प्रोफेसर मंजूर अहमद (सेवानिवृत आईपीएस)
पूर्व कुलपति, डॉ. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, आगरा
यह आश्चर्य की बात नहीं होगी कि अमेरिका ने दुनिया भर के भाड़े के लड़ाकुओं को अपने राजनैतिक उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल किया। मालुम हुआ है कि मध्य-पूर्व के देशों में अमेरिकी सेना की तादाद से अधिक ये भाड़े के टटïï्टू है, जो अमेरिकी ठेकेदारों द्वारा युद्घ में उतारे गये हैं। एक अजीब बात और भी है कि अमेरिका राष्टï्र संघ में जिन सरकारों को मान्य शासन घोषित करता है, उन्हीं के विरूद्घ इन आतंकी भाड़े के लड़ाकुओं को भेजता है। ऐसा ही उसने लीबिया में भी किया, जहां ट्रिपोली में स्थित राष्टï्र संघ द्वारा शासन को मान्यता दी गई और उसी शासन के विरूद्घ एक पूर्वी लीबिया के विद्रोही लड़ाका खलीफा की मदद में अमेरिका ने अपने भाड़े के सिपाहियों को उतारा। अब यह बात दस्तावेजों से साबित हो गयी है। अमेरिकी मदद से यह लड़ाके राष्टï्र संघ के द्वारा मान्य सरकार के मुख्यालय पर कब्जा ही करने वाले थे कि तुर्की जैसे कुछ देशों की मदद से इन्हें रोका जा सका। चाहे यमन हो, ईराक हो, लीबिया, सोमालिया हो, हर जगह अमेरिकी भाड़े के लड़ाके भेजे जाते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार इनकी संख्या मध्य-पूर्व में तैनात अमेरिकी फौजों से कई गुना ज्यादे हैं और उसके मुख्य ठेकेदार एरिक प्रिंस है, जो दुनिया भर में बदनाम ब्लैक वाटर फर्म का मुखिया है। डोनाल्ड ट्रम्प ने चलते-चलते इसको पार्डन प्रदान कर दिया था। बहुत से बदमाशों को चलते हुए डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने कुकृत्यों से माफ कर दिया था, ताकि बाद में उन पर मुकदमा न चलाया जा सके। डोनाल्ड ट्रम्प ने अंतिम दिनों में खुद को भी पार्डन प्रदान करने वाले थे, परन्तु वकीलों की राय से उन्हें रूकना पड़ा।
आखिर इससे ट्रम्प का लक्ष्य क्या था। डोनाल्ड ट्रम्प की ख्वाईश लीबिया, यमन, सोमालिया आदि देशों में स्थिरता नहीं आने देने की थी। मुअम्मर गद्दाफी का लीबिया संसार का सबसे अधिक जन कल्याणकारी राज्य था, जहां स्वास्थ्य, शिक्षा आदि पर नागरिकों को दिये जाने वाली सहायता असीमित थी। चूंकि मुअम्मर गद्दाफी अमेरिकी और पश्चिमी नीतियों के विरोधी थे, अत: उन्हें गिरफ्तार किये जाने के बजाय मार दिया गया। यह काम ब्लैक वाटर के आतंकियों ने किया। एक अंदाजे के अनुसार बताया गया है कि इन ठेकेदारों की आमदनी साल में २०० बिलियन डालर से अधिक है। इस काम में मिस्र और सऊदी अरब भी डोनाल्ड ट्रम्प के साथ थे, क्योंकि इनका भी लक्ष्य यही था कि उत्तरी अफ्रीका में अशांति बनी रहे और मिस्र पूर्वी लीबिया को अपने प्रभाव में रखना चाहता था। अब यह बातें छन छनाकर आ रही हैं। राष्टï्रपति बाइडेन ने कहा है कि अब इन युद्घ के ठेकेदारों के दिन लद गये।
आज से करीब ७५ साल पहले अमेरिकी राष्ट्रपति वुड्रो विल्सन ने नारा दिया था कि जो भी काम हो, वह खुले तौर पर किया जाये, उनके शब्द थे, Open Covenant, Openly Arrived At, परंतु यूरोप के उपनिवेशी ताकतों को यह कबूल नहीं था और वुड्रो विल्सन मायूस होकर पेरिस से अमेरिका लौट गये। बहुत दिनों से दुनिया को विश्वास था कि अमेरिकी राष्टï्रपति चाहे इंसाफ पर न हो, परन्तु हमेशा सच बोलता है (US President may not be fair, but it always truthful). इस कसौटी पर आखिरी खरे प्रेसीडेंट आइजन हावर थे, जिन्होंने हमेशा सच कहा और जिससे ब्रिटेन, फ्रांस उनसे हमेशा नाराज रहे। इस कसौटी पर सबसे खराब राष्टï्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और जार्ज डब्लू बुश रहे हैं। राष्टï्रपति बाइडेन दोबारा अमेरिका की पुरानी साख बहाल करना चाहते हैं, यह उनके लिए बहुत जोखिम भरा कार्य है।
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