साइबर क्राइम और सुरक्षा : प्रकार और आयाम (Cyber Crimes & Security: Types and Dimension)
साइबर
अपराध एक एसा अपराध है जिस में कंप्यूटर और नेटवर्क शामिल है। किसी भी कंप्यूटर का
अपरादिक स्थान पर मिलना या कंप्यूटर से कोई अपराध करना कंप्यूटर अपराध कहलाता है।
कंप्यूटर अपराध मे नेटवर्क शामिल नही होता है। किसी कि नीजी जानकारी को परपत करना
और उसका गलत इस्तमाल करना। किसी की भी निजी जानकारी कंप्यूटर से निकल लेना या चोरी
कर लेना भी साइबर अपराध है। कंप्यूटर अपराध भी कई प्रकार से किये जाते है जसे कि
जानकारी चोरी करना, जानकारी मिटाना,
जानकारी मे फेर बदल करना, किसी कि जानकारी को किसी और
देना या कंप्यूटर की भागो को चोरी करना या नष्ट करना। साइबर अपराध भी कही प्रकार
के है जसे कि स्पैम ईमेल, हैकिंग,
फिशिंग,
वायरस को डालना,
किसी की जानकारी को ऑनलाइन प्राप्त करना या किसी
पर हर वक़्त नजर रखना।
यह
ऐसा कार्य है जो गैर कानूनी है, तथा जिसमें सूचना तकनीक या कंप्यूटर का उपयोग किया
जाता है| आधुनिक
युग में बहुत से गैरकानूनी काम या अपराध करने के लिए कंप्यूटर का प्रयोग किया जाता
है, जैसे
चोरी धोखाधड़ी जालसाजी शरारत आदि| सूचना तकनीकी प्रगति ने अपराधिक गतिविधियों के लिए
नई संभावनाएं भी बनाए हैं, इन प्रकार के अपराधों से निपटने के लिए साइबर लॉ
बनाया गया है| साइबर
क्राइम को दो तरीकों में बांटा जा सकता है।
साइबर
क्राइम के प्रकार (Types
of Cyber Crime)
- किसी कंप्यूटर को निशाना बनाना –
- इस प्रकार में किसी कंप्यूटर या कंप्यूटर
नेटवर्क को अवांछित तरीके से कब्जा करना|
- किसी वेबसाइट के घटक बदलना|
- किसी कंप्यूटर पर वायरस डाल ना आदि शामिल है।
कंप्यूटर
का प्रयोग कर अपराध करना –
- इस प्रकार के अपराधों में व्यक्ति या संस्था
को कंप्यूटर का प्रयोग कर नुकसान पहुंचाया जाता है|
- इस प्रकार में किसी अनैतिक जानकारियों को
लोगों तक पहुंचाना भी शामिल है|
- साइबर आतंकवाद बैंक अकाउंट से धोखाधड़ी|
- अश्लीलता आदि इस प्रकार के अपराधों में आते
हैं।
भिन्न
प्रकार के कार्य साइबर क्राइम के अंतर्गत आते हैं।
- Unauthorized access and hacking
- Data data theft (डाटा
चोरी करना)
- Identity identity theft (पहचान चुराना)
- Spreading spreading virus or worms (कंप्यूटर वायरस को फैलाना)
- Trojan attack
Unauthorized access and hacking
किसी
भी कंप्यूटर या कंप्यूटर नेटवर्क में बिना अनुमति के प्रवेश करने को unauthorized access यह hacking कहा जाता है। अनाधिकृत व्यक्ति
द्वारा कंप्यूटर नेटवर्क में किया गया कोई भी कार्य इस अपराध की श्रेणी में आता
है। जो व्यक्ति किसी नेटवर्क में अनाधिकृत तरीके से प्रवेश करता है उसे हैकर कहा
जाता है। हैकर ऐसे प्रोग्राम बनाते हैं जो वांछित नेटवर्क पर आक्रमण कर सकें। इस
प्रकार की कार्य साधारणता वित्तीय अपराधों में बहुताय होते हैं। जैसे
- किसी बैंक के नेटवर्क में अनाधिकृत तरीके से
प्रवेश कर उनके खाताधारकों के अकाउंट से दूसरे अकाउंट में पैसे स्थानांतरित
करना।
- किसी व्यक्ति के क्रेडिट कार्ड की जानकारी
चुरा कर उसका दुरूपयोग करना आदि।
- किसी वेबसाइट के घटक अनाधिकृत तरीके से बदलने
की क्रिया को web हैकिंग कहा जाता है।
भारत
देश में हैकिंग क्रिया को गैरकानूनी माना जाता है तथा इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट
2008 के अंतर्गत 3 साल तक सजा एवं जुर्माने का प्रावधान है।
Data data theft (डाटा
चोरी करना)
किसी
संस्था या व्यक्ति या कंप्यूटर नेटवर्क में अधिकृत व्यक्ति के अनुमति लिए बिना
उसके कंप्यूटर के डाटा को कॉपी करना उसे शेयर करना डाटा चोरी के अपराध की श्रेणी
में आता है। किसी अनाधिकृत व्यक्ति द्वारा किसी अन्य व्यक्ति या संस्था की अनुमति
