Thursday, October 4, 2018

तेल की कीमतों में कटौती बहुत कम और बहुत देर से

केन्द्र सरकार को आखिरकार तेल की बढ़ी कीमतों से परेशान जनता की सुधि आ ही गई। उसने बहुप्रतीक्षित उत्पाद शुल्क में डेढ़ रूपये की कटौती की है तथा तेल कंपनियों से एक रूपये कम करने का आश्वासन मिला है। इस तरह से अब पेट्रोल और डीजल लोगों को ढाई रूपये सस्ता मिलेगा। ऐसा लगता है कि भाजपानीत केन्द्र सरकार को अब मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान के विधानसभा चुनावों की आहट सुनाई देने लगी है। केन्द्र में सत्ता में आने के बाद से भाजपा ने दिल्ली, बिहार, पंजाब और कर्नाटक को छोड़कर दस से अधिक राज्यों में अपनी जीत का परचम लहराया। कर्नाटक में भी उसका अच्छा प्रदर्शन रहा, लेकिन वह बहुमत से थोड़ा पीछे रह गई थी। परन्तु इस वर्ष देश की बदहाल होती अर्थव्यवस्था, बढ़ती महंगाई, रोजगार के घटते अवसर, रूपये का होता अवमूल्यन ने भाजपा की चिंताएं बढ़ाने लगी है। इसमें तेल की कीमतों बेतहाशा वृद्घि ने देश भर में भाजपा सरकार के खिलाफ माहौल बनाने का कार्य कर रही थी। बताया जाता है कि भाजपा के खुद के आंतरिक सर्वे में मध्यप्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में स्थिति बदतर होने के संकेत मिले है। यह भाजपा के लिए खतरे की घंटी है।
सच्चाई सभी को पता है कि तेल की बढ़ती कीमतों के पीछे केन्द्र सरकार की नीतियां ही सर्वाधिक जिम्मेदार हैं। केन्द्र में भाजपा के आने के बाद अन्तर्राष्टï्रीय स्तर पर कच्चे तेलों की कीमतों में करीब पांच गुना की कमी हुई थी, यदि उस दर पर भारत में भी लोगों को तेल मुहैया कराया जाता तो बमुश्किल ३० से ३५ रूपये की कीमत होती, लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया। जैसे-जैसे तेल की कीमतों गिरती गई, सरकार ने तरह-तरह के टैक्स लगाकर तेल के दामों में कमी होने से रोक दिया। इतना ही नहीं सरकार की सबसे महत्वाकांक्षी योजना जीएसटी भी लागू किया गया, लेकिन पेट्रोलियम पदार्थों को आमदनी के चक्कर में उससे बाहर रखा गया। अब जब कच्चे तेलों की कीमतों में थोड़ी सी वृद्घि होने लगी तो स्थितियां २०१४ से भी बदतर हो गई। फिर भी सरकार को आम आदमी की सुधि नहीं आयी और उसकी जेब पिछले दो महीने से ढीली होती रही।
अब जब भाजपा को लगा कि चुनावी वैतरणी बीच में ही फंस जायेगी तो ढाई रूपये की मामूली कटौती की है। उसने ढाई रूपये राज्य सरकारों से भी वैट में कटौती करने का आग्रह किया है। यह कटौती ऐसे समय में हुई है, जब देश की अर्थव्यवस्था बेपटरी होती जा रही है। ऐसे में आर्थिक नुकसान होना तय है। यही कारण है कि सरकार ने इस नुकसान की भरपायी करने की वैकल्पिक उपायों के बिना ही यह कटौती का निर्णय लिया है, जो चिंताजनक है। इस मामले में अरविंद केजरीवाल की बात जायज लगती है कि यह कटौती काफी कम है। जब सरकार उत्पाद शुल्क के नाम पर करीब २० रूपये प्रति लीटर ले रही है तो इसमें कम से कम १० रूपये की कटौती की जानी चाहिये थी और इसी तरह से राज्य सरकारें भी १० रूपये की कटौती करती तो आम आदमी को फिलहाल तेल की कीमतों से राहत मिलती। यह भी सही है कि ढाई रूपये की कटौती बहुत दिनों तक राहत नहीं देने वाली है, क्योंकि अन्तर्राष्टï्रीय स्तर पर कीमतें लगातार बढ़ रही है। अत: अब सरकार को कोई स्थायी समाधान ढूंढने की जरूरत है, जिससे लोगों को महंगे तेल से निजात मिल सके। 

No comments:

Post a Comment

Please share your views

सिर्फ 7,154 रुपये में घर लाएं ये शानदार कार

  36Kmpl का बेहतरीन माइलेज, मिलेगे ग़जब के फीचर्स! | Best Budget Car in India 2024 In Hindi b est Budget Car in India: कई बार हम सभी बजट के क...