लखीमपुर खीरी। प्रदेश की योगी सरकार ने लखीमपुर खीरी में आजादी के बाद आकर बसने वालों को जमीन पर मालिकाना हक देने के मामले को लेकर समिति बना दी है। मंडलायुक्त की अध्यक्षता में बनाई गई यह समिति तीन महीने में राजस्व विभाग को रिपोर्ट देगी। अपर मुख्य सचिव राजस्व रेणुका कुमार ने आदेश जारी कर दिया है। लखीमपुर खीरी में आजादी के बाद विभिन्न स्थानों से आकर किसान व परिवार बसे हैं। इनकी जमीनों को लेकर विवाद चल रहा है। यहां के किसान व परिवार मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर समस्या के समाधान का अनुरोध किया था। अपर मुख्य सचिव राजस्व ने इसके आधार पर यह समिति बनाने का फैसला किया है। जिला खीरी के अध्यक्ष मण्डलायुक्त होंगे। मुख्य वन संरक्षक व संबंधित जिले के डीएफओ, सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता, जिला गन्ना अधिकारी, बंदोबस्त अधिकारी इसके सदस्य होंगे। संबंधित जिले का डीएम या उनके द्वारा नामित अधिकारी सदस्य सचिव होगा। समिति परीक्षण करेगी कि जिसे वन विभाग का बताया जा रहा है, उस जमीन के लिए वन अधिनियम 1927 की धारा-4 की अधिसूचना कब जारी की गई। यह भी देखा जाएगा कि अधिसूचनाएं गाटावार (रकबा सहित) भूखंडों को समाहित करते हुए जारी की गई थी या नहीं। धारा-20 की अधिसूचना जारी करने से पूर्व प्रभावित पक्ष को सुनवाई का अवसर दिया गया या नहीं। जब कथित रूप से किसान जमीन पर खेती कर रहे थे तो वह वन भूमि के रूप में कैसे दर्ज हो गई। वर्ष 1947 से कब्जा होने व 15 साल लगातार खेती करने के बावजूद यह वन भूमि के रूप में कैसे दर्ज कर दी गई। क्या इसे पुन: वापस किया जा सकता है। यह अतिक्रमण अगर 1980 से पहले का है तो क्या इसे ‘पुराने अतिक्रमण को नियमित किया जाए के तहत कार्यवाही करते हुए किसानों को राहत दी जा सकती है। इसके साथ ही समिति यह भी रिपोर्ट देगी कि किसानों की समस्याओं के निराकरण के लिए रोडमैप क्या होना चाहिए। भूमि का सत्यापन पैमाइश,प्रभावित पक्ष की उपस्थिति में किया जाएगा और उनके हस्ताक्षर भी लिए जाएंगे।
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