Wednesday, July 4, 2018

हमारी विदेश नीति

हमारी विदेश नीति की सफलता की कसौटी क्या है...  


पिछले चार वर्षों में हमारे प्रधानमंत्री ने बहुत बड़ी संख्या में अन्य देशों का भ्रमण किया है और हर जगह उनका स्वागत हुआ है। इस प्रयास का फल उस मात्रा में मिलना नजर नहीं आता, जितना चाहिये था। अमेरिका ने जिससे हमारी पिछले १० वर्षों से जबर्दस्त दोस्ती हुई है, उसने हमारे निर्यातों पर टैरिफ लगा दिया है। एक तो हमारा अमेरिका के साथ व्यापार संतुलित नहीं है। हम ज्यादा चीजें आयात करतें हैं और निर्यात कम है। परिणाम यह है कि हमारे आयात-निर्यात में करीब ५० बिलियन डालर का फर्क हो गया है, जो हमारे जीडीपी के लिए नुकसानदेह है। हमारे छात्रों के साथ भी अमेरिका में अच्छा सलूक नहीं हो रहा है। अभी हाल में हमारे छात्रों की सुविधाएं समाप्त कर दी गई हैैं। ब्रिटेन में भी हमारे छा0ों को मिलने वाली पुरानी सुविधाएं समाप्त हो गई है। हम लोग समझते थे कि बै्रक्जिट के बाद हमारा ब्रिटेन से ज्यादा लाभ होगा, परन्तु मामला उल्टा पड़ रहा है।
विदेश नीति की कामयाबी की सबसे बड़ी कसौटी अपने पड़ोसी देशों से सम्बन्ध हैं। पाकिस्तान से हमारे संबंध पिछले 70 साल से खराब है, परन्तु चीन को हमने अमेरिकी दबाव में मुफ्त में दुश्मन बना रखा है। नतीजा यह है कि चीन वह हर काम कर रहा है, जिससे हमारी असुरक्षा बढ़ती है। पिछले दिनों राष्टï्र संघ की सुरक्षा परिषद में एक सदस्य की जगह खाली थी, जिसे एशिया से ही भरना था, इसमे दो प्रत्यासी थे, इंडोनेशिया और मालद्वीव। मालद्वीव हमारे पड़ोस में है। पिछले दिनों की कुछ गलतफहमियों के बावजूद हमारी फौज तैनात थी, और हमारे हेलीकाप्टर मालद्वीव के आसपास समुद्र पर नजर रख रहे थे। इंडोनेशिया बड़ा देश जरूर है, परन्तु बहुत दूर है और
१९६५ के बाद उससे हमारे सबंध बहुत अच्छे नहीं रहे हैं। इस बात की कोई उम्मीद नहीं है कि अन्तर्राष्टï्रीय मामलों में हमारा साथ देगा। हमने मालद्वीव से वादा भी कर रखा था कि सुरक्षा परिषद के चुनाव में उसे वोट देंगे। परन्तु हमने न केवल अपना वादा तोड़ा, बल्कि और देशों को मालद्वीव के स्थान पर इंडोनेशिया को समर्थन देने को कहा। इसका तात्कालिक प्रभाव यह हुआ कि मालद्वीव ने अपने देश से हमारी सैनिक टुकड़ी को वापस कर दिया और वे हिन्द महासागर में हमारे लिए टोही हेलीकाप्टर लौटा दिये। २०१५ में प्रधानमंत्री ने सेशल्स द्वीप समूह के एजम्पशन आईलैण्ड में भारतीय चौकी बनाने की संधि की थी। सेशल्स पर अमेरिका और ब्रिटेन का बहुत प्रभाव है। एजम्पशन आईलैण्ड अफ्रीका के पूर्वी तट के निकट है और मोजाम्बिक, सोमालिया, मेडागास्कर, तंजानिया आदि देशों के अलावा हिन्द महासागर की सुरक्षा पर भी इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ता, परन्तु किन्हीं कारणों से सेशल्स ने यह समझौता रद कर दिया। श्रीलंका और बांग्लादेश हमारे और चीन के मामले में तटस्थ हैं। इस समय स्थिति यह है कि हमारे पड़ोस में केवल भूटान हमारे संबंध अच्छे हैं। अपने पड़ोस में इतना अकेलापन झेलकर कोई देश अन्तर्राष्टï्रीय स्तर पर बड़ी भूमिका नहीं अदा कर सकता। हमें अपने पड़ोस में अपनी स्थिति मजबूत करनी चाहिये। जैसा अटल बिहारी वाजपेयी ने कहा था, दोस्त बदले जा सकते हैं, पड़ोसी नहीं। छोटे पड़ोसी दोस्त रखना दूरस्थ शक्तिशाली दोस्तों से बेहतर है।
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