जैसे सॉफ्टवेअर प्रोग्रामों की सहायता से अपना स्वयं का ऑर्केस्ट्रा भी बना सकते हैं, जिसे पॉडकास्ट किया जा सकता है।

अपनी रचना कैसे पॉडकास्ट करेंगे?

आपकी ध्वनि फ़ाइलों को इंटरनेट पर प्रकाशित करने के लिए यानी पॉडकास्टिंग के लिए प्रीमियम सेवाएँ/ जैसे कि ऑडिओ ब्लॉग (http://www.audioblog.com) हैं जो आपकी असीमित आकारों तथा असीमित संख्याओं की ध्वनि फ़ाइलों को प्रतिमाह मात्र २५० रुपए में प्रकाशित करने का अवसर देती हैं। परंतु इंटनरेट पर बहुत-सी ऐसी सेवाएँ हैं जो आपको मुफ़्त में पॉडकास्टिंग की सुविधा देती हैं। ऐसी ही, मुफ़्त में पॉडकास्टिंग करने की सुविधा प्रदान करने वाली एक साइट है अवरमीडिया (http://www.ourmedia.org)। अवरमीडिया एक विश्वसनीय, तेज़ी से लोकप्रियता की ओर अग्रसर होती साइट है। अवरमीडिया के ज़रिए रचना को पॉडकास्ट करने के लिए, यहाँ पंजीकृत तो होना होता ही है, साथ ही आर्काइव.ऑर्ग (http://www.archive.org) पर भी पंजीकृत करना होता है, चूँकि यही साइट आपकी मीडिया फ़ाइलों को इंटरनेट पर होस्ट करती है। एक बार दोनों साइटों पर पंजीकृत हो जाने के उपरांत किसी भी ध्वनि फ़ाइल को पॉडकास्ट करना उतना ही आसान होता है जैसे कि किसी फ़ाइल को चुनकर उसे अपलोड करना। इसके लिए अवरमीडिया में आसान से, समझ में आने वाले इंटरफेस हैं। अवरमीडिया में आपकी प्रकाशित ध्वनि फ़ाइलों के लिए अलग से मीडिया आर.एस.एस. कड़ी का प्रतीक दिया जाता है। यही पॉडकास्ट करने की कड़ी होती है जिसे लोगों को बताया जाता है। इसी मीडिया आर.एस.एस. कड़ी को तमाम पॉडकास्ट निर्देशिकाओं जैसे कि (http://www.ipodder.org) में प्रकाशित किया जाता है - तमाम दुनिया को यह बताने के लिए- "दुनिया वालों सुन लो मेरी भी बात"

वीडियो पॉडकास्ट (Video Podcasts)

