Sunday, March 7, 2021

राष्ट्रपति जो बाइडेन के सामने चुनौतियां (सम्पादकीय)

प्रोफेसर मंजूर अहमद (सेवानिवृत आईपीएस) 

पूर्व कुलपति, डॉ. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, आगरा

राष्ट्रपति जो बाइडेन ने २० जनवरी को अपने पद की शपथ ले ली थी, परन्तु अब उनके सामने बहुत बड़ी चुनौतियां हैं।

अमेरिकी समाज साफ दो हिस्सों में बंटा हुआ है और तथाकथित अमेरिकी स्वप्न धूल में मिल गया है। अमेरिका बाहर से आये हुए लोगों द्वारा बनाया गया एक कृत्रिम देश है और यदि नस्ली बुनियाद पर वह समाज बंटे तो यह बहुत खतरनाक हो सकता है। इतिहास का सबसे शक्तिशाली देश (सामरिक और आर्थिक दोनों दृष्टिïकोण से) यदि नस्लपरस्ती के रास्ते पर चले तो यह पूरे संसार के लिए खतरनाक है। उसे परास्त करना उतना आसान नहीं है, जितना जर्मनी को परास्त करना था। डोनाल्ड ट्रम्प ने ह्वïाइट सुपरमासिस्ट (अतिवादी राष्टï्रीयता) को बढ़ावा दिया और उन लोगों के प्रोत्साहित किया, जो अमेरिका में श्वेत नस्ल को असली नागरिक मानते थे। कू-क्लक्स-क्लान की तरह ही एक अतिवादी श्वेत नस्ल की उच्चता का बखान करने वाले रश हडसन लिम्बाग को उन्होंने राष्टï्र का सर्वोच्च मेडल दिया। अमेरिका के सभी प्रगतिशील लोग हैरान हो गये कि यह व्यक्ति किस तरह मेडल फ्रीडम का हकदार बना, जबकि उसे जेल में होना चाहिये था। आरोप है कि ६ जनवरी को संसद भवन पर हुए हमले को भी इस आदमी ने प्रोत्साहित किया था। डोनाल्ड ट्रम्प के अमेरिका ने मुस्लिम देशों से आने वाले लोगों पर पाबंदी लगायी, जिससे श्वेत नस्लवादी और मजबूत हुए। अमेरिकी समाज का एक अच्छा खासा हिस्सा ६ जनवरी की घटनाओं की निन्दा नहीं करता और संसद पर हमले में कुछ अधिकारी भी शामिल थे, यह बात जांच में साबित हो गयी है। 

ह्वïाइट हाउस से जाने के बाद भी डोनाल्ड ट्रम्प का दमखम वही है और उन्होंने अभी कुछ दिन पहले रिपब्लिकन पार्टी के अपने चाहने वालों की एक बैठक में यह ऐलान किया कि वह राजनीति में ही रहेंगे और शायद २०२४ के राष्टï्रपति पद का चुनाव भी लड़ेंगे। जिस तरह की भाषा का प्रयोग उस बैठक में हुई, उससे ऐसा लगता है कि रिपब्लिकन पार्टी के भी जिन लोगों ने जो बाइडेन का साथ दिया था, वे भी डोनाल्ड ट्रम्प के निशाने पर हैं। सीनेट जो बहुत महत्वपूर्ण चैम्बर है, में रिपब्लिकन और डेमोक्रेट बराबर बराबर संख्या में हैं।

अमेरिकी शिक्षा संस्थानों में भी जो बाइडेन को नस्लपरस्ती के विरूद्घ कार्रवाई करनी पड़ेगी। जो बाइडेन को फूंक फूंक कर कदम रखना होगा, क्योंकि आर्थिक स्थिति खराब होने पर २०२४ में उनका चुनाव खतरे में पड़ सकता है। उन्हें अमेरिकी समाज को एक बार प्रगतिशील और नस्ली समानता के मानने वाले तबके को एकत्रित करना पड़ेगा, ताकि वह अमेरिका को उस खतरनाक रास्ते पर जाने से रोक सकें , जो डोनाल्ड ट्रम्प ने सुझाया था।

No comments:

Post a Comment

Please share your views

सिर्फ 7,154 रुपये में घर लाएं ये शानदार कार

  36Kmpl का बेहतरीन माइलेज, मिलेगे ग़जब के फीचर्स! | Best Budget Car in India 2024 In Hindi b est Budget Car in India: कई बार हम सभी बजट के क...