प्रदेश भर में पांच फरवरी से किसान आंदोलन करेगी किसान सभा
लखनऊ। अखिल भारतीय किसान सभा के कोषाध्यक्ष और देश भर में बड़े किसान आंदोलनों के अगुवाकार पी. कृष्ण प्रसाद ने कहा है कि देश और प्रदेश में भाजपा राज का खात्मा करने के लिए किसानों ने कमर कस लिया है। किसानों के साथ हुई वादाखिलाफी अब बर्दाश्त के बाहर हो गई है। उसके ही असंतोष का प्रतिफल तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजे रहे। अब यही हाल पूरे देश में होने जा रहा है। यह बातें राजस्थान, मध्यप्रदेश के साथ महाराष्ट्र में किसानों का लांग मार्च का सफल नेतृत्व करने वाले पी. कृष्ण प्रसाद ने आज किसान सभा के राज्य कार्यालय में प्रेस वार्ता के कही।उन्होंने कहा कि 2014 के बाद से देश में भय का वातावरण व्याप्त था। इस वातावरण को खत्म करने के लिए पिछले दिनों हुए किसान आंदोलनों ने कामयाबी हासिल की है। भाजपा सरकार की जनविरोधी नीतियों का सर्वाधिक शिकार किसान ही रहा है। इस सरकार के आने के बाद प्रदेश के किसान आर्थिक मोर्चे पर पंगु हो गये है। एक तो पशु व्यापार में गिरावट आ गई जो कि किसानों की आमदनी का एक जरिया था और दूसरे किसानों की खड़ी फसल आवारा पशुओं द्वारा नुकसान होती जा रही है। इस सरकार की नीतियों की नाकामी थी कि प्रदेश के छोटे व्यवसायी और किसानों से मांस और चमड़े का व्यवसाय दूर हो गया। यह और बात है कि इस व्यवसाय पर अब कारपोरेट घरानों की गिद्ध दृष्टि पड़ गई और भारत मांस निर्यात में ब्राजील व अमेरिका को पछाड़ते हुए पहले स्थान पर जा पहंुचा है।
कामरेड कृष्ण प्रसाद ने कहा कि किसान सभा के नेतृत्व में आगामी पांच से दस फरवरी तक प्रदेश भर में तहसील स्तर पर धरना-प्रदर्शन, चक्का जाम, जनसभा आदि का आयोजन किया जायेगा। उन्होंने प्रदेश में किसानों का बड़ा आंदोलन न खड़ा हो पाने की वजह उनका असंगठित होना बताया। उन्होंने कहा कि राजनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण इस राज्य से उठी किसानों की आवाज दूर तक जायेगी। यही कारण है कि किसान सभा प्रदेश में किसानों को संगठित करने के उद्देश्य से 12 से 14 फरवरी तक आगरा में वृहद विचार मंथन और प्रशिक्षण शिविर आयोजित करेगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि आगामी लोकसभा चुनावों में भाजपा की पराजय तय है और इसकी पटकथा किसानों द्वारा ही लिखी जायेगी।
पत्रकार वार्ता में उत्तर प्रदेश किसान सभा के प्रदेश महामंत्री कामरेड मुकुट सिंह ने कहा कि पूरे प्रदेश में किसान आंदोलन के माध्यम से उन्हें उनकी फसल लागत का डेढ़ गुना दाम दिलाने तथा उन्नतशील कृषि के लिए अनुकूल माहौल बनाने की मांग उठायी जायेगी।
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