ग्राम पंचायत सेमरी का हाल
बिपिन मिश्रालखीमपुर-खीरी। विकास खण्ड रमियाबेहड़ की ग्राम पंचायत सेमरी में ग्राम प्रधान व ग्राम पंचायत अधिकारी के गठजोड़ के चलते ग्रामीणांे को विभिन्न समस्याआंे से रोजाना दो-चार होना पड़ता है। ग्राम पंचायत में स्थित सड़कांें का आलम यह है कि अधिकांश मजरांे में सड़कें कच्ची है जिसमें सड़कांे पर खड़न्जा लगा भी है, वो भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ने के चलते अब जर्जर दशा में है। वहीं गांव में बनी नालियों की सफाई न होने के चलते विभिन्न बीमारियां पनप रही है, जिसे भोले-भाले ग्रामीण भुगत रहे है।
हर योजना में "अवसर" तलाशते ग्राम पंचायत अधिकारी
विकास खण्ड रमियाबेहड़ की ग्राम पंचायत सेमरी में नालियांे के अभाव से गंदा पानी जगह-जगह भरा नजर आ रहा। गांव में अमूमन अधिकतर खड़न्जे रास्ते है वो भी जर्जर अवस्था में है। इन रास्तांे के आजू-बाजू कच्ची नालियां बनाई गई है। अव्वल तो इन नालियांे की साफ-सफाई ही नहीं की जाती है। जिसके चलते गंदगी और कचरे के चलते अधिकतर नालियां चोक हो गई। गंदा पानी पूरी तरह से नालियांे को अपनी गिरफ्त मंे लिए हुए है। हर दम सड़ास आना आम बात है, पर सबसे बड़ा खतरा यहां मच्छरों का है, जलभराव के कारण मच्छर पनपने है जो कि रात की नींद और दिन का सकून दोनांे ही छीने है। सबसे अधिक परेशानी तो गांव के प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चांे को होती है, बच्चे कहतें है कि यहां तो हरदम मच्छर काटते रहते है। ऐसे में बैठना मुश्किल हो जाता है। ग्रामीणांे की माने तो धूप निकलने के बाद भीषण सडास उठती है। इसके पास से गांव में कई लोग हैजे व उल्टी-दस्त का भी शिकार हो चुके है। गाहे-बगाहे मलेरिया जैसी बीमारी से भी लोग जूझते रहते है, लेकिन ग्राम प्रधान व ग्राम पंचायत अधिकारी को इससे कोई वास्ता नहीं है, उन्हंे सफाई कर्मी को महनवारी लेकर वरदहस्त दे रखा है, लिहाजा कभी-कभार वो कभी हेल्पर लेकर खानापूर्ति करने चला आता है, कुछ ही जगह झाडू पंजा लगाकर इतिश्री हो जाती है।
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सड़कांे की बावत कहा जाए तो इनका भी हाल खराब है, वैसे तो कई रास्ते कच्चे है, कुछ जगहांे पर खड़न्जा लगवाया गया था, वो भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है। दोयम दर्जे की ईंटे ज्यादा दिनांे तक भार नहीं सह सकी है, कई जगहांे पर वो टूट-फुट गई है, दिन में तो संभल कर चलना ही पड़ता है, रात में खतरा और बढ़ जाता है, कई लोग रात के अंधेरे में दुर्घटना का शिकार हो चुके है। प्रधान व ग्राम पंचायत अधिकारी को इससे कोई लेना-देना नहीं है। उन्हंे मतलब तो सिर्फ विकास के नाम पर आने वाली निधि का बंदरबांट कर अपनी तिजोरी भरने में है।
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