एक वीडियो पॉडकास्ट  डिजिटल वीडियो फ़ाइलों की एक एपिसोडिक श्रृंखला है जो उपयोगकर्ता डाउनलोड और देख सकते हैं। यह अक्सर सदस्यता के लिए उपलब्ध होता है, ताकि उपयोगकर्ता के अपने स्थानीय कंप्यूटर, मोबाइल एप्लिकेशन या पोर्टेबल मीडिया प्लेयर को वेब सिंडिकेशन के माध्यम से नए एपिसोड स्वचालित रूप से डाउनलोड किए जा सकें।
एक वीडियो पॉडकास्ट (कभी-कभी "वोडाकास्ट" तक छोटा होता है) में वीडियो क्लिप शामिल होते हैं। वेब टेलीविजन श्रृंखला को अक्सर वीडियो पॉडकास्ट के रूप में वितरित किया जाता है।
डेड एंड डेज़ (2003-2004) आमतौर पर पहला वीडियो पॉडकास्ट माना जाता है। ज़ोंबी के बारे में उस धारावाहिक अंधेरे कॉमेडी को 31 अक्टूबर 2003 से 2004 तक प्रसारित किया गया था।
इंटरनेट के प्रसार और इंटरनेट ब्रॉडबैंड कनेक्शन टीसीपी के उपयोग के बाद से, जो विभिन्न अनुप्रयोगों की पहचान करने में मदद करता है, इंटरनेट से एक तेज कनेक्शन बनाया गया है और संचार की एक विस्तृत मात्रा बनाई गई है। वीडियो पॉडकास्ट बेहद लोकप्रिय हो गए हैं और उन्हें अक्सर लघु वीडियो क्लिप के रूप में प्रस्तुत किया जाता है, आमतौर पर लंबी रिकॉर्डिंग के अंश। वीडियो क्लिप का इस्तेमाल पूर्व-स्थापित वेबसाइटों पर किया जा रहा है, और वीडियो क्लिप और पॉडकास्ट होस्ट करने के उद्देश्य से वेबसाइटों की बढ़ती संख्या पूरी तरह से बनाई जा रही है। वीडियो पॉडकास्ट इंट्रानेट और एक्स्ट्रानेट, और निजी और सार्वजनिक नेटवर्क पर स्ट्रीम किए जा रहे हैं, और इंटरनेट के माध्यम से नए स्तर पर संचार ले रहे हैं।
अधिकांश वीडियो क्लिप अब व्यक्तियों द्वारा प्रस्तुत और उत्पादित किए जाते हैं। वेब पॉडकास्ट के लिए वीडियो पॉडकास्ट का भी उपयोग किया जा रहा है, जिसे आमतौर पर वेब टीवी के रूप में जाना जाता है, डिजिटल मनोरंजन की तेजी से बढ़ती शैली जो नए मीडिया के विभिन्न रूपों का उपयोग करती है दर्शकों को ब्रॉडबैंड और मोबाइल नेटवर्क, वेब टेलीविज़न शो, या वेब श्रृंखला के माध्यम से मूल रूप से ऑनलाइन बनाए गए या वितरित शो या श्रृंखला और सामग्री दोनों का पुनर्मिलन प्रदान करते हैं। उदाहरणों में अमेज़ॅन वीडियो, हूलू और नेटफ्लिक्स शामिल हैं। वेब टेलीविजन के लिए उपयोग किए जाने वाले अन्य प्रकार के वीडियो पॉडकास्ट शॉर्ट-फॉर्म हो सकते हैं, प्रति प्रकरण 2-9 मिनट से कहीं भी, आमतौर पर विज्ञापन, वीडियो ब्लॉग, शौकिया फिल्मिंग, पत्रकारिता और पारंपरिक मीडिया के साथ अभिसरण के लिए उपयोग किया जाता है।
वीडियो पॉडकास्टिंग व्यवसायों को विशेष रूप से बिक्री और विपणन क्षेत्रों में बनाने में भी मदद कर रहा है। वीडियो पॉडकास्ट के माध्यम से, बड़े और छोटे दोनों व्यवसाय अपने माल और सेवाओं का एक आधुनिक, लागत प्रभावी तरीके से विज्ञापन कर सकते हैं। अतीत में, बड़े व्यवसायों के पास महंगा स्टूडियो तक बेहतर पहुंच थी जहां परिष्कृत विज्ञापन तैयार किए गए थे, लेकिन अब भी छोटे व्यवसाय केवल एक कैमरा, संपादन सॉफ्टवेयर और इंटरनेट के साथ उच्च गुणवत्ता वाले मीडिया बना सकते हैं।

स्क्रीन कास्ट (Screen casts)

