Tuesday, February 23, 2021

पेट्रोल-डीजल की कीमतों में अभूतपूर्व बढ़ोत्तरी


प्रोफेसर मंजूर अहमद 
(सेवानिवृत आईपीएस) 

पूर्व कुलपति, डॉ. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, आगरा

पेट्रोल-डीजल की कीमतें प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैं। पेट्रोल-डीजल देश में इतना महंगा कभी नहीं रहा जितना कि आजकल हो गया है। जबकि पूर्व में कच्चे तेल की कीमतें भी अधिक रहीं हैं। इन कीमतों का असर देश के हर तबके पर है।

बढ़ी हुई पेट्रोल की कीमतों का बोझ मध्यम वर्ग, नौजवानों और विद्यार्थियों पर है। अब आप सड़क पर देखेंगे तो शायद ही कोई साइकिल चलाने वाला नजर आयेगा। नौजवान और विद्यार्थी मोटर बाइक से चलते हैं और पेट्रोल की बढ़ी कीमतों का सीधा असर उन पर है। डीजल की बढ़ी कीमतों का असर किसानों पर है, जिनके ट्रैक्टर और पंपसेट उससे ही चल रहे हैं। शहरों में विशेषकर छोटे शहरों में बिजली की हालत सबको मालुम है और लोग पंपसेट का इस्तेमाल पानी निकालने के लिए या इनवर्टर की बैटरियां चार्ज करने के लिए करते रहते हैं। किसानों के ट्रैक्टर्स में सबसे अधिक डीजल का इस्तेमाल होता है और इसके कारण कृषि पर खर्च बढऩा अवश्यंभावी है। पिछले साल जब सभी क्षेत्रों में विकास दर ऋणात्मक में चला गया था, तब केवल कृषि ऐसा क्षेत्र था, जिसमें विकास दर में तीन प्रतिशत की बढ़ोत्तरी दर्ज की गई थी। अब डीजल की कीमतों और किसान आंदोलन के कारण शायद वह बढ़ोत्तरी कायम न रह सके। ट्रकों का किराया डीजल के रेट बढऩे से बढ़ जायेगा और माल लाने-ले जाने का खर्च भी बढ़ जायेगा, जिससे कृषि उत्पाद महंगे हो जाएंगे। वैसे भी डीजल के महंगे होने से महंगाई हर क्षेत्र में बढ़ेगी। 

जैसा सब लोग जानते हैं कि यह महंगाई सरकारों द्वारा ऊंचे दर पर टैक्स लगाने के कारण है। हमारे पड़ोसी देशों में पेट्रोल-डीजल की कीमतें हमारे मुकाबले में बहुत कम है। नेपाल में पेट्रोल-डीजल हमारे यहां से ही जाता है, परन्तु वहां कीमतें हमारी आधी हैं। 

सरकार की मजबूरी है, क्योंकि प्रत्यक्ष कर की उगाही कम हुई है और निर्यात से भी कम पैसे आ रहे हैं। सरकारी खर्च बढ़ता जा रहा है और सरकार ऊंचा टैक्स लगाकर उसे पूरा करने का प्रयास कर रही है। तेल बेचने वाली कंपनियों ने भी इस मौके का फायदा उठाना शुरू कर दिया है। कुछ लोगों का विचार है कि यह कंपनियां आने वाले खराब दिनों के लिए संसाधन जोड़ रहीं हैं। 

विपक्षी दलों को सरकार पर हमला करने का एक अच्छा मौका मिल गया है। विपक्ष भाजपा नेताओं के पुराने भाषणों और दावों को दुहराते हुए सरकार पर हमला कर रहा है। सरकार की दोहरी टैक्स नीति के कारण भी हालात खराब हो रहे हैं। अब तो राज्य सरकारें यह कहने लगी हैं कि यदि केन्द्र सरकार अपने टैक्स में कमीं करे तो वह कमी करने को तैयार हैं। 

दो दिन पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने स्वयं कहा था कि तेल की बढ़ी हुई कीमतें परेशान करने वाली हैं और इस संबंध में केन्द्र और राज्यों को बैठकर फैसला करना चाहिये। कीमतों को रोकना और कम करना जरूरी है, अन्यथा विकास दर और नीचे जायेगा। विकास दर में अभी हम वियतनाम, बांग्लादेश जैसे देशों से भी नीचे हैं। 

No comments:

Post a Comment

Please share your views

सिर्फ 7,154 रुपये में घर लाएं ये शानदार कार

  36Kmpl का बेहतरीन माइलेज, मिलेगे ग़जब के फीचर्स! | Best Budget Car in India 2024 In Hindi b est Budget Car in India: कई बार हम सभी बजट के क...