के बिना डेटा कॉपी करना गैरकानूनी माना जाता है। वर्तमान में बहुत से छोटे स्टोरेज
डिवाइस जैसे पेन ड्राइव मेमोरी कार्ड आसानी से उपलब्ध है, इन डिवाइस की सहायता से डाटा
चुराना बहुत आसान हो गया है| इसमें आईटी एक्ट 2008 के अंतर्गत सजा का प्रावधान
है।
Spreading spreading virus or worms (कंप्यूटर वायरस को फैलाना)
जो
प्रोग्राम किसी कंप्यूटर यह कंप्यूटर नेटवर्क की अनुमति के बिना कंप्यूटर में
प्रवेश कर लेते हैं उन्हें कंप्यूटर वायरस की श्रेणी में डाला जाता है| साधारणता वायरस या वोर्म (Worm) प्रोग्राम का काम किसी अन्य के
कंप्यूटर के डाटा को खराब करना है| इसीलिए कोई व्यक्ति या संस्था किसी ऐसे प्रोग्राम
को अनावश्यक रुप से फैलाते हैं तो उन्हें इस अपराध की श्रेणी में रखा जाता है| बहुत से बड़े नेटवर्क को यदि
वायरस प्रभावित करें तब बहुत बड़ा नुकसान हो सकता है| उदाहरण के लिए किसी विमान सेवा
के कंप्यूटर में वायरस ने डाटा को बदल दिया है तब कोई प्लेन दुर्घटनाग्रस्त हो
सकता है| यद्यपि
सभी बड़े कंप्यूटर नेटवर्क में वायरस से कंप्यूटर को बचाने की प्रणाली होती है| भारतीय आईटी एक्ट 2008 के
सेक्शन 43 (C) एवं
43 (e) के
अंतर्गत वायरस फैलाने के कार्य के लिए सजा का प्रावधान है|
Identity identity theft (पहचान
चुराना)
किसी
अन्य व्यक्ति की पहचान चुराकर कंप्यूटर नेटवर्क पर कार्य करना इस अपराध श्रेणी में
आता है|
कंप्यूटर
नेटवर्क पर स्वयं की पहचान बचा कर स्वयं को दूसरे के नाम से प्रस्तुत करना, उसके नाम पर कोई घपला कर ना, बेवकूफ बनाना आईटी एक्ट के
अंतर्गत अपराध है|
इसके
अतिरिक्त किसी अन्य व्यक्ति का पासवर्ड का प्रयोग करना,
डिजिटल
सिग्नेचर की नकल करना भी इस अपराध की श्रेणी में आते हैं|
किसी
अन्य के नाम का प्रयोग कर अवांछित लाभ लेना धोखाधड़ी करना भी इस प्रकार के अपराध
में आते हैं|
जिस
व्यक्ति की पहचान चुराई गई है उस से अनावश्यक रुप से कानूनी उलझनों का सामना करना
पड़ता है, बहुत
बड़ा नुकसान भी हो सकता है| उदाहरण के लिए आपके बैंक अकाउंट को कोई अन्य
व्यक्ति आपकी पहचान चुराकर प्रयोग कर रहा है|
आपकी पहचान चुरा कर दूसरी जगह धोखा धड़ी के लिए
प्रयोग कर रहा है, इसलिए
कंप्यूटर नेटवर्क पर अपने पासवर्ड व्यक्तिगत जानकारियां सार्वजनिक ना करें|आईटी एक्ट 2008 सेक्शन 66 सी के
अंतर्गत सजा का प्रावधान है|
Trojan attack
Trojan उस प्रोग्राम को कहा जाता है जो
दिखते तो उपयोगी हैं, लेकिन उनका कार्य कंप्यूटर कंप्यूटर नेटवर्क को
नुकसान पहुंचाना होता है|
साइबर
क्राइम के कुछ अन्य उदाहरण हैं –
• नेटवर्क का अनधिकृत तौर पर
प्रयोग करना
• कंप्यूटर तथा नेटवर्क का
प्रयोग कर व्यक्तिगत (Private) तथा गुप्त (Confidential)
सूचना प्राप्त करना
• नेटवर्क तथा सूचना को नुकसान
पहुंचाना
• बड़ी संख्या में ई – मेल भेजना (E – Mail Bombing)
• वायरस द्वारा कम्प्यूटर तथा
डाटा को नुकसान पहुंचाना
• इंटरनेट का उपयोग कर आर्थिक
अपराध (Financial Fraud) करना
• इंटरनेट पर गैरकानूनी तथा
असामाजिक तथ्यों तथा चित्रों को प्रदर्शित करना
साइबर
अपराध से बचने के उपाय (Ways To Prevent
Cyber Crime)
• Login ID तथा पासवर्ड सुरक्षित रखना तथा
समय – समय
पर इसे परिवर्तित करते रहना
• Antivirus साफ्टवेयर का प्रयोग करना
• Fire wall का प्रयोग करना
• Data की Back – Up Copy रखना
• Proxy Server का प्रयोग करना
• Data को गुप्त कोड (Encrypted Form) में बदलकर भेजना व प्राप्त
करना
सूचना
प्रौद्योगिकी ऐक्ट 2000 और पोर्नोग्राफी
साइबर
अपराधों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर सूचना प्रौद्योगिकी ऐक्ट 2000 बनाया गया. इस
ऐक्ट के तहत अश्लील दृश्यों का प्रचारप्रसार एक दंडनीय साइबर अपराध है. इस ऐक्ट के
अनुसार‘जो
भी व्यक्ति, संस्था
या समूह किसी भी प्रकार की अश्लील सामग्री को प्रकाशित व प्रसारित करने का प्रयास
करेगा, जिस
से कि किसी व्यक्ति को पढ़ने, सुनने,
देखने के लिए प्रेरित किया जा सके अथवा उस के मस्तिष्क
में किसी प्रकार की विकृति उत्पन्न कर सके,
को इस ऐक्ट के तहत साइबर अपराधी माना जाएगा. उसे 5
वर्ष की कैद या 1 लाख रुपए तक का जुर्माना अथवा दोनों की सजा का प्रावधान है.
दोबारा ऐसा प्रयास करने पर उसे 10 वर्ष के कारावास या 10 लाख रुपए जुर्माना अथवा
दोनों की सजा का प्रावधान भी किया गया है.’
क्रिप्टोग्राफी, प्राइवेसी और राष्ट्रीय सुरक्षा
इंटरनैट
द्वारा लोगों को अपना दृष्टिकोण प्रकट करने और किसी के प्रति टिप्पणी करने का
विश्वव्यापी मंच प्राप्त हो गया है. लेकिन इस का अर्थ यह नहीं है कि किसी को
अमर्यादित किया जाए या उन की प्राइवेसी में दखलंदाजी की जाए. अगर कोई ऐसा करता है
तो वह साइबर अपराधी कहलाएगा. क्रिप्टोग्राफी वास्तव में शब्दों का प्रयोग कर संदेश
को इस प्रकार प्रसारित करना है कि मात्र प्रेषक एवं संदेश प्राप्तकर्ता ही उसे समझ
सके. इस प्रकार न केवल व्यक्ति की निजी स्वतंत्रता बनी रहती है बल्कि दूसरों को भी
इन कोड शब्दों की जानकारी प्राप्त नहीं होती. आधुनिक युग में इस प्रकार के कार्यों
में भी कोडवर्ड की चोरी करने एवं उन संदेशों को गैरकानूनी ढंग से अनाधिकृत
व्यक्तियों व कंपनियों तक पहुंचने से व्यावसायिक संगठनों को ही नहीं बल्कि देश की
सुरक्षा एजेंसियों के गुप्त कार्यों का पता दुश्मनों को चल जाता है जिस से
राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे में पड़ जाती है.
साइबर कानून और नैतिकता व कार्यवाही में आने वाली दिक्कतें (Cyber Laws & Ethics and the difficulty in enforcing them)
भारत
में साइबर कानून
भारत
में साइबर अपराध को तीन मुख्य अधिनियमों के अंतर्गत रखा गया है|
ये
अधिनियम हैं- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम,
भारतीय दंड संहिता और राज्य स्तरीय कानून|
सूचना
प्रौद्योगिकी अधिनियम- 2000 के अंतर्गत आने वाले प्रमुख मामले निम्न हैं:
• कंप्यूटर स्रोत एवं दस्तावेजों
के साथ छेड़छाड़ - धारा 65
• कंप्यूटर सिस्टम की हैकिंग एवं
आकड़ों में परिवर्तन - धारा 66
• अश्लील सूचनाओं का प्रकाशन -
धारा 67
• संरक्षित सिस्टम तक अनाधिकृत
पहुंच - धारा 70
• गोपनीयता को भंग करना - धारा 72
• झूठी हस्ताक्षरित डिजिटल प्रमाण
पत्रों का प्रकाशन - धारा 73
भारतीय
दंड संहिता और विशेष कानूनों के अंतर्गत आने वाले मामले:
• ईमेल से धमकी भरे संदेश भेजना – आईपीसी की धारा 505
• ईमेल द्वारा अपमानसूचक संदेश
भेजना - आईपीसी की धारा 499
• इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड की
जालसाजी - आईपीसी की धारा 463
• फर्जी वेबसाइट और साइबर
धोखाधड़ी - आईपीसी की धारा 420
• ईमेल स्पूफिंग – आईपीसी की धारा 463
• वेब-जैकिंग - आईपीसी की धारा
383
• ईमेल का दुरुपयोग - आईपीसी की
धारा 500
साइबर
अपराध से संबंधित विशेष सेल:
• हथियारों की ऑनलाइन बिक्री से
संबंधित अधिनियम
• नारकोटिक्स एवं अन्य दवाओं की
ऑनलाइन बिक्री से संबंधित अधिनियम
आइये
देखते है सरकार साइबर अपराध पर अंकुश लगाने के लिए कौन-कौन से कार्य कर रही है
नीचे
उन तमाम उपायों का उल्लेख किया गया है जिन्हें सरकार साइबर अपराध पर अंकुश लगाने
के लिए प्रयोग कर रही है:
• गृह मंत्रालय द्वारा सभी राज्य
सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों को साइबर अपराध के संबंध में परामर्श जारी किया
गया है। इसके अलावा, राज्य सरकारों को साइबर अपराध के पंजीकरण, अन्वेषण एवं अभियोजन के लिए नई
तकनीकों जैसे साइबर पुलिस स्टेशन, बुनियादी ढांचे और प्रशिक्षित लोगों की टीम को
तैयार करने की सलाह दी गई है।
• कानून को लागू करने वाली
एजेंसियों, फोरेंसिक
लैब और न्यायपालिका को उन्नत और बुनियादी प्रशिक्षण प्रदान करना ताकि वे इंडियन
कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम (सीईआरटी-इन) एवं सी-डैक द्वारा इकट्ठा किए गए
सबूतों का सही ढ़ंग से विश्लेषण कर सके|
• सरकार द्वारा साइबर अपराध की
जाँच करने वाले पुलिस अधिकारियों को प्रशिक्षण देने के लिए केन्द्रीय जाँच ब्यूरो
के अंतर्गत केन्द्रीय फोरेंसिक लैब की स्थापना की है| साथ ही सरकार ने केरल, असम, मिजोरम, नागालैंड, अरूणाचल प्रदेश, त्रिपुरा, मेघालय, मणिपुर और जम्मू-कश्मीर में भी
फोरेंसिक लैब की स्थापना की है|
• इसके अलावा साइबर अपराध के
प्रति जागरूकता बढानें के लिए सरकार द्वारा मुंबई,
बेंगलुरू,
पुणे और कोलकाता में नैसकॉम और भारतीय डाटा
सुरक्षा परिषद (DSCI) की
स्थापना की गई है|
• इंडियन कंप्यूटर इमरजेंसी
रिस्पांस टीम (सीईआरटी-इन) वेबसाइटों को सुरक्षित रखने के लिए दिशानिर्देश
प्रकाशित करती है जो www.cert-in.org.in
पर उपलब्ध हैं|
इसके अलावा वह साइबर हमलों के बारे में जागरूकता
प्रदान करने के लिए नियमित रूप से प्रशिक्षण कार्यक्रम का संचालन भी करती है|
• “क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रैकिंग
नेटवर्क सिस्टम” (CCTNS) के
माध्यम से सरकार ऑनलाइन साइबर शिकायतों के पंजीकरण के लिए एक केन्द्रीकृत नागरिक
पोर्टल उपलब्ध कराने का फैसला किया है।
• गृह मंत्रालय ने देश में साइबर
अपराध के खिलाफ लड़ने के लिए और पीड़ितों को अपनी शिकायतें दर्ज करने के लिए खुला
मंच उपलब्ध कराने के उद्देश्य से “भारतीय साइबर अपराध समन्वय केन्द्र” की स्थापना की है।
साइबर
कानून लागू करने में कठिनाई
सरकार
के साथ-साथ हमारा भी कर्तव्य है कि हमें कुछ आवश्यक उपाय एवं सावधानी बरतनी चाहिए, जैसे- शराब और नशीली दवाओं के
उपभोग में कमी करनी चाहिए| जैसा कि हम जानते हैं 51% अपराध शराब और नशीली
दवाओं के प्रभाव के कारण होते हैं| इसके अलावा जो लोग अशिक्षित हैं उन्हें जागरूक
करना चाहिए और यदि संभव हो तो उन्हें इंटरनेट,
कंप्यूटर,
क्रेडिट कार्ड,
डेबिट कार्ड आदि के उपयोग के बारे में प्रशिक्षण
देना चाहिए| साथ
ही उन्हें सरकार की विभिन्न योजनाओं एवं साइबर कानून के बारे में जागरूक करना
चाहिए| हम
यह भी जानते हैं कि हैकर्स या इंटरनेट के अपराधियों को पकड़ना मुश्किल है क्योंकि
वे एक देश में बैठकर कंप्यूटर का उपयोग करके किसी अन्य देश में कंप्यूटर हैक कर
लेते हैं| अतः
सबसे अच्छा तरीका यह है कि हमें सावधान और सतर्क रहना चाहिए| इंटरनेट के उपयोगकर्ता को
अद्वितीय (Unique) पासवर्ड
और एंटी-वायरस सॉफ्टवेयर का उपयोग करना चाहिए तथा संदिग्ध ईमेल और अज्ञात स्रोतों
से आने वाले प्रोग्रामों को खोलने से बचना चाहिए|
वेब डिजाइनिंग के तत्व एवं सिद्धांत (Elements & Principles of Web Designing)
वेब
डिजाइनिंग क्या है
इंटरनेट
पर वेबसाइट बनाना एक घर बनाने जैसा है जैसे हम घर बनाने के लिए पहले जमीन खरीदते
हैं उसी तरह वेबसाइट बनाने के लिए पहले हम Hosting
खरीदते हैं जिसके ऊपर हमारी वेबसाइट बनती है उसके
बाद में हम वेबसाइट का डिजाइन तैयार करते हैं जैसे कि किसी घर का नक्शा तैयार करते
हैं और उस नक़्शे को देखते हुए हम पूरा घर बनाते हैं वैसे ही वेबसाइट का डिजाइन को
देखते हुए एक पूरी वेबसाइट तैयार होती है और इसे ही वेब डिजाइनिंग कहते हैं.
वेब
डिजाइनिंग के दो भाग होते हैं जैसा की पहले डिजाइन तैयार होता है जिसे हम फ्रंट
एंड डिजाइन करते हैं और फिर उस डिजाइन को देख कर कोडिंग की मदद से पूरी वेबसाइट
बनाए जाएगी इस कोडिंग को बेक एंड डिजाइनिंग कहते है तो यह दोनों अलग अलग तरह से होते
हैं इन दोनों का अपना अलग-अलग काम है जो कि नीचे दिया गया है
वेब
डिजाइनिंग के तत्व
- Photoshop Basics :
जैसे
हम घर बनवाने के लिये पहले architecture
से नक्शा बनवाते है, ठीक उसी तरह Website design करने से पहले हमारे पास एक
विचार होना चाहिये कि website कैेसी दिखेगी। कई लोग पूरी website का design बहुत बारिकी से photoshop पर बनवाते है, लेकिन जो experts है वो Photoshop को सिर्फ एक blueprint या prototype बनाने के लिये करते है।
- HTML :
HTML का मतलब होता है Hyper Text Markup Language. HTML एक
markup language है जिसका प्रयोग Website
का ढा़चा बनाने के लिये होता है। HTML एक भाषा है जो कि Code के रूप में लिखी जाती है। HTML सीखन बहुत ही आसान है। एक बार HTML सीख ली तो आप एक सरल सी Static website बना सकते है।
- CSS :
CSS का मतलब है Cascading Style Sheet. HTML हमारी
website को
structure देने
के काम आता है और दूसरी ओर CSS हमारे HTML
से बने structure
को design
देने के काम में आती है, ये हमारे design को Style देने के काम आती है।
- JavaScript:
यहॉं
हम पूरी तरह से programming करना
शुरू कर देते है। HTML/CSS हमारी website
को बना देती है,
लेकिन design
को interactive
बनाने के लिये JS
का प्रयोग होता है। Interactive से मेरा मतलब जैसे आप Facebook पर ऊपर Friend request वाले icon पर click करते हो तो नीचे एक drop down खुल जाता है। JavaScript ये detect करता है कि User ने आपकी website पर क्या Action किया है अौर उस action के हिसाब से वो design को बदल देता है। जब किसी website पर ऊपर images घुम रही हाेती है तो इनको JavaScript घुमाता है।
HTML और CSS मिलकर एक बहुत अच्छी Static Website बना सकते है। अगर आपने सिर्फ Photoshop, HTML और CSS सीख लिया तो आप किसी IT company मे नौकरी ढ़ुढ कसते है और एक
अच्छी Website बना
सकते है।
- PHP
वैसे
तो backend पर
बहुत सी भाषायें चल सकती है, लेकिन शुरू में PHP
सीखना सबसे आसान है। PHP बहुत ही powerful है और इससे हर feature perform हो सकता है। Facebook PHP पर ही बनायी गयी थी।
PHP सीखना इसलिये भी फायदेमंद है क्योकि
इससे हम कम पैसो में ही website
बना सकते है। इससे हम WordPress पर web site design करन भी सीख सकते है, दुनिया की सबसे ज्यादा website और blogs WordPress पर बने है, तो PHP सीखने से आपके लिये WordPress बनाना आसान हाे जायेगा।
- Data Base
जब
हम Facebook पर
ID बनाते
है या YouTube पर
video देखते
है। तो ये सारा data जहॉं
store होता
है उसे हम Data Base कहते
है। सबसे ज्यादा प्रयोग होने वाला Data
MySQL है इसे सीखने के बाद आप अपनी website पर लोगो का data भी store करवा सकते हो।
MySQL जैसे data base मे कुछ भी store करवाने के लिये PHP जैसी भाषाओ का प्रयोग हो रहा
है।
वेब
डिजाइनिंग के सिद्धांत (Principles of Web
Designing)
Website design के वक्त ध्यान देने योग्य बातें
Website designing की पूरी प्रक्रिया में विभिन्न
प्रकार की तथ्यों को ध्यान में रख कर काम किया जाता है जिनमें से कुछ तथ्य इस
प्रकार हैं:
Target audience
सबसे
पहली और जरूरी चीज होती है Target
audience यानि के आपके वेबसाइट में आने वाले visitors, जब आपको अपने website के audience के बारे में पता चल जाता है तो
आपका काम काफ़ी आसान हो जाता है।
इससे
आपको समझ आ जाता है कि आपके audience
किस प्रकार के हैं वे किस तरह के content को पसंद करते है, अब इसके अनुसार आप आगे अपनी site को design कर पायेंगे।
Example के लिये आप कोई automobile की website बना रहें हैं तो जाहिर सी बात
है audience group में
वही लोग होंगे जो car आदि पसंद करते हैं,
तो इससे आपको उनके interest
के बारे में पता चलता है, इससे पता चलता है कि वे आपकी
साइट से किस प्रकार की जानकारी चाहते हैं,
अब आप अपनी site
में सिर्फ़ उन्ही चीजों को डालेंगे जो car पसंद करने वाले व्यक्ति के काम
की हो।
Information architecture:
आपको
ये पता चल चुका है कि आप को कैसी जानकारियां अपने site
में publish
करनी है,
लेकिन उन जानकारियों को किस format में आप अपने audience तक पहुंचायें कि वह देखने और
पढने में और भी ज्यादा interesting लगे इस बात का भी ध्यान रखना जरूरी है।
Layout:
Website के structure या ढांचे को ही उसका layout कहा जाता है, layout डिजाईन करते समय वेबसाइट के
अलग-अलग sections जैसे
header, sidebar, content, footer आदि के height-width,
position आदि को ध्यान में रख कर structure को कुछ ऐसे design किया जाता है कि हम अपने site के information को सही तरीके से user को present कर पायें।
Navigation:
किसी
भी site में
एक effective navigation का होना बहुत ही जरूरी है|
Navigation से ही visitor को पता चलता है उसे जिस प्रकार
की जानकारी चाहिये वो कहां और किस page में उपलब्ध है।
एक
अच्छे navigation को
simple, साधारण
और समझ में आने योग्य होनी चाहिये।
Navigation को कई तरीके से बनाया जा सकता
जैसे की header, sidebar या footer
में link डालकर या फ़िर अलग से एक menu बनाकर pages के links को अलग-अलग category में divide करके दिखा सकते हैं जिससे की user को उसकी मनचाही चीजें ढूंढने
में आसानी हो।
Navigation की design उस साइट की सभी pages में समान होनी चाहिये।
Graphics:
आपने
सुना होगा की एक तस्वीर अपने आप में हजारो शब्द बयां करती हैं, ऐसे ही बिना चित्रों के आपकी
वेबसाइट नीरस तथा उबाऊ लग सकती है और visitor
5
seconds में ही आपकी साइट बंद कर के कहीं और चला जायेगा।
Images use करने से आपकी साइट दिखने में
अच्छी तो लगेगी ही इसके अलावा graphics
से आपकी website
की SEO
(Search Engine Optimization) भी improve होगी।
ग्राफ़िक्स
का use करते
समय हमें कई बातो का ध्यान रखना जरूरी होता है जैसे:
1.
Image
format
2.
Resolution
3.
Size
4.
Height-Width
Color combination
आपके
वेबसाइट के चित्र दिखने में attractive
होने तो चाहिये इसके अलावा यह content से related और जल्दी से load भी होने चाहिये।
Colors:
जब
भी हम अपनी website design करते
हैं तो हमें color combination का भी ध्यान रखना पडता है, आपने देखा होगा कि ज्यादतर websites में maximum 3 या 4 colors ही use किया जाता है जिससे वह साईट और
भी professional दिखाई
देता है।
उपयोग
होने वाले images, fonts, backgrounds आदि के color
को पहले से तय किये गये color combination के हिसाब से ही चुना जाता है और
सभी pages में
वही combination use होता है।
Fonts:
जाहिर
सी बात है अगर fonts clear और
पढने लायक ना हो तो हमारी website
किसी काम की नही है,
इसके अलावा जो fonts
हम अपने system
में MS-Word
आदि में देखते हैं,
जरूरी नही कि उन सभी को हम अपनी website में उपयोग कर पायेंगे।
Font चुनते समय हमारे पास 2 options होते हैं:
हम
उन्हीं common fonts का
use करते
हैं जो user के
system में
पहले से installed होते
हैं या
Web fonts का उपयोग करते हैं जिसमें हमें fonts को अपने site में ही include करना होता है
इन
सब के अलावा हमें font size, color,
bold हो या light
हो,
content के situation
से match कर रहा है या नही इन सभी बातों को भी ध्यान में
रखा जाता है।
Website Design करने के लिये क्या सीखना जरूरी
है?
आजकल
website बनाना
बहुत ही आसान हो गया है, internet पर कई सारे ऐसे tools
हैं जिनकी मदद से आप बिना कोई programming किये आसानी से अपना वेबसाइट बना
सकते है|
लेकिन
अगर आप एक professional web designer बनना चाहते हैं,
आप चाहते हैं कि किसी भी तरह की website हो आप उसे design करलें और सिर्फ़ डिजाइन नही
बल्कि उसके अन्दर की सारी functionality
को भी आप समझ सकें,
तो इसके लिये आपके अन्दर थोडी सी programming skills होनी जरूरी है।
वैसे
तो website designing में कई सारी technologies
हैं पर सबसे पहले नीचे दिये कुछ जरूरी चीजों के
बारे में जानना आवश्यक है:-
HTML
CSS
Basic Javascript (Optional)
jQuery
HTML
यानि
की HyperText Markup Language, यह सबसे जरूरी और पहली चीज है किसी वेबसाइट को
बनाने के लिये। इससे website का layout
यानी की structure
तैयार किया जाता है।
यकीन
मानिये यह सीखने में बहुत ही आसान है, और इसे सीख कर आप एक simple web page कुछ ही मिनटो में तैयार कर सकते
हैं।
CSS
आपको
HTML सीखने
के बाद CSS (Cascading Style Sheets) सीखना आवश्यक है क्यों कि आप सिर्फ़ HTML से अपने वेबसाइट को attractive नही बना सकते।
HTML से website का ढांचा तैयार किया जाता है
फ़िर CSS से
उसमें सजावट की जाती है यानि की रंग रोगन का सारा काम CSS से होता है।
इसे
सीखना HTML से
भी ज्यादा मजेदार होता है, पर हां इसे सीखने से पहले HTML जरूर सीखें क्योंकि अकेला CSS कुछ भी नही कर सकता।
Javascript:
वैसे
तो यह इतना आवश्यक नही है, आप HTML+CSS
से बेहतरीन design
बना सकते हैं|
लेकिन अगर आप कुछ नये functionalities add करना चाहते हैं जैसे की आपने
देखा होगा किसी साइट में कुछ forms होते हैं,
contact form, registration form आदि जिसको fill करके submit करने पर बिना पेज reload हुये हमारा data submit हो जाता है, इस तरह की चीजों को javascript से बनाया जाता है।
jQuery
Javascript के कुछ common tasks को और आसान बनाने के लिये jQuery का use किया जाता है।
जिस
काम को करने के लिये Javascript में कई सारे lines
of code लिखने पडते हैं उसे हम jQuery में आसानी से कुछ ही लाइनो में
कर सकते हैं।
Web design में use होने वाले tools:
इसके
लिये कई सारे tools होते
हैं, designing के
लिये अलग, coding के
लिये अलग tools use किये
जाते हैं। जरूरी नही की आप इन्हीं tools का इस्तेमाल करें,
designer अपने हिसाब से अपनी पसंद की tools select करते हैं।
यहां
नीचे कुछ popular web designing tools की list दी जा रही है जो beginners
के लिये उपयोगी हैं:
Designing के लिये tools:
1.
Photoshop
2.
Corel
Draw
3.
Coding
के लिये text
editors:
4.
Notepad++
5.
Dreamweaver
6.
Web
browsers:
7.
Chrome
8.
Firefox
9.
Safari
10.
Opera
वेब डिजाइनिंग की बेसिक प्रोग्रामिंग (Basic Programming for Web Designing)
वेब
प्रोग्रामिंग का क्या अर्थ है?
वेब
प्रोग्रामिंग वेब विकास में शामिल लेखन,
मार्कअप और कोडिंग को संदर्भित करता है, जिसमें वेब सामग्री, वेब क्लाइंट और सर्वर
स्क्रिप्टिंग और नेटवर्क सुरक्षा शामिल है। वेब प्रोग्रामिंग के लिए उपयोग की जाने
वाली सबसे आम भाषाएं एक्सएमएल, एचटीएमएल,
जावास्क्रिप्ट,
पर्ल 5 और PHP
हैं। वेब प्रोग्रामिंग सिर्फ प्रोग्रामिंग से अलग
है, जिसके
लिए एप्लिकेशन एरिया, क्लाइंट और सर्वर स्क्रिप्टिंग और डेटाबेस तकनीक
पर अंतःविषय ज्ञान की आवश्यकता होती है।
वेब
प्रोग्रामिंग को संक्षिप्त रूप से क्लाइंट और सर्वर कोडिंग में वर्गीकृत किया जा
सकता है। ग्राहक पक्ष को उपयोगकर्ताओं से डेटा तक पहुंचने और जानकारी प्रदान करने
से संबंधित प्रोग्रामिंग की आवश्यकता होती है। यह सुनिश्चित करने की भी आवश्यकता
है कि ग्राफ़िक यूजर इंटरफेस में सुरक्षा उपायों सहित उपयोगकर्ता अनुभव को समृद्ध
करने के लिए पर्याप्त प्लग इन हैं।
1.
क्लाइंट साइड पर उपयोगकर्ता
अनुभव और संबंधित कार्यक्षमताओं को बेहतर बनाने के लिए, आमतौर पर जावास्क्रिप्ट का
उपयोग किया जाता है। यह वेब अनुप्रयोगों को डिजाइन और कार्यान्वित करने के लिए एक
उत्कृष्ट क्लाइंट-साइड मंच है।
2.
एचटीएमएल 5 और CSS3 अन्य अनुप्रयोग ढांचे द्वारा
प्रदान की गई क्लाइंट-साइड कार्यक्षमता का समर्थन करता है।
सर्वर
पक्ष को डेटा पुनर्प्राप्ति, सुरक्षा और प्रदर्शन से संबंधित प्रोग्रामिंग की
आवश्यकता होती है। यहां उपयोग किए गए कुछ टूल में एएसपी, कमल नोट्स, पीएचपी, जावा और माईएसक्यूएल शामिल हैं।
कुछ टूल / प्लेटफॉर्म हैं जो क्लाइंट- और सर्वर-साइड प्रोग्रामिंग दोनों में
सहायता करते हैं। इनमें से कुछ उदाहरण ओपा और टेर्सस हैं।
एचटीएमएल (HTML)
HTML की फुल फॉर्म Hypertext Markup लैंग्वेज होती है | यह computer Markup language होती
है जिसको की web pages and website design मे काम मे लिया जाता है | HTML मे markup symbols or codes को
combine करके
web pages design किये जाते है |
HTML markup Web browser को बताता है की Web page’s के words and images को user के लिए किस प्रकार display किया जाये | हर एक individual markup code एक
element को
refer करता
है, कुछ
elements pairs मे
आते है जो की indicate करते
है की किस time पर
display effect start करना hai
and कब end करना है |
Web browsers HTML files को read कर सकते है and उनको visible or audible web pages मे
generate भी
करते है |
Markup Language का meaning – Markup languages, text को
process, define and present करने का एक तरीका है जिसमे की मार्कअप language code को specify करता है (formatting – “layout and style layout”)|
इसको
W3C के direction मे constantly upgrade, revision and evolution किया जाता रहा है जिसके की यह Internet audience की growing demands and requirements को
पूरा कर सके | The World Wide Web Consortium (W3C) एक international
community है जहाँ पर Member
organizations, full-time staff, and the public साथ
मिलकर Web standards को
maintain, research and develop करते है |
HTML के 1991 से अब तक बहुत सारे version आ चुके hai.
HTML के कार्य
1.
HTML
(Hyper Text Markup Language) एक भाषा है जिसके जरिये हम Web-Browser को समझाते हैं कि हमारे Webpage के Information ( text, images आदि)
को User के
Screen पर
कैसे Display किया
जाये।
2.
हमारे पेज का Layout कैसा होगा ये भी हम HTML के Code से ही Browser को बताते हैं।
3.
बिना HTML Code के कोई भी वेबपेज Design नही किया जा सकता इस समय जिस
पेज को आप अपनी Screen पर
देख रहें है इसे भी बनाने के लिये HTML
Language का Use किया गया है।
4.
HTML
File का Extension
.html होता है।
HTML Tools
HTML में Code लिखने और Run करने के लिये कुछ Basic Tools की जरूरत होती है जो लगभग सारे Computers में पहले से ही Installed होते हैं |
इसके
लिये mainly दो
प्रकार के टूल्स की जरूरत पडती है:
Text Editor (जैसे Notepad, Notepad++, Dreamweaver, Coffee Cup आदि)
Web Browser (जैसे Internet Explorer, Google Chrome, Firefox, Safari, Opera आदि)
Text Editor हम Use करेंगे Code लिखने के लिये और Browser में हम बनाये गये HTML File को Run करेंगे।
अगर
आपके पास Windows System है
तो Notepad और
Internet Explorer पहले से ही आपके कम्प्यूटर में Installed होंगे।
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