स्क्रीन पर कास्ट स्क्रीन, एक ऐसी तकनीक है जो किसी व्यक्ति को अपनी  स्क्रीन पर साझा करने के लिए वाईफाई का एक माध्यम के रूप में अन्य स्क्रीन पर स्क्रीन पर दिखाई दे रही है।
स्क्रीन डाली विभिन्न कंपनियों के साथ-इंटेल के मालिकाना इंटेल वायरलेस डिस्प्ले को लैपटॉप के लिए अलग-अलग है, एप्पल का अपना एयरप्ले प्रोटोकॉल है, और वास्तव में खुले मानक-मीरास्टास्ट है, जो कि "कास्ट स्क्रीन" बटन के साथ किसी भी एंड्रॉइड / विंडोज फोन है इस्तेमाल करता है।
यह कैसे स्क्रीन मिररिंग काम करता है:
1. सबसे पहले, जब आप डिस्प्ले पर प्रदर्शित होने वाले स्क्रीन पर मिररिंग सुविधा को चालू करते हैं, तो मेजबान प्रदर्शन एक प्रोग्राम शुरू करता है जो स्क्रीन कास्टिंग डेटा के आदान-प्रदान को संभालने के लिए "सर्वर" के रूप में कार्य करता है। यह सर्वर नेटवर्क से जुड़े सभी उपकरणों पर अपनी मौजूदगी की घोषणा करने के लिए आपके वायरलेस LAN / वाईफाई नेटवर्क से भी जुड़ता है।
2. जब आप अपने फोन या टैबलेट पर "कास्ट स्क्रीन" बटन दबाते हैं, तो वह सभी वाईफ़ाई / डब्ल्यूएलएएन नेटवर्क पर मौजूद सभी डिवाइसों की पहचान करने की कोशिश करता है और उनके सिस्टम पर स्क्रीनकास्ट सर्वर चल रहा है। यह प्रत्येक नेटवर्क डिवाइस पर एक विशेष संदेश भेजकर किया जाता है जो केवल एक स्क्रीन डाली संगत प्रदर्शन को समझ और जवाब दे सकता है। ये संदेश उपकरण लक्ष्य को उसके लक्ष्य प्रदर्शन के साथ भी मदद करते हैं।
3. अब एक बार दोनों डिवाइस और डिस्प्ले को जोड़ा गया है, एक कास्ट स्क्रीन कनेक्शन शुरू किया गया है। यह उपकरण खुद की स्क्रीन और ध्वनियों को रिकॉर्ड करने के लिए प्रोग्रामों का उपयोग करता है और उन्हें एच .264 वीडियो प्रारूप में एन्कोड करता है, जो रिकॉर्डिंग-यूट्यूब के रूप में एक ही समय पर तुरंत प्रदर्शित किया जा सकता है या लगभग हर वीडियो वेबसाइट H.264 मोबाइल उपकरणों के लिए वीडियो की सेवा
4. लक्ष्य प्रदर्शन इस वीडियो स्ट्रीम के प्राप्तकर्ता है और यह केवल नॉनस्टॉप स्ट्रीमिंग चलाता है। अपने फोन को एक लाइव वीडियो ट्रांसमीटर के रूप में स्क्रीन का कास्टिंग और एक लाइव प्रसारण वीडियो प्लेयर के रूप में अपने प्रदर्शन के बारे में सोचें।
चूंकि हमारे प्रेषण डिवाइस और हमारे प्राप्तकर्ता खिलाड़ी आपके वाईफाई कनेक्शन के वायरलैस लोकल एरिया नेटवर्क भाग में हैं और इंटरनेट नहीं हैं, इसलिए वे एक दूसरे से जुड़े हैं जैसे कि भौतिक केबलों से जुड़ा हुआ है - जिससे लाइव इमेजेस प्रदर्शित करने के लिए स्क्रीन कास्ट प्रक्रिया तेजी से हो जाती है एक ही समय में दोनों स्क्रीन पर।
कास्ट स्क्रीन का उपयोग करने के लिए, वह डिस्प्ले जो आप उपयोग कर रहे हैं- टीवी, मॉनिटर, प्रोजेक्टर या स्क्रीन-स्क्रीन के प्रतिबिंबित समर्थन
यदि आप किसी ऐप्पल डिवाइस का उपयोग करते हैं: नोट करें कि आपकी स्क्रीन को दर्पण करने का एकमात्र तरीका है: यदि आपका डिस्प्ले किसी एप्पल टीवी बॉक्स से जुड़ा हुआ है।
यदि आप एंड्रॉइड / विंडोज डिवाइस का उपयोग करते हैं: बस डिवाइस और डिस्प्ले दोनों पर स्क्रीन मिररिंग चालू करें।
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