Friday, February 22, 2019

समाज को एक साथ लाने के लिए गांधी जी के विचारों को अपनाने की जरूरत: प्रो. अली काजिम रिजवी

  • ‘महात्मा गांधीः कल और आज’ विषयक सेमिनार के अंमित दिन 50 से अधिक शोध पत्र पढ़े गये
  • गांधी जी के विचारों को अपनाने के संकल्प के साथ शिया कालेज में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सेमिनार समाप्त

मुईज़ सागरी 
लखनऊ। गांधी जी के 150वीं जन्मशती वर्ष पर शिया पी.जी. कालेज में आयोजित दो दिवसीय सेमिनार ‘‘महात्मा गांधी: कल और आज’’ के अंतिम दिन 50 से अधिक शोध पत्र पढ़े गये। देश भर से आये विद्वानों ने इस अवसर पर गांधी जी के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डालते हुए विभिन्न विधाओं में उनके विचारों की उपयोगिता को समझाया।
समापन सत्र के मुख्य वक्ता अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के प्रो. अली काजिम रिजवी ने अपने संबोधन में कहा कि वर्तमान दौर में लोगों के बीच विभिन्न कारणों से मतभिन्नताएं बढ़ती जा रही है, लोग एक-दूसरे से दूर होते जा रहे हैं। ऐसे में लोगों को एक साथ जोड़ने के लिए गांधी जी के विचारों को अपनाने की जरूरत है। महाविद्यालय के प्रबंधक सै. अब्बास मुर्तुजा शम्सी ने कहा कि आजादी के समय जो दौर था, उस समय हम सभी भारतीय थे, समाज में एकरूपता थी। गांधी जी ने अंग्रेजों के ‘‘बांटो और राज करो’’ के काकस को तोड़ दिया था और मजबूत अंग्रेजी हुकूमत से हमे आजादी दिलायी थी। कमोवेश अब पुनः वैसी ही स्थिति आ रही है, जिसे तोड़ने के लिए हमें गांधी जी के विचारों को आत्मसात करना होगा। 
विद्यांत पीजी कालेज के मनीष श्रीवास्तव ‘हिन्दवी’ ने कहा कि गांधी जी के जीवन से यह प्रेरणा मिलती है कि हमें समाज के हर व्यक्ति को साथ लेकर चलना चाहिये और हर मुश्किल परिस्थिति में भी डटकर मुकाबला करना चाहिये। डॉ. प्रदीप शर्मा ने कहा कि वर्तमान समय में समाज में जो तस्वीर उभरकर सामने आ रही है, वह कमोवेश आजादी के समय जैसी ही है। ऐसे में हमें गांधी जी के जीवन चरित्रों को अपनाकर असहमति के खिलाफ, सरकार के खिलाफ, गैर बराबरी के खिलाफ अहिंसक प्रदर्शन और प्रतिकार करना चाहिये। गांधी जी के विचारों में धार्मिक कट्टरता नहीं थी, बल्कि सर्व धर्म सम्भाव और धर्मनिरपेक्षता थी। इससे पूरा देश एक साथ खड़ा था, आज उसी भावना को आगे बढ़ाकर देश को एकजुट करने की जरूरत है।
महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. तलत हुसैन नकवी ने अपने अध्यक्षीय संबोधन में गांधी जी के वसूलों की चर्चा की। इस अवसर पर डॉ. सरवत फातिमा, डॉ. समीना शफीक, इस्लामिया कालेज की डॉ. तबस्सुम खान, लखनऊ विश्वविद्यालय की डॉ. सल्तनत बेनजीर, विद्यांत के डॉ. नरेंद्र सिंह , शिया कालेज के डॉ. मुनेन्द्र सिंह, डॉ. अमित राय, डॉ सीमा राना , डॉ. प्रमोद बिहारी शुक्ल, डॉ. मोहम्मद अली, डॉ. अंकुर सिंह, डॉ. योगेन्द्र पाण्डेय, एमिटी यूनिवर्सिटी की डॉ. मोनिका गौतम समेत करीब 50 प्रतिभागियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किये। सत्र का संचालन डॉ. नफीस हासिम रिजवी ने किया। अंत में समस्त प्रतिभागियों व महाविद्यालय के सहयोगियों का धन्यवाद ज्ञापन सेमिनार के संयोजक डॉ. सरताज सब्बर रिजवी ने किया।

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