प्रोफेसर मंजूर अहमद (सेवानिवृत आईपीएस)
पूर्व कुलपति, डॉ. भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय, आगरा
भीमा कोरेगांव मामले में आम लोगों की जानकारी बहुत सीमित है और इस मुकदमें की तफ्तीश के मामले में भी केवल गिरफ्तार लोगों की जमानत के बारे में लोग बात करते हैं। आवश्यक यह है कि इस मुद्दे पर जो बातें सामने आयीं है, उन्हें देश के सामने रखा जाये। जैसा सभी जानते है कि आज से २०० साल पहले पूने के इस गांव में इस्ट इंडिया कंपनी और पेशवा की फौज के बीच युद्घ हुआ था। इस्ट इंडिया कंपनी की फौज में अच्छी संख्या में महार (दलित) लोग भी थे और उन्होंने युद्घ बहुत बहादुरी का प्रदर्शन किया थ। जीत इस्ट इंडिया कंपनी की हुई और बाबासाहेब भीमराव अम्बेडकर ने अंगे्रजों के साथ दूसरी राउण्ड टेबल कांफ्रेंस में दलितों के इस योगदान की याद दिलायी। तीन साल पहले बड़े पैमाने पर इस युद्घ की यादगार मनाने का फैसला दलितों ने किया, जिस पर वहां दंगा भड़क गया और दंगे में हिन्दुत्व के दो व्यक्ति नामजद हुए, जिनमें से एक ही अभियुक्त गिरफ्तार हो पाया।
इस दंगे की जांच पूने की ग्रामीण पुलिस ने शुरू किया और बाद में इसे नगर पुलिस और फिर एनआईए ने जांच की। एनआईए ने १५ व्यक्ति के विरूद्घ कार्रवाई की, जिनके बारे में एनआईए ने सूचित किया कि इनका संबंध प्रतिबंधित कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओइस्ट) से है और वे देश के विरूद्घ काम कर रहे थे। एनआईए ने यह भी कहा कि यह लोग देश के प्रधानमंत्री को शारीरिक नुकसान (हत्या) पहुंचाने की योजना बना रहे थे। अभियुक्तों में से एक वरवरा राव की जमानत कल हाईकोर्ट द्वारा हो गई। बाकी लोग जेल में हैं। यह सभी लोग विभिन्न पृष्ठïभूमि के हैं और यकीन करना मुश्किल है कि विभिन्न पृष्ठïभूमि के अलग-अलग जगहों के लोग प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश कर रहे थे। एक अभियुक्त जेस्यूट प्रीस्ट फादर स्टैन स्वामी का संबंध कम्युनिस्टों से होगा, यह विश्वास करने में बहुत दिक्कत है। एक महिला रोना विल्सन भी गिरफ्तार हुई और उनका कम्प्यूटर पुलिस ने कब्जे में लिया। रोना विल्सन के कम्प्यूटर में कुछ चि_िïयां थी, जिनकी बुनियाद पर एनआईए इस नतीजे पर पहुंंची कि ये लोग प्रधानमंत्री की हत्या की साजिश रच रहे थे। रोना विल्सन के कम्प्यूटर की जांच बोस्टन के एक मशहूर एक्सपर्ट मार्क स्पेंसर से करवाई गयी तो यह पाया गया कि यह चि_िïयां मिस विल्सन के कम्प्यूटर में अलग से बड़ी चालाकी से मालवेयर द्वारा डाली गयी है। यह एक अत्यंत गंभीर मामला है। मार्क स्पेंसर ने यह भी कहा है कि यह काम किसी बहुत चालाक हैकर द्वारा किया गया है। यह कम्प्यूटर एनआईए के पास था और वहां इस कम्प्यूटर में कैसे यह चि_िïयां डाली गयी, जांच तलब है।
पुलिस का कार्य जांच करके सबूतों का ढंग से आकलन करना और नतीजा अदालतों के सामने पेश करना है। साक्ष्य गढऩा या पैडिंग पुलिस का कार्य नहीं है। एनआईए देश की सबसे मजबूत तफ्तीशी संस्था है और यदि उस पर अविश्वास पैदा हुआ तो यह बहुत दुर्भाग्य की बात होगी। केन्द्रीय गृह विभाग के अधिकारियों का कर्तव्य है कि इस मामले की जांच निष्पक्ष ढंग से करायें ताकि पुलिस द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य पर लोगों को विश्वास रहे और अदालतों को भी ऐतबार कायम रहे। बहरहाल एनआईए जांच कर रही है और उम्मीद है सच सामने आयेगा